भाभी की भतीजी की कुंवारी चूत का उद्घाटन
वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी मेरी भाभी की भतीजी की सील तोड़ चुदाई की है. वो हमारे घर में ही रहती थी. मैं उसकी चुदाई करने की फिराक में था।
मेरा नाम अभय है और मेरी उम्र 25 वर्ष है।
मेरी लम्बाई 6 फीट है और शरीर भी अच्छा है। मैं शक्ल सूरत में भी ठीक ही दिखता हूं।
मैं आपको अपनी एक स्टोरी बताना चाहता हूं जो मेरे साथ ही घटित हुई थी।
ये वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी एक साल पहले की है।
मैं शुरू से बाहर पढ़ा हूं तो घर पर आना कम ही होता था।
मेरे घर पर भाभी की भतीजी रहती थी जिसका नाम शीतल था। उसकी उम्र साढ़े अठारह साल थी।
उसकी लम्बाई कम थी लेकिन फिगर 34-28-30 का था जिसे देखकर मौहल्ले के लड़के पागल रहते थे।
जैसा कि मैंने बताया कि मैं घर पर कम ही आता था। मगर जब भी आता तो शीतल को चोदने का मन करता था।
घर में आने के बाद मेरी नजर शीतल पर ही जाती रहती थी।
झाड़ू लगाते हुए वो जब झुकती थी तो उसके गोल गोल अमरूद मुझे लटकते दिख जाते थे।
मन करता था उसे पकड़ कर चोद दूं मगर फिर रिश्ते के ख्याल से रुक जाता था।
एक बार की बात है कि मैं घर आया हुआ था। घर वाले घूमने जाने का प्लान बनाकर बैठे थे। टिकट सब लोगों ने पहले ही बुक करवा ली थी।
मेरा जाने का कुछ तय नहीं था तो मेरी टिकट नहीं थी।
फिर मेरा जाने का तय हुआ तो उस वक्त पर टिकट नहीं मिली।
इसलिए मेरा जाना कैंसिल हो गया।
अब मेरे खाने पीने की देखभाल के लिए शीतल को घर में रहना पड़ा।
मेरे घर वाले मुझे बहुत शरीफ समझते थे इसलिए किसी को कुछ डर नहीं था।
सब लोग उस सुबह को चले गए।
पूरा दिन बहुत आराम से गुजरा। मेरे दिमाग में कोई गन्दा ख्याल नहीं था।
रात हुई तो वो दूसरे कमरे में जाकर लेट गई।
मैं अपने कमरे में आकर फोन चलाने लगा।
कुछ देर के बाद मेरा मन पोर्न देखने का हुआ तो मैंने पोर्न देखना शुरू किया तो मूड बनता चला गया।
मैं अपना लंड हाथ से सहलाने लगा।
लंड सहलाने में मैं इतना मस्त हो गया कि मैंने देखा ही नहीं कि कब कमरे का दरवाजा खुल गया।
उसने मुझे आवाज दी- चाचा … अकेले डर लग रहा है मुझे!
मैंने जल्दी से अपने लंड को अंदर किया और बोला- यहां आकर लेट जाओ।
तो उसने बोला- नहीं, आप बाहर मेरे रूम में लेट जाओ।
मेरे रूम में दीवान था और बाहर वाले रूम में डबल बेड था।
मैंने बोला- ठीक है … आता हूं।
अब वो कमर हिलाते हुए आगे बढ़ी।
मेरा लंड तो वैसे भी खड़ा था। मन में आया कि अभी पकड़ कर चोद दूं लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल कर लिया मैंने और जाकर उसके साथ लेट गया।
वैसे शुरुआत में हम दोनों एक एक साइड पकड़ कर लेट गये।
एक कोने में वो लेटी हुई थी और दूसरे कोने में मैं लेटा हुआ था।
आप सोच सकते हैं कि बगल में कोई जवान लड़की लेटी हो और घर में अकेले हों तो कैसे नींद आ सकती थी।
वैसे भी चुदाई की फिल्में देखकर मेरा मन चुदाई का बहुत हो रहा था। इसलिए बार बार शीतल की चुदाई के ख्याल ही आ रहे थे।
मेरे दिमाग में उसकी चुदाई का पूरा लाइव सीन चल रहा था और लंड मुझे बहुत परेशान कर रहा था।
मैं सोच रहा था कैसे शुरू करूं।
इसी उधेड़बुन में यही कोई एक घंटा निकाल गया।
तब तक वो पूरी तरह सो चुकी थी।
कुछ देर के बाद उसने करवट ली और मेरे करीब सरक आई।
अब मैं उसको देख रहा था। उसकी चूचियों के उभार मेरी उंगलियों को टिकने नहीं दे रहे थे।
मैं उसके बदन को छेड़ना चाह रहा था।
तो अब मैंने भी सोचा कि होगा जो देखा जाएगा।
अगर कुछ बोली तो बोल दूंगा कि नींद में हाथ रखा गया।
ये सोचकर मैं उसकी तरफ खिसक गया।
अब हम दोनों बहुत पास आ गए थे।
मैंने अपनी आंखें बन्द कर लीं और उसके पेट पर हाथ रख दिया। कुछ देर तक ऐसे ही मैं हाथ को रखे रहा।
फिर हाथ को ऊपर बढ़ाया और उसके सीने पर हाथ रख दिया।
उसका कोई रिएक्शन नहीं आया क्यूंकि वो बहुत गहरी नींद में सो रही थी।
मैं काफी देर तक ऐसे ही हाथ रखे लेटा रहा।
फिर मैंने हल्के हल्के उसे दबाना शुरू किया।
मैं ऊपर से ही उसकी चूचियों को हल्के हल्के दबा रहा था। मेरा हाथ अभी दोनों ही चूचियों पर रखा हुआ था।
मैं बस ये देखना चाह रहा था कि कहीं ये जाग तो नहीं रही।
मगर मेरे हाथ के दबाव देने के बाद भी वो सो ही रही थी।
धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ रही थी और मैंने एक हाथ उसके टॉप के अन्दर डालकर उसके पेट पर रख दिया।
कुछ देर तक मैं हाथ को रखे रहा। उसका नर्म पेट बहुत ही आनंद दे रहा था। फिर मैंने धीरे धीरे उसके पेट को सहलाना शुरू किया।
शायद पेट का हिस्सा बहुत संवेदनशील होता है इसलिए वो हिलने लगी।
मेरी फटने लगी … मगर मैंने हिम्मत नहीं छोड़ी।
मैं हाथ को रखे ही रहा और फिर उसके सोने के बाद धीरे धीरे से हाथ को उसकी चूचियों के ऊपर ले गया।
थोड़ी देर ऐसे ही रुकने के बाद मैंने मम्में दबाने शुरू किए।
शायद वो जाग चुकी थी लेकिन चुप थी।
मैंने अब हाथ टॉप से निकाल कर उसकी पैंटी में डाल दिया।
मेरा हाथ उसकी चूत पर रखा गया था और मैं जैसे पगला गया।
मैं अब खुद को रोक नहीं पाया और मैंने उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।
वो बोली- चाचा, ये क्या कर रहे हो आप?
