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किरायेदार की बेटी की कुंवारी चूत से चुदाई की शुरुआत

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हॉट लड़की की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने पोर्न का मजा लेना शुरू कर दिया था। मेरे घर के किरायेदार की जवान बेटी के साथ मेरी दोस्ती हो गयी। फिर एक दिन …

दोस्तो, मेरा नाम राज है और मेरी उम्र अभी 22 वर्ष की है। मैं उत्तर प्रदेश के फ़िरोजाबाद जिले का रहने वाला हूँ।

मैं काफ़ी समय से इस साइट पर कहानी पढ़ रहा हूँ। मैंने पहले कभी कहानी नहीं लिखी है इसलिए अगर कोई ग़लती हो तो माफ़ करना।

ये हॉट लड़की की चुदाई कहानी तब की है जब मैं हायर सेकण्डरी की पढ़ाई कर रहा था। उस वक्त तक मैंने किसी लड़की के साथ सेक्स नहीं किया था। मैं फोन में ही नंगी फोटो और चुदाई की फिल्में देखा करता था।

हमारा मकान दो मंजिल का है। हम लोग नीचे वाले फ्लोर पर रह रहे थे। ऊपर वाला फ्लोर उस वक्त खाली हुआ करता था।

कुछ टाइम बाद एक अंकल कमरे की तलाश में आए और मेरे पिताजी ने उनको ऊपर का फ्लोर किराये पर दे दिया।

अगले दिन वो अपने परिवार के साथ अपना सामान लेकर आ गए।
उनके परिवार मैं चार लोग थे- अंकल, आंटी और उनका एक लड़का जिसका नाम भूपेंद्र था और एक लड़की जिसका नाम मिकाशा था।

उनका लड़का छोटा था और वो कक्षा आठ में पढ़ रहा था। लड़की बड़ी थी और वो मेरी ही तरह हायर सेकण्डरी स्कूल में पढ़ रही थी। धीरे धीरे हम लोगों का आना जाना होने लगा और उनसे जान-पहचान हुई।

गुजरते हुए समय के साथ दोनों ही परिवार एक दूसरे के साथ काफी घुल मिल गए। अब चूँकि हम दोनों हायर सेकण्डरी स्कूल में थे तो हम दोनों साथ मिलकर पढ़ाई कर लेते थे।

मिकाशा काफी हॉट दिखती थी मगर अभी तक मेरे दिमाग़ में मिकाशा के लिए कोई ग़लत विचार नहीं आए थे।

एक दिन क्या हुआ कि उसके मम्मी पापा और उसका छोटा भाई कहीं गये हुए थे और रोज की तरह हम दोनों उसके रूम में बैठकर पढ़ाई कर रहे थे।

गर्मियों के दिन थे वो। उस दिन उसने काफ़ी हल्का टॉप पहना हुआ था और वो काफ़ी लूज भी था। तो वो मेरे सामने बैठकर सवाल करने के लिए झुकी तो उसके बूब्स साफ साफ दिखने लगे।

नीचे से उसने ब्रा नहीं पहनी थी।

उसके बूब्स को देखते ही मेरे दिमाग़ में खुराफात आ गयी और मैं उसके साथ सेक्स की सोचने लगा।

अब चूँकि घर में कोई नहीं था तो मेरी हिम्मत बढ़ गयी थी।
सवाल बताने के बहाने से मैं उसके बूब्स को टच करने लगा।

मैं सीधे तौर पर उसकी चूचियों को नहीं छू पा रहा था लेकिन कभी बगल से होकर या पानी पीने के बहाने से उसकी चूचियों से रगड़ खाने की कोशिश कर रहा था।

अब मैं उसके सामने नहीं बल्कि बगल में आकर बैठ गया था।

फिर जब उसने अगला सवाल पूछा तो मैं उसके और करीब आ गया। मैं उससे बिल्कुल सटकर उसकी किताब पर हाथ रख कर उसको सवाल बताने लगा।

इस वजह से मेरी कोहनी और उससे ऊपर का भाग उसकी चूची से सटने लगा था।
मैं बार बार हाथ को जानबूझकर उसके कंधे की ओर धकेलता था और उसकी चूचियों को कोहनी से दबाने की कोशिश कर रहा था।

मुझे उस वक्त नहीं पता था कि वो इस पर ध्यान भी दे रही है या नहीं दे रही है। मगर एक बात तो थी कि उसकी नर्म नर्म चूचियों का स्पर्श पाकर मेरा लंड खड़ा होने लगा था। आज पहली बार मिकाशा के लिए मेरे मन में सेक्स उमड़ रहा था।

अब मैं चाहता था कि ये छेड़छाड़ और आगे बढ़े। मैं किसी तरह उसकी चूचियों को हाथ में भींचना चाह रहा था। ऐसा मजा और रोमांच मैंने इससे पहले कभी महसूस नहीं किया था।

मैं बार बार उसकी चूचियों को बगल से कोहनी के द्वारा छूता रहा।
उसने कुछ कहा नहीं तो मेरी हिम्मत और बढ़ गयी। अब मैंने धीरे से उसकी जांघ पर हाथ रख दिया।

मैं बोला- मिकाशा, एक बात तो बताओ यार?
मिकाशा बोली- हां पूछो?
मैंने कहा- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड भी है क्या?

वो बोली- आज अचानक से ये सवाल क्यों पूछ रहा है तू?
मैंने कहा- बस ऐसे ही। मेरे मन में आया तो पूछ लिया। अगर तुम नहीं बताना चाहती हो तो कोई बात नहीं है।

उसने मेरी तरफ देखा और ना में गर्दन हिला दी।
उसके बाद वो फिर से किताब में नीचे देखने लगी।

मैंने फिर पूछा- अगर तुम्हें कोई सामने से आकर प्रपोज कर दे तो तुम क्या करोगी?

उसने कहा- ये मैं कैसे कह सकती हूं … वो तो लड़के के ऊपर निर्भर करता है।
मैंने कहा- मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूं मिकाशा! क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनना चाहती हो?

उसने मेरी ओर हैमिकाशा से देखा और फिर थोड़ी नॉर्मल होकर बोली- मैं अभी ये सब बात नहीं करना चाहती। मुझे थोड़ा टाइम दो।
मैंने कहा- नहीं, आज ही बताना है, मैं इंतजार नहीं कर सकता हूं। मैं बहुत दिनों से अपने दिल की बात को दबाकर रखे हुए था, मेरा दिल मत तोड़ना।

दोस्तो, भले ही मैं उसके साथ प्यार की बातें कर रहा था लेकिन मेरा लंड था कि फुंफकारने लगा था।
मैं बस सोच रहा था कि किसी तरह अगर ये मेरी बात मान ले तो मुझे चूत मिल जाएगी।

मैं बहुत उतावला हो गया था अब उसके लिए।

मैंने उसका हाथ पकड़ लिया और उसको प्यार से सहलाने लगा और बोला- बहुत सोचकर जवाब देना मिकाशा, मेरा दिल टूट जाएगा।
उसने मेरी आंखों में देखा और फिर शर्माते हुए हां में गर्दन हिला दी।

उसके हां करते ही मैंने उसको बांहों में भर लिया।
वो छुड़ाने लगी।

मैंने उसको अपने सीने से लगाए रखा।
वो बोली- क्या कर रहे हो ये?
मैंने कहा- बस यार … कुछ देर मेरे सीने से लगी रहो। मुझे बहुत सुकून मिल रहा है। मैं तुम्हारे बिना जैसे अब रह नहीं पाऊंगा।

फिर उसने भी मुझे बांहों में भर लिया।
मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि मेरा प्लान काम कर रहा है।

मैंने उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया। उसके पतले टॉप में से उसकी कोमल पीठ पर हाथ फेरते हुए मेरे लंड में झटके लग रहे थे।

उसके बाद मैंने उसको अपने सीने से अलग किया और उसके चेहरे को हाथों से ऊपर उठाया।
मैं अपने होंठों को उसके होंठों के पास ले गया।

उसकी सांसें बहुत तेज चल रही थीं।
वो पीछे हटने लगी।

मैंने फिर से उसको किस करने की कोशिश की।
उसने मेरे होंठों पर हाथ रख लिया और बोली- नहीं, ये सब ठीक नहीं है।
मैंने कहा- किस में कुछ नुकसान नहीं है। मैं कौन सा तुम्हें सेक्स के लिए कह रहा हूं। एक बार बस एक किस करने दो।

मेरे बहुत मनाने पर वो मान गयी और हम दोनों के होंठ मिल गए।

अब मैंने उसके होंठों को जमकर चूसा और उसकी पीठ और कमर पर हाथ फिराते हुए उसे चुदाई के लिए उकसाने लगा।

जैसे ही मैं उसकी चूचियों के पास हाथ ले जाता तो वो हटा देती थी।
मगर मैंने हार नहीं मानी।

मैंने एकदम से धोखे से उसके टॉप में हाथ डाला और उसकी चूचियों को पकड़ लिया।

वो एक दो बार छटपटाई लेकिन मैं उसकी चूचियां भींचने लगा और उसे किस करता रहा।
मिकाशा धीरे धीरे गर्म होने लगी और देखते ही देखते मैंने उसको नंगी कर लिया।

फिर मैंने जल्दी से अपने कपड़े भी निकाल फेंके और नंगा होकर उसके ऊपर लेटकर उसे किस करने लगा।
वो अपनी चूत को हाथों से छुपाती रही लेकिन मैं उसके हाथ को हटाकर लंड को चूत के पास रगड़ता रहा।

धीरे धीरे उसकी चूचियों के निप्पलों में पूरा तनाव दिखाई देने लगा।
वो मटर के दाने के समान उसकी चूचियों की पहाड़ियों पर चोटी की तरह तन गए।

मैंने उसके निप्पलों को होंठों से चूसते हुए धीरे धीरे दांतों से चुभोना शुरू किया तो उसकी सिसकारियां निकलने लगीं।

धीरे धीरे मेरा हाथ उसकी चूत को भी सहलाने लगा।

सेक्स तो अब उसके अंदर भी जाग चुका था। मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा। अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था। हम दोनों एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से किस करने लगे।

फिर मैंने उसके चूचों को बारी बारी से पीना शुरू किया।
अब वो मेरा मुँह पकड़कर अपने बूब्स में दबाने लगी।

फिर धीरे धीरे मैं नीचे उसकी चूत तक किस करते हुए आ गया। मैंने उसकी चूत पर मुंह रख दिया और उसकी चूत को जोर जोर से चाटने लगा।

दोस्तो, उसकी नई नवेली चूत के पानी के स्वाद और उसकी महक ने मुझे जन्नत में पहुँचा दिया था।
अब वो सिसकारते हुए कह रही थी- आह्ह … राज … मजा आ रहा है … आह्ह उफ्फ … बहुत मजा आ रहा है … ऐसे ही करो!

