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प्यासी साली की प्यास छत पर मिटाई pyasi sali ki pyas chhat par mitai -SEX KAHANI IN HINDI

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मैं पुणे से हूँ, मेरी लंबाई 5 फुट 5 इंच की है और लंड का साइज भी लंबा और मोटा है।
मेरे भैया की शादी हुए कुछ ही दिन हुए थे। मैं अपने ऑफिस के काम से भैया की ससुराल वाले शहर गया था। मुझे शाम को वापस आना था.. पर काम समय पर पूरा नहीं हुआ.. तो मुझे वहाँ रुकना पड़ा। मैं जैसे ही वहाँ से निकला.. तो देखा कि ऑफिस के बाहर सड़क पर भैया के ससुर खड़े थे।
मैंने उनको प्रणाम किया और पूछा- आप यहाँ कैसे?
तो उन्होंने कहा- मेरे पास कुंवर जी का फोन आया था कि आप यहाँ आए हो। इसलिए मैं यहाँ आपको लेने आया था और आप हमसे बिना मिले ही जा रहे हो।
‘परन्तु मुझे जल्दी ही वापस जाना है।’
‘ऐसा कभी हो सकता है क्या..? अब तो आपको घर पर ही रुकना होगा।’
भाई की साली ने खातिरदारी की
मैं भी उनकी आज्ञा का पालन करते हुए उनके साथ चल पड़ा। जब हम घर पहुँचे तो सभी ने अपनी परंपरा के अनुसार मेरी बहुत खातिरदारी की.. लेकिन भैया की साली रेखा मेरी कुछ ज़्यादा ही सेवा कर रही थी और मुझे देख कर बार-बार मुस्कुरा रही थी।
मैंने भी मज़ाक करते हुए कह दिया- क्या बात है रेखा जी.. बहुत सेवा कर रही हो.. अगर ऐसे सेवा करोगे तो हम रोज-रोज आने लग जाएंगे।
तो उसने कहा- अभी तो आपने हमारी सेवा देखी ही कहाँ है।
इतना कह कर वो हँसने लगी।
बस ऐसे ही हँसी-मज़ाक चल रहा था। सभी ने खाना खाया और मैं खाना खाने के बाद छत पर टहलने चला गया। कुछ देर बाद छत पर रेखा भी आ गई और उसके साथ भैया के साले और पड़ोस की सहेलियां आई थीं। हम सब मिलकर बातें करने लगे।
रात को 9 बजने वाले थे.. सभी ने मुझसे नमस्ते की और जाने लगे।
मैं उनको सीढ़ियों तक छोड़ने गया।
सभी उतर रहे थे.. तभी किसी ने मेरा पीछे से कुर्ता खींचा। मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो यह रेखा की सहेली थी.. जिसने अपना नाम प्रिया बताया था।
उसने धीरे से मेरे कान में कहा- रेखा आपसे प्यार करती है।
वो इतना कह कर वहाँ से चली गई।
उसके बाद मेरे दिल में अजीब-अजीब से ख्याल आने लगे। तभी कुछ देर बाद छत पर रेखा मेरे लिए दूध लेकर आई। सभी लोग नीचे चले गए थे।
मैंने दूध का गिलास पकड़ते हुए रेखा का हाथ पकड़ लिया और बोला- आपकी सहेली हमसे कुछ बोल कर गई है।
रेखा एकदम से डरने लगी, बोली- वो क्या बोली?
मैंने बोला- रेखा यह सच है क्या.. यह आप खुद भी तो बोल सकती थीं।
रेखा बोली- मुझे डर लग रहा था। अगर आप गुस्सा हुए तो बोल दूँगी.. कि वो मज़ाक कर रही थी।
मैंने रेखा का हाथ पकड़ लिया.. तो उसकी साँसें तेज चलने लगीं।
इतने पास से उसके बोबे ऊपर-नीचे होते देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया और मेरी वासना जागने लगी। मुझे डर भी लग रहा था.. क्योंकि कोई भी ऊपर आ सकता था।
फिर भी मैंने रेखा के होंठों पर होंठ रख कर किस कर लिया। रेखा ने मुझे कस कर पकड़ लिया और लंबी सिसकारी लेकर मुझे धकेल कर भाग गई। मेरा लंड पैन्ट फाड़ने जैसा हो गया।

प्यासी साली की प्यास छत पर मिटाई

इससे पहले मेरा कोई चुदाई का अनुभव नहीं था.. लेकिन ब्लू-फिल्म्स बहुत देखी थीं।
मुझे अपनी किस्मत पर यकीन नहीं हुआ कि मुझे इतनी जल्दी चूत मिल जाएगी। खैर.. मुझे नीचे से बुलावा आया कि बिस्तर लग गए हैं।
मैं बेमन से नीचे चला गया।
मेरा मन रेखा के पास सोने का था। पर मुझे जिधर बिस्तर दिया गया मैं उधर ही सोने लगा। तभी मुझे तकिए के नीचे कुछ महसूस हुआ.. मैंने हाथ डाल कर देखा तो उसके नीचे एक नोट बुक रखी थी।
मैं उसे पलटने लगा.. तभी उसमें से एक पन्ना नीचे गिरा। मैंने उसे उठा कर पढ़ा.. वह पूजा का ही लिखा हुआ था। उसमें लिखा था कि रात को सबके सोने के बाद छत पर मिलेंगे। दोस्तों आप यह हिंदी सेक्स कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
मैं लेटा-लेटा रेखा के बारे में ही सोच रहा था। रात के ग्यारह बजे मैं उठकर छत पर गया।
कुछ देर बाद रेखा आई, उसने कहा- मम्मी-पापा और भाई अभी अभी सोए हैं।
भाई की साली छत पर चूत चुदवाने आई
रेखा को मैंने अपनी बांहों में भर लिया और रेखा ने खुद ही मेरे होंठों से होंठ लगा दिए। हम एक-दूसरे के होंठों को बुरी तरह चूसने लगे।
मैंने अपना एक हाथ रेखा के बोबे पर रख दिया। उसका बड़ा बोबा मेरे हाथ में पूरा नहीं आ रहा था, मैंने उसके बोबे को नीचे से पकड़ कर दबाया.. तो रेखा ने एक सिसकारी भरी ‘इसस्स्स्स्स्..’
मैंने अंगूठे से उसके पहरेदारों को एक तरफ किया और उसकी गुलाबी चूत को अपनी जीभ से चाटने लगा। उसकी सिसकारियाँ लगातार जारी थी- जी……जू……….ये क्या……….कर रहे……. हो……….आ.हहहहहह जी…..जू………मजजजजजा आाा ररररहा हैं औररररर जोर सेससस चाटटो नााा
गुलाबी चूत से रिस रिस कर नमकीन पानी निकल रहा था, उसे चाटने में मुझे भी मजा आ रहा था और शायद अब रेखा को भी मजा आने लगा था। रेखा अपनी गांड उठा उठा कर मुखचोदन करा रही थी। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया, मैंने रेखा को नीचे लिटा दिया और उसके दोनों बोबों को दबाने लगा।
रेखा का हाथ मेरे कूल्हों को सहला रहा था और वो कसके मेरे होंठों को चूस रही थी। मैंने अपना एक हाथ उसकी सलवार के ऊपर से ही उसकी चूत पर रख दिया। रेखा के मुँह से निकला- ओह्ह.. अजय आई लव यू.. मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ।
उसने मेरा हाथ अपनी चूत पर ज़ोर से दबा लिया। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खींच दिया और पैंटी सहित उसे उसके घुटनों तक खींच दिया। हल्की रोशनी में रेखा की चूत डबलरोटी की तरह फूली हुई एकदम मस्त लग रही थी। मैंने ब्लू-फिल्मों की तरह उसकी दोनों फांकों को दोनों अंगूठों से थोड़ा फैला कर उसके दाने को मुँह में भर कर किस किया।
तभी रेखा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों को चूसने लगी। मैंने अपना लोवर चड्डी सहित नीचे खींच दिया। मेरा लंड झटके से बाहर उछल पड़ा। मैंने रेखा का हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया,

रेखा मेरे लंड को मुट्ठी में पकड़ कर दबाने लगी।

मेरे लंड का आगे का हिस्सा भीग गया था। मैंने फिर अपने होंठों को रेखा की चूत के हवाले कर दिया। रेखा एक हाथ से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी और एक हाथ अपने मुँह पर रख कर अपनी सिसकारियों को निकलने से रोक रही थी।
रेखा ने मुझे इतनी ज़ोर से अपने बांहों में भरा और दबाया जैसे वो मुझे पूरा अपने अन्दर उतारना चाहती हो। मैंने एक हाथ से रेखा की सलवार को एक पैर से पूरा निकाल दिया। हम पूरे नंगे नहीं हो सकते थे.. क्योंकि इस वक्त हम दोनों खुले में थे।
मैंने उसके कुर्ते को ब्रा समेत ऊपर कर दिया और अपने एक हाथ से उसकी चूत को सहलाने लगा। उसके एक बोबे को मुँह में भर कर चूसने लगा और दूसरा दबाने लगा। दोस्तों आप यह हिंदी सेक्स कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |
हम दोनों एक-दूसरे की जरूरत के हिसाब से खुल गए। मैं अपने लंड को पूजा की चूत पर रगड़ने लगा। रेखा ने वासना में भरते हुए कहा- प्लीज़ इसे अन्दर डाल दो और मुझे अपना बना लो।
हम दोनों फुसफुसा कर बोल रहे थे, मैंने कहा- क्या अन्दर डाल दूं जानू.. अगर ऐसे शरमाओगी तो ये प्यार कैसा हुआ?
उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के छेद पर रख कर बोली- मेरी जान मेरे इस लंड को अपनी रानी के भोसड़े में (चूत) डाल दो।
मैंने कहा- रानी..
उसने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और बोली- कुछ नहीं बोलो.. आज मुझे पूरी तुम्हारी होना हैं.. कुछ मत कहो।
मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उसकी चूत पर रख कर एक झटका मारा। लंड का अगला हिस्सा उसकी चूत में फंस गया।
उसके मुँह से एक तेज कराह निकल पड़ी ‘उन्ह्ह.. मर गई.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह..’
मैंने सांस रोक कर एक ज़ोर से झटका मारा, मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुसता चला गया। रेखा ने अपने कुर्ते को दोनों हाथों से मुँह में दबा लिया, मुझे उसकी दर्द भरी ‘गूं..गूं..’ सुनाई दे रही थी।
मैं थोड़ा रुक गया और उसके बोबे चूसने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसके हाथों से कुर्ते को हटाया। उसकी आँखों पर आँसुओं की बूंदें थीं। मैं उनको पी गया और उसके होंठों पर होंठ फंसा कर एक ज़ोर से झटका मारा मेरा पूरा लंड पूजा की चूत में था।
मुझे अब अपने लंड पर जलन महसूस हुई.. पर यह रेखा की चूत की गर्मी के सामने कुछ नहीं थी। मैं उसके बोबे चूसने और दबाने लगा।
कुछ देर बाद रेखा फुसफुसाई- अजय चोद दे.. अपनी रेखा रानी को..
मैंने झटके लगाने शुरू कर दिए, मेरा लंड उसकी चूत में फँस कर अन्दर जा रहा था। रेखा भी जोश में आती जा रही थी। अगर वहाँ आस-पास कोई ना होता तो वो ज़ोर से चिल्ला रही होती।
वो मस्ती में फुसफुसा रही थी- चोद मेरी जान.. चोद.. आह्ह.. मजा आ रहा है.. आह्ह..
कुछ देर बाद मुझे अपना लंड और ज़्यादा फूला हुआ लगा। मैं ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत में झटके लगाने लगा। रेखा नीचे से गांड उठा-उठा कर चुदवा रही थी और अपने हाथों को मेरी गांड पर रख कर अपनी चूत की ओर खींच रही थी।
थोड़ी देर बाद रेखा ने अपने हाथ और पैर मेरी कमर पर लपेट लिए.. मेरे होंठों को अपने होंठों में भर लिया। मैं ज़ोर-ज़ोर से चूत में झटके मारने लगा। तभी मुझे अपने लंड पर नीचे से कोई चिपचपा पानी ऊपर की तरफ आता महसूस हुआ। मतलब रेखा झड़ रही थी। मैं भी पूरे जोश में रेखा को चोदने लगा।
कुछ देर बाद मेरा सुपारा भयंकर फूल गया और मेरे लंड ने रेखा की चूत में बरसात कर दी। रेखा मुझे बेतहाशा चूमने लगी कुछ देर बाद हम उठे।
मेरे लंड पर रेखा की सील का खून लगा था।
रेखा ने अपने कपड़े ठीक किए और लंगड़ाते हुए नीचे जाकर पानी का जग भर लाई। मैंने अपने लंड को धोया और ढेर सारा पानी नीचे गिरा दिया.. जिससे फर्श पर लगा खून नाले की तरफ बह गया। फिर हमने एक-दूसरे को एक लंबा चुंबन दिया। मेरा लंड फिर खड़ा होने लगा.. तभी हमने किसी के कदमों की आहट सुनी। हम दोनों चुपचाप नीचे चले गए। मैंने समय देखा दो बज चुके थे। मैं चादर तान के सो गया। जब सुबह उठा तो देखा तो रेखा लंगड़ा रही थी।
उसकी मम्मी ने पूछा- क्या हुआ?
तो उसने कहा- गेट से ठोकर लग गई। हम दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए फिर मैं फ्रेश होकर चला आया। आते समय रेखा की आँखें नम थीं।