अब मेरे ऊपर कामदेव सवार हो गए थे और मुझे चुदाई के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।
मैंने परिणाम की परवाह किए बिना उसके चेहरे को अपनी तरफ किया और उसके होंठों को चूसने की कोशिश करने लगा।
वो मुझे हटाने की नाम मात्र कोशिश कर रही थी लेकिन ये उसके बस में नहीं था। मैंने उसके चेहरे को पकड़े रखा और उसके होंठों को चूमता रहा।
साथ ही मैं नीचे से उसकी चूत को सहलाते हुए उसमें उंगली भी दे रहा था।
उसकी चूत में गीलापन आना शुरू हो गया और धीरे धीरे उसका विरोध भी बंद हो गया।
अब उसे मजा आने लगा। उसने अब मेरा हाथ हटाना बंद कर दिया और अपने बदन को ढीला छोड़ दिया।
वो गर्म होने लगी तो मैं उठा और उसका टॉप निकाल दिया। वो ब्रा नहीं पहनती थी रात में, तो जैसे ही उसके गोल गोल मम्में मेरे सामने आए मैं उन पर टूट पड़ा।
अब मैं इतने जोश में आ गया कि मैंने उसका लोअर और पैंटी एक ही साथ उतार दी।
मैंने उसको नीचे से नंगी किया और उसकी चूत को तेजी से रगड़ने लगा।
वो कसमसाने लगी और मैं उसके होंठों को जोर जोर से पीने लगा।
अब वो भी मेरे होंठों को अपने मुंह में खींचने की कोशिश कर रही थी, उसकी चूचियों को हाथ से सहला रही थी।
मुझसे अब रुका नहीं जा रहा था क्योंकि मेरा लंड बहुत देर से खड़ा हुआ था।
चूंकि अब चूमा चाटी करते हुए बहुत देर हो चुकी थी तो मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था।
तो मैंने सीधा उसे चोदना ही बढ़िया समझा क्यूंकि वो बोल तो कुछ नहीं रही थी मगर उसकी हरकतों से पता चल रहा था कि वह बहुत गर्म हो चुकी है।
उसकी चूत से पानी निकल रहा था।
मैंने भी अपनी जॉकी की अंडरवियर निकाली और सीधे उसकी टांगों के बीच में जाकर उसकी चूत पर लंड टिकाकर लेट गया।
मैं उसकी चूत पर लंड को रगड़ते हुए उसके होंठों को चूसने लगा।
वो भी मेरी पीठ पर हाथ फिराने लगी।
मैंने हाथ से पकड़ कर लंड को उसकी चूत के मुंह पर सेट कर दिया और वहीं पर एक धक्का दे दिया।
पहले धक्के में लंड अंदर नहीं घुसा।
फिर मैंने जल्दी से क्रीम उठाई और लंड के टोपे पर लगा दी।
मैं थोड़ी क्रीम उसकी चूत पर भी लगाई और फिर दोबारा से लंड के टोपे को उसकी चूत के मुंह पर सेट कर दिया।
लंड लगाकर मैंने एक धक्का लगाया तो थोड़ा सा लंड अंदर घुसा लेकिन उसकी चीख इतनी तेज निकली कि मैं डर गया।
उसकी चूत से खून निकलने लगा।
वो रोने बिलखने लगी- आईई मम्मी … ईई … ऊऊऊ … ओह्ह … निकालो चाचाजी! बहुत दर्द हो रहा है।
मैं उसके मम्में दबाने लगा ताकि दर्द कम हो जाए और कुछ देर तक ऐसे ही रुका रहा।
कुछ देर के बाद जब उसकी चूत का दर्द कम हुआ तो एक और झटके में मैंने पूरा लंड अंदर घुसा दिया।
उसकी चीख निकलने ही वाली थी कि मैंने अपने होंठों से उसके होंठ बन्द कर दिए लेकिन उसकी आंखों से आंसू निकल रहे थे।
मैं थोड़ी देर उसे ऐसे ही किस करता रहा और रुका रहा।
फिर धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरू किया।
अब उसे थोड़ा अच्छा लगने लगा था। तो मैंने अब चोदने की स्पीड बढ़ा दी।
मैंने उससे अपने ऊपर आने को बोला तो उसने मना कर दिया।
मैं उसको चोदता जा रहा था और अब वो भी मदहोश होती जी रही थी।
मैंने उसकी टांगों को उठा लिया और अपने कंधे पर रखकर चोदने लगा।
अब उसकी चूत में मेरा लंड अच्छे से समा रहा था।
चोदते हुए मैं देख रहा था कि मेरे लंड पर उसकी चूत का खून लग गया था। उसकी चूत की सील टूट गई थी।
मुझे उसकी चूत मारने में बहुत मजा आ रहा था।
वो भी मस्त होकर चुद रही थी।
हालांकि उसको दर्द का अहसास भी हो रहा था लेकिन चुदाई में मजा भी उतना ही आ रहा था।
फिर मैंने उसकी टांगों को छोड़ा और फिर से उसके ऊपर लेट गया।
मैं उसकी चूचियों को पीते हुए उसकी चूत में नीचे से धक्के लगाता रहा।
वो मेरी पीठ को जकड़े हुए थी। मेरे हर धक्के के साथ उसके मुंह से ऊंह … आह्ह … जैसी आवाजें निकल रही थीं।
चोदते हुए मुझे दस मिनट के लगभग हो गये थे। मेरा पानी अब छूटने वाला था। मेरी स्पीड अब हर पल बढ़ती जा रही थी। मेरा स्खलन बहुत करीब आ गया था।
मैं उसकी चूत में माल नहीं गिराना चाह रहा था मगर मजा इतना आ रहा था कि लंड को बाहर निकालना बहुत मुश्किल लग रहा था।
तो मैं उसकी चूत में झड़ना चाह रहा था।
फिर भी किसी तरह मैंने खुद को समझाते हुए उसकी चूत से लंड को एकदम से बाहर खींचा और लंड बाहर आते ही मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत के ऊपर ही छूट गयी।
उसकी लाल होकर फूल चुकी चूत पर मेरे लंड से सफेद गाढ़ा वीर्य गिरने लगा।
कई पिचकारियों ने उसकी चूत को जांघों के आसपास से नहला दिया।
सारा माल निकलने के बाद मैंने एक कपड़ा लिया और उसकी चूत को साफ कर दिया।
फिर मैं थक कर एक तरफ लेट गया।
उसके बाद मुझे कब नींद आई पता नहीं चला। वो भी शायद थक कर सो गयी थी।
सुबह उठकर देखा तो बेडशीट पर खून के धब्बे लग गये थे।
जब शीतल उठकर चलने लगी तो उससे चला नहीं गया। मैं उसे उठाकर वाशरूम तक ले गया और उसकी मदद की।
मैंने बेडशीट धुलने के लिए डाल दी। फिर मैंने चाय बनाई और फिर हमने साथ बैठकर चाय पी।
अब हम लोग काफी खुल चुके थे। ज्यादा बोल्ड नहीं थे लेकिन हमारे बीच अब वो बातें हो रही थीं जो पहले नहीं होती थीं।
घर वाले पांच दिन बाद आए। तब तक हमने खूब चुदाई की।