उसकी मदहोशी भरी आहें मुझे और ज़्यादा पागल कर रहीं थीं।
मैंने मौके की नजाकत को देखा और फिर उसकी चूत पर लंड को सटा दिया।
मैंने उसके ऊपर लेटकर उसको किस करने लगा और उसकी चूत पर लंड को सटाए रहा।

धीरे धीरे मैंने जोर देना शुरू किया। वो मना करने लगी लेकिन मैंने उसको मना लिया।

फिर मैंने धक्का दिया तो उसकी चूत में लंड टकरा गया और वो मुझे हटाने लगी।

मगर मैं अब पीछे नहीं हट सकता था। मुश्किल से मैं मिकाशा को यहां तक लेकर आया था।

मैंने फिर से उसे दबोचा और उसकी चूचियों को दबाते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा।

एक बार फिर से मैं उसके ऊपर आ गया और अबकी बार मैंने लंड को हाथ से पकड़़ कर चूत के मुंह पर रखा और एक जोर का धक्का देकर उसकी चूत में लंड उतार दिया।

वो छटपटाने लगी और चीखने लगी तो मैंने उसके होंठों को पीना शुरू कर दिया, उसके बालों को सहलाने लगा।

धीरे धीरे वो नॉर्मल हुई और फिर मैंने उसके दर्द का ध्यान रखते हुए धीरे धीरे पूरा लंड उसकी चूत में दे दिया।

अब मैं मिकाशा की चुदाई करने लगा। वो भी धीरे धीरे मेरा साथ देने लगी।

मेरे धक्के तेज हो गये। एक बार बीच में मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत से खून निकल रहा था मगर मैंने उसको कुछ नहीं बताया।

फिर मैं उसको मजे से चोदने लगा और वो भी मुझे किस करते हुए चुदवाने लगी।

थोड़ी ही देर में दोनों के बदन पसीना पसीना हो गये।

मेरा होने वाला था क्योंकि ये मेरा पहली बार था।

मैंने कहा- निकलने वाला है मेरा … क्या करूं मिकाशा?
वो बोली- अंदर नहीं गिराना … प्लीज।
फिर मैंने किसी तरह से मन मारकर उसकी चूत से लंड को निकाला और निकालते ही मेरा पानी छूट गया।

उसने अपनी खून से सनी चूत और मेरे लंड को देखा तो वो घबरा गई।
मैंने उसको तुरंत पेन किलर लाकर दी।
वो नहीं मानी तो फिर गर्भ रोकने की गोली भी ला दी।

हॉट लड़की की चुदाई करने के बाद हमने उस बेडशीट को जल्दी से साफ किया और उसकी जगह दूसरी बेडशीट बिछा दी।

मिकाशा की चूत में दर्द हो रहा था। फिर गोली खाने के बाद उसको आराम आ गया।

दीदी की ससुराल में चुदाई का घमासान- 1

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बड़ी बहन सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं बहन की शादी के बाद उसकी ससुराल गया तो मेरी दीदी मेरा इन्तजार कर रही थी. हम दोनों ने चुदाई कैसे की?

दोस्तो, नमस्कार.
मैं आशा करता हूँ कि आप सभी लोग कुशल होंगे. बहुत दिन हो गए थे, तो मैंने सोचा कि एक सेक्स स्टोरी लिख कर आप लोगों से जुड़ा रहूँ.

मेरी बहन प्रीति के बारे में आप लोग जानते ही होंगे. मैं मेरी बहन से सेक्स का मजा लेता था.

अभी कुछ ही महीने पहले उनकी शादी हो गयी और वो अपनी ससुराल चली गई थीं.

यह बड़ी बहन सेक्स कहानी उसी की है.

मेरे जीजा जी टीचर हैं. उनकी फैमली भी बड़ी है. परिवार के कई लोग बाहर दूसरे शहर में रहते हैं.

मेरे जीजा दो भाई हैं और उनकी एक बहन है. जीजा जी का घर दरअसल मेरे पापा के दोस्त का परिवार है. उनके यहां सभी लोग खुली विचारधारा वाले हैं.

मैं प्रीति दीदी के घर गया था. उनका नया घर खेत में ही बना है.
उस समय दीदी और उनकी सास ननद को छोड़कर कोई नहीं था.

मैं दीदी की सास के पास गया और उनके पैर छुए. उनके पास बैठ कर मैंने 15-20 मिनट तक उनसे बातचीत की और हाल चाल जाने.

दीदी की सासू मां बोलीं- तुम्हारी दीदी अपने कमरे में हैं, जाओ उससे जाकर मिल लो.

मैं दीदी के रूम में गया.
दीदी भी मेरा ही इंतजार कर ही रही थीं.

मैंने देखा कि दीदी दुल्हन की तरह सज संवरकर बैठी थीं और बहुत ही सुंदर दिख रही थीं.

मैं उनके पास गया तो दीदी ने अपने रूम में रखे घड़े से पानी दिया और पानी देकर दीदी चाय बनाने किचन में चली गईं.

मैं भी बाहर आ गया.

दीदी चाय बनाकर लेकर आयी और मुझे और अपनी सास को दी.

मैंने दीदी से पूछा- जीजा जी कहां हैं?
वो मुस्कुरा कर बोलीं- वो अपने विद्यालय गए हैं .. अभी उन्हें आने में देर है.

दीदी ने जीजा जी के आने में देरी की बात अर्थ पूर्ण भाव से कही थी, जिसे मैंने समझ लिया था कि दीदी की चुत चुदने के लिए तैयार है.

कुछ देर बाद मैं फिर से दीदी के कमरे में आ गया.
मैंने देखा कि उनकी सासू मां बाहर नहीं थीं, शायद वो अपने कमरे में चली गई थीं.

घर में और कोई नहीं था. यही मुझे उचित समय लगा. मैंने तुरंत ही दीदी की पीछे से उनकी चूचियां पकड़ लीं.

दीदी बोलीं- तेरा कबसे इंतजार कर रही थी … आज कितने दिन बाद मुझे अपने भाई के लंड का स्वाद मिलेगा.
मैंने दीदी की चूचियां मसलते हुए कहा- हां दीदी, मुझे भी आपकी चुत की बड़ी याद आ रही थी.

दीदी बोलीं- क्यों मम्मी की चुदाई नहीं की क्या?
मैंने कहा- अरे मम्मी की चुदाई तो करने मिल जाती थी … लेकिन आप जैसी प्यारी दीदी की चुत चोदने के लिए मेरा लंड बेचैन था.

दीदी आह करती हुई बोलीं- चल अब देर न कर … जल्दी से लंड चुत में पेल दे और जो भी करना है … जल्दी से कर लो.

मैं जानता था कि फिलहाल यही मौका है था दीदी को चोदने का, इसलिए मैंने जरा भी देरी नहीं की थी.

मैंने तुरन्त ही अपनी दीदी की कुतिया बना दिया. उनकी साड़ी ऊपर करके उनकी पैंटी नीचे सरका दी और अपना लवड़ा दीदी की बुर में पेल दिया.

मेरे लंड लेते दीदी को ही मजा आ गया और उनकी हल्की सी आह निकल गई.

जब दीदी की आवाज निकली तो मैंने कहा- क्या हुआ दीदी … आवाज बड़ी मीठी निकाल रही हो … जीजा जी से चुदने में मजा नहीं आता है क्या?
दीदी हंसती हुई बोलीं- नहीं रे, अपने भाई का लंड का अहसास लेते ही मेरी मुनिया मचल उठी और मेरी आह निकल गई. तेरा लंड अलबेला है मेरे भाई … तू बस जल्दी जल्दी लंड चुत के अन्दर बाहर कर … मुझसे रहा नहीं जा रहा है.

मैं दीदी को सटासट पेलने लगा.
दीदी भी मस्ती से चुदवा रही थीं.

मैं आहिस्ता आहिस्ता अपना लंड दीदी की बुर में अन्दर बाहर कर रहा था.
साथ ही दीदी की चिकनी गांड को मसलने में मुझे और भी मजा आ रहा था.
दीदी भी मस्ती से अपनी चूत चुदवा रही थीं और हल्की हल्की आवाज भी निकाल रही थीं.

थोड़ी ही देर में दीदी की चूत से पानी निकलने से चुदाई और आसान हो गई.

कुछ मिनट बाद मैंने भी अपने लंड का पानी दीदी की बुर में गिरा दिया.

चुदाई के बाद हम दोनों लोग नॉर्मल हो गए.

मुझे बहुत दिन बाद दीदी को पेलने का मौका मिला था. सच में दीदी की मस्त चुत को मैंने पेल कर पूरा मजा ले लिया था.

फिर दीदी ने बताया- तुम्हारे जीजा भी बहुत बड़े चुदक्कड़ हैं. मुझे चोद चोद कर बुरा हाल कर देते हैं. मैं यह भी जानती थी कि तुम आओगे, तो अपना लंड मेरी चूत जरूर डालोगे. इसलिए मैंने तुम्हें इशारा कर दिया था कि जीजा जी के आने से पहले अपनी बहन की चुत चोदने का मजा ले लो.

मैंने दीदी से पूछा- जीजा जी के अलावा भी किसी और को भी सैट किया है?
तब दीदी ने हंस कर बताया कि अभी नहीं … मगर तुम्हारे जीजा का छोटा भाई भी मेरी चूचियों को घूरता रहता है.

इस पर मैंने पूछा- तो क्या विचार है … उससे भी चुदवाना है?
दीदी बोलीं- हां, जिन्दगी का लुत्फ़ उठाना है … तो यहां भी घर जैसा ही माहौल बनाना पड़ेगा … लेकिन ये सब धीरे धीरे ही हो पाएगा.

मैं दीदी के बाजू में ही लेटा था तो उनकी रसभरी चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा.