शिखा की चुदाई shikha ki chudai

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शिखा मेरे साथ काम करती है। वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी लड़की है। ऑफिस के सभी लड़के उस पर लाइन मारते हैं। पर वो किसी को लिफ्ट नही देती थी, पर मुझे वो थोड़ी बहुत लिफ्ट दे देती थी। मैं उसे बहुत ही चाहता था। उसका जिस्म एकदम सेक्सी और मलाई जैसा दिखता था। मैं उसे चोदना चाहता था। मेरे मन में बड़ी ही तमन्ना थी कि उस से शादी करूँ और उसके साथ सुहागरात मनाऊँ। उसकी चूची बड़ी ही अकर्षक थी।
आखिर एक दिन आ ही गया जब वो मेरे साथ सेक्स करने को तैयार हो गई। मैं उसे ऑफिस के एक खाली अकेले कमरे में ले गया। उसके दिल की धडकनों की आवाज़ मुझे ज़ोरों से सुनाई दे रहे थी। मैंने उसे कमरे में एक मेज पर बिठा कर उसके होठों को चूसना शुरू कर दिया।
उसकी साँसें तेज़ी से चलने लगीं। उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया मैंने उसके चूचियों को ऊपर से सहलाने लगा। उसके मुँह से अहह्ह्ह्ह्हह की सिसकरियाँ निकलने लगीं। मैंने अपना हाथ नीचे की तरफ़ खिसकाना शुरू किया, उसके दिल की धड़कनें बढती ही जा रहीं थीं। मैंने अपना हाथ अब उसकी सलवार के अन्दर घुसा दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत को सहलाने लगा। शिखा अब बिल्कुल गरम हो चुकी थी, वो अब चुदने के लिए बेकरार थी।
मैंने उसका सलवार-कुर्ता उतार दिया। अब शिखा केवल ब्रा और पैंटी में ही थी। गुलाबी रंग की ब्रा-पैंटी में वह बहुत ही सेक्सी लग रही थी। उसकी चूचियाँ ब्रा में से निकलने को बेताब हो रहीं थीं। मैंने उसकी ब्रा को अलग किया। शिखा के दोनों दूध अलग हो गए। शिखा की चूचियाँ कठोर हो रहीं थीं। मैंने जैसे ही शिखा की चूची के निप्पल को मुँह में लेकर चूसा, उसकी सिसकारी निकल गई। शिखा ने भी अब अपना हाथ मेरे पैंट के अन्दर डाल दिया। मैं उसकी चुचियों को पागलों की तरह चूस रहा था। उसने अपने हाथ से मेरा लंड मसलना शुरू कर दिया।
मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से ही उसकी योनि का एक चुम्बन लिया, शिखा पागलों की तरह चिल्ला उठी। मैंने उसकी पैंटी को उतार दिया। शिखा अपनी चूत को अपने हाथों से छुपा रही थी, उसे शरम आ रही थी। मैंने उसके हाथों को हटा कर उसकी चूत को जैसे ही देखा मैं हैरान रह गया। गुलाबी रंग की चूत बिना बालों के बड़ी ही सुंदर लग रही थी। मैंने उसके जिस्म को पैरों से लेकर उसके होठों तक बड़ी ही जोश से चूमा, कोई भी अंग और जगह खाली नही बची होगी, जहाँ मैंने उसे नही चूमा हो।
अब शिखा बोली- प्लीज़ जल्दी करो मेरे बदन में आग लग रही है !
मैं बोला- मेरी जान ऐसी भी क्या जल्दी है। पहले मुझे तुम्हारी चूत को चूसने तो दो। और मैंने उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया। शिखा के मुँह से जोर-जोर की सिसकारियाँ निकल रहीं थीं। हाय ये क्या कर रहे हो ? मेरे तो आआआआआआ उस्स्स्स्स्स्स्स……………… स्स्स्स्स्स्स्स्स… धीरे… प्लीज़… दर्द हो रहाआआआ है… उईए… म्माआआआ…. आआआहह….. रुक्कककककक….. जाओ….. मैं उसकी चूत में अपनी ऊँगली डाल कर अन्दर-बाहर करने लगा।
शिखा बोली- प्लीज़ अब मुझे मत तरसाओ, प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में घुसा दो।
मैं बोला- अभी नहीं डार्लिंग… अभी तो मज़ा आया है। मैंने उसकी चूत में अपनी जीभ डाल कर जैसे ही अन्दर बाहर किया, उसने मेरा सिर अपने हाथों से ज़ोर से पकड़ कर अपनी जांघों से जोरों से दबा लिया और उसकी चूत से पानी निकलने लगा, शिखा झड़ने वाली थी। मैं रुक गया और बोला- अब तुम मेरा लंड अपने मुंह में लेकर चूसो।
शिखा शरमाने लगी, पर वो मान गई और मुँह में मेरा लंड लेकर चूसने लगी। उसने काफी देर तक मेरा लंड चूसा और मैं अपने एक हाथ की ऊँगली उसकी चूत में करने लगा। उसके मुंह से फुच्च-फुच्च की आवाज़ आ रही थी। अब मैंने अपना लंड उसके मुंह से निकाल कर उसके चूत की फाँकों पर रगड़ने लगा, शिखा के मुँह से सिसकरियाँ निकल रहीं थीं। शिखा पागल हो रही थी चुदने के लिए।
मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रख कर थोड़ा सा धक्का दिया, सुपाडा पूरा चूत के अन्दर चला गया। शिखा की चीख़ निकल गई और वह बोली, हाय मैं मर गई, प्लीज़ बाहर निकालो !
मैं बोला- अभी एक मिनट में दर्द बन्द हो जाएगा और तुम्हें मज़ा आने लगेगा। अब मैंने थोड़ा सा लंड और अन्दर किया, शिखा चिल्लाने लगी, बोली, “प्लीज़ बाहर निकाल लो, नहीं तो मर जाऊँगी ! रुक जाओ प्लीज़ ! दर्द हो रहा है, अभी इतना ही अंदर डाल कर चोदो मुझे।”

शॉवर के निचे से साली को पीछे से ठोका shawar ke niche se sali ko pichhe se thoka - SEX KAHANI IN HINDI