अभी भी कई बार जब मौका मिलता है तो मैं और शीतल चुदाई का मजा लेते हैं।
वो भी मेरे लंड की आदी हो गयी है। मुझे अकेला पाकर खुद ही मेरे लंड को छेड़ने लगती है और मैं उसके मुंह में लंड दे देता हूं।
जब घर में कोई नहीं होता तो उसे चोद भी देता हूं।
इस तरह से मैंने अपनी भाभी की भतीजी की कुंवारी चूत की सील तोड़कर मजा लिया।
अब उसकी चूचियां और भी अधिक रसीली हो गई हैं और उसकी गांड भी पहले से अधिक बाहर निकल आई है।
आपको मेरी ये सेक्स कहानी कैसी लगी आप मुझे अपने फीडबैक में जरूर बताएं। मुझे आप लोगों की राय का इंतजार रहेगा।
वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी लिखते हुए कुछ गलती हुई हो तो माफ करिएगा।
मेरा ईमेल आईडी है- abhayduvey@gmail.com
पहली बार चूत चुदाई की बेताबी- 1
अन्तर्वासना Xxx कहानी पढ़कर मेरे मन में मामी को चोदने के ख्याल आने लगे। हिम्मत करके मैंने मामी के चूचे दबा दिये और ननिहाल में कांड कर दिया।
दोस्तो, मेरा नाम असीम है। मैं इंदौर का रहने वाला हूं। मेरी उम्र 35 साल है।
मुझे बहुत पहले से अश्लील साहित्य पढ़ने का शौक है।
आज बहुत दिनों के बाद मेरी हिम्मत हुई कि मैं भी अपने कुछ अनुभव आप लोगों के साथ शेयर करूं।
मैंने अन्तर्वासना पर न जाने कितनी ही कामुक कहानियां पढ़ी हैं।
दोस्तो, पोर्न फिल्म देखने का अपना मजा है और सेक्स स्टोरी पढ़ने का अपना मजा है।
आप तो जानते ही हैं कि अन्तर्वासना इस क्षेत्र में सबसे पुरानी और अव्वल साइट है। अन्तर्वासना Xxx कहानी पढ़कर मुठ मारे बिना नहीं रहा जाता है।
अब मैं आपका ज्यादा समय नहीं लूंगा।
यह मेरी पहली कहानी है और उम्मीद करता हूं कि आपको ये पसंद आएगी।
यदि कहीं पर कुछ सुधार चाहते हैं तो बेझिझक आप कमेंट्स में लिख दें।
तो दोस्तो, शुरू करता हूं मेरी पहली कहानी।
ये तब की बात है जब मैं 24 साल का था। अश्लील कहानियां पढ़-पढ़कर, पोर्न देख-देखकर मेरा दिमाग़ दिन रात सिर्फ़ चुदाई के ख्यालों से भरा रहता था।
अब परेशानी ये थी कि आज तक किसी लड़की से बात करने की हिम्मत नहीं हुई थी मेरी … लड़की की चुदाई की बात तो बहुत ही दूर थी।
फिर एक दिन एक कहानी पढ़ी जिसके लेखक का नाम तो मैं भूल गया हूं मगर जिसमें उसने लिखा था कि कैसे उसने उसकी मामी की चूत का चबूतरा बना दिया।
इत्तेफ़ाक़ से उस दिन मैं अपनी नानी के घर ही रुका हुआ था।
उनका घर हमारे घर से ज्यादा दूर भी नहीं है। उनका घर दो मंज़िल का था।
नीचे नाना-नानी और बड़े मामा-मामी रहते थे और ऊपर वाली मंजिल में मंझले मामा-मामी रहते थे।
अब जो हमारी मंझली मामी थी वो कॉलेज में बहुत चर्चित थी। मुझे लगा शायद उन्हीं चीजों के लिए वो मशहूर थी जो लड़कों को चाहिए होती है।
चूंकि कहानी पढ़ने की वजह से मैं काफी गर्म हो गया था इसलिए मामी की चूत चोदने के ख्य़ाल आना तो लाज़मी था।
मैंने कभी उनसे ज्यादा बात नहीं की थी। पर मैंने सोचा कि चलो आज किस्मत आज़मायी जाए।
मैं उनके पास चला गया।
मुझे पता था कि मामा उस वक्त घर में नहीं थे। ऊपर जाकर देखा तो वो सफ़ाई कर रही थीं।
मुझे देख कर पूछने लगीं कि आज इधर का रास्ता कैसे भूल गया?
उनके माथे से बहता पसीना उनके गले से नीचे तक जा रहा था।
मैं बस वही देख रहा था। उनकी बात पर ध्यान भी नहीं दिया मैंने।
उन्होंने फिर से पूछा- ओ रंगीले, आज इधर कैसे?
मैंने हड़बड़ाहट में कह दिया- टीवी देखने आया हूं।
वो मुस्कराकर बोली- जा बेडरूम में देख ले, वहां है।
मैं अंदर गया और जाकर टीवी चालू की और एक बेकार सी फ़िल्म देखने लगा।
थोड़ी देर में वह बेडरूम में झाड़ू लेकर आ गई।
झाड़ू लगाते वक़्त वो झुकी हुई थी। उनकी वक्ष रेखा उनके कुर्ते का गला बड़ा होने के कारण अंदर तक दिख रही थी।
मैंने अपने जीवन में अब तक की सारी हिम्मत जमा की और कुछ कहे बग़ैर उनके बड़े बड़े मम्में दबा दिए।
वो एकदम से चिल्लाई- आह्ह!!
मैं समझ सकता था कि इस तरह के अचानक हमले के लिए शायद कोई भी लड़की या औरत तैयार नहीं हो सकती थी।
मगर मैं सेक्स करने की आग में जल रहा था; मैंने किसी बात की परवाह नहीं की।
मैं फिर से मामी के मम्मों को पकड़ कर दबाने लगा। मैंने जीवन में पहली बार किसी महिला के बूब्स दबाए थे।
बूब्स इतने नर्म और गदरीले होते हैं मुझे ये उस दिन पहली बार पता चला था।
मगर मेरा ये कामुक अहसास ज्यादा देर तक टिक नहीं पाया क्योंकि मामी ने मुझे झाड़ू से मारना शुरू कर दिया।
वो गाली देते हुए मुझे पीटने लगी- भड़वे, हरामी! अपनी मामी पर ही हाथ डाल रहा है, मैं तेरी हड्डियां तोड़ डालूंगी!
एक बहुत ज़ोर का झाड़ू का वार मेरे सिर पर पड़ा तो मैं वहां से मौका देख कर भाग लिया।
उन्होंने मुझे झाड़ू फेंककर मारने की भी कोशिश की मगर मैं किसी तरह से बचते हुए भाग निकला।
अब मेरी गांड फटी हुई थी और मैं नानी के घर में नहीं रुक सकता था।
मैं उसी दिन वहां से चला आया।
दूसरे दिन मुझे पता था कि हंगामा होने वाला है।
मां को नानी का फोन आया जिसमें उन्होंने मां को फौरन बुलाया था।
इससे मैं समझ गया कि बात अब हाथ से निकल गयी है।
वो मुझसे पूछने लगी- क्या किया तूने?
मैंने बहाना बना दिया- कुछ भी नहीं किया मैंने तो। बस वहां दिल नहीं लग रहा था इसलिए वापस आ गया।
मैं समझ गया था कि अब मेरा वारंट निकलने वाला है।
मम्मी ने कहा- चल मुझे छोड़कर आ वहां!