चूचे दबाते हुए मैंने कहा- सच में आपकी चूचियां और भी मस्त हो गई हैं मेरी बहना.
दीदी भी मस्ती से मम्मे दबवा रही थीं, वो बोलीं- हां, तेरे जीजा जी के हाथों का कमाल है.

कुछ देर बाद मैं बाहर आ गया.

उसी समय जीजा की बहन पढ़कर बाहर से आयी.
वो भी मस्त माल थी. उसका रंग एकदम गोरा, पतली कमर और सीने पर उभार भी लाजवाब थे.

मुझे देखती हुई वो सीढ़ी से चढ़ती हुई अपने रूम में चली गयी.

मैं बाहर बरामदे में बैठ गया.
मुझे अकेले बैठे हुए देखकर दीदी की सास भी आ गईं.

मैं आपको इधर अपनी दीदी की सास के बारे में बता देता हूँ.
उनकी उम्र लगभग 50 साल के आस पास की रही होगी. उनका रंग भी गोरा था. चूचियां भी बहुत बड़ी थीं … यही कोई 38 इंच की तो होंगी ही.
सबसे बड़ी बात उनकी गांड भी चौड़ी थी.

मुझे तो पहले से ही बड़ी उम्र की औरतों को चोदने में बड़ा मजा आता है.
मैं जानता था कि इन्हें इंप्रेस करना है तो कुछ न कुछ कहना ही पड़ेगा.

वो मुझसे हंस हंस कर बातें कर रही थीं. बातों बातों में मैं उनसे कह ही दिया कि आप अधिक उम्र की लगती नहीं हैं.
ये सुनकर वो मन ही मन बहुत खुश हुईं.

तभी जीजा के छोटे भाई आ गए.
उनसे हाल-चाल दुआ सलाम हुई. वो भी साथ में ही बैठ गए. वो मुझसे उम्र छोटे ही थे.
मैं उनको विक्की नाम से बुला रहा हूँ. मेरी विक्की से पहले ही फोन से बात होती रहती थी.

तभी विक्की की मां उठकर जाने लगीं, तो मैंने नोटिस किया कि विक्की भी अपनी मां की गांड को बड़े ध्यान से देख रहा था.
तब मैं समझ गया कि ये भी अपनी मां में इंटरेस्ट लेता है.

अपनी मां को आजकल सभी पेलना चाहते हैं … लेकिन कुछ ही लोग चोद पाते हैं.

कुछ देर बाद हम दोनों दीदी के कमरे के अन्दर चले गए.

मैं दीदी के रूम में बैठ कर विक्की से बात करने लगा.
दीदी भी उससे बात करने लगीं.

मैंने विक्की पर ध्यान दिया, तो वो मेरी दीदी को हवस भरी नजरों से देख रहा था.
मतलब वो भी अपनी भाभी को चोदना चाहता था.

उसी समय मैंने इशारा किया, तो दीदी ने भी अपनी साड़ी को ऐसे सेट किया कि उनकी चूचियों का एक बड़ा हिस्सा दिखने लगा.
मैं और दीदी नॉर्मल बातें कर रहे थे … लेकिन विक्की की नजर मेरी दीदी की खुली चूचियों पर ही टिकी थी.

फिर कुछ देर बाद वो बाहर चला गया.

मैंने दीदी से कहा- तुम्हारी सास बड़ी मस्त माल हैं, उनकी मुझे लेने का मन है … कैसे मिलेगी. तुम्हारी सास की गांड भी मां की तरह है.
तब दीदी बोलीं- हां माल तो टन्न है .. अभी भी रात में दम से चुदती हैं. मेरे ससुर भी अभी भी उनको ताबड़तोड़ पेलते हैं. लेकिन मेरे ससुर इस समय बाहर गए हैं … दो दिन बाद ही आएंगे यहां. मुझे भी अभी इधर के दो लंड अपनी चूत में लेना है. एक देवर का और एक ससुर का.

मैं बोला- दीदी, तुम मेरे एक बच्चे की मां जरूर बन जाना.
दीदी ने स्माइल दे दी.

फिर मैंने कहा कि मैं जरा देखूं … सासू मां कहां हैं.

मैं बाहर गया तो दीदी की सास को देखने लगा. फिर बरामदे में जाकर बैठ गया.

बगल में बाहर एकांत में विक्की अपने दोस्त से फोन बात कर रहा था कि आज भाभी ने अपनी चूचियों का भी मस्त दीदार हो गया है.
विक्की को ये नहीं मालूम था कि मैं उसकी बात सुन रहा हूँ.

वो अपनी धुन में दोस्त से बात करते हुए बोला- कमर और पीछे हाथ से टच करता हूँ … तो भाभी कुछ नहीं बोलती हैं. आज उनकी गांड को हल्के से दबाऊंगा. बस भाभी पट जाए यार … तो अपना काम हो जाएगा. इतनी सुंदर भाभी को हर हाल में चोदना है यार. मुझे लगता है कि आज ही रात ये काम हो जाएगा.

इसके बाद विक्की इधर उधर की बातें करने लगा तो मैं वहां से चला गया.

तभी कहीं बाहर से दीदी की सास आ गईं.
घर खेत में बना था तो आस पास अधिक लोग नहीं रहते थे.

फिर मेरी सासू जी से बातें शुरू हो गईं.
इस बार मैं उनकी चूचियों को घूर रहा था … उन्होंने भी मेरी नजरों को ताड़ लिया था मगर उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई तो मैंने भी उनकी चूचियों से नजरें नहीं हटाईं.

सासू मां बोलीं- मेरी तुम्हारी मम्मी से बात होती रहती है.
मैंने कहा- तब तो आप मेरी मम्मी के बारे में सारा कुछ अच्छी तरह से भी जानती होंगी.

इस पर वो अपना पल्लू गिराते हुए हंस कर बोलीं- हां अच्छी तरह से!

उनकी चूचियों को एकदम खुला सा देखा तो मेरा लंड खड़ा होने लगा.
मैं उनके और नजदीक आ गया और बात करने लगा.

वो अपना पल्लू कुछ इस तरह से सैट करती हुई … जिससे उनकी चूचियों के दीदार मुझे होते रहें, बोलीं- हम लोग खुले विचार वाले हैं. परदा में रहना भी पसन्द नहीं करते … और न ही बहू को रखते हैं … तुम चाहो तो अपनी दीदी से पूछ लो.

मैंने मन ही मन सोचा कि पापा ने अच्छी जगह शादी की है. इधर तो सब कुछ खुला खेल फर्रुखाबादी है.

सासू मां के मुँह से इतना सुनते ही मैंने उनकी जांघ पर हाथ रख दिया.
वो कुछ नहीं बोलीं, तो मैं समझ गया कि ये साली एक नंबर की छिनाल है.

मैंने भी हाथ नहीं हटाया बल्कि धीरे से दबा और दिया.

इस बार वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो?
मैं धीरे से बोला- जो आप जैसी सेक्सी माल औरत के साथ करना चाहिए.

दीदी की सास ने आंख दबा दी और बोलीं- पक्का चोदू है तू … अपनी मां को भी चोद चुका है या वो रांड अभी तेरे लंड के लिए बाकी है?

दीदी की सास के मुँह से इतनी खुली रंडी जैसी भाषा सुनकर मेरा लंड फनफना उठा और मैंने सास को अपनी बांहों में खींच लिया.

अब बड़ी बहन सेक्स कहानी के अगले भाग में आपको अपनी दीदी की सास की चुदाई से रूबरू कराऊंगा.

आपके मेल का इंतजार रहेगा.
gzpvns111@gmail.com

बड़ी बहन सेक्स कहानी जारी है.



जीजू के पापा ने मेरी चुत की सील तोड़ दी

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देसी अंकल सेक्स स्टोरी मेरी चुदाई की है. मेरी दीदी के ससुर ने मुझे चोद कर मेरी कुंवारी बुर फाड़ दी. ये सब कैसे हुआ? इस फॅमिली सेक्स कहानी में पढ़ें.

यह कहानी सुनें.

हाय ऑल! मैं अंजलि प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ. मैं अभी 21 साल की हूँ. मैं अभी पिछले 2 महीने से ही अन्तर्वासना की देसी सेक्स कहानी की दुनिया से जुड़ी हूँ.

अन्तर्वासना की सेक्स कहानियों को पढ़ कर मुझे मानो एक ऐसा पटल मिल गया था, जिधर मैं अपनी सारी बात खुल कर जाहिर कर सकती थी.

मुझे इसमें प्रकाशित हर सेक्स कहानी को पढ़ कर बहुत मज़ा आता है.
चुदाई की बातें पढ़ कर मेरा मन चुदाई के लिए मचलने लगा था जबकि पहले मुझे चुदाई के नाम से ही बहुत डर लगता था.

अब मैं अपनी सहेलियों के बीच सेक्स की बातों को सुनकर काफ़ी मज़े लेती हूँ.

जब मैं कल एक सेक्स कहानी पढ़ रही थी, तो अपनी चुत रगड़ रही थी. उसी समय मैंने भी सोची कि मैं भी अपनी सेक्स स्टोरी आप सभी को लिख कर बताऊं कि मेरे साथ क्या हुआ था.

ये देसी अंकल सेक्स स्टोरी 2 साल पहले की है, जब मेरी उम्र 19 साल की थी. उस समय मैं अपने जीजू के घर गई थी क्योंकि उनके घर पर उस टाइम कोई नहीं रहने वाला था.
चूंकि मेरे जीजू के छोटे भाई की वाइफ को गांव वाले घर में बच्चा हुआ था, तो जीजू दीदी और बच्चे गांव जाने वाले थे.

जीजू के पापा जो लखनऊ में सरकारी नौकरी में थे, वो एक पुलिस स्टेशन में दारोगा थे, तो उन्हें छुट्टी नहीं मिली थी, इस वजह से वो लखनऊ में ही रह गए थे.

मेरे पापा ने मुझसे कहा- तुम उनके घर लखनऊ चली जाओ, वहां उनके लिए खाना पीना और देखभाल कर लेना.
जीजू और उनकी फैमिली भी यही चाहती थी.

फिर मैं अगले दिन ट्रेन से निकल गई. चूंकि मैं भी अपनी बी.ए के पहले वर्ष के एग्जाम दे चुकी थी, तो बिल्कुल फ्री थी.