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अनेरी ने पिछले साल से ही ब्रा पहनना चालू किया था. उसके बूब्स 28 इंच से भी छोटे थे. लेकिन गांड का उभार बढ़ आया था. मेरी वाइफ सुलोचना की छोटी बहन हे अनेरी. उसकी एज इतनी हे की मासिक स्टार्ट हो गई हे और उसे सेक्स में अच्छा बुरा पता लग गया हे. वैसे मैं उसके प्रति आकर्षित नहीं होता. पर एक दिन दोपहर में मैं जब अपनी बीवी के साथ संभोग कर रहा था. तब मैं उसकी दो नीली आँखों को खिड़की के एक छेद से बारी बारी अन्दर झांकते हुए देखी.
मेरी ये कच्ची उम्र की साली अपनी बहन और जीजा यानी की मुझे चोदते हुए देख रही थी. मैंने देख के भी अनदेखा किया. ऊपर से उस दिन मैंने उसकी बहन को ऐसे चोदा की उसकी सिसकियाँ निकलती रहे. और उसे सेक्स का फुल मजा आये. अनेरी ने एंड तक हम दोनों की चुदाई को देखी और फिर मेरा छुट गया तो वो वहाँ से खिसक ली.
पहले वो मेरे से बहुत मजाक मस्ती करती थी. लेकिन पिछले कुछ वक्त से वो उखड़ी सी रहती थी. मुझे देख के या तो डरती थी या शर्मा जाती थी. मैं भी समझता था की इस उम्र में शरीर में बहुत बदलाव होते हे. मैंने अनेरी को गिफ्ट देना और उसकी दीदी घर पर ना हो तो सेड्युस करना चालू कर दिया था. वो हालांकि ज्यादा टाइम वो ऐसा नहीं होने देती थी की हम दोनों घर में अकेले हो. अरे हां मैं बोलना भूल गया की वो अपनी पढ़ाई की वजह से हमारे साथ में रहती हे. उसके माँ बाप यानी की मेरे सास ससुर गाँव में हे. बहन जीजा इसी शहर में हे तो तू उन्के घर ही रह ले ऐसा उसे कहा गया था. और  मेरे ससुर जी मुझे हर महीने उसकी खर्ची देते थे.
फिर एक दिन मैं और अनेरी घर पर अकेले थे. मेरी वाइफ अपने लिए शोपिंग करने के लिए गई थी. अनेरी सोफे के ऊपर बैठी हुई थी टीवी देखने के लिए. मैं उसके पास में ही बैठ गया. उसने मुझे देखा और वो जाने लगी. लेकिन उसका हाथ पकड़ के मैंने उसे बिठा दिया वापस और कहा, कहाँ भागती हो?
वो बोली, जीजू कुछ काम याद आ गया.
मैंने कहा, फिर कर लेना.
वो बैठी. मैंने अपनी जांघो को उसकी जांघो से लगा दिया था. वो काँप सी रही थी. उसका ध्यान टीवी में नहीं था. ना ही मेरा! मेरा लंड पेंट में मोंस्टर बन रहा था. वो जोर जोर से साँसे ले रही थी. और फिर वो भाग खड़ी हुई वहाँ से. मेरा लंड धरा का धरा रह गया. मैंने सोचा की साली के अन्दर वासना की आग को पूरी तरह से भडकाना पड़ेगा. उसी शाम को मैं रेलवे स्टेशन पर गया. वहां पर बुक वाले से गरमा गरम कहानियो की बुक माँगा  उसने मुझे पोर्न फोटोस की और चुदाई की कहानियाओं की एक किताब मस्ताराम की दिखाई. शर्मीली भाभी नाम की किरदार कैसे अलग अलग लोगों के लंड लेती हे उसकी कहानियाँ थी उसके अन्दर. मैंने फट फट पेज बदले तो उसका और उसके जीजा का भी एक चेप्टर था. मैंने किताब खरीदी और फिर घर आ गया.
फीर मैंने जीजा साली के काण्ड के चेप्टर में अनेरी, आई लव यु और अनेरी इस वेरी सेक्सी वगेरह अपने पेन से लिखा. कहानियाँ पढ़ी तो वो सब की सब मसालेवाली थी और लंड खड़ा हो गया मेरा. मैं जानता था की अनेरी इसे पढेगी तो उसकी चूत में भी आग लगेगी.
अब मुझे इन्तजार था बीवी के कही जाने का. और वो दिन पुरे महीने के बाद आया. बीवी को ऑफिस में से दो दिन के लिए जाना था. मैंने अपनी ऑफिस की मीटिंग का बहाना बताया और नहीं गया. बीवी के जाने के बाद मैंने शर्मीली भाभी की किताब निकाली और उसे अनेरी के रूम में चुपके से रख आया. मोएँ ऑफिस से जल्दी आ गया वापस अनेरी के कोलेज के आने से पहले ही. फिर मैं एक बरमूडा पहन के बैठा और अन्दर मैंने कुछ नहीं पहना था. अनेरी आई और वो कमरे में गई. मैंने किताब ऐसी रखी थी की उसकी नजर फट से पड़े उसके ऊपर.
अनेरी के कमरे की विंडो ससे छिप के देखा तो वो किताब के पन्ने फेरने लगी. शायद उसने थोडा बहुत पढ़ा भी. फिर शायद उसकी नजर अनेरी आई लव यु वगेरह के ऊपर पड़ी. वो मन ही मन हंस रही थी. और उसने वो कहानी पूरी पढ़ी. शर्मीली भाभी का किरदार सविता भाभी से भी रोचक था इसलिए उसकी चूत गर्म हो गई. उसने एक बार अपनी चूत को सहलाया और फिर वो किताब को रख के नहाने के लिए चली गई.
वो नहा के आई तो मैं उसके पीछे बाथरूम में घुसा. जानबूझ के मैं तोवेल नहीं ले गया अपने साथ. मैंने अनेरी की पेंटी देखी और उसे सूंघी. नाजुक चूत की खुसबू सूंघी और मेरे लंड में तूफ़ान आ गया. मैंने शावर ओन किया और नहाने लगा. फिर पांच मिनिट के बाद्द मैंने अपने लंड के ऊपर साबुन लगा के हलकी सी मुठ मार के लंड को एकदम कडक कर लिया.
फिर मैंने आवाज लगाईं, अनेरी प्लीज़ तोवेल देना मुझे.
वो शायद बाल ही सुखा रही थी अपने. मेरी आवाज सुन के वो तोवेल ले के आई. उसने हलके से नोक किया दरवाजे को और बोली, जीजू.
मैंने दरवाजे को ऐसे खोला की वो मेरे नंगे बदन और लंड दोनों को देख सके. उसकी नजर मेरे लंड पर पड़ी और उसने मुहं फेर लिया और अपने हाथ को अन्दर कर के तोवेल देने लगी. मैंने हिम्मत कर के उसके हाथ को पकड़ा और वो मुझे देखने लगी. उसकी आँखों में बहुत कुछ था, शायद वासना भी!
मैंने और हिम्मत कर के उसे बाथरूम में खिंच लिया. वो बोली, जीजू मैं भीग जाउंगी. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
मैंने कुछ नहीं बोला और उसे अपने बदन से लगा के उसके होंठो को चूसने लगा. वो छटपटाइ लेकिन मेरी गिरफ्त से निकलने नहीं दिया मैंने उसे. वो अपने बूब्स के भीगने को देख रही थी और मैं उसके होंठो को जोर जोर से चूसने लगा. एक मिनिट तक उसका आखरी संघर्ष चला. और फिर उसके हाथ मेरी कमर के ऊपर आ गए. वो मुझे अपनी तरफ खिंच रही थी. मैंने उसे दिवार से लगा दिया और उसके होंठो को चूसते हुए उसके पतले गाउन के ऊपर से उसकी जवान चूचियां मसलने लगा. मेरा लंड एकदम खड़ा था और उसकी चूत के बहुत ऊपर था. मैं हाईट में उस से काफी लम्बा था इसलिए मेरा लंड उसकी छाती के निचे टच हो रहा था. अनेरी की गांड पर हाथ दबा के मैंने उसके एस चिक्स को खोला और दोनों बम्स को प्यार से मसल दिए.
मेरे होंठो के ऊपर मेरी इस जवान साली की सिसकियों का अहसास हुआ. मैंने अपने होंठो को अब उसके लिप्स से हटा के उसकी छाती के ऊपर रखा. बूब्स के ऊपर के हिस्से को चूसते हुए मैंने उसकी कमर में हाथ को लगा दिए और वो भी अह्ह्ह्ह अह्ह्ह कर के चुदास का अहसास करवा रही थी. मैंने उसके हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया. वो लंड को मुठ्ठी में ऐसे दबा रही थी जैसे किसी ने बड़े काम की चीज दे दी थी उसे.
फिर मैंने उसके गाउन को फाड़ ही दिया. उसने ब्रा नहीं पहनी थी. फिर मैंने उसके स्कर्ट को भी फाड़ा और अंदर की पेंटी को भी. फिर उसे दिवार पकड़ा के खड़ा कर दिया. हमारे ठीक ऊपर शावर था और उसके पानी के फ़ोर्स से मेरी आँखे बंद हो रही थी इसलिए मैंने उसे एकदम स्लो कर दिया. अनेरी का मुहं दिवार की साइड कर के मैं निचे बैठा और उसकी जांघो के पिछले हिस्से के ऊपर अपने गर्म होंठो का अहसास दिया उसे. वो सिहर उठी और मैंने उसकी दोनों जांघो को हाथ में पकड़ के हिलाई. वो चुदास के मारे अह्ह्ह अह्ह्ह्ह करती रही. मैंने अपने हाथो को और ऊपर किया और गांड के निचे के हिस्से को दबाया. वो मस्तिया गई. मैंने उसके एस चिक्स को खोला. उसकी गांड चिकनी थी और स्लाईट ब्राउन रंग का होल था उसका. मैंने साबुन हाथ में ले के उसकी गांड पर लगाया. शोवर का पानी उसे अपनेआप धोने लगा. अनेरी थिरक उठी. उसकी ये पहली चुदाई थी शायद.

मैं और मेरी बीवी की बड़ी बहन me or meri biwi ki badi bahan - SEX KAHANI IN HINDI

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मेरा नाम रवि है,उम्र 32 वर्ष,मैं टाटा नगर मे रहता हूं।मेरे परिवार मे मैं,मेरी 29 वर्षीय पत्नी निकिता,मेरे माता पिता है जो साथ मे रहते है।मेरी शादी 3 वर्ष पहले हुई।पत्नी सुंदर और सेक्सी है पर दुर्भाग्यवश बहुत ठंडी है, मैं और मेरी बीवी की बड़ी बहन हम बहुत कम ही सेक्स करते है और वो भी कोई बताने वाली बात जैसी नही है।निकिता की 6 बहने है,निकिता सबसे छोटी और नेहा सबसे बड़ी है।
नेहा की उम्र 43 है और 2 बेटों की माँ है।उसके पति मर्चेंट नेवी मे है,बच्चे होस्टल मे और वो जयपुर मे रहती है।पति अधिकतर जहाज पर ही रहते है तो नेहा अकेले ही रहती है।
एक और बहन का जिक्र करूँगा वो है चौथे नंबर की बहन,नताशा। वो 33 की होगी पर उसका डाइवोर्स होगया 2 साल पहले,शादी के बाद से ही उसका अपने पति से नही पता और अंत तलाक हो गया।उसका मानसिक संतुलन थोड़ा गड़बड़ था,और डाइवोर्स के बाद तो वो बहुत गंभीर डिप्रेसन मे चली गयी।फिलहाल हो अपनी बड़ी बहन के साथ जयपुर मैं रहती है।
ये घटना 3 महीने पहले की है जब मैं किसी काम से जयपुर गया था और नेहा के यह रुका था।उस समय घर पर सिर्फ नेहा और नताशा थी।नेहा 43 की है पर अपने को इतना मेन्टेन रखा है कि लगती नही है,गदराई जवानी है।फिगर 36 29 36 होगा।कपड़े भी वैसे ही सेक्सी पहनती है।सारी मे तो कयामत लगती है और जीन्स टॉप भी पहनती है।नताशा उतनी खास नही है,उसका 34 30 35 होगा।वो अपने पर। ध्यान नही देती और हमेशा गुमसुम रहती है।मैं शनिवार को सुबह सुबह पहुच गया था और अगले 2 दिन फ्री था,काम सोमवार से था। सुबह जब बेल्ल बजाया तो नेहा ने दरवाजा खोला,वो एक सेक्सी सी नाइटी मैं थी,मेरा तो वही खड़ा हो गया पर किसी तरह कंट्रोल किया,नताशा सोफे पर बेसुध सी पड़ी थी,कोई रिएक्शन नही।थोड़ी देर बात होने के बाद मैं नहाने गया,बाथरूम मैं देखा कि 2 जोड़ी ब्रा पैंटी पड़ा है तब मे, समझ गया कि दोनों ने अभी ही नहाया है।एक जोड़ी जॉकी का था,बहुत छोटी पैंटी थी,और ब्रा भी नए टाइप का था |