मैंने कह दिया- मुझे मेरे दोस्त के पास जाना है, तुम्हें बस स्टॉप तक छोड़ देता हूं।
वो तैयार हो गई और फ़िर मेरे दिमाग़ में घर छोड़कर भागने का ख्याल दौड़ने लगा।
उन्हें बस स्टॉप पर छोड़ कर दोस्तों से मैंने कुछ रुपए उधार लिए और फिर फरार हो गया।
किसी दूसरे शहर में 3-4 दिन गुजारने के बाद मैंने सोचा कि मामला ठंडा हो गया होगा।
फिर भी दिल की तसल्ली के लिए इंटरनेट पर अपने शहर का न्यूज़ पेपर ढूंढकर पढ़ने लगा कि कुछ खबर आए मेरे बारे में।
आखिरकार 8-10 दिन बाद ख़बर आई।
उसमें मां और पिताजी की अपील थी कि घर आ जाओ, कोई कुछ भी सवाल नहीं करेगा।
मैं वापस घर आ गया। मैं भी यही चाहता था कि वो लोग मेरे घर पर जाने पर मेरी धुलाई न करें।
2-3 हफ़्ते गुजरने के बाद मैंने सोचा कि पता तो चले कि मेरे पीछे आख़िर हुआ क्या?
उसके लिए मैंने बड़े भाई से पूछा तो उन्होंने बताया- नाना-नानी के वहां से मां ने हमेशा के लिए रिश्ता तोड़ लिया है। उन्हें यकीन नहीं था कि तूने ऐसा किया है इसलिए उनसे लड़कर आ गई थी माँ। जब तुझे घर पर नहीं देखा तो वो समझ गई कि तूने सच में वैसा ही किया होगा।
मैं- वैसा? वैसा कैसा किया होगा?
भाई बोला- साले कमीने, हाथ डालने के लिए भी तुझे मामी ही मिली थी? वो कॉलेज में 3 लड़कों को इसी वजह से निकलवा चुकी है।
अब धीरे धीरे मुझे समझ आ गया कि क्या गलती की थी मैंने!
लगभग पूरे ननिहाल में मैं बदनाम हो चुका था और मेरे साथ मेरी मामी भी, जिनकी कोई गलती नहीं थी।
लोगों को भी ऐसी बातों में मज़ा ज़्यादा आता है। चटखारे लेकर सुनाते हैं और उस पर फिर मिर्च-मसाला अलग।
फिर कुछ दिनों के बाद मेरे फोन पर एक नये नंबर से मिसकॉल आयी।
मैंने पहले तो इग्नोर किया लेकिन जब 2-3 बार हुआ तो मुझे कुछ गड़बड़ लगी।
मैंने पता करने की कोशिश की कि नंबर किसका है। वो नंबर मां के मोबाइल में लिखा तो पता चला कि मेरे नाना के बड़े भाई के बड़े बेटे की लड़की का नंबर था।
उसका नाम रंजीता था। उम्र उसकी 20 साल थी। अब क्योंकि मैं दूध का जला था, इसलिए कोई भी विचार मन में लाने से पहले थोड़ी जानकारी जमा की।
उसे देखा हुआ था मैंने और जानता तो पहले से था।
मन में वासना जो पहले कहीं छुपी थी और सारे लफड़ों की वजह से शांत हो गई थी, फ़िर से हिलौरें मारने लगी।
मगर अबकी बार परेशानी ये थी कि नानी के घर जा नहीं सकता था और मां ने मेरी वजह से रिश्ता तोड़ रखा था।
ये सब मैं अभी से सोचने लगा था।
फिर सोचा कि एक बार बात तो करके देखूं!
सारी हिम्मत इकट्ठा करके मैंने फोन लगाया।
उसने उठाया नहीं तो मैं समझ गया।
20-25 मिनट बाद ‘हाय’ वाला मैसेज आया।
अब मैं चैट की बात बताकर आपका टाइम खराब नहीं करूंगा।
सीधे काम की बात पर चलते हैं।
मेरी बदनामी ने मेरे लिए चूत का इंतज़ाम कर दिया था, वो भी एक कुंवारी चूत।
मगर समस्या अब नानी के साथ सम्बन्ध सुधारने की थी।
थोड़ा सा रूआंसा मुंह लेकर मैं मां के पास गया और फिर पहले उनसे माफ़ी मांगी।
थोड़ा रोने धोने की नौटंकी भी की।
वो भी मेरे साथ रोने लगीं।
फ़िर मैंने कहा कि मैं सबसे माफ़ी मांगने के लिए तैयार हूं।
2-3 दिन मम्मी को पापा को भी समझाने में लग गये।
आखिर में मेरे घर में सबने माफी मांगने की बात स्वीकार कर ली।
फिर एक दिन मैं नानी के घर गया; मामा और मामी से माफी मांगी।
मैंने कहा- जवानी में गलती हो गयी, बाद में मुझे बहुत पछतावा हुआ।
मेरी नौटंकी पर विश्वास करने के बाद उन्होंने मेरी गलती को माफ तो कर दिया मगर साथ ही एक शर्त भी रख दी।
उन्होंने कहा- मुझे छोड़कर बाकी सब लोग पहले की तरह नानी के घर आ-जा सकते हैं।
शुरू में तो लगा कि यहां मेरा दांव फेल हुआ, मगर हुआ ठीक उसका उल्टा।
अब रंजीता और मेरी बात होती रही।
उसके बूब्स के नाप से लेकर उसके आधार कार्ड का नंबर तक मुझे याद हो चुका था।
एक दिन मेरी मां और बड़े भाई तथा भाभी सब नानी के घर दावत के लिए गए।
मैं घर पर अकेला रहने वाला था।
मैंने और रंजीता ने प्लान बना लिया।
उसने घर पर सहेली के घर जाने का बहाना बना दिया।
फिर मैं सीधा रंजीता को उसके घर के पास लेने चला गया।
वो पीले रंग की कुर्ती और सफेद सलवार में थी। उसे पता था कि पीला मेरा पसंदीदा रंग है।
उसको बाइक पर बिठाने से पहले मैं उसके मम्में सड़क पर खड़े हुए ही दबाने लगा क्योंकि मेरे और उसके चेहरे पर रुमाल बंधा था इसलिए पहचाने जाने का कोई डर नहीं था।
मज़े की बात ये थी कि वो भी बीच सड़क पर होने के बावजूद मेरा हाथ अपने बूब्स से नहीं हटा रही थी।
थोड़ी देर में जब उसे लगा कि वो अपना कंट्रोल खो देगी तो उसने मुझे रोका।
फिर मैंने उसे गाड़ी पर बिठाया और घर से थोड़ी दूर पहले ही उतार दिया।
उसे मैंने पीछे के दरवाज़े से बिना खटखटाए सीधा अंदर आने को कहा।
घर पर आया तो देखा पापा घर पर ही थे।
मेरे पैरों तले जमीन खिसक गयी। सारे अरमानों पर पानी फिर गया था।
मैंने भी सोच लिया था कि आज इतने दिनों के बाद पहली बार चूत मिलने जा रही है तो मैं आज पीछे नहीं हटने वाला।
उन्होंने मुझे किचन में जाकर खाना खाने के लिए कहा।
घर का पिछला दरवाज़ा किचन के करीब ही खुलता है।
रंजीता चेहरे पर रूमाल बांधे हुए थी इसलिए पहचाने जाने का डर नहीं था।
उसके दरवाज़ा खोलने से पहले ही मैं दरवाजे पर आ गया।
उंगली से मैंने उसे खामोश रहने का इशारा किया उसे और अंदर लेकर सीधे किचन में ले गया।
वहां जाते ही उसने मेरे लन्ड को अपने हाथ में पकड़ लिया।
वो पहले से ही तना हुआ था।
उसने धीरे से मेरे कान में कहा- आज तो इसकी लॉटरी लग गयी।
मैंने किसी तरह अपनी हंसी काबू में की और उसका रूमाल हटाया और उसे किस करने के लिए आगे बढा़।
इससे पहले कि उसे किस करता मेरे हाथ पैर कांप रहे थे और उसके भी!