जब मैं वहां शाम को पहुंची, तो मेरी तबीयत खराब हो गई थी. ये जून का महीना था और ट्रेन में काफ़ी गर्मी थी, जिस वजह से मुझे कुछ असहज लगने लगा था.

लखनऊ पहुंचते पहुंचते मेरी तबीयत कुछ ज्यादा खराब हो गई थी. तो मेरे जीजू के पापा मुझे अपनी बाइक से डॉक्टर के पास ले गए.
उस दिन जीजू काफी व्यस्त थे और उनको दूसरे दिन सुबह दीदी को लेकर गांव निकलना था.

दोस्तो, अब इधर मैं अपने जीजू के पापा के बारे में कुछ बता देती हूँ. वो बहुत ही हैंडसम हैं. उनकी उम्र लगभग 55 साल की रही होगी. चूंकि वो एक दारोगा थे, तो उनकी बॉडी काफ़ी मजबूत थी और उनकी हाईट भी 6 फिट से कुछ ज्यादा ही थी.

मैं उनके साथ बाइक पर जा रही थी, तभी उन्होंने मुझे अपनी कमर पकड़ने को बोला.
मैंने सहज भाव से अंकल की कमर पकड़ ली.

उनकी कमर पकड़ते ही मुझे कुछ अजीब सा लगा और उनकी बॉडी की मर्दाना सुगंध से मैं मदहोश सी हो गई.

फिर डॉक्टर से चैकअप कराने के बाद मैं वापस घर आ गई.

रात में हम सब खाना खाकर सो गए. अगले दिन मेरे जीजू और दीदी की ट्रेन थी, तो वो लोग भी गांव निकल गए.

अब घर में मैं और मेरे जीजू के पापा ही अकेले रह गए थे. चूंकि मेरी दीदी की शादी के एक साल पहले ही मेरे जीजू की मम्मी की मृत्यु हो चुकी थी और जीजू के भाई और उसकी वाइफ पहले से ही गांव में थे.

दूसरे दिन मैं सुबह 9 बजे सोकर उठी और चाय आदि बनाई.

मैंने जीजू के पापा को चाय दी तो वो बोले- मैं आज शाम को खाना बाहर से ही ले आऊंगा, तो तुम घर पर खाना मत बनाना.
मैंने कहा- ठीक है अंकल.

मैं उनको अंकल जी बुलाती थी. मुझे उनसे बहुत शर्म आती थी, मैं उनके सामने ज्यादा कुछ नहीं बोलती थी.

अगले 7 दिन तक सब कुछ नॉर्मल चला. फिर एक दिन रात में नींद खुली, तो मैंने कुछ आवाज़ सुनी.

जब अपने रूम से बाहर आई, तो देखा कि ये आवाज़ तो अंकल जी के रूम से आ रही है.
तो मैं वहां गई.

उनके कमरे का दरवाजा खुला हुआ था, जब मैंने अन्दर झांक कर देखा, तो मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.

अंकल जी ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे और एकदम नंगे होकर अपने लंड को हिला रहे थे. उनके एक हाथ में उनकी वाइफ की फोटो थी और फोटो देख कर वो लंड हिला रहे थे.

ये सीन देखकर मैं उधर से भाग कर अपने रूम में आ गई.
उस रात में अंकल जी के बारे में ही सोच रही थी. मेरी सांसें तेज तेज चल रही थीं क्योंकि मैंने पहली बार किसी मर्द का लंड देखा था.

उस दिन से मैं अंकल जी के बारे में ना चाहते हुए भी सोचने लगी.
मैं अपने मन में मानती थी कि ये रिश्ता सही नहीं होगा. लेकिन मेरा मन उनका मोटा लंड देख कर मचल उठा था और मान ही नहीं रहा था.

मुझे उनके बारे में सोच कर बहुत मज़ा आ रहा था. चूंकि मैं अभी तक कुंवारी कमसिन कली थी, तो मुझे काफ़ी उत्तेजना हो रही थी.

इस तरह दस दिन बीत गए. अब मैंने फैसला कर लिया था कि मैं अंकल जी को पटाकर उनसे अपनी प्यास बुझाऊंगी … आख़िर उन्हें भी एक चुत की ज़रूरत थी.
उनकी वाइफ की डेथ हुए लगभग 6 साल हो चुके थे.

फिर मैं हर दिन कोशिश करने लगी कि अंकल जी के सामने कामुक बन कर रहूँ.
जब वो घर आते तो मैं उनको देख कर स्माइल करती और उनके साथ बाहर घूमने को कहती.

वो भी मुझे अपने साथ बाइक पर बिठा कर ले जाते और मैं भी उनकी कमर पकड कर उनके मर्दाना जिस्म को स्पर्श करके अपने अन्दर की आग को भड़काती रहती.
उधर अंकल जी भी मेरे मम्मों को अपनी पीठ पर रगड़ते हुए महसूस करके मुझे प्यार से देखने लगे थे.

एक रात जब वो घर आए, तो बोले- मैं बहुत थक गया हूँ. जल्दी से नहा लेता हूँ, फिर कुछ देर आराम करूंगा.
मैं हां करके चुप हो गई.

अंकल जी नहाने के बाद अपने रूम में चले गए.

मैं तेल की बोतल लेकर जानबूझ कर उनके शरीर कि मालिश करने चली गई.

वो मुझसे बोले- क्या हुआ?
मैंने कहा- आप थक गए हो, मैं आपकी मालिश कर देती हूँ. आपको आराम मिल जाएगा.

वो मना कर रहे थे.
लेकिन मैंने ज़िद की तो वो मान गए.

वो पेट के बल लेट गए और मैं उनकी पीठ पर तेल टपका कर अपने नर्म मुलायम हाथों से मालिश करने लगी.

उनकी बॉडी एकदम पहलवानों के जैसी थी. मैं उनके जिस्म की तपिश से बहुत उत्तेजित हो चुकी थी.

मैंने अंकल के पूरे शरीर पर अपने हाथों से मालिश की.

अब मैं उनकी टांगों पर पहुंच गई थी. मैंने महसूस किया कि वो अंडरवियर नहीं पहने हुए थे चूंकि अभी नहा कर आए थे.
और उनके मुँह से शराब की महक आ रही थी. अंकल जी ने शराब पी रखी थी.

मैं मुस्कुरा उठी.

मैंने जानबूझ कर अपना एक हाथ उनकी तौलिया के अन्दर कर दिया और उनकी गांड पर मालिश करने लगी. अंकल जी ने भी अपने पैर फैला दिए.

कुछ देर के बाद मेरी चुत बिल्कुल गीली हो गई और ना जाने मुझे क्या हुआ, मैं वहां से जाने लगी.

तभी अंकल जी उठे और उन्होंने मेरे एक हाथ को पकड़ लिया. जब मैं उनकी तरफ मुड़ी, तो वो मुझे अपनी गोद में खींच कर किस करने लगे.
मुझे अजीब सा लगा और मैं उन्हें मना करने लगी, लेकिन वो नहीं माने.

हालांकि मैं खुद भी यही चाहती थी. मैंने अपना विरोध बंद कर दिया और आंख बंद करके उनकी गतिविधियों को महसूस करने लगी.

अंकल जी ने मुझे अपनी बांहों में भरकर अपने बेड पर लिटा दिया और मुझे किस करने लगे. उनके मुँह से शराब की तेज स्मेल आ रही थी, वो नशे में थे.
आज मुझे ये महक काफी मस्त लग रही थी.

फिर वो अपने एक हाथ से मेरी चुत को दबाने लगे, मुझे बहुत शर्म आ रही थी … लेकिन चुदने का मन भी कर रहा था इसलिए मैंने उन्हें मना नहीं किया.

फिर उन्होंने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और ब्रा को अलग कर दिया. अंकल जी मेरे मम्मे चूसने लगे.
वो जोर जोर से मेरे दूध चूस रहे थे, इससे मुझे मीठा मीठा दर्द होने लगा. मुझे बेहद मज़ा भी आ रहा था.

इसके कुछ देर बाद अंकल जी ने मेरी पैंटी भी उतार दी और मेरी कमसिन चुत देख कर बोले- तुम अभी वर्जिन हो?
मैं बोली- जी.

तो वो बोले- आज मैं तुम्हारी वर्जिनिटी तोड़ दूंगा.
मैं शर्मा गई और अपना मुँह उनके सीने में छिपा कर उनसे चिपक गई.

फिर अंकल जी ने अपनी तौलिया हटा दिया और पूरे नंगे हो गए.
मैं उनका लम्बा और मोटा खड़ा लंड देख कर सहम गई लेकिन चूत में चुनचुनी हो रही थी कि बस किसी तरह से इस लम्बे लौड़े से चुद लूं.

अंकल जी मेरी चुत चाटने लगे.
अपनी कुंवारी चुत पर एक मर्द की जीभ का अहसास पाते ही मेरे पूरे जिस्म में जैसे करंट दौड़ गया था.

मेरे शरीर में सिहरन होने लगी तो अंकल जी को मजा आने लगा और वो पूरे मनोयोग से मेरी कमसिन चुत का नमकीन पानी चाटते हुए चुत के अन्दर तक जीभ देने लगे.

मैंने अंकल जी से पूछा- मुझे सनसनी सी क्यों हो रही है?
तो वो बोले कि ये तुम्हारा पहली बार है … इसीलिए तुम मस्त हो रही हो.

कोई पांच मिनट तक की चुत चटाई में मैं पूरी तरह से पागल हो गई थी.

अंकल जी अब समझ गए थे कि लौंडिया गर्मा गई है.
उन्होंने मेरी टांगों को फैला दिया और मेरे ऊपर चढ़ गए.

अंकल जी ने अपने लंड को मेरी चुत कि फांकों में रखा और रगड़ने लगे.
मुझे मर्द के लंड का अहसास अपनी चुत पर हुआ तो मैं अपनी गांड उठाने लगी.

अंकल जी ने लंड को चुत पर दबाया तो लंड चुत के अन्दर नहीं गया. क्योंकि मेरी चुत का छेद बिल्कुल छोटा सा था और अंकल जी लंड गधे जैसा हब्शी लंड था.

फिर उन्होंने अपने लंड पर एक क्रीम लगाई और चुत में डालने लगे.