पत्नी से अच्छी चूत मिल गयी थी मुझे

मैं समझ गया ये नेहा का होगा,दूसरा साधारण सा था तो वो नताशा का होगा। मै दोनों को बारी बारी से सूंघा और मूठ मारने लगा,आज मूठ मारने मैं इतना मज़ा आ रहा था जितना तो पत्नी को चोदने मैं नही आता। फिर मैं नाहा कर बाहर आगया ,हमने नास्ता किया और बातें करने लगे।बात बात मैं हमने फ़िल्म देखने और डिनर बाहर करने का प्लान बना लिया।3 बजे हम मॉल के लिए निकले,जॉली एल एल बी की टिकट हमने ऑनलाइन बुक कर ली थी,4 का शो था।मैं साइड मे था,मेरे बाद नताशा फिर नेहा।नताशा तब भी बिना किसी जोश के बस बैठी हुई थी।फ़िल्म के दौरान मेरा कमीनापन जग गया और पहले नताशा के हाथ पर हाथ रख,कोई रिएक्शन नही,फिर धीरे धीरे कोहनी से चूची (बूब्स) दबाने लगा,फिर भी कुछ नही,अब मुझसे रहा नही गया और धीरे धीरे चूची का मज़ा लिया,मैं दर भी रहा था कि कही नेहा को पता न चल जाए।अब मैंने उसके जांग पर हाथ रखा और चूत तक ले जाने लगा पर टैब लगा कही नेहा देख न ले तो वापस कर लिया।फ़िल्म खत्म हुई,हमने कहना खाया और वापस आगये।मैन एक बात नोटिस की की नताशा लगातार बेसुध रहती है,उसको किसी चीज़ से कोइ मतलब नहीं।घर पहुचते ही नताशा चेंज करके बेडरूम मैं चली गयी टीवी देखने आए हम दोनों ड्रॉइंग रूम मैं बाते करने लगे।मैन भी चेंज कर लिया,बरमूडा और टीशर्ट पर नेहा सारी मैं ही थी।
मैं-नताशा पर बहुत खराब असर हुआ है।
नेहा-हा, उसके अब किसी चीज़ से को मतलब नही,बस पड़ी रहती है।
मै-डॉक्टर ने क्या बोला
नेहा-क्या बोलेंगे,बस दवाई खाना है और खुश रहने की कोशिश करना है
मै-बहुत खराब हुआ,अगर मेरी कोई भी मदत चाहिए होगी तो जरूर बताइयेगा।
नेहा-एक मदत तो चाहिए पर बोलने मैं खराब लग रहा है,पता नही कैसे बोलू।
मे-बोलिये न,खराब वाली क्या बात है दीदी,आप जो बोलेंगी नताशा दी के लिए,मैं करने का पूरा प्रयत्न करूँगा।
नेहा -ह्म्म्म नही रहने दी,तुमसे नही हो पाएगा
मै -पहले बोलिये तो सही
नेहा-एक सांस मैं…तुमको नताशा के साथ सेक्स करना होगा
मैं -क्या,पागल हो गयी हो क्या,क्या बोल रही हो पाता है
नेहा-मैं जानती थी तुम नही काटोगे इसीलिये नही बोल रही थी।

मैं और मेरी बीवी की बड़ी बहन

मै-पर ये अजीब बात है ना,मैं क्यों करू,अगर निकिता को पता चल जाएगा तो,और इससे फायदा क्या होगा नताशा को।
नेहा,पता तो तब चलेगा जब हम तीनो से कोउ बताएगा,तुम तो बोलोगे नही,नताशा से तो कोई आशा नही,मैं बोलूंगी नाह
मै-पर इससे फायदा
नेहा-देखो हर औरत की कई जरूरते होती है उमस सेक्स भी एक है,आज अगर सब कुछ सही रहता तो नताशा के लाइफ मे भी सेक्स होता,आज वो इतनी उम्र की है पर कभी किया नही,डिप्रेसन का एक कारण ये भी है।हो सकता है एक्स करने से अगर जोश आता है,अच्छा लगता है तो कुछ बेहतर हो जाए।
मैं-पर मैं ही क्यों
नेहा-तुम सबसे छोटे हो,और पता नही तुमपर भरोसा होरहा है,अगर नही कर सकते तो कोई बात नही
मैं-ठीक है मैं करूँगा पर एक शर्त है
ने-क्या
मै-तुमको भी वहां रहना होगा
ने-नही ये कैसे हो सकता है,तुम मुझको दीदी बोलते हो,मैं तुमसे बहुत बड़ी हु,
मै मैं करने नही बोल रहा बस रूम मैं रहने बोल रहा
ने ओक
मैं फिर चले
ने -हा चलो

टाइट चूत को चोदने का मज़ा

हम दोनों रूम मैं आगये,नताशा के एक तरफ नेहा लेत गयी पेट के बल मुह तकिया मैं घुसाकर और मैं एक तरफ।नताशा घुटने तक कि स्कर्ट और टॉप पहनी थी,मैं सिर्फ बरमूडा मैं आगया था।मैंने पहले उसके होठों को चूमना सुरु किया और साथ मैं चूची दबाना,वो कुछ भी सहयोग नही कर रही थी,अब मैं नीचे चूत तक हाथ लगाया और पैंटी के अंदर हाथ डाल कर उंगली करने लगा,बहुत टाइट चूत थी।
तभी मैन ध्यान दिया कि नताशा तो गहरी नींद मैं सो गई,मेरा दिमाग खराब हो गया,साला यहाँ लंड खड़ा है वो साली सो गई।तब मेरी नज़र नेहा के गांड पर गयी,मस्त मांसल गांड बगल मैं है और मैं इद्दर उधर सोच रहा हु।मैंने तुरंत अपना हाथ नेहा के गांड पर रख दिया,वो हड़बड़ा कर उठ गई और डांटने लगी,मैं नार्मल होकर बोला कि नताशा तो सो गई और मेरा लैंड खड़ा है,आप ही बताओ दीदी मैं क्या करूँ।उसको कुछ बोलने का नही हो रहा था,गर्म तो वो भी हो ही चुकी थी। मित्रो आप ये कहानी मस्ताराम.नेट पर पढ़ रहे है |  मैन फिर कहा कि आपने बोलने पर मैं ये करने को तैयार हुआ,आपकी बात मानी और आगे भी मानूंगा,आज नही तो कक्ल नताशा को खुसी देदूँगा पर अभी तो आप बात मान लो,अब वो भी लाइन पर आगयी थी,उसने कोई विरोध नही किया तो मैंने उसके होठों पर एक लंबा चुम्बन देदिया और चूची दबाने लगा।

मैं और मेरी बीवी की बड़ी बहन की चूत

मैंने बरमूडा खोल दिया और उसके भी सारी को उतार दिया।ब्लाउज ओएटिकोट मे तो कहर ढा रही थी।अब मैन उसे बैठा दिया और मुघ मैं लंड डाल दिया और वो चूसने लगी।मेरी बीवी कभी नही चुस्ती और बड़ी बहन मस्त मैं चूस रही।फिर मैंने उसके ब्लाउज और पेटिको उतारा, ब्रा और पैंटी मैं तो वो मेरे बीवी से भी सेक्सी लग रही थी।अब ब्रा खोलने की बारी थी,ब्रा खोल कर चुचिओ को चूमने और मसलने लगा,एक हाथ चूत मैं लगाया,चूत तो एकदम गर्म और गीली थी।अब नीचे जाकर चूत का रसपान करने लगा,नमकीन और गर्म।अब वो बहुत गर्म हो गई थी,और बार बार कमर मे झटके दे रही थी,समझ गया अब उसे लंड चाहिए,मैं उठ कर पर्स मे से कंडोम निकालने लगा तो उसने मना कर दिया,कहा आपरेशन हो चुका है तो कोई रिस्क है ही नही।मैं वापस आया,उसके टैंगो को उठाया और लंड डाला,साला एक बार मैं ही चला गया,थोड़ी देर किया फिर निकाल दिया,वो डालने को मिन्नत करने लगी,मैन कहा दीदी आज चुट मारने का मन नही,कुछ अलग करने का मन है,वो समझ गयी पर तैयार नही हुई और चूत मैं डालने को बोली,मैन कहा कि देखो,तुम्हारी बहन न मुघ मे लेती है न गांड मैं,तुम तो सेक्स की पुजारन हो,गांड मे लेलो,मज़ा तो आएगा ही,गारेंटी है।वो समझ गयी कि मैं नही मानने वाला तो तैय्य हो गयी।उसको जमीन पर बैठाया,वो बेड पकड़ कर डॉगी स्टायल मैं होगी,मैन लंड और गेंद के छेद पर तेल लगाया और डालना सुरु किया,रंडी का गांड भी वैसे ही खुला था,10 झटके मैं लंड चला गया,अब मैंने झटके देना सुरु किया,बीच बीच मैं चूची भी दबाता था,वो अपने एक हाथ से चुट मैं उंगली कर रही थी,थोड़ी देर मे वो झड़ गयई फिर मेरा भी झड़ गया।हम बाथरूम गए,शावर लिया और वापस आकर सो गए।

चूत में घुसा लंड फिर भी चूत को था घमंड chut me ghusa lund fir bhi chut ko tha ghamand