उसकी छाती मेरी छाती से सटी हुई थी।
तभी उसने मेरा लन्ड छोड़कर अपने हाथों से अपना चेहरा छुपा लिया।
मैंने अपने दोनों हाथों से उसके दोनों हाथ उसके चेहरे से हटा दिए।
वो आंखें मींचे मेरे सामने खड़ी थी।
फिर उसके दोनों हाथ अपने एक हाथ में लेकर मैंने उसकी ठुड्डी ऊपर करके उसका चेहरा अपनी आंखों के सामने ऊपर किया।
अब उसने धीरे से हिम्मत करके अपनी आंखें खोलीं। फिर मुझे देखकर मुस्कराई।
इस पल में मैं उलझ गया था। मेरी वासना अब कैसे प्यार में बदल गई थी मैं सोच नहीं पा रहा था।
मैं सब कुछ भूलकर बस उसे कसकर सीने से लगाए खड़ा था।
दिल कर रहा था कि बस वक्त हमेशा के लिए यहीं थम जाए।
तभी पापा के पैरों की आहट सुनाई दी।
उसे मैंने फौरन दरवाज़े के पीछे कर दिया।
पापा ने आकर कहा- खाना खाकर फ्रिज में रख देना। मैं दुकान पर जा रहा हूं। वहीं से तेरी नानी के घर चला जाऊंगा। रात का खाना बाहर से लेकर कुछ खा लेना। अपना और घर का ध्यान रखना।
मैंने जवाब में कहा- ठीक है पापा!
जैसे ही वो घर से निकले मैंने जाकर पहले दरवाज़ा अंदर से बन्द किया और वापस उसके पास किचन में आ गया।
अब उसकी शर्म और झिझक थोड़ी कम हुई।
मैं भी अब थोड़ा बेसब्र सा हो रहा था क्योंकि अब घर में हम दोनों के सिवाय कोई नहीं था।
आपको मेरी अन्तर्वासना Xxx कहानी कैसी लगी मुझे बताना जरूर दोस्तो! मुझे आपके रेस्पोन्स का इंतजार रहेगा।
मैंने अपने पहले सेक्स में कैसा अनुभव किया वो आप अगले भाग में जानेंगे।
मेरा ईमेल आईडी है aseemer@outlook.com
अन्तर्वासना Xxx कहानी अगले भाग में जारी रहेगी।
जेठजी संग मस्ती भरी सुहागरात- 2
जेठ बहू की चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैं सेक्स के लिए अपने जेठ से सेट हो गयी. एक दिन हमें चुदाई का मौक़ा मिला तो जेठ जी ने मुझे दुल्हन बनने को कहा.
यारो … मैं प्रिया अपनी सेक्स कहानी में आपको अपने जेठ जी के साथ चुदाई की कहानी में सुना रही थी.
जेठ बहू की चुदाई कहानी के पहले भाग
मैं सेक्स के लिए अपने जेठ से सेट हो गयी
में आपने पढ़ा कि कि जेठ जी मुझे गेस्टरूम में जाकर सुहागरात के लिए तैयार होने की कह कर अन्दर चले गए थे.
अब आगे जेठ बहू की चुदाई कहानी:
यह कहानी सुनें.
गेस्टरूम में जाकर मैं दरवाजा लॉक करके तैयार होने लगी. पहले मैं अच्छे से नहा कर आई और फिर अपने शादी का लाल रंग का लहंगा निकाला, मैचिंग का बैकलेस लाल ब्लाउज़ लिया और अपने सारे गहने निकाल कर तैयार होने लगी.
मैंने सारे कपड़े पहने, अपने सारे गहने पहने और अपने खुले बालों को संवार कर हल्का सा मेकअप किया, होंठों पर लाल रंग की लिपस्टिक लगाई. माथे पर सुहाग की बिंदिया भी लगायी.
पूरी तरह से दुल्हन जैसी सजने के बाद मैंने अपने आपको शीशे में देखा तो वाकयी मैं किसी हूर से कम नहीं लग रही थी.
जब मैं तैयार हो गई, तो मैंने अपने जेठ जी को फोन किया.
इस पर वो बोले- मैं छत पर हूँ, तुम बेडरूम में जाकर मेरा इंतजार करो. मैं दस मिनट से आता हूँ.
मैं गेस्टरूम से निकल कर बेडरूम की तरफ चल दी.
मैंने जैसे ही बेडरूम का दरवाजा खोला तो रूम को देखकर मैं दंग रह गई क्योंकि रूम पूरी तरह से फूलों से सजा था.
बेड को तो सुहागरात की सेज की तरह सजाया हुआ था.
तभी मुझे फोन आया- कैसा लगा?
मैं बोली- मैं नहीं जानती थी कि आप इतने रोमांटिक हो … चलिये अब जल्दी आ जाइए.
मैं बेड पर जाकर इस तरह बैठी कि जैसे कोई नई नवेली दुल्हन बैठी हो. मैंने अपनी चुनरी से घूंघट ले लिया.
जेठ जी कमरे में आए, उन्होंने मुझे दुल्हन सा बैठा देखा तो मेरे पास बेड पर आ गए.
उन्होंने कहा- मैंने कभी सोचा ही ना था कि पहली बार में मैं इस तरह तुम्हारे साथ मिलूंगा.
मैं एकदम शांत थी. उन्होंने मेरा घूंघट उठाया, तो मैं शर्मा गई और अपने चेहरे को झुका कर छिपा लिया.
इस पर वह बोले- मैं इस चेहरे को देखने के लिए कुछ भी कर सकता हूं.
जेठ जी ने मेरे हाथों को मेरे चेहरे से अलग कर दिया.
मैं एक कातिलाना मुस्कान से उनकी ओर देख रही थी.
उन्होंने मेरे हाथों को दोनों हाथों को एक साथ लेकर चूमा और कहा- आज मैं वाकयी बहुत खुशनसीब हूं कि आज तुम मेरे साथ हो. मैंने कभी जिसके बारे में सोचा तक ना था, वो मेरी अंकशायिनी बन रही है.
ये कह कर जेठ जी आगे बढ़े और उन्होंने मेरे होंठों पर हल्का सा चूम लिया.
मैं शर्मा गई और मैंने अपने आपको उनके हवाले कर दिया.
उन्होंने मेरी चुनरी को मेरे सर से नीचे गिरा दिया और मेरे बालों को हाथ लगाते हुए बोले कि इस रूप में आज तक मैंने तुम्हें अपने इतने करीब नहीं देखा.
मैंने उनके हाथों को बालों से अलग किया.
उन्होंने अपने हाथों को मेरे पैरों की उंगलियों पर रख दिए और सहलाने लगे.
मैं बस शर्मा रही थी.
वो मेरे गोद में सर रखकर लेट गए और हम दोनों बात करने लगे. बीच बीच में वो मेरे चेहरे को, तो कभी बालों को, तो कभी मेरे मम्मों पर हाथ फेर देते और मैं अदा के साथ उनके सामने शर्मा जाती.