मैं बोली- अंकल कुछ प्राब्लम तो नहीं हो जाएगी?
अंकल जी बोले- कुछ नहीं होगा. बस शुरू में थोड़ा सा दर्द होगा. फिर मज़ा ही मज़ा आएगा.

ये कह कर उन्होंने अपना लंड मेरी चुत में पेल दिया.
अंकल जी का लंड अभी थोड़ा सा ही चुत के अन्दर गया था कि मेरी आंखों से आंसू निकल आए और मैं रोने लगी.

वो रुक गए और मुझे किस करने लगे.
जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो फिर अंकल जी ने एक बार अपनी गांड हिलाई और झटका दे दिया.

इस बार अंकल जी का आधा लंड मेरी चुत में घुसता चला गया था. उनके पूरे शरीर का वजन मेरे ऊपर आ गया था.

मैं उनकी बॉडी से दब चुकी थी उनकी जांघें भी काफ़ी मजबूत थीं. वो एक पहलवान मर्द थे.

थोड़ी देर तक अंकल जी मेरे ऊपर चढ़े रहे.
फिर उन्होंने मुझसे पूछा- अब दर्द कुछ कम हुआ?
मैं मरी हुई कुतिया की आवाज में बोली- जी.

उन्होंने फिर से अपनी गांड हिलाई और ताकत से पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
मुझे वो धीरे धीरे चोदने लगे.

कुछ धक्कों के बाद मुझे भी चुदने में मज़ा आने लगा.
अंकल जी समझ गए थे कि अब मुझे मज़ा आ रहा है तो वो अपनी गांड जोर जोर से हिलाने लगे और मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगे.

सच में मुझे मज़ा तो बहुत आ रहा था लेकिन शर्म भी आ रही थी. क्योंकि मैं एक 55 साल के मर्द से चुद रही थी, वो भी मेरे जीजू के पापा से.

करीब दस मिनट तक मुझे चोदने के बाद अंकल जी ने अपना लंड मेरी चुत से निकाल लिया.

मैं भी उठी और देखी कि मेरी चुत से खून निकल रहा था. मैं खून देख कर रोने लगी.

तो उन्होंने मुझे समझाया कि ये सामान्य सी बात है कुंवारी लड़कियों की चुत की सील टूटने के कारण ऐसा होता है. अब तुम एक पूर्ण औरत बन चुकी हो.
मैं शांत हो गई.

फिर उन्होंने मेरी चुत को साफ़ किया. उसके बाद मुझे पेशाब लगी, तो मैं उठ कर जाने लगी.

वो बोले- रूको मैं भी चलता हूँ.

अंकल जी मुझे अपनी गोद में ले गए और उन्होंने भी मेरे सामने पेशाब की. मैंने भी उनके लंड से मूत की धार देखी और खुद भी मूत कर खुद को साफ़ किया.

उन्होंने चाय बनाई और हम दोनों ने चाय पी.

मुझे चलने में बहुत प्राब्लम हो रही थी तो चाय पीने के बाद वो मेरे बगल में लेटकर मुझे किस करने लगे.

कुछ देर बाद हम दोनों गर्म हो गए तो अंकल जी मुझे फिर से चोदा.

उस रात हम दोनों ने तीन बार चुदाई का मजा लिया. हर बार अलग अलग स्टाइल में चुदाई हुई. कभी अंकल जी मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदते तो कभी कभी गोद में लेकर, कभी डॉगी स्टाइल में चोदने लगते.

पूरी रात मैं उनके कमरे में ही नंगी चुदती रही. अंकल जी भी मुझे अपनी बांहों में लेकर सो गए.

अगले दिन वो ड्यूटी भी नहीं गए. हमने पूरे दिन सेक्स किया.

मैं लखनऊ में 24 दिन तक रही और हमने इस दौरान कई बार सेक्स किया. अंकल जी ने मुझे शराब पिला कर भी खूब चोदा. मेरी गांड भी मारी.

इसके बाद जब भी मैं वहां जाती हूँ … तो हम दोनों मौका मिलते ही चुदाई कर लेते थे.

सच में दोस्तो, मुझे अंकल जी से चुदने में बहुत मज़ा आने लगा था, इसलिए मैंने आज तक किसी लड़के को अपना बॉयफ्रेंड नहीं बनाया.
मैं उनसे सच में बहुत प्यार करती हूँ, अभी मैं उनसे रोज फोन पर बात करती हूँ.

आज तक मेरी फैमिली और उनकी फैमिली में किसी को पता नहीं है क्योंकि हमारा ऐसा रिश्ता है कि किसी को शक भी नहीं होता है. लव यू अंकल जी.
थैंक्स दोस्तो, 


लॉकडाउन में दीदी ने किया सबका मनोरंजन- 1

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भाई बहन सेक्स कहानी में पढ़ें कि मेरी दीदी अपने बॉयफ्रेंड से चुदाई करती थी। मेरी भी मन से इच्छा थी दीदी की चुदाई करने की। फिर लॉकडाउन हुआ और …

लेखक की पिछली कहानी: मेरी दीदी सेक्स की प्यासी

दोस्तो, मेरा नाम वीरू है और मैं मध्यप्रदेश के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 22 वर्ष है। मेरी हाइट 6 फीट है और मेरा शरीर भी काफी गठीला और ताकतवर है।

मेरी भाई बहन सेक्स कहानी का मजा लें.

मेरे पापा शहर में एक दवाइयों की दुकान चलाते हैं और मैं उनका दुकान में हाथ बंटाता हूँ और साथ में कॉलेज की पढ़ाई भी कर रहा हूँ।

मेरी दीदी का नाम सुनैना है और उसकी उम्र 24 वर्ष है। वो देखने में बहुत ही खूबसूरत है। उसकी हाइट भी काफी है।

मेरी दीदी का शरीर गोरा और भरा हुआ है। वो हमेशा से ही बहुत तंग कपड़े पहनती है। उसका फिगर 36-32-38 है।
वो इतनी सुंदर और रस भरी है कि उसे चोदने के लिए कोई भी लड़का किसी भी हद तक जा सकता है।

उसके पीछे हमेशा से ही बहुत सारे लड़के पड़े रहते थे पर वो किसी को भाव नहीं देती थी।
हालाँकि उसके कई बॉयफ्रेंड रह चुके हैं और अभी भी एक है।

वो चाहती तो एक मॉडल भी बन सकती थी मगर पापा ऐसा नहीं चाहते थे।

इसलिए उसने पढ़ाई में अपना सारा ध्यान लगाया और 23 साल की छोटी सी उम्र में दांतों की डॉक्टर बन गयी थी।
पापा ने उसके लिए अपनी दुकान के साथ में ही इसके लिए दाँतों की दुकान खोल दी।

हमारा जीवन जीवन बहुत अच्छे से चल रहा था। हालाँकि माँ गाँव में अकेली ही रहती थी मगर हम बारी-बारी से घर चले जाया करते थे।

हमारी दोनों दुकानें आपस में जुड़ी हुई थीं और दोनों दुकानों के ऊपर वाली मंजिल में हम सब रहते थे। हम रात को दुकान अंदर से ही बन्द करते थे क्यूंकि ऊपर जाने का रास्ता सिर्फ अंदर से ही था।

उस किराये के घर में हमारे 2 ही कमरे थे तो एक में मेरी दीदी सोती थी और दूसरे में मैं और पापा।
पापा हमेशा मेरे साथ ही होते थे तो मैं ज्यादा मस्ती नहीं कर पाता था।

मगर कॉलेज में मैं अपने कुछ अच्छे दोस्तों के साथ पूरी मस्ती करता था।
दूसरी ओर मेरी दीदी सुनैना को बहुत छूट थी; वो बहुत ही खुले विचारों की लड़की है।

वो अकेले कमरे में सोती थी तो वो रात भर अपने प्रेमी से बातें करती थी।
कभी-कभी वो जब 5 बजे अपनी दुकान बंद करती थी तो वो पापा से सहेली से मिलने के बहाने अपने प्रेमी से मिलने चली जाती थी।

वो किसी भी तरह की बात करने से कभी भी हिचकिचाती नहीं थी। वो मुझे साइड में बुला कर कंडोम लाने के लिए कहती थी।
मैं भी उस समय थोड़ा शर्मा जाता था मगर बाद में इन बातों को आम मानकर भुला देता था।

मेरे मन में दीदी को चोदने की तीव्र इच्छा हमेशा ही पैदा हो जाती थी।
कभी कभी अकेले में बैठे-बैठे मैं सुनैना दीदी के बारे में बहुत ही गन्दी चीज़ें सोच लेता था और उस दौरान मेरा लौड़ा भी सख्त हो जाता था।

पहले तो मैं मन को बहला देता था किंतु बाद में मेरी अपनी सोच पर कोई रोक नहीं रही; मैं दीदी के नाम पर मुठ मारने लगा।

कभी कभी वो किसी का इलाज करते हुए झुकी होती थी तो मैं उसकी बड़ी सी गांड को तंग पैंट में देखता था और उसका वैसे ही फोटो खींच लेता।
फिर मैं बाथरूम में जाकर मुठ मार देता था।

समय के साथ साथ मेरी हवस सुनैना दीदी के प्रति बहुत बढ़ गयी थी।

एक दिन दीदी ने दुकान बन्द करते समय मुझे अपने पास बुलाया।
दीदी- यार वीरू! मैं आज बाहर जा रही हूँ। तू प्लीज एक कंडोम का इंतज़ाम कर दे।

उस दिन दीदी एकदम माल लग रही थी।

मैं दीदी को देखकर अपना आपा खो बैठा- दीदी! बाहर जाने की क्या जरूरत है?
दीदी- तो क्या उसे घर में बुला लूँ?

मैं- जरूरी थोड़ी है कि आप किसी बाहर वाले से ये सब करवाओ?
दीदी आश्चर्य से- तब किसके साथ करूँ?
मैं हिम्मत जुटाकर- मैं हूँ न। मेरे साथ करो। मुझमें क्या कमी है?

दीदी ये सुनकर पहले हैरान रह गयी। मगर बाद में दीदी ने सोचा कि मैं मज़ाक कर रहा हूँ।
दीदी- चल यार, मज़ाक मत कर। प्लीज जल्दी से लेकर आ न!