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यहाँ पे जो भी लोग मेरी ये स्टोरी पढ़ रहें है उन सभी हवस के पुजारियों को मेरा सलाम | और ये स्टोरी एक बहुत बड़े मादरचोद प्रकार के व्यक्ति के ऊपर लिखी गई है जिसका नाम है संजीव मिश्र है और जो की मै हूँ |
मै और मेरे कुछ दोस्तों का ग्रुप है | हम सब बेहद शौक़ीन है नयी नयी चूत के दर्शन करने के और ये बात है कुछ 3 – 4  महीने की है | हम सभी को सेक्स करने की बहुत इच्छा हो रही थी , अगर सीधे तरीके से कहा जाए तो हम सभी को बहुत मस्ती छाई हुई थी | उस समय हम लोग मुंबई में रहते थे और कुछ दिन छुट्टियाँ बिताने के लिए एक होटल का रूम बुक किये हुए थे | हम लोगो को रूम में रुके हुए लगभग 2-3 दिन हो रहे थे और हम “भोसड़ी वाले लोग वहां भी अपना अश्लील काम करना नहीं छोड़े“ हमारी हवश भरी नजर हमारे रूम के ठीक सामने के बगल वाले रूम में रहने वाली दो हसीनो पे जा रुकी और हम लोग मिलकर उन दोनों की दिल से गांड मरने के पीछे लग गए थे |
अब हम सब अपने अपने काम पर लग गए मेरे तीन दोस्त उन दो लडकियों में से एक लड़की को चोदने के पीछे लग गए थे जिसका नाम आरोही था और मैं दूसरी वाली के पीछे लगा था जिसका नाम मानसी था और हम लोगो के बीच मै शर्त भी लग गई की तू पहले चोदेगा की हम लोग | मैंने भी हां कर दिया मुझे क्या पता था की कुछ दिनों के बाद मेरी गांड फटने वाली है |
ऐसे ही 2 दिन निकल गए बाद में मुझ गांडू को पता चला की जिसके पीछे मेरे दोस्त लोग लगे हुए थे वो बहनचोद तो वेसे ही पहले से रंडी थी | वो तो बड़ी ही आसानी से उन लोगो की बातो में भी आने लगी | और दूसरी तरफ मै था हालांकि मै उससे बातचित तो करने लगा था वो मेरी फ्रेंड भी बन चुकी थी पर फिर भी मुझे उसे चोदना था , वो इतनी सीधी थी कि जैसे उसने कभी किसी बच्चे का भी लंड नहीं देखा हो , उसको लाइन मार मार के मेरी माँ चुदे जा रही थी पर उसे समझ में ही नहीं आता था की तेरा ये फ्रेंड तेरे साथ बस एक रात सोना चाहता है |
और दूसरी तरफ मेरे दोस्त लोग आरोही के साथ मजे ले रहे थे उसके साथ पूल में नहाते थे डिनर करते थे और उसके साथ हर प्रकार की बाते कर लेते थे फिर चाहे वो खाने की हो या चूत की चुदाई की | ये सब सुन के मेरी झांटे जल जाती थी मैंने भी सोचा की कुछ तो करना पड़ेगा ऐसे तो कुछ नहीं हो पाएगा , और फिर मै उसके रूम में गया और बात की क्या कर रही हो , वो बोली कुछ नही बस बैठी ही हूँ तुम सुनाओ क्या हो रहा है मैंने कहा कुछ नहीं तुमसे बात करने का मन हो रहा था इसलिए चला आया , वो बोली सच में मैंने कहा हाँ एकदम सच | फिर मैंने उससे कुछ और बात की और मौका देखते हुए अपने दिल की बात बोल ही दिया की मानसी मुझे तुम बहुत पसंद हो मैं तुमे प्यार करने लगा हूँ स्वीटहार्ट | वो थोडा शरमाई फिर बोली मैं भी तुम्हे पसंद करती हूँ | मैंने कहा सच , वो बोली हां बिलकुल फिर मैंने  कहा कि क्या तुम मुझसे प्यार करती हो | वो इस बार शर्मा के कुछ नहीं बोली और मन ही मन मुस्कुरा रही थी और यहाँ मेरे मन में लड्डू फूटे जा रहे थे , और साथ ही साथ उसके चूत के दर्शन भी होने की सम्भावना नजदीक दिखाई दे रही थी |
इसके बाद कुछ दिनों तक सब ऐसे ही चलता रहा और वो मेरे काफी करीब आ चुकी थी पर फिर भी मेरे दिल को सुकून नहीं मिल रहा था क्योंकि मैंने अब तक उसके साथ बस किस ही कर पाया था और मेरी  रातों की नींद उडी हुई थी | एक तो वो मुझे देने को राज़ी नहीं थी और मै उससे जबरदस्ती भी नहीं करना चाहता था और दूसरी तरफ मेरे दोस्त लोग और मेरी झांटे जलाए जा रहे थे कि तेरे से कुछ नहीं  हो पाएगा , मेरा दिमाग ख़राब हो रखा था | एक तो इन मादरचोद दोस्तों ने मिलकर उस रंडी लड़की को फसा लिया था |
मै रोज मानसी के फुले हुए ढूध उसके कपड़ो के ऊपर से देख कर और सपनो में उसकी चूत चाट कर सो लिए करना था पर सपनो में भी न नींद आती थी ढंग से और न ही हकीक़त में वो अपने कपड़े उतरती थी | पर इसके बाब्जुत भी में हिम्मत नहीं हार रहा था और अपने लंड को हाथ से सहला कर आराम कर लिया करता था | पर इसके बाद मेरी झांटे तो तब लाल हुई जब मेरे दोस्तों ने मेरे से आकर बताया की भाई आज तो जन्नत के दर्शन कर के आए है | मैंने पूछा के ऐसा क्या हुआ ? उन्होंने ने बोला वही जो होना था तू शर्त हार चूका है और हम लोग तेरी भाभी की चूत के दर्शन कर के आ चुके है | मैंने बोला ऐसा नहीं हो सकता तो उन्होंने ने मुझे वीडियो दिखाया आरोही की चुदाई का | वो गांडू सही में आरोही की गांड मार कर आ चुके थे , फिर उन लोगो ने बताना शुरू किया की कैसे उन लोगो ने उसको चोदा … बताया की रंडी तो थी ही वो |
हम लोगो ने भी उसको बातो बातो में फसाया और बोला की हम लोग को तुम बहुत पसंद हो हम लोगो को तुम्हारी चूत चाहिए , वो बोली ये कैसा मजाक है ? हम लोग बोले की मजाक नहीं है सच है हम लोगो का लंड तुम्हारी चूत के दर्शन करने को कब से बेताब है , हम लोगो के हाथो में कब से खुजली हो रही है तुम्हारे ढूध को दबाने के लिए , उसने मना कर दिया | तो हम लोगो ने उसे जबरदस्ती चोदा और उसका वीडियो बना लिया | फिर क्या था उसे मानना ही पड़ा उसने कहा ठीक है जैसा तुम बोलोगे वैसा ही करुँगी फिर हम लोगो ने उसके दोबारा कपड़े उतार दिए और पूरी नंगी कर दिए और बिस्तर पर लिटा दिए | फिर हम लोगो ने उसको बारी बारी से चोदना शुरू कर दिया | हम लोगों ने उसको चोद चोद कर उसकी चूत फाड़ डाली वो भी कम से कम 6 – 7 बार झाड़ चुकी थी |
उसके दूध के निप्पल एकदम लाल हो गए थे और उसके मुंह पर मुट्ठ गिरा दिए थे , वो बार बार चुदवाते समय आह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह चिल्ला रही थी और वो भी बहुत गरम हो गई थी | हम लोगो से चुदवाने से पहले और बाद में वो रोने भी लगी थी | भाई मेरे , हम लोगो को तो बहुत मजा आया पर तेरा क्या होगा अब इतना सुन के तो मेरे झांटे ही लाल हो राखी थी,,, अब तो मेरी उसके साथ पलंग तोड़ चुदाई करने की इच्छा होने लगी …
शाम को 5 बजे के समय, मै उसके रूम में गया उससे बात की थोड़ी देर और उसे किस किया तो उसने बोला बेबी चलो अपन कहीं घुमने चलते है मैंने कहा कभी और चल चलेंगे आज थोडा प्यार कर लेते है | पर वो नहीं मान रही थी और मुझे तो उसको चोदने की हवस सवार थी तो मैंने भी बोला ठीक है पहले कॉफ़ी तो पिला दो अपने हाथो की फिर वो कॉफ़ी बना के ले के आई ,, मैंने एक घुट पिया और बोला की इसमें मुझे शक्कर कम लग रही है , उसे शक्कर लेने के बहाने अंदर भेजा और उतने में मैंने उसकी कॉफी में स्टे ऑन “ जोश की दवाई “ मिला दी फिर हम लोगो ने कॉफी पी और फिर मैंने उससे कहा जाओ तैयार होकर आओ वो करीब 15 मिनट के बाद आई तैयार हो कर | उसने ग्रीन कलर का टॉप और यल्लो लैगी पहनी हुई थी | तब तक दवाई का भीं असर हो राह था | फिर मैं उसे फिर से किस करने लगा और इस बार वो भी खूब मजे लेते हुए मुझे किस कर रही थी |
फिर मैंने उसके टॉप और लैगी को उतार दिया | वो भी गोली के कारण गरम हो गई थी और उसने अन्दर ब्लैक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी | मैंने उसे भी उतार दिया क्या ढूध और चूत थी उसकी उसे देखकर मेरी हवस और बढ़ गई और मैं उसके ढूध के निप्पलो को जोर जोर से काटने लगा और उसकी चूत को अपने हाथ से सहलाने लगा | वो भी बहुत गरम हो गई थी फिर मैंने अपने भी पूरे कपड़े भी उतार दिए और उसकी गुलाबी चूत में अपना लंड डाल दिया | वो चीखने लगी मैंने उसकी चूत फाड़ डाली और जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगा और मैं उसे चोदने लगा 10 मिनट बाद उसका भी दर्द कम हो गया | वो भी अपनी गांड उठा उठा के मुझसे चुदवा रही थी और आःह्ह्ह आह्ह्ह उह्ह्ह्ह ऊउह्ह्ह कर रही थी | मैं उसे किस किये जा रहा था और चोदे जा रहा था २० मिनट की चुदाई के बाद मैंने उसकी चूत में ही झाड दिया और मुझे जन्नत मिल गई | 15 मिनट बाद मैंने उसकी फिर चुदाई की उसको उस दिन मैंने दो बार चोदा और वो 3 बार झड़ी | फिर मैंने जब अपनी कहानी दोस्तों को बताई तो उनका चेहरा देखने लायक था |

पति के नुन्नी से मजा नहीं आया तो बॉस ने अपना लौड़ा चुसाया pati ke nanni se maja nahi aya to boss ne apna lauda chusaya