फिर वो उठे और बोले- मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूं.
उन्होंने मुझे भी बेड से नीचे उतरने के लिए कहा.
मैं उतरने लगी तो जेठ जी ने उतरने में मेरी मदद की.
वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे कमरे में लगे दर्पण के सामने ले गए.
जेठ जी ने मुझे शीशे के सामने खड़ा कर दिया और मेरे पीछे खड़े हो गए. पीछे से मेरे हाथों पर हाथ रखकर सहलाने लगे.
मैं बोली- जान … आज की मेरी मुँह दिखाई कहां है?
इस पर वो बोले- कुछ देर में वो भी तुम्हें दे दूंगा, जो कि तुम्हें जीवन भर याद रहेगा. तुम उस उपहार को कभी नहीं भूल पाओगी.
उन्होंने आईने की तरफ देखकर कहा.
मैं भी आईने की तरफ से उन्हें देख रही थी.
जेठ जी ने कहा- आखिर मैं इस चेहरे को इतना प्यार करता हूं, इसके लिए मैं सारी मर्यादा भूल चुका हूँ. आज इस रूपवती को मैं एक ऐसी गिफ्ट दूंगा जो तुम्हारे साथ जीवन भर रहेगी.
उन्होंने मेरे बालों को छितरा दिया और हाथों से बालों को आगे की ओर करके मेरी गर्दन पर किस करना चालू कर दिया.
मैं तो उनकी उनके इस किस करने के तरीके से एकदम से मचल गई और अपने हाथों को उनके हाथों से अलग करने लगी.
लेकिन उनकी पकड़ कुछ ज्यादा ही मजबूत थी. मैं जेठ जी से खुद को छुटा ही ना पाई.
इस प्रकार हमारी किस से शुरुआत हुई. उन्होंने आगे बढ़ते हुए मेरे बैकलेस ब्लाउज को अपने होंठों से छुआ.
मेरी पीठ एकदम नंगी थी.
जेठ जी ने मेरी नंगी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया. अभी भी वे मेरी पीठ पर किस करना चालू किए हुए थे और अपने दोनों हाथों से मेरे हाथों को भी पकड़े हुए थे.
हमारे किस का सिलसिला कुछ समय लेते हुए चल रहा था.
वे और नीचे आ गए. जेठ जी ने अब मेरी कमर पर भी किस करना चालू कर दिया.
मेरी तो चूत में पानी आना चालू हो गया था. मुझसे रहा भी नहीं जा रहा था और सहा भी नहीं जा रहा था.
तभी वह ऊपर की ओर हुए और उन्होंने मुझे अपनी ओर घुमा लिया.
मेरे बालों को पीछे करते हुए मेरी गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया.
जेठ जी की इस अदा से मैं उन पर फिदा हो गई.
कुछ समय बाद वह और नीचे आ गए.
ब्लाउज के ऊपर से मेरे मम्मों पर किस किया … तो मैं गनगना उठी.
फिर जेठ जी ने मेरी कमर पर सर रखकर कुछ देर आराम किया और एक-दो किस भी की.
फिर जेठ जी मेरे चेहरे की ओर बढ़े.
उन्होंने मेरे चेहरे पर किस करते हुए मेरे माथे, आंखों और मेरे होंठों पर भी किस किए.
मैं तो बस उनकी ओर देख रही थी कि कितना शांत किस्म का मर्द है ये आदमी … और कोई होता तो अब तक झपट्टा मारकर मेरे जिस्म को नौंचने लगता.
जेठ जी की इसी अदा पर मुझे उन पर प्यार आने लगा था. इतना प्यार तो मेरे पति ने भी मेरी सुहागरात पर नहीं किया था.
अब उन्होंने मेरे सारे गहने वहीं उतारना चालू कर दिए और एक एक गहने को उतार कर उस जगह को किस करते.
फिर जेठ जी मेरे आगे हुए और मुझे अपनी गोदी में उठा कर बेड की ओर ले गए.
जब जेठ जी ने मुझे अपनी गोदी में उठाया तो मैं शर्मा गई.
मैंने अपने दोनों हाथ हवा में कर दिए थे जो हवा में लहरा रहे थे.
हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्कुरा भी रहे थे, आंखों ही आंखों में बातें हो रही थीं.
मुझे लेकर जेठ जी ने मुझे बेड पर डाल दिया. बेड पर गिरते ही मैं घूम गई और मेरी पीठ उनकी ओर करके मैं मुस्कुराने लगी.
मैं उनकी ओर देखने लगी और उन्हें आंखों से इशारा दिया कि आइए आपकी प्रिया आपका इंतजार कर रही है, मना लीजिए सुहागरात अपनी प्यारी प्रिया के साथ, जिसका कि हम दोनों को कब से इंतजार था.
वह तुरंत ऊपर से मेरे पीठ पर आ गए. मेरे बालों को एक साइड करके उन्होंने मेरे बैकलेस ब्लाउज की डोरी को पीछे से खोल दिया.
मैंने अपनी नजर सामने की ओर कर ली.
जेठ जी मेरी पूरी पीठ पर हाथ को घुमाते सहलाते हुए नीचे ले गए.
वो मेरी कमर को सहला रहे थे और फिर वो मेरे लहंगे के ऊपर से मेरे से मेरे पैर की ओर आने लगे थे.
जेठ जी मेरे लहंगे को मेरे घुटने तक लाने लगे.
मैंने लहंगे के अन्दर कुछ नहीं पहना था तो मुझे अब शर्म आ रही थी. इसलिए मैं जल्दी से पलट गई और अपनी बांहें फैला दीं.
वो जल्दी से मेरे ऊपर आ गए और उन्होंने सीधे मेरे होंठों पर होंठ रख दिए.
हम दोनों के बीच स्मूच चालू हो गया.
कब मेरी और उनकी जीभ आपस में मिल गईं, इस बात का पता ही नहीं चला.
हम दोनों कब एक दूसरे के ऊपर नीचे होते रहे, कोई होश ही नहीं था.
इस दौरान हमारा स्मूच बदस्तूर चलता रहा. उनके हाथों से मेरी पीठ, चेहरे और मेरे मम्मों को दबाना चलता ही रहा.
काफी समय बाद हम अलग हुए.
मैंने देखा कि उनके चेहरे पर मेरी लिपस्टिक लगी थी.
मैं मुस्कुरा रही थी.
जेठ जी ने अब मेरे ब्लाउज को मेरे हाथों से अलग कर दिया.
मैं अपने मम्मों के ऊपर हाथ रखकर उन्हें छुपा रही थी क्योंकि मैंने ब्रा नहीं पहनी थी.
अब वो नीचे आ गए और मेरे लहंगे को नीचे से खींचकर अलग कर दिया.
मैं एक हाथ से अपने मम्मों को ढके थी और एक हाथ से नीचे अपनी चूत को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
जेठ जी बेड से नीचे उतरे और उन्होंने जल्द ही अपने सारे कपड़े भी उतार दिए.
वो मेरे पास आए और मेरे सारे शरीर को फिर से किस करने लगे. वो मुझे पलटाकर भी किस कर रहे थे.
मेरे बाल पूरे बिखर चुके थे.
हम दोनों एक दूसरे के शरीर की गर्मी का अहसास कर रहे थे.
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था; मैंने कहा कि अब मुझसे रहा नहीं जा रहा … आप डाल दीजिए.