मैं भी उस समय आश्चर्य में था कि मैंने दीदी से ये सब बोल दिया।
लेकिन उसके बाद मैं अपनी दुकान में गया और स्टोर में जाकर एक कंडोम चुपके से उठाया और जाकर दीदी को दे दिया।
उसके बाद दीदी वहाँ से चली गयी।

हमारी दुकान में बहुत सारे कंडोम थे। मैंने अपने दोस्तों को बहुत से कंडोम दिए हैं। हमारी दुकान में बहुत बड़े डॉटेड कंडोम भी हैं।
मैं हमेशा से ही उन्हें पहन कर किसी लड़की को चोदना चाहता था।

कोरोना के समय हमारी दवाई वाली दुकान का काम बहुत बढ़ गया था।
लॉकडाउन से पिछले दिन हमारा बहुत सा सामान घट गया था। इसलिए पापा ने मुझे सामान लाने के लिए भेजा। मुझे अबकी बार बहुत सारा सामान लाना था।

मैं सामान लेने चला गया और पीछे से एक दिन लॉकडाउन की घोषणा हो गयी।
पापा को उसी दिन घर भी जाना था; पापा ने सोचा कि 1 दिन की ही तो बात है।
इसलिए जैसे ही मैं दुकान पर वापिस पहुंचा तो पापा वैसे ही गाँव चले गए।

अब मैं अकेला दुकान संभालने लगा।

एक दिन के लॉकडाउन के बाद सरकार ने 21 दिन के लॉकडाउन की घोषणा कर दी। पापा ने सोचा कि ये ऐसे ही होगा।

मगर ये लॉकडाउन बहुत सख्ती से लागू हुआ और पापा गाँव में ही फंस गये और हम अपने शहर वाले घर में।
उसी दिन मेरे 9 दोस्त जो कि हरियाणा के थे, उन लोगों ने अपने किराये के कमरे छोड़ दिए और अपने घर वापस जा रहे थे।

उन लोगों को न तो कोई ट्रेन, बस और न कोई गाड़ी मिली। जब वो वापस अपने किराये के कमरों में गये तो उनके कमरे किसी और लोगों ने ले लिए थे।

अब वो कैसे न कैसे करके मेरे पास आ पहुंचे। उन्होंने मुझे अपनी बात बताई और उन लोगों ने मुझसे पूछा कि जब तक कुछ साधन न निकल जाये, तब तक क्या वो मेरे पास रह सकते हैं या नहीं?

मैं तो राज़ी था मगर हमारे घर में सिर्फ 2 ही कमरे थे और एक में मेरी दीदी रहती थी। तो मैं अब फंस गया कि क्या किया जाये।
ये बातें करते समय हम अपने घर में ही थे। सुनैना दीदी भी वहीं थी।

सब लोगों को पता था कि घर में जगह कम है और लोग ज्यादा हो जायेंगे और साथ में एक लड़की भी है। किसी को उम्मीद नहीं थी।

मगर तभी दीदी मान गयी और कहा- कुछ लोग यहाँ रह जायेंगे और कुछ लोग नीचे मेरी दुकान में भी रुक सकते हैं। वहां भी काफी जगह है।

बहुत देर तक बात चली और फैसला हुआ कि 3 लोग मेरे कमरे में, 3 लोग हॉल में और 3 लोग नीचे दुकान में आ जाएंगे और जब कुछ जाने का जुगाड़ होगा तो वो यहां से चले जाएंगे।

मैं उन अभी लोगों को बहुत अच्छी तरह जानता था। वो सब मेरे जैसे ही लंबे और हट्टे-कट्टे थे। आखिर वो हरियाणा के रहने वाले थे। वो बहुत ही निडर और खुले दिल के आदमी थे।

वो सब मेरी तरह ही हवस से भरे थे। मैं हमेशा उन लोगों के साथ ही रहता था।

रात को दीदी ने सबको खाने के लिए बुलाया और सब छोटे से हॉल में आकर बैठ गए।

दीदी ने एक बहुत ही तंग नाईट सूट पहन रखा था। दीदी ने अंदर भी कुछ नहीं पहना था। इस कारण दीदी के स्तनों के उभार साफ़ नज़र आ रहे थे।

मेरी दीदी के स्तन इतने बड़े थे कि उनके कपड़ों के बटनों ने दीदी के स्तनों को बहुत ज़बरदस्ती से पकड़ रखा था। बटनों के बीच में बची जगह से दीदी के गोरे-गोरे स्तन साफ़ दिख रहे थे।

ऐसा नज़ारा देखकर मैंने गौर किया कि सबकी पैंट में उभार आ गया था और मेरी खुद की पैंट में भी।
हम सब गोले में बैठे थे और दीदी खाना परोसने लगी।

जैसे ही दीदी खाना देने के लिए नीचे झुकती तो सामने वाला दीदी के स्तनों में झाँकने की कोशिश करता और पीछे वाला दीदी की बड़ी गांड को देखता।

फिर जैसे ही दीदी ऊपर उठती तो दीदी का पजामा उनकी गांड में फंस जाता था।
खाना खाने के बाद दीदी खड़े होकर बर्तन साफ़ कर रही थी और ऐसा करते हुए दीदी की गांड बहुत हिल रही थी।

ये सब नज़ारा वो लोग देख रहे थे। अब सबके मन में मेरी सुनैना दीदी को चोदने की इच्छा जाग उठी थी।

वो लोग इस मामले में बहुत तेज़ थे। उनको जो लड़की पसंद आ जाती थी वो उसको पटाकर चोद ही देते थे।

मगर मैंने सोचा कि ये मेरी दीदी के साथ ऐसा नहीं करेंगे क्यूंकि वो मेरे दोस्त हैं और इस बात का लिहाज रखेंगे।
उस रात को जब हम सब बातें कर रहे थे और दीदी भी कुछ देर हमारे साथ बैठी रही।

वो लोग मेरे और दीदी के साथ बहुत बातें कर रहे थे।
जब जब दीदी हंसती तब-तब दीदी के स्तन उछलने लगते थे और सब मेरी दीदी के स्तनों को ही देख रहे थे।

बहुत देर तक बातें करने के बाद दीदी सोने चली गयी।

मगर मेरे एक दोस्त ने मुझे उसके साथ नीचे दुकान में आने के लिए कहा। मैं उसके साथ चला गया और साथ में सब लोग भी आ गए।

वहाँ मेरे दोस्त ने मुझसे कहा- तुझसे एक बात करनी है।
मैंने कहा- हाँ बोल?

उसने मुझसे जो कहा उसने हमारी कहानी बना दी। मुझे पता था कि लड़कियों के मामले में वो बहुत आगे हैं और और इस मामले में मैं सबकी नस-नस से परिचित था।

उन सभी ने मुझे समझाया और कहा कि उन्हें पता है कि वो तेरी दीदी है और उनके मन में दीदी के प्रति अब बहुत सी इच्छाएं जाग गयी हैं।

उन्होंने ये भी कहा कि अब वो पीछे हटने वालों में से नहीं हैं। वो लोग मेरी दीदी को चोदकर ही दम लेंगे।

मुझे हैरानी तो तब हुई जब उन्होंने मुझसे कहा कि उन्हें पता चल गया है कि मेरे दिल में भी मेरी अपनी दीदी को चोदने की इच्छा है।

उन लोगों ने मेरे फ़ोन में दीदी की गांड और स्तनों के चुपके से लिए फोटोज देख लिए थे और जब ऊपर दीदी खाना परोस रही थी तो उन लोगों ने मेरा उठा हुआ लौड़ा भी देख लिया था।

अब मैं कुछ कहने के लायक नहीं रह गया था। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था।
मैंने उनसे कहा कि दीदी इसके लिए बिल्कुल भी नहीं मानेगी। एक लड़का होता तो वो शायद मान भी सकती थी मगर यहाँ मुझे मिला कर 10 लड़के हो गए हैं।

सभी ने मुझे बहुत सी मीठी-मीठी बातें करके आखिर में मना ही लिया।
उन लोगों ने कहा कि अगर आज का प्लान सफल हो गया तो सबसे पहले तू ही अपनी दीदी को चोदना … बाद में वो चोद लेंगे।

मेरे दोस्त लोगों ने कहा- देख लो … बाद में वो लोग तो चले जायेंगे और फिर मुझे हर रोज़ दीदी की चूत चोदने का मौका मिलता रहेगा।
उन लोगों ने मुझे बहुत से सपने दिखाये और मैं उनकी बातों में आ गया।

उसके बाद हम सब ऊपर गये और सीधे दीदी के कमरे में चले गए।
दीदी हमारी तरफ अपनी गांड करके सो रही थी। दीदी की गांड देखकर सब लोग आहें भरने लगे।

उन लोगों ने मुझे अब कुछ समझा दिया था कि मुझे दीदी को कैसे मनाना है।
तो मैं दीदी के पास चला गया और वो सब बाहर चले गए।

मैं सीधा दीदी के बिस्तर के पास चला गया और अपना पजामा उतार दिया। मैं दीदी के बिस्तर पर लेट गया और अपने लौड़े को कच्छे के अंदर से ही दीदी की गांड पर घिसने लगा।
फिर मैंने अपना हाथ दीदी के एक स्तन पर रख दिया।

दीदी अभी नींद में ही थी। उसके बाद दीदी थोड़ी जाग गयी। दीदी को अभी लग रहा था कि वो अपने बॉयफ्रेंड के साथ है।

इसलिए दीदी ने मेरा हाथ पकड़ा और कपडे़ के अंदर से अपने स्तनों में डाल दिया और अपनी गांड को मेरे लौड़े से सटा कर घिसने लगी।
तभी दीदी उठ गई और उसे याद आया कि वो तो अपने ही घर में है।

वो अचानक से उठी और बिस्तर के एक कोने में जाकर बैठ गयी।
वहीं लाइट का बटन भी था।
उसने लाइट ऑन की तो देखा कि मैं उसके बिस्तर पर अंडरवियर में बैठा हूँ और मेरा लौड़ा भी खड़ा हुआ है।

फिर वो मुझसे गुस्से में बोली- वीरू! ये क्या बदतमीजी है? ये क्या कर रहे हो तुम?
मैं- दीदी! दीदी! आप पहले शांत हो जाओ। आप डर गयीं हैं, मैं आपको सब समझता हूँ। पहले आप ये पानी पी लो।