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हाय मेरे चुत के राजाओ आप सभी के लौड़ो की रानी यानि मेरी चुत की तरफ से ढेर सारा चुत का पानी जिसका स्मेल आपको मदहोश करने के लिए काफी है. वैसे इस डर्टी टॉकिंग के लिए सॉरी वैसे डर्टी क्या है इसमे आप सभी यही तो सुनना पसंद करते है और मुझे भी ये सब बताने में बड़ा मजा आता है. वैसे मेरी प्यारी सी चुत के सपने हैं की जिंदगी में उसे जितने भी लौड़े लेने का मजा मिल सके तो जरुर लेगी और आज की ये कहानी आप सभी तक पहुचने का मकसद येही है ताकि मेरी स्टोरी पढ़ मुझे अगर किसी को मुझे चोदना हो तो चोद सके वैसे चुदाई ऐसी चीज है की इससे लडकियो का चेहरा दिन पे दिन खिलता जाता है क्योकि उनके अंदर की सभी गन्दगी और गर्मी पूरी तरह से बाहर निकल जाती है और बदन खिल उठता है. चलियो ज्ञान की बाते बहुत कर लियर अब कहानी की और चलते है.
काफी सारी कहानियाँ पढ़ने के बाद मैं चाहती हूँ कि अपनी आप-बीती भी मैं आपको सुनाऊँ। मेरा नाम कनक है, मैं जहा से भी उससे आप सभी को कोई लेना देना नहीं। मेरी शादी एक सीधे साधे चूतिया सडू टाइप के इडियट से हुई है।
शादी के बाद हम अपनी हनीमुन मनाने गोवा गए 3 दिनों के लिए। उन 3 दिनों में ऐसा कुछ नहीं हुआ जिससे मुझे मज़ा आया हो ! जाने से पहले मुझे लगा की 3 दिन तो बहुत कम है मुझे 1 सप्ताह तक रहना था लेकिन जाने के बाद मेरे लिए ये 3 दिन भी बड़े ज्यादा लगने लगे. अब तो आप समझ ही गए होंगे मेरी दस्ता ! विकास (मेरे पति) ने मुझे ढंग से नहीं चोदा- मैं अनचुदी रह गई।
मैं वापस दिल्ली आ गई और ऑफिस के काम में लग गई।
एक रोज़ बॉस ने कहा- शनिवार को आना है !
मुझसे वैसे भी शनिवार काटे नहीं कटता था क्यूंकि विकास का शनिवार को भी ऑफिस होता है। मैं तकरीबन ग्यारह बजे ऑफिस पहुँच गई। बॉस आ चुके थे। हम दोनों ने दो बजे तक डटकर काम किया। ऑफिस में सिर्फ मेरा बॉस, मैं और ऑफिस बॉय कन्हैया था।
मैं अपने कंप्यूटर पर कुछ काम कर रही थी कि बॉस पीछे से आकर देखने लगे और समझाने लगे कि कैसे क्या करना है। मैं उनका निर्देश लेकर काम करती रही। चूंकि बॉस बहुत पास आकर देख रहे थे, मेरा एक गाल उनके बहुत ही नज़दीक हो गया था। उनको पता नहीं क्या सूझी, उन्होंने मेरे गाल पर एक पप्पी दे दी। मैं चौंक गई।
बॉस ने कहा- कनक, तुम बहुत सुन्दर हो और मुझे तुम अच्छी लगती हो।
मैं बस उनको देखती रह गई। फिर उन्होंने मेरी बाहों पर हाथ फेरना शुरु किया। हाथ फेरते फेरते उनके हाथ मेरे गले तक पहुंचे और वे मुझे प्यार करने लगे। इतने में कन्हैया अन्दर आया। मैंने बॉस से कहा- सर, कन्हैया को बाहर भेजिए पहले।
बॉस खुश। इसमें मेरी हाँ जो थी।
वे बाहर गए यह कहते हुए कि तैयार रहना। मैं समझ गई कि बॉस मुझे आज चोदेगा और मैं खुश हो गई। मैंने अपनी चूत से कहा- देख निगोड़ी ! सब्र का फल मीठा होता है। आज उछल कर चुदना।
मैं सीधे बाथरूम गई, खूब मूता और अपनी चूत को खूब साफ़ किया। हल्का सा स्प्रे लगाकर मैं बाहर आ गई। इतने में बॉस अन्दर आये। और उन्होंने मुझे दीवार से टिकाकर मुझे खूब चूमा। चूमते चूमते उन्होंने मेरा ब्लाऊज उतार दिया। अब मैं ब्रा और स्कर्ट में थी। मुझे अपनी गोद में बिठाया और मेरे होटों को चूसने लगे। मैं भी कहाँ पीछे हटने वाली थी। मैं भी मस्त हो कर उनसे झूल गई। क्यों ना झूलती ! मेरी चूत में भी तो कुछ कुछ हो रहा था।
उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरी स्कर्ट उतार दी। मैं अब सिर्फ चड्डी और ब्रा में थी। बॉस मुझे निहार रहे थे, मैंने इनकी टी-शर्ट उतार दी और फिर उनकी जींस। बॉस का लंड तो बाहर आने के लिए कुलांचे भर रहा था। मैंने उनका लंड पकड़ लिया। बॉस ने एक आह भरी और मुझे मेरी ब्रा से अलग किया। दोनों मम्मों को दबाने लगे और फिर मुझे गोद में उठाकर मेरी चड्डी अलग कर दी। इस वक़्त मैं बॉस की बाहों में पूरी की पूरी नंगी थी। बॉस मुझे इसी अवस्था में बोर्ड रूम ले गए और मुझे मेज़ पर लिटा दिया। मेरे दोनों हाथ ऊपर और दोनों टाँगे अलग अलग करके वे मेरी झांटों से खेलने लगे। मेरे होंठों पर उनके होंठ, उनका एक हाथ मेरी एक बांहों को सहला रहा था और दूसरे हाथ से वे मेरी चूत से खेल रहे थे। ऐसा सुख मुझे विकास ने कभी नहीं दिया था। बॉस मुझे चूमते हुए मेरी नाभि तक पहुंचे और फिर मेरी चूत पर। चूत को चौड़ा कर उन्होने अपनी जीभ मेरे रति-छिद्र में डाल दी जिससे में दो फ़ुट ऊपर उछल गई।
इतने में मेरा मोबाईल बजा, अब मैं कैसे उठाती। बजते बजते बंद हो गया। फिर बजा। और उसके बाद फिर। मैं समझ गई विकास ही होंगे। इतने में ऑफिस का फ़ोन बजा और चूंकि एक फ़ोन उस मेज़ पर ही था, मैंने अनायास उठा लिया।
विकास ही थे, पूछ रहे थे- क्या कर रही हो डार्लिंग?
अब मैं क्या कहती – अपनी चूत चुसवा रही हूँ?
मैंने कहा- काम कर रही हूँ।
इतने में राज के चूसने से मैं झड़ने वाली थी। मेरे मुँह से एक लम्बी आह निकली।
विकास ने पूछा क्या हुआ?
सोचा- बोल दूं कि झड़ने वाली हूँ, लेकिन कहा- एक जगह बैठे बैठे पांव सुन्न हो गया। हिल नहीं पा रही हूँ।
इतने में राज ने मेरी चूत से पानी निकाल दिया। मैंने फ़ोन रख दिया और जोर से हूँ-हाँ करने लगी। बॉस ने अब ऊँगली करनी शुरू कर दी और मैं फिर से झड़ गई। बॉस मुझे खूब चूमा और कहा- उठो।
मैं मेज़ से उठ नहीं पा रही थी। बॉस समझ गए। मेरे बदन को निहारते रहे।
पांच मिनट के बाद में उठी और बॉस के सामने खड़ी हो गई। अब बॉस मेज़ पर लेट गए। मैंने उनकी चड्डी उतार दी। उनका लंड तो एक भयानक किस्म का जीव लग रहा था। आठ इंच लम्बा और डेढ़ इंच मोटा। उनका सुपारा एकदम गुलाबी रंग का था और मैंने उस सुपारे को अपने नाख़ून से थोड़ा पिंच किया। मेरे बॉस के मुँह से एक दर्दनाक आह निकली। मैंने अपने दोनों हाथों से उनका लंड लिया। मेरे दोनों हाथों में नहीं समा पा रहा था वो। खैर मैंने एक हाथ से उसको हिलाना शुरू किया।
फिर बॉस ने अपनी टांगें चौड़ी की और कहा- टेबल पर आ जाओ !
मैं मेज़ पर चढ़ गई और उनका लंड चूसने लगी। मैंने खूब चूसा और खूब हिलाया। उनके टट्टे अपने मुँह में लेकर उनके लंड को ऊपर नीचे करने लगी। बॉस शायद झड़ने वाले थे। एक लम्बी आह भरी और बोले- कनक मेरा मट्ठा निकल रहा है ! चूस रानी चूस।
मैने भी उनके लंड को चूसकर सारा का सारा मट्ठा निकाला और पी गई। बॉस का लंड एक ओर लुढ़क गया। मैने उसे चूमा और बॉस के पास आकर लेट गई।
दस मिनट के बाद बॉस ने पूछा- तैयार हो?
मैं तो कब से तैयार थी, मैं बोली- हाँ ! और इनका लंड फिर से तैयार करने लगी।
बॉस मेरी चूत में ऊँगली करने लगे। मैं तो गीली हो गई थी। बॉस ने मुझे गोद में उठाया और सोफे की ओर ले गए। मुझे औंधा लिटा कर उन्होंने मेरे चूतड़ उठाये और फिर मेरी फुद्दी में अपनी एक ऊँगली डाल दी। मैं तैयार थी। इतने में बॉस ने अपना सुपारा मेरी चूत में डाला और एक जोर का झटका दिया।
मैं चीख पड़ी। बॉस को कोई फर्क नहीं पड़ा। वे मेरी कमरिया को पकड़कर कभी मुझे अपनी ओर खींचते या फिर मुझे स्थिर रखकर अपने आप को धक्का देते। दोनों ही सूरत में मेरी फाड़ रहे थे। मैं तो बस चीखती रही। ये तो सहवाग की तरह बल्लेबाजी कर रहे थे। पता नहीं इनको क्या जल्दी थी। ऐसा उन्होने मेरे साथ तकरीबन पंद्रह मिनट तक किया और नीचे से मेरे मम्मों को भी दबा रहे थे।
मैं चिल्ला रही थी- बस करो बस करो, आह, ऊह, मर गई, मम्मीईई, मम्मीईईई !
मगर बॉस को कोई रहम नहीं आया। बॉस मुझे चोदते रहे और मैं चुदती रही। मेरी चूत का तो उन्होंने भोसड़ा बन दिया था। मन ही मन चाह रही थी कि विकास देखें और सीखें कि किस तरह से एक चूत को चोदा जाता है। थोड़ी देर में बॉस झड़ने वाले थे। उन्होंने अपना लंड निकाला और मेरी गोरी पीठ पर रख दिया। एक गर्म एहसास हुआ पीठ पर और बॉस ने अपना सारा माल मेरी पीठ पर उड़ेल दिया और फिर मेरे बगल में बैठ गए। मैं बॉस की गोद में लुढ़क गई। मैं बहुत थक गई थी। मैंने शादी से पहले ऐसी चुदने की कल्पना भर की थी। विकास ने यह सुख कभी ना दिया और ना ही कभी देगा। और बॉस ने तो मेरी ले ली।
उस रोज़ बॉस ने मुझे दो बार मेरी चूत को और चोदा और एक बार गांड भी मारी। शाम होते होते मैं बहुत पिद चुकी थी। इतनी चुदाई के बाद तो मैं खड़ी भी नहीं हो पा रही थी। बॉस ने मुझे उस रात घर तक छोड़ा। उसके बाद तो मैं बॉस से खूब खुलकर चुदने लगी। मैं हफ्ते में तीन चार बार तो बॉस से चुदती ही हूँ। अच्छा एक बात तो बताना ही भूल गई। मेरा प्रोमोशन हो गया है।
वैसे विकास भी कभी कभी अपनी लुल्ली मेरे अन्दर डाल देता है।

कुत्ते को मिला मेरी सील तोड़ने का मौका kutte ko mila meri seal todne ka mauka

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मेरा नाम कुमकुम है. मेरे परिवार मे सिर्फ़ मम्मी, पापा, मेरे बड़े भैया और मैं हैं. हां, और हमारा अल्सेशन कुत्ता जोहनी. जब मैं 11 साल की थी हम एक छ्होटे से घर में रहते थे. एक किचन, बाथरूम और दो कमरे. भैया एक कमरे में सोते थे और मैं मम्मी पापा के साथ एक कमरे में.
घर छ्होटा होने के कारण मैने कई बार पापा और मम्मी को प्यार करते देखा था. पापा मेरी मम्मी के उपर चढ़ जाते थे और मम्मी अपनी लातें फैला देती थीं और फिर पापा अपना लंड उनके अंदर डाल देते थे. फिर पापा उपना लंड मम्मी की चूत में अंडर बाहर करते थे और कुछ देर बाद मम्मी सिसकारियाँ लेने लगती थी. मुझे लगता था के उन दोनो को खूब मज़ा आ रहा है.
उन दिनो में मुझे यह बातें अजीब नहीं लगी. मैं नादान थी और मुझ पे अभी जवानी का जोश नही पड़ा था. जब मैं 13 साल की हुई तो मेरा बदन बदलने लगा. मेरी छाती पे मेरे बूब्स आने लगे, मेरी चूत पर हल्के हल्के बॉल उगने लगे.
मैं जवान होने लगी. मैने आजमाया कि अपने बूब्स को सहलाने से मुझे अजीब सा मज़ा आता है. जब मैं अपनी चूत पर हाथ फेरती तो बहुत ही अछा लगता.
जब मैं मम्मी पापा को चुदाई करते देखती तो जी करता के मैं भी उनके साथ यह प्यार का खेल खेलूँ: पापा मेरे भी बूब्स को दबाएँ और अपना लंड मेरे अंडर डालें और में उनका लंड मुँह में लूँ और चूसू, जैसे मम्मी करती थी. फिर स्कूल में मेरी सहेलियों ने मुझे बताया के यह चुदाई का क्या मतलब है. मेरी सहेली कीर्ति ने तो अपने पड़ोसी लड़के के साथ ट्राइ भी किया था.
उसने बताया के लड़के के लंड को हाथ मे लेके सहलाने से वो बढ़ हो जाता है और वो लोहे जैसे सख़्त अकड़ जाता है और उसको फिर मुँह में लेके चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसने अपने फ्रेंड का लंड अपनी चूत पे भी उपर नीचे रगड़ता था.
उसको बहुत अछा लगा था. उसने बताया के लंड चूसने के बाद वो झार जाता है और उसमे से खूब सारा मलाई जैसा पानी निकलता है जिसको पीने में बहुत मज़ा है.
उसने बताया के वो अब अपने फ्रेंड का लंड अंदर भी लेना चाहती है. सिर्फ़ मौका मिलने की बात है. यह बातें सुनते मेरे अंदर अक्सर एक अजीब सी गरमाइश उठती थी और मेरा दिल करता था के मैं भी यह बातें आज़माऊ. तब तक मैं 13 साल की हो गयी थी.
एक दिन मैं स्कूल से आकर होमवर्क करने को बैठी. मम्मी, पापा दोनो ऑफीस गये हुए थे और मैं घर में अकेली थी. गर्मी थी इस लिए मैने सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे.
हमारा कुत्ता जोहनी कमरे में आकर मेरे पास बैठा था. मेरा मन होमवर्क पर नहीं था. मेरे सर में तो सेक्स के ख्याल आ रहे थे जैसे कीर्ति ने सुनाए थे. मैं बेड पे पीछे लेट गयी और अपने बूब्स को, जो अब साइज़ 34 के हो गये थे, अपने हाथों के साथ मसल्ने लगी.
फिर मैने अपनी टी-शर्ट उतार दी ताके मेरे हाथ अच्छी तरह सब जगह पहुँच सकें. फिर मैने एक हाथ शॉर्ट्स के अंदर डाला और में अपनी चूत को सहलाने लगी. मेरी चूत हल्की सी गीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ आसानी से मेरी चूत पे घूमने लगी. दोस्तों आप ये कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है l
मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे और दूसरा हाथ चूत पे घूम रहा था. फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के जोहनी की गरम गरम गीली ज़बान मेरी जाँघो को चाट रही है. मैने जोहनी को पीछे धकेला और गुस्से से बोली “ नो जोहनी, बॅड बॉय”. मगर सच बताउ तो वो जोहनी का चाटना मुझे बहुत अछा लगा था. कुछ देर बाद जोहनी फिर आकर मेरी जाँघो को चाटने लगा.
मैं कुछ नहीं बोली और उसको चाटने दिया. आहिस्ता आहिस्ता वो उपर की तरफ, मेरी चूत के पास चाटने लगा.
उसकी ज़बान बहुत गरम थी और उसका मुलायम फर मेरी चॅम्डी पर रगड़ रहा था. मुझे बहुत अछा लग रहा था. मेरी चूत भी खूब गीली हो चुकी थी और मेरे अंदर खूब गरमाइश चढ़ चुकी थी. मैने अपनी शॉर्ट्स नीचे खिस्काई और उतार दी. अब मैं बेड पर नंगी पड़ी थी.
मैने जोहनी का सर अपने हाथ में लिया और उसको उपर अपनी चूत की तरफ खींचा. वो चाटने लगा. में तो बहाल होने लगी.  मैने अपनी टाँगें फैलाईं और जोहनी को अपनी चूत का पूरा प्रवेश दिया. अब उसकी ज़बान मेरे दाने पर भी घिस रही थी और कभी कभी मेरी कुँवारी चूत में भी प्रवेश करती थी.
मैं बेड के किनारे तक खिसक गयी ताके जोहनी की ज़बान सब जगह तक पहुँच सके. उसकी लंबी, गरम और खर खरी ज़बान मेरी गांद से उपर मेरे दाने तक चाट रही थी. मेरी टांगे काँपने लगी. मैं अपने चूतर उपेर करके जोहनी से और जोश से चटवाने लगी.