इस पर जेठ जी ने जल्दी से मेरी टांगों को फैलाया और बीच में आ गए.
जेठ जी मेरी चूत पर अपना लंड रगड़ने लगे.
वो मेरे दोनों हाथों को पकड़कर बोले कि अब हमारा पूरा मिलन होने का पल आ गया.
बस इतना कहा और जेठ जी ने एक झटका दे मारा.
उनका आधा लंड मेरे अन्दर चला गया.
मेरे चेहरे पर दर्द भरी मुस्कान थी.
उन्होंने एक और झटका जोर से मारा, उनका पूरा लंड मेरी चूत में चला गया.
मैं थोड़ा तिलमिलाई लेकिन इतना उनके झटके को सह गई.
फिर क्या था … उन्होंने धीरे-धीरे अपना लंड चूत में अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
मुझे भी मज़ा आने लगा, मैंने उनको भी झटके देना शुरू कर दिए.
उन्होंने मेरे हाथों को छोड़ दिया और मैंने अपने हाथों से उनकी कमर को पकड़ लिया.
जेठ जी के धक्कों की स्पीड बढ़ती ही जा रही थी.
मैं अपनी गांड उठाते हुए मजा ले रही थी और कह रही थी- आह और जोर से और जोर से!
सारा कमरा हमारी कामुक आवाजों की वजह से गूंजने लगा था. लंड चूत की टकराहट से फच फच की आवाज बढ़ती जा रही थी.
हमारी चुदाई का कार्यक्रम करीब 20 मिनट तक चला होगा.
जेठ जी बोले- प्रिया मेरा निकलने वाला है.
मैंने कहा तो निकाल दीजिए न … किसने रोका है!
वो मुझे चूमते सटासट चुदाई में लग गए और मेरी चूत में ही अपने लंड के माल को निकाल कर मेरे ऊपर निढाल हो गए.
हमारा पहला राउंड कंप्लीट हो गया था.
करीब 15 मिनट रेस्ट करने के बाद जेठ जी का लंड फिर से तैयार हो गया.
इस बार उन्होंने कहा कि वह आगे से नहीं, मेरी पीछे से लेंगे.
मैंने भी मुस्कुरा कर उन्हें इस बात की अनुमति दे दी.
उन्होंने मुझे पीछे को घुमाया और घोड़ी बनाकर मुझे करीबन 15 मिनट और चोदा.
दूसरा राउंड कंप्लीट करने के बाद हम दोनों सो गए.
बीच में रात को भी उन्होंने मुझे दो बार और चोदा.
सुबह 6:00 बजे जब हमारी नींद खुली, तब वह मेरे मम्मों के ऊपर मुँह डाले सोए हुए थे.
मैं उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होने के बाद तैयार होने लगी.
मैंने उन्हें भी उठाया और मुझे हल्का प्यार करने के बाद वह मुझे घर छोड़ने के लिए आ गए.
इस तरह हमारी पहली मिलन की रात पूरी हुई जिसमें काफी मजा आया.
जेठ जी ने मेरी कोख में अपना बीज डाल दिया था जो उनका जीवन भर साथ रहने वाला उपहार था.
दोस्तो, आपको मेरी यह जेठ बहू की चुदाई कहानी कैसी लगी. प्लीज़ मेल कीजिएगा.
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मेरे बॉयफ्रेंड से मेरी दोनों बहनें चुद गईं- 2
BF GF सेक्स कहानी मेरी पहली चुदाई की है कि कैसे मैंने एक लड़के को पटाया, उसका लंड चूसा. फिर उसने कैसे मेरी सीलबंद चूत फाड़ी? आप मजा लें कुंवारी चूत का!
हैलो फ्रेंड्स, मैं मानसी रावत अपनी BF GF सेक्स कहानी के पिछले भाग
क्लास का नया लड़का मुझे भा गया
में आपको अपने ब्वॉयफ्रेंड के संग अपनी बहनों की चुदाई की कहानी में लिख रही थी कि मैं अपने आशिक आशीष के साथ खुलने लगी थी.
अब आगे BF GF सेक्स कहानी:
यहाँ कहानी सुनें.
फिर एक दिन हम साथ में कॉलेज आये, उस दिन सुबह से ही मेरा पढ़ने का मन नहीं था. मौसम भी बहुत अच्छा था बादल भी घिरे हुए थे. कुछ रोमांटिक सा मौसम था.
मैंने आशीष से कहा- यार आज पढ़ने का मूड नहीं है … कहीं घूमने चलें!
उसने मुझे साफ मना कर दिया और बोला- नहीं, क्लास जरूर लेंगे.
मैं निराश हो गई और उसके साथ क्लास में आ गयी.
कुछ देर बैठने पर पता चला कि आज हमारी मैडम आयी नहीं हैं, तो मैंने उससे फिर से ज़िद करनी शुरू कर दी.
इस बार वो मान गया.
अब हम दोनों स्कूटी से हाईवे की तरफ घूमते हुए आ गए. इसी बीच बारिश की हल्की बूंदें भी गिरने लगीं.
मैं बिना रुके चलती रही, लेकिन तभी एकाएक बारिश बहुत ही ज़्यादा तेज़ होने लगी और हमको मजबूरी में रुकना पड़ा.
हम दोनों हाईवे के किनारे बनी सर्विस रोड पर आ गए, जो एकदम खाली थी. इतनी तेज बारिश के वजह से और भी ज्यादा सन्नाटे से भरी थी.
उधर हम दोनों एक पेड़ के नीचे रुक गए. लेकिन तब तक मैं और आशीष पूरी तरह भीग गए थे और हम दोनों के कपड़ों से पानी टपक रहा था.
उस दिन मैंने सफेद रंग की एकदम पतली सी शर्ट पहनी थी, जिसमें से मेरी पिंक ब्रा दिख रही थी.
नीचे मैंने लैगिंग्स पहनी थी, जो वैसे ही टाईट होती है. भीगने की वजह से उसमें से मेरी पैंटी भी दिखने लगी.
ऊपर का मेरा पूरा शरीर साफ दिखने लगा और छोटी सी ब्रा भी मेरे मम्मों को छिपाने में नाकाम साबित होने लगी.
आशीष भी भीग गया था. हम कुछ सोच ही रहे थे कि बारिश और तेज़ हो गयी.
हम जिस पेड़ के नीचे खड़े थे, उसमें से भी बहुत तेज़ पानी आने लगा. आशीष कोई दूसरी जगह देखने लगा.
वो मुझसे बोला- वो सामने कुछ दूर पर एक कमरा जैसा कुछ है, हमको उसी में चलना चाहिए … वहां पानी नहीं आएगा.
मैंने हामी भर दी, तो उसने स्कूटी स्टार्ट की और मैं उसके पीछे बैठ गयी.
वहां तक जाने में हम एक बार फिर से बुरी तरह भीग गए लेकिन वहां पहुंच कर उसने गाड़ी खड़ी की और हम उस कमरे की तरफ बढ़ गए.
वो कुछ टूटा फूटा सा कमरा बना था, हम दोनों उसी में चले गए.
कमरे में आकर आशीष ने अपनी शर्ट उतार दी. उसका ऊपरी नंगा जिस्म मुझे मदहोश करने लगा.
आज पहली बार मैं अपने क्रश या किसी भी लड़के को यूं पहली बार देख रही थी.