मैंने पहले से ही पानी में 2 सेक्सवर्धक गोली मिला रखी थी।

दीदी पहले पानी पीने को मना करने लगी पर बाद में पी ही लिया।

मेरे दोस्तों से रहा नहीं गया और वो भी अंदर आ गए।

दीदी उनको देख कर हैरान रह गयी और पूछने लगी कि अब ये लोग यहाँ क्या कर रहे हैं?
उसके बाद मैंने दीदी को शांत किया और मैंने दीदी को समझाया कि मैं उससे कितना प्यार करता हूँ और मैं उनको पाने के लिए कुछ भी कर सकता हूँ।

मैंने दीदी को बहुत देर तक बहुत समझाया और दीदी मान ही नहीं रही थी।

तब तक गोली का असर होना शुरू हो गया। अब दीदी की चूत में खुजली होने लगी। दीदी की आवाज़ धीमी पड़ने लगी और दीदी की टांगें हिलने लगीं।

उसके बाद दीदी खड़ी हो गयी। उसका पजामा इतना टाइट था कि उसमें से दीदी की चूत का आकार साफ़ नज़र आ रहा था।
उससे पता चल रहा तो कि दीदी ने अंदर पैंटी भी नहीं पहनी थी।

दीदी बहस करते हुए बीच-बीच में अपनी चूत पर हाथ फेरने लगी और थोड़ी देर बाद दीदी दीवार का सहारा ले कर खड़ी हो गई और हमने देखा कि दीदी के पजामे से पानी आ रहा था। असल में वो चूत का पानी था।

अब मैंने बातों बातों में उनको गले लगा लिया और दीदी को समझाते हुए उनकी पीठ पर अपने हाथ फेरने लगा।
मैं दीदी के कानों और उसके नीचे गर्दन से अपने होंठ लगाने लगा।

दीदी के स्तन मेरी छाती से चिपके हुए थे। अब दीदी की धड़कनें बढ़ने लगीं और दीदी मुझे उसके गले लगने से नहीं रोक रही थी।

इसलिए मैंने दीदी के कानों और उसकी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया। उसके बाद मैंने दीदी को पूरी तरह से दीवार से सटा दिया और गले से किस करते हुए मैं दीदी के होंठों तक आ गया।

मैंने दीदी के चूतड़ों को पकड़ा और अपनी तरफ खींचा जिससे मेरा सख्त लौड़ा दीदी की नाभि पर लग गया।
उसके बाद मैंने दीदी को किस करते हुए दीदी के कॉलर को पकड़ा और ज़ोर से खींच कर सारे बटन तोड़ दिए।

दीदी के स्तन उछलते हुए मेरे सामने आ गए। मैं दीदी को किस करता रहा क्यूंकि अगर मैं हटता तो दीदी का मन उस समय बदल भी सकता था।

अब वो एकदम भूल गयी थी कि वो अपने भाई के साथ ये सब कर रही है और ये भी भूल गयी थी कि उस कमरे में और लोग भी हैं।

दीदी के स्तन बहुत ही बड़े थे।
कपड़ों में दीदी के चूचे बेचारे थोड़े छोटे लगते थे मगर अब वो किसी पहाड़ से कम नहीं लग रहे थे।
अब वो आज़ाद होकर खुली हवा में उछल रहे थे।

उसके बाद मैंने दीदी को किस करना चालू रखा और दीदी के बड़े बड़े स्तनों को अपने हाथ में लेकर मसलने लगा।
दीदी के स्तन किसी कांच की तरह चमक रहे थे। वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथों में आ ही नहीं रहे थे।

मैंने सुनैना दीदी के स्तनों के चूचकों को दबाना और मरोड़ना चालू कर दिया।
अब दीदी और उत्तेजित होने लगी और ‘अम्म … अम्म … आह्ह …’ की आवाजें निकालने लगीं।

दीदी मेरा सहयोग देने लगी और दीदी ने अपने हाथों से मेरे हाथ पकड़ लिए और उन्हें अपने स्तनों पर जल्दी-जल्दी और ज़ोर-ज़ोर से रगड़ने लगी।

उसके बाद मैं एक हाथ नीचे दीदी की टांगों की ओर ले गया, मैं अपना हाथ दीदी की चूत के आस-पास वाली जगह फेरने लगा।
दीदी भी अपनी टाँगों को आगे-पीछे करने लगी।

मैंने कुछ देर बाद अपना हाथ दीदी के पजामे के बाहर से ही दीदी की चूत पर रख दिया। दीदी का पजामा चूत के पानी से पूरी तरह गीला हो गया था।

दीदी की चूत के होंठ बहुत मोटे-मोटे थे जो कि पजामे के बाहर से दिख जाते थे। मैंने उन होंठों के बीच में उँगलियाँ रखीं और ऊपर-नीचे, आगे-पीछे करने लगा।

इससे वो इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि वो अपनी टांगों को सिकोड़ने लगी।
हम अभी भी किस ही कर रहे थे।

अब तक मैं भी पूरी तरह उत्तेजित हो गया था। मैंने दीदी की चूत के नीचे अपना पूरा हाथ रखा और वैसे ही दीदी को उठा कर दीदी के बिस्तर पर ले जाकर पटक दिया।

दीदी बिस्तर पर लेटी हुई थी और ज़ोर-ज़ोर से सांसें ले रही थीं। मेरा और दीदी का शरीर एकदम गर्म हो गया था।

अभी तक की भाई बहन सेक्स कहानी पर अपनी राय देना न भूलें।
मेरा ईमेल आईडी है nitinthakur75200@gmail.com

भाई बहन सेक्स कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।



मेरी गली की लौंडिया मुझसे चुदने को बेचैन

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हॉट गर्ल Xxx कहानी मेरे घर के पास की एक लड़की की कुंवारी बुर चुदाई की है. मैं उसे देखता था, वो मुझे देखती थी. एक दिन वो मुझे खाली सड़क पर दिखी तो …

नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम नील है. मैं पुणे से हूँ.

ये हॉट गर्ल Xxx कहानी काफी पहले उस वक्त की है, जब मैं स्कूल में पढ़ता था.

मेरे मकान से आगे एक लड़की रहती थी. मेरे स्कूल आने जाने का रास्ता उसके घर के बाजू से ही जाता था.
मुझे उसे देखना बड़ा अच्छा लगता था. मैं हर वक्त उसके घर के सामने से यही सोच कर निकलता था कि बस वो दिख जाए … और वो मुझे दिख भी जाती थी.

कुछ समय बाद तो ऐसे हो गया था कि मेरे निकलने के समय वो खुद व खुद अपने घर के बाहर मिलने लगी थी.
मैं बस उसे देखता और आगे बढ़ जाता था.
मेरे जाते ही वो भी अपने घर में चली जाती थी.
ये बात मैंने एक दो बार चैक भी की थी कि मेरे निकल जाने के बाद वो अन्दर चली जाती थी.

इस तरह से मैं अपने बचपन से ही उसे देखता आ रहा हूँ. बाद में मुझे किसी तरह से जानकारी हुई कि उसका नाम कल्पना था.

मेरी उम्र बढ़ती गयी और अब हम दोनों जवान हो गए. मैं कल्पना के घर के पास से जाता तो वो हमेशा मेरी तरफ देखती थी.
मैं उसके घर से आगे भी निकल जाता तो भी वो मुझे देखती रहती थी. मुझे उसके इस प्रकार से देखने की बात कुछ समझ नहीं आती थी.

उन दिनों मेरा एक दूर का भाई कुछ दिन हमारे यहां छुट्टी के लिए आया था.

कुछ दिन तक उसने भी मेरे साथ जाते समय कल्पना को नोटिस किया, फिर अकेले में मुझसे पूछा- भाई बात कहां तक पहुंची?
मैं उससे बोला- देख भाई, वो लड़की रोज देखती है. लेकिन मुझे ये पता नहीं है कि वो रोज क्या देखती है?
वो बोला- अबे साले चूतिए … वो रोज तुझे ही तो देखती है. वो तुझे पसंद करती है.

भाई की बात सुनकर अब मुझे सब समझ में आ गया था.

उसके घर से थोड़ी दूर पर खेत हैं और थोड़ा और आगे एक पहाड़ है. वहीं एक मंदिर है. साल में 2-4 बार या यूँ कहिए कि जब भी मन करता था, तो मैं वहा जाता था.

एक दिन मैं अकेले जा रहा था, तभी वो खेत के पास सड़क पर दिखाई दी … उसके आस-पास कोई नहीं था.

मैंने हिम्मत करके कल्पना से पूछा- कल्पना तुम हर रोज पलट कर क्या देखती हो?
वो बोली- तुम्हारे अलावा और कोई होता है वहां?
“नहीं तो ..”
“तो तुम्हें ही देखूंगी ना!”

“हां … पर तुम मुझे ही क्यों देखती हो?”
“क्योंकि तुम मुझे पसंद हो.”

उसकी इस तरह से बिंदास बात सुनकर मुझे कुछ अचरज हुआ.

फिर मैंने पूछा- तुम्हें पता है ये बात … तुम्हारे घरवालों को पता चली तो?

उसने मेरे करीब आकर मुझे देखा और एकदम से अपना मुँह आगे बढ़ा कर मेरे होंठों पर किस कर दिया.
उसके चुम्बन से मैं हड़बड़ा गया.

वो चुम्मा लेकर बोली- तुम्हें लगता है कि ये बात मैं घर वालों से कहूँगी?
मैंने बोला- नहीं.

हम दोनों एक दूसरे से बात करने लगे, तो वो मेरा हाथ पकड़ कर एक तरफ वीराने में ले गई. उधर बैठ कर हम दोनों ने एक दूसरे के बारे में जाना और काफी देर तक हमारी बातें हुईं.

फिर मेरा उस तरफ जाना बढ़ गया और उससे मिलना भी.

अब हम दोनों को जब भी मौका मिलता, तो खेत में या पेड़ के पीछे, या झाड़ी की आड़ में हम दोनों किसिंग कर लेते.

मुझे बूब्स दबाना कल्पना ने ही सिखाया. इससे आप समझ सकते हैं कि मैं कितना भोला लड़का था.

इसी तरह कुछ दिन बीत गए. सर्दियों का मौसम आ गया था.

एक दिन कल्पना ने मुझसे कहा कि 5 तारीख को घर के सब लोग रिश्तेदारी में शादी में है, तो बाहर जा रहे हैं. मैंने कुछ बहाना बनाकर खुद का जाना टाल दिया है. तुम 5 तारीख को मेरे घर आ जाना.