ऑफिस में एक माल पटा के होटल में चोदा office me ek maal pata ke hotel me choda

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ये बात आज से कुछ 3-4 साल पहले की हे. तब मैं पुणे में एक कम्पनी में हेड ऑफ़ ओपरेशन की पोस्ट पर था. वो एक एमएनसी थी. वहां पर एक आनिषा नाम की लडकी भी काम करती थी अनालिस्ट के तौर पर. और उसका रिपोर्टिंग डायरेक्ट मुझे होता था.
वो एक सेक्सी बेंगाली लड़की थी जिसे सब लोग आँखे सेकने तक देखते थे. वो कद में थोड़ी छोटी थी करीब 5 फिट 2 इंच के जितनी. लेकिन उसका ड्रेसिंग सेन्स बड़ा ही जबरदस्त था. उसके होंठ इंग्लिश मूवी की हिरोइन एंजेलिना जोली के जैसे थे, बड़े बड़े और रस से भरे हुए.
हमारी ऑफिस की अरेंजमेंट ऐसी थी की मैं अपनी जगह से सब लोगों को देख सकता था. मेरी केबिन के सामने एक बड़ा ग्लास वाल था. आनिषा की टेबल मेरे एकदम सामने और सब से करीब थी. मैंने ही उसे वहां रखवाया था ताकि मैं इस सेक्सी गर्ल को आँख भर के देखता रहूँ. मैं उसे देखता था और वो स्माइल करती रहती थी. दिन बदिन उसकी और मेरी नजदीकी बढती गई. कभी कभी हम साथ में लंच करने के लिए भी बाहर जाते थे. कभी कभी मैं पार्टी भी देता था सब स्टाफ को और आनिषा के लिए कभी कभी लंच हावर्स में छोटी सी पिज्जा पार्टी भी!
एक दिन शाम को जब मैं अपनी कार ले के ऑफिस से निकला तो मैंने आनिषा को पैदल बीएस स्टॉप की तरफ जाते हुए देखा. मैंने कार को उसके पास स्लो किया. उसने मुझे देखा. मैंने कहा आ जाओ मैं ड्राप कर दूंगा तुम्हे. वो मेरी कार में आ बैठी. बात बात में मुझे पता चला की उसका एक बॉयफ्रेंड था जिसके साथ वो कुछ समय में शादी करने को हे.
उसके बाद भी एकाद बार मैंने उसे पिक किया कार से और उसके घर की गली के सामने छोड़ के मैं निकल जाता था. उसने काफी बार कोफ़ी के लिए कहा लेकिन मैं नहीं गया घर पर. मुझे फेमली वालो से कुछ दुरी रखनी थी. मेरा टारगेट तो ये सेक्सी बेंगाली लड़की ही थी!
एक दिन मैंने उसे बताया की कम्पनी में एक अच्छे पोस्ट के लिए इंटरनल वेकेंसी निकली हे. वो कुछ कहती उसके पहले ही मैंने उसे कहा की मैंने तुम्हे रेकोमेंड कर दिया हे. वो बड़ी खुश हुई और उसने मुझे थेंक यु कहा. मैंने उसे कहा की मै तुम्हे पसंद करता हु इसलिए मैंने तुम्हारा नाम दिया हे. वो शर्मा के बलश करने लगी!
अगले दिन शाम को मैंने उसे पिक किया और हम लोग कार में ऐसे ही बातें कर रहे थे. मैंने उसे कहा, आनिषा क्या मैं तुम्हे हग कर सकता हूँ? वो कुछ नहीं बोली और एकदम चूप रही. मैंने उसकी ख़ामोशी को उसकी रजामंदी की तरह समझ के उसे जोर से हग दे दिया. और उसने भी मुझे अच्छा रिस्पोंस दिया. मैंने उसके गले के ऊपर हलके से एक चुम्मा कर लिया और उसने अपनी आँखे बंद कर दी. ट्राफिक बढ़ने लगा था साइड में. इसलिए फिर मैंने उसे छोड़ा और कार को चला दी. वो ऐसे एक्ट कर रही थी जैसे कुछ हुआ ही नहीं था लेकीन उसकी आँखे कुछ और ही कह रही थी.
सिग्नल क्रोस होने के बाद फ्लाईओवर आया और ट्राफिक हल्का हुआ. मेरी और आनिषा की निगाहें मिली. मैंने उसके होंठो को अपने होंठो में भर के फिर से उसे चूसा. उसके अंजेलिना जोली के जैसे होंठो को चूसने का अपना अलग ही मजा था. मैंने अपने हाथ से आनिषा के बूब्स को भी दबा लिया.
उतने में उसकी उतरने की जगह भी आ गई. मैंने उसे ड्राप किया. आज का दिन तो बड़ा ही हसीन गुजरा था और फिर ये हम दोनों का रूटीन हो गया. मैंने डेली उसके बूब्स मसलता था और उसके होंठो को चुस्ता था. एक शनिवार को मैंने उसे ड्राप किया और उस से कहा की काल मिलते हे संडे हे तो. वो बोली मैं घर जा के आप को कल का शेड्यूल बताती हूँ. उसने घर जा के कुछ ही देर में मुझे मोबाइल पर मेसेज किया की हम लोग एम जी रोड पर मिल सकते हे मोर्निंग में. मैंने एम जी रोड के करीब ही एक लोज बुक कर लिया. मुझे पता था की वहां उस लोज में उसे चोदने में मुश्किल नहीं होगी कुछ भी.
अगले दिन मोर्निंग में 10 बजे उसके मेसेज आया की वो कहा मिलेगी एम जी रोड पर. मैं उसके पास गया उसने ब्लेक ट्राउजर और पिंक टॉप पहना हुआ था. उसके बूब्स छाती से बहार आने को बेताब से लग रहे थे. और उसने आज मेकप भी कुछ अलग ही किया था.
हम लोग वहाँ से सीधे ही होटल पर चले गए. और मैंने हम दोनों के लिए कोल्ड ड्रिंक मंगवा ली. फिर मैंने उसे हग कर लिया और उसके बूब्स को दबाने लगा. वो हलके हलके आवाज में मोअन करने लगी थी. मैंने उसे बेड के ऊपर डाल के उसके टॉप को खोला और निकाल दिया. उसके बड़े दूध जैसे सफ़ेद बूब्स को देख के मजा ही आ गया मुझे तो. मैंने उसे अपने बदन से लगाया और उसके बदन की गर्मी का अहसास मुझे हुआ. मैंने उसे एक मस्त किस दे दिया और उसकी ब्रा को भी निकाल दिया. उसके सेक्सी बूब्स बहार आ गए जिन्हें मैं चूसने लगा. और वो मस्ती में मोअन करने लगी थी.
मैं उसके बूब्स को ऐसे जोर जोर से सक कर रहा था की वो कुछ ही पल में एकदम लाल हो चुके थे. मुझे डर सा लग रहा था की कही मैं उसको हर्ट तो नहीं कर रहा हूँ. लेकिन वो शांत थी और मेरे चूसने को एकदम मजे से एन्जॉय कर रही थी. मैंने अब आनिषा का ट्रोउसेर भी निकाल दिया और उसकी रंगबिरंगी पेंटी के ऊपर हल्का सा गिला पेच बना हुआ था. मुझे पता चल गया की वो चुदवाने के लिए बेताब थी. दोस्तों आप ये कहानी मस्ताराम डॉट नेट पे पढ़ रहे है।
मैंने उसकी पेंटी को निकाला और उसकी लव होल के उपर हलके से किस दे दिया. उसके बदन में जैसे कम्पन सा हुआ और उसने अपनी उंगलियाँ मेरे बालों में घुमा के मुझे अपनी तरफ खिंच सा लिया. मैंने उसकी चूत के शहद को जोर जोर से चाटने लगा था. और अपनी जबान को मैंने उसकी होल में घुसा दिया. वो कराह रही थी और उसकी चूत और भी गीली होने लगी थी. मैंने अपने माथे को और अन्दर किया और वो हलकी हो गई. उसकी चूत से रंगहीन गाढ़ा प्रवाहि निकल पड़ा मेरे होंठो के और उसकी जांघो के ऊपर. वो शांत हो चुकी थी.
मैंने खड़े हो के अपनी पेंट को निकाला और मेरा लंड एकदम कडक था. मैंने उसे लंड को मुहं में लेने के लिए कहा लेकिन उसने मना कर दिया. उसने आज से पहले कभी लंड नहीं चूसा था इसलिए उसे घिन आ रही थी. मैंने उसे फ़ोर्स नहीं किया. और मैं अपने लंड से अब आनिषा की चूत को घिसने लगा. और फिर एक झटके में आधे से ज्यादा लंड को मैंने उसकी चूत में घुसा दिया. उसकी तो जैसे सांस ही उखड़ गई थी. उसकी चूत बड़ी टाईट थी, हालांकि वो वर्जिन नहीं थी. शायद वो पहले मेरे से छोटे लंड से चुदी थी.

गर्ल फ्रेंड को चोद कर धोखे का बदला लिया girlfriend ko chod kar dhokhe ka badla liya

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हेलो दोस्तों | मेरा नाम हिमेश है | मेरी उम्र 23 साल है | मै जालन्धर में रहता  हूँ | वैसे तो मेरा घर हरियाणा में है,  लेकिन मै जालन्धर में पढाई करता हूँ | मै एक बड़ी यूनिवर्सिटी में पढ़ता हूँ | आप लोग नही जानते है तो आप लोगों को बता दूं कि पंजाब की लड़कियों का कोई जवाब नही | जिस लड़की को भी आप देख लोगों आप बस फ़िदा हो जाओगे | मैं जहाँ रहता था वहां भी लड़कियों की भर मार थी | इसी लिए रोज़ शाम को मै जरूर घूमने के लिए निकलता था | घूमना तो एक बहाना था | मैं तो बस लड़कियों को ताड़ने के लिए निकलता था | मै थोडा हरामी किस्म का लड़का हूँ | जब मै कॉलेज में शुरू के साल में तो मै बहुत सीधा लड़का था बस अपनी पढाई पर ध्यान देता था | लेकिन बाद में मेरे कुछ कमीने दोस्तों के साथ ने मुझे बिगाड़ कर रख दिया| और धीरे धीरे लड़कियां ताड़ना उनसे बाते करना , उनसे फ्लर्ट करना ,उनसे सेक्स करना तो मेरी की आदत में शामिल हो गई थी  अब तो मै बस चूत की तलाश मे रहता था | इस सेक्स की आदत की वजह से कई बार तो मैंने पेड सेक्स भी किया था| क्योंकि अब तो मै चोदे बिना रह नही पता था | अब कुछ अपने बारे भी तो बता दूं | मैंने अपने उम्र के हिसाब से अपने शरीर को अच्छी तरीके से बना लिया है | मैंने 18 साल की उम्र से जिम शुरू कर दिया था | यही वजह है कि मेरा शरीर एक दम गठीला और मजबूत है | मेरी लंबाई भी अच्छी खासी है | जिसकी वजह से लड़कियां भी मुझ पे मरती हैं | इसी बॉडी के चलते मैंने कई लड़कियों को पटा कर चोदा था |
ये बात करीब 1 साल पहले की है | ये मेरी जिन्दगी की एक सच्ची घटना पर आधारित है | मैंने शुरुवात से ही अपना पर्सनल रूम ले कर रहता हूँ | मेरा रूम मेरे कॉलेज से काफी दूर पर है  इसी लिए मुझे ऑटो रिक्शा से जाना पड़ता है | सुबह मेरा कॉलेज 8 बजे का होता है  लेकिन मेरे साथ एक प्रॉब्लम ये है  कि मुझे रात में जल्दी नींद नही आती और सुबह जल्दी उठ नही पाता हूँ | इसी लिए मैं हमेशा अपने कॉलेज के लिए लेट हो जाता हूँ | पहले मैं कुछ दिनों तो मै अकेले रूम लेकर रहा लेकिन बाद में मैंने एक फ्लैट ले लिया और अपने दोस्तों के साथ रहने लगा | अब दोस्तों के साथ तो पूरी रात जम कर मस्ती करने लगा | पूरी पूरी रात हम खूब दारू पीते तो कभी लड़कियां ताड़ने के बहाने बार में जाते | एक बार की बात है मै सुबह लेट उठा | उस दिन मेरा एग्जाम था | मैंने घडी देखा तो मेरे होश उड़ गए मैं जल्दी जल्दी जल्दी तैयार हुआ | और अपने कॉलेज के लिए निकला | मैं जैसे ही ऑटो में बैठा मैंने देखा मेरे बगल में एक हॉट सी लड़की बैठी थी | उसे देखते मैं तो एक दम लट्टू हो गया | अब मुझे किसी एग्जाम की टेन्सन ही नही रही | वो भी मेरे ही कॉलेज की निकली | उस दिन पूरे रास्ते मैं उसे ताड़ता रहा वो भी मुझे देख कर स्माइल कर रही थी | मैंने सोचा लगता है एस बार मुझे प्यार हो गया है | मैं अब तो बस उसके बारे में पता लगाने में जुट गया | उसका नाम सिमरन था |
अब तो बस मैं उससे मिलने के बहाने ढूढने लगा | धीरे धीरे हमारी दोस्ती हो गई | मैंने सोचा शायद अब ये मेरी लाइफ की आखिरी लड़की है | जिसको पटाने के लिए मुझे कोशिश करना पड़ रा है | अब तो बस मेरी लाइफ में और कोई लड़की नही आयेगी | अब हमारे नंबर बदल गए | मेरी बातें होने लगी | मैं पूरी पूरी रात उससे बात करने लगा | एक दिन मैंने उसे प्रपोज़ भी कर दिया | उसने भी हँसते हँसते हाँ कह दी | मेरी ख़ुशी का ठिकाना नही था | उस रात मैंने अपने फ्लैट पर जम के पार्टी की | खूब दारू पी | पूरी रात नाचते रहे | मैं बहुत खुश था कि मुझे मेरी लाइफ का साथी मिल गया था | लेकिन मेरी ये खुशी ज्यादा देर नही टिकी | मेरे एक दोस्त ने बताया की सिमरन मुझे धोखा दे रही है | उसके कई बॉय फ्रंड है | पहले तो मुझे भरोसा नही हुआ लेकिन बाद में जब पता किया तो ये बात सही निकली मुझे बहुत गुस्सा आया और दुख भी हुआ | अब मैंने सोच लिया था कि अब इसकी सजा तो उसे जरूर मिलेगी | मैनयूसे कुछ भी नही बोला | बस नार्मल बात की | फिर एक बार मैंने उससे कहा की मैं उसे अम्रतसर डेट पर ले जाना चाहता हूँ | वो मान गई | मैंने शाम को अपने दोस्त की कार ली और फिर उसे पिक किया और चल दिए हम सिर्फ दो लोग ही थे |
वो मुझसे चिपक रही थी मनो मुझे कुछ पता नही हो | मैंने भी नाटक किया | हम अम्रतसर पहुँच गए | एक होटल में हमने खाना खाया फिर मैंने शराब मंगवाई | और हम पीने लगे | मैंने सब पहले से प्लान कर लिया था | इसी लिए एक रूम भी बुक कार लिया था |शराब पीने के बाद मैंने कहा कि रात बहुत हो गई है अब आज यही रूकते है कल सुबह चलेंगे वो मान गई | मैंने रूम की चाभी ली और उसे लेकर रूम में चला गया |रूम में पहूँचते ही मैंने उसे झट से बेड पर पटक दिया | उसने कहा आराम से चोट लग जाएगी मुझे | मैंने दरवाज़ा बंद किया और बोला जो तूने मेरे साथ किया उसने मुझे कितना दर्द दिया है | उसे समझते देर नही लगी की मुझे उसके बारे में सब पता चल गया है | मैं झट से उसके ऊपर आ गया | और उसे किस करने लगा उसने मुझे धक्का दिया लेकिन मैंने कास कर उसे पकड़ रखा था | इसी लिए वो छुड़ा नही पाई | मैं उस पर भूखे शेर की तरह कूद पड़ा था | मैंने कहा साली आज तुझे मैं तेरे किये की सजा दूंगा | तुझे बहुत चुदने का सोख है न आज छोड़ता हूँ मैं तुझे | उसने कहा मुझे माफ़ कर दो हिमेश | लेकिन मैं अन कहाँ रुकने वाला था | मैंने खींच कर उसकी स्कर्ट फाड़ दी | और जोर जोर से उसके मम्मों को दबाने लगा वो चिल्ला रही थी | साथ ही साथ मोअन भी कर रही थी | आह्हह…अह्ह्ह्हह … छोड मुझे …अहह… | कुछ देर तक मैंने उसके मम्मों को खूब चूसा और और जम कर उसके मम्मों का रस पिया | अब तो वो साली मज़े लेने लगी थी | जैसे मैं उसे सजा नही मज़ा दे रहा हूँ | | मैं उसकी चूत को ऊपर से हांथ रख दिया वो तो पागल हो उठी | उसने कहा नही हिमेश ये मत करो | मैं कहाँ सुनाने वाला था | अपनी दो  ऊँगली अन्दर डाल दी | उसके मुह से जोर कि सिसकारी निकल गयी आह्ह्ह्हह्ह… आय्ह्ह्ह… | मैंने अपनी दोनों  ऊँगलियोंको तेज़ी से अन्दर – बाहर करने लगा | वो बहुत जोर जोर से चिलाने लगी थी| वो बोली,प्लीज़ मत करो.. मुझे दर्द हो रहा है | मैंने कहा साली तूने मुझे धोखा दिया तो मुझे भी बहुत दर्द हुआ | मैंने उसके सारे कपड़े खींच के निकाल दिए | अब वो बिलकुल नंगी थी | मैंने अपने भी कपड़े उतार दिए और उसके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा | दुसरे हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था |
फिर मैंने  उसके हाथ को मेरे लंड पर रख दिया | उसने झट से हटा लिया मैंने कस के उसके मम्मे को दबाया और फिर से उसको अपना लंड पकड़ा दिया | फिर मैंने उसे नीचे बैठाया और अपना लंड उसके मुहँ में दे दिया | और अंदर बाहर करने लगा वो चिला रही थी लेकिन मै नही रुका | और अपना पानी भी उसके मुंह में छोड दिया | उसे जबरन वो पीना पड़ा |
फिर मैंने उसको बेड पर सीधा लिटाया और उसकी चूत में अपना लंड दे दिया | वो चिल्लाने लगी | मैंने फिर भी उसे जोर जोर से झटके देने शुरू कर दिए | मैंने कहा रंडी साली मेरे से धोखा करेगी ये ले उसका मज़ा | वो आह्ह…. आह्ह्हह्ह… कर रही थी | करीब 15 मिनट तक मैं उसे ऐसे ही चोदता रहा | जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने अपना लंड निकाला और पेट पर ही सारा स्पर्म निकाल दिया | फिर मैंने उसे एक पिलो के सहारे कुतिया बनाया और उसकी गांड में अपना लंड पेल दिया | वो जोर से चिल्लाई मैंने उसका मुंह बेड के सहारे से दबा दिया | और पेलता रहा | इसी तरह करीब 6 बार मैंने उसे बहुत बुरी तरीके से चोदा | मेरा बदला पूरा हो गया था | मैंने जल्दी सुबह गाड़ी निकली और चला आया उसे वही छोड दिया | उसके बाद जब भी वो मुझे देखती अपना सर जमीन में गडा लेती थी कुछ दिनों बाद उसने वो कॉलेज छोड दिया | और अपने घर वापस चली गई | तब से मैं फिर वैसे ही हो गया बस चूत का पुजारी |