वो मुझसे भी बोला- अपने कपड़े उतार कर निचोड़ लो … वरना ठंड लग जाएगी.
मुझे भी मौका मिल गया, तो मैंने उसी के सामने अपनी शर्ट का बटन खोल कर उतार दी और वहीं टांग दी. मेरे कसे हुए मम्मे, जो मेरी ब्रा में कहने को कसे थे, लेकिन वो बाहर आने को बेताब दिख रहे थे.
आशीष की नज़र भी बार बार मेरे मम्मों पर ही जा रही थी.
अचानक मुझे याद आया कि पेड़ के नीचे से आते समय अपने मोबाइल को डिक्की में रखते समय मेरे कॉलेज का आईडी कार्ड शायद वहीं गिर गया था. क्योंकि वो मेरी जींस में नहीं था.
ये बात मैंने आशीष को बताई, तो उसने कहा- चलो देख लेते हैं.
वो बिना शर्ट पहने बाहर निकलने लगा, तो मैंने भी सोचा कि इतनी तेज बारिश में कौन मिलेगा. मैं भी इसी तरह चली गई. मैं भी उसके पीछे पानी में भीगती हुई उस जगह पर पहुंची, तो देखा मेरा कार्ड वहीं पड़ा था.
आशीष ने उसको उठा कर मुझे दिया और बोला- चलो उधर ही चलते हैं.
जैसे ही मैं उसके आगे से मुड़ी, तो अचानक से चिकनी हो चुकी मिट्टी में मेरा पैर फिसल गया. जैसे ही मैं गिरने को हुई, तो आशीष ने मुझे पकड़ लिया और उसका हाथ मेरे चूतड़ों पर आ पड़ा.
जब मैं सम्भल कर खड़ी हुई, तो मैं थी तो एकदम ठीक, लेकिन मैंने सोचा कि ये अच्छा मौका है और इस मौके का मुझे ज़रूर फायदा उठाना चाहिए.
मैंने जानबूझ कर पैर की नस चढ़ जाने का बहाना किया और ‘दर्द हो रहा है’ ऐसा कहा.
आशीष मुझे सहारा देने के लिए आगे आया और उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे पकड़ लिया.
मैंने फिर नाटक करते हुए बोला- मैं चल नहीं पा रही हूँ.
उसने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और चलने लगा.
उस तेज़ बारिश में मैं अपने सबसे मनपसन्द इंसान के साथ सिर्फ ब्रा में उसकी बांहों में झूल रही थी.
वो मुझे उस कमरे में लेकर आया और मुझे नीचे उतारने लगा.
उस समय मेरा हाथ गलती से उसके लंड पर पड़ गया जो कि एकदम टाइट हो चुका था.
मैं जैसे ही उसकी गोद से उतरी, तो वो अपना लंड एडजस्ट करने लगा. लेकिन उसका लंड एकदम विशाल रूप ले चुका था, जो लाख छुपाने से भी नहीं छुप रहा था.
वो ज़मीन पर बैठ गया.
तो मैं भी उसके बगल में जाकर बैठ गयी और मैंने सीधे सीधे उससे अपने प्यार का इज़हार कर दिया.
वो एकदम से चुप हो गया.
लेकिन जब मैंने उससे उसका उत्तर मांगा तो वो बोला- मुझे इसके सोचने के लिए कुछ समय चाहिए.
मैं बोली- ठीक है.
मैं धीरे धीरे उसकी गीली जांघ सहलाने लगी और मैंने एकदम से अपना हाथ उसके खड़े लंड पर रख दिया.
आशीष ने एकदम से चौंक कर मेरा हाथ हटा दिया.
लेकिन मैंने फिर से उसके लंड पर हाथ रखा और सीधे उसकी पैंट की चैन खोल कर हाथ अन्दर डाल कर उसका लंड सहलाने लगी.
अब आशीष था तो बड़ा सख्त लौंडा, लेकिन मेरी इस हरकत पर वो पिघल गया.
मैंने भी उसके किसी भी तरह के विरोध को न होते देख कर झट से उसकी पैंट से उसका लंड बाहर निकाल लिया.
उसका खड़ा लंड देख कर मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं. उसका लंड काफी लम्बा और खूब मोटा था.
मैं उसके लंड को अपने हाथ में लेकर मुट्ठ मारने लगी.
वो अपनी आंखें बंद करके अपना सिर ऊपर करके शांति से बैठ गया.
मैं थोड़ा सा पीछे को हुई और झुक कर गप से उसका मोटा लंड मुँह में लेकर बड़े प्यार से चूसने लगी.
वो आह आह करने लगा.
मैं काफी देर उसका लंड चूसती रही और फिर उसकी गोद में बैठ गयी.
उसने मुझे कमर से कस लिया तो मैं उसका सिर पकड़ कर अपने होंठों से लगा कर चूसने लगी.
इसमें कुछ देर बाद ही सही, मगर वो भी मेरा साथ देने लगा.
मैं उसके होंठों को चूमने के बाद उसके गाल, गले, कान और उसके सीने को चूमती गयी और मैंने अपनी ब्रा खोल कर उसके सामने आपने मम्मे लहरा दिए.
वो भी गर्म हो गया था, उसने मेरे एक दूध पर अपने होंठ लगा दिए और मैंने उसको अपने दूध चुसाने लगी.
मेरे दोनों दूध चूसने के बाद वो आगे बढ़ा और मुझे खड़ा करके मेरी जींस और पैंटी नीचे करके मेरी चूत चाटने लगा.
मैं भी कामोत्तेजना में लीन होकर मस्ती में झूम उठी. मेरी गांड ऊपर उठने लगी थी और मैं अपनी चुत चुसाई का फुल मजा लेने लगी थी.
करीब दस मिनट तक बुर चटवाने के बाद मैं उसके मुँह में ही झड़ गयी और निढाल हो गई.
फिर मैं बैठ कर उसका लौड़ा चूसने लगी. मैंने भी उसका पानी निकाला और खा लिया.
इस मस्ती के बाद हम दोनों वहां से घर आ गए.
अगले दिन हम साथ कॉलेज गए और साथ बैठने के बाद जब मैडम पढ़ाने लगीं, तो मैं उसकी पैंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाने लगी.
लंड खड़ा करके मैं उसे बाहर निकालना चाहती थी लेकिन क्लास में डर था तो उसको बाहर नहीं निकाला और सहलाती रही.
पीरियड खत्म होने के बाद मैं उसको अपने साथ ऊपर ले गयी और वहां मैंने आशीष का मूसल लंड तबियत से चूस कर अपने मुँह में झाड़ लिया.
उस दिन आशीष ने बस मेरे दूध मसले और हम दोनों घर आ गए.
अब हमारा ये सब ओरल सेक्स रोज़ ही होने लगा था.
इसी बीच मेरी कुंवारी चुत में आशीष के मोटे लंड से चुदने की बहुत चुल्ल मचने लगी थी.
मैं बस मौका देख रही थी कि कब लंड चुत में ले लूं.
इसी बीच एक दिन मेरे ताऊ के बेटे का मुंडन था. उनका घर मेरे घर से थोड़ी दूर पर था. मेरे घर से सब लोग उनके घर जा रहे थे.
लेकिन उस दिन सुबह से ही मैंने अपनी तबीयत खराब होने का नाटक कर लिया और मम्मी मान गईं.
उन सब लोगों को दिन में निकलना था और देर रात तक वापस आना था