अब तक मैं भी वासना की आग को महसूस करने लगा था और मुझे खुद से कल्पना की चुदाई की आग सताने लगी थी.
कल्पना की इस बात से मैं बहुत खुश हो गया था.

आखिर वो दिन आ ही गया. पांच तारीख को हम दोनों उसके घर में मिले.

उस दिन उसने एक मस्त, फिट सलवार सूट पहना था. घर में अन्दर जाते ही हम दोनों हवस के भूखों की तरह किस करने लगे. हमारे होंठ जुड़ गए.
कभी कल्पना मेरे होंठ चूसती, तो कभी मैं कल्पना के होंठ चूसता.
हमारी जीभ एक दूसरे के मुँह में थीं और आपस में लड़ कर मस्ती कर रही थीं.

होंठ चूसते चूसते मेरे हाथ कल्पना के कमसिन उभारों पर चले गए. कल्पना के बूब्स चीकू की तरह छोटे छोटे थे.
धीरे धीरे मेरे हाथ उसकी चूचियों की गोलाइयां नापने लगे.

इतने में कल्पना ने मुझे दीवार से सटा दिया और मेरी आंखों में देखने लगी.

उसने मेरे माथे को चूमा और कहा- आई लव यू.
मैंने भी उससे कहा- आई लव यू टू कल्पना!

फिर उसने मेरे गाल पर, पलकों पर, गले पर किस करना चालू कर दिया.
मुझे चूमने के साथ ही साथ उसने मेरे लंड को कपड़ों के ऊपर से ही टटोला और लंड सहलाने लगी.

कुछ देर बाद उसने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मेरी छाती पर किस करते हुए मेरे निप्पलों को मसलने लगी.

उसने एक निप्पल को कुछ जोर से मींज दिया तो मेरी सिसकारी निकल गयी- आआऊऊच.
वो हंस दी और मेरे निप्पल पर जीभ फेर कर उसे चुभलाने लगी.

अब मैंने उसे दीवार से सटा दिया और उसकी सलवार कमीज उतार दी.
वो ब्रा पैंटी में मस्त माल लग रही थी.

मैं उसे अपनी बांहों में लेकर किस करने लगा और अपने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोलने लगा.
लेकिन उसकी ब्रा का हुक खुल ही नहीं रहा था.

कल्पना मेरी बेचैनी समझ गयी और हंसते हुए बोली- ये कल्पना की ब्रा है … इतनी आसानी से नहीं खुलेगी गब्बर.
मैं हंस पड़ा.

अब उसने खुद ही अपनी ब्रा खोली और उसने अपने चीकू मेरी तरफ तान दिए.
मैं लपक कर उसके रसीले बूब्स पर टूट पड़ा. किसिंग, निप्पल चूसना और काटना, बूब्स को जोर जोर से रगड़ना मुझे अच्छा लग रहा था.

उसी बीच मैंने अपना एक हाथ कल्पना की बुर पर फेर दिया. पता चला कि उसकी बुर गीली हो गयी थी. मैंने अपनी पूरी हथेली पैंटी के ऊपर से ही उसकी बुर पर रख दी.
कल्पना की पैंटी गीली हो गई थी.

पता नहीं, इस बात से मुझमें ऐसा क्या जोश भर गया था कि मैं उसको किस करते हुए ऊपर चला गया और जोर जोर से होंठों पर चुम्बन करने लगा, उसके होंठों को काटने लगा.

फिर मैंने अपना हाथ कल्पना की पैंटी में डाल दिया और बुर को प्यार से सहलाने लगा.

इधर कल्पना ने भी मेरा अंडरवियर निकाल दिया और वो नीचे बैठ गई.
मेरा लंड कल्पना के होंठों के सामने था.

उसने मेरे लंड के सुपारे पर एक किस किया ही था कि मेरे मुँह से ‘आह हहहह .’ निकल गयी और लंड ठुमके मारने लगा.
मेरे रोंगटे खड़े हो गए थे.

कल्पना धीरे धीरे करके मेरे लंड का आगे का हिस्सा चूसने लगी.
कुछ ही देर में वह पूरा लंड चाटने लगी और अचानक से उसने मेरा पूरा लंड अपने मुँह में भर लिया.

मुझे इस बात की जरा सी भी कल्पना नहीं थी कि कल्पना ऐसा करेगी. वो क्षण मेरे जन्नती सुख का पहला अहसास था.

कल्पना जोर जोर से लंड चूस रही थी. बीच बीच में वो मेरे लंड की गोलियां सहलाती जा रही थी और उनको चूस भी रही थी.

मुझे कुछ ही पलों में ऐसा लगा कि ये इस तरह से करती रहेगी, तो मैं जल्दी ही झड़ जाऊंगा. इसलिए मैंने उसे ऊपर उठाया और उसकी पैंटी उतार दी कर उसको बेड पर लिटा दिया.

अब मैं उसके होंठों पर किस करते हुए नीचे गर्दन पर किस करने लगा. फिर बूब्स पर किस किया, बाद में मैं नाभि में जीभ डाल कर चूसने लगा.

वो मचलने लगी तो मैंने कल्पना की दोनों टांगों को अलग करते हुए उसकी बुर पर किस कर दिया.
कल्पना एकदम से सिहर उठी.

मैं उसकी बुर को चाटने लगा. कसम से बुर चाटने में मुझे बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने उसकी बुर के होंठों को खोल कर अपनी जीभ बुर में घुसा दी और बुर चाटने लगा.

‘ओहह हहह … नील, ये क्या कर रहे हो … आउच … आहा हह ..!’
उसके मुँह से अलग अलग आवाज़ें निकलने लगीं.

उस पर सेक्स का नशा छा चुका था; वो बार बार बोल रही थी- प्लीज नील कुछ करो … नहीं तो मैं मर जाऊंगी.

मैंने उसकी बुर को चूसना छोड़ दिया और उसको लेटा दिया.
फिर मैं उसकी बुर के पास गया और उसकी बुर पर अपना लंड लगा दिया.

उसकी बुर गीली थी और मैंने उसको चाट कर और गीला कर दिया था. जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी बुर को खोलकर बुर की फांकों में रखा और धक्का मारा, तो लंड फिसल गया.

मैंने फिर से कोशिश की, लेकिन वही हुआ.
हम दोनों ही इस खेल में अनाड़ी थे. मैं भी पहली बार सेक्स कर रहा था और वो भी.

मेरे साथ साथ उसका भी चुदने का पहला अवसर था. इतना सब जो अब तक किया था, वो शायद ब्लूफिल्स देख कर ही कर लिया था.

कल्पना मेरे लंड के लिए तड़प रही थी. उसने अपनी बुर की फांकों को पकड़ कर खोला और मैंने लंड को बुर पर रख कर तेज धक्का दे मारा.

इस बार लंड सही दिशा में गया और उसकी बुर में घुस गया.
लंड बुर में घुसते ही उसकी चीख निकल गई.

मैंने बुर पर थोड़ा दबाव और डाला और लंड बुर में और अन्दर खिसक गया.
वो दर्द से कराहने लगी.

मैं लगा रहा और कुछ देर बाद मैंने उसकी टांगों को अपने पैरों के ऊपर करवाकर उसके ऊपर छा गया.
अब मैं उसके कोमल कोमल होंठों को चूमने लगा और उसकी चुचियों को सहलाने लगा.

कुछ देर बाद जब वो सामान्य हो गई, तो मैंने एक और धक्का लगाया.
मेरा लंड फट की आवाज़ करते हुए अन्दर चला गया.

इस बार वो और जोर से चीखी, लेकिन उसके होंठ मेरे होंठों में बंद थे … तो आवाज़ बाहर नहीं आई.

उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे, मैं लंड बुर में पेल कर रुक गया था.

दो मिनट में वो ठीक हो गई और अपने चूतड़ ऊपर नीचे करने लगी.
फिर मैं भी उसके ऊपर से उठ गया. लंड बुर के अन्दर ही था. मैंने उसी स्थिति में उसके एक पैर को अपने कंधे पर लिया, दूसरा पैर बेड पर फैलाया और उसको चोदने लगा.

वो ‘आह आह आह्ह्ह्ह ..’ की आवाज़ निकाल रही थी. लंड बार बार अन्दर बाहर हो रहा था.
हर धक्के के बाद मेरी चुदाई की रफ़्तार बढ़ रही थी.

मैं अपने चरमसुख पर पहुंचने ही वाला था कि कल्पना ने अपना कामरस छोड़ दिया.
उसके पहले कामरस की धार मेरे लंड पर लगी और उसकी इस धार ने मेरा रस भी निकाल दिया.

मैंने भी अपना रस उसकी बुर में निकाल दिया और हम एक दूसरे से लिपट कर लेट गए.
कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे और लंड अपने आप ही उसकी बुर से बाहर निकल आया.

मैंने देखा कि उसकी बुर से खून और वीर्य का मिश्रण बह रहा था.
उस दिन हम दोनों ने पहली चुदाई का मजा ले लिया था.

दस मिनट बाद हम दोनों की कामनाएं फिर से जवान होने लगीं और जल्द ही दूसरी चुदाई का दौर शुरू हो गया.

हॉट गर्ल Xxx के बाद मैं उसके घर से चला आया.

अब हम दोनों चुदाई के लिए स्थान खोजने लगे थे. कभी सुनसान खेतों में चुदाई शुरू हो जाती थी, तो कभी पहाड़ी की किसी आड़ में चुदाई अपना रंग बिखेरने लगती थी.

अब तो मैं कल्पना को नई नई स्टाइल में चोदने लगा था.
दूसरे ही हफ्ते मैंने कल्पना की गांड की चुदाई भी की और हम दोनों ने एक दूसरे का पानी का स्वाद भी ले लिया.

फिर चुदाई की और अधिक भूख लगने लगी तो मैंने कल्पना की कुछ सहेलियों के साथ भी मजे किए.

कल्पना की सहेलियों के साथ की सेक्स कहानी को मैं अगली बार लिखूंगा. अभी के लिए इतना ही.

मेरी हॉट गर्ल Xxx कहानी पर अपनी राय जरूर दें, जिससे मुझे आगे सेक्स कहानी लिखने की प्रेरणा मिल सके. आपके मेल की प्रतीक्षा रहेगी.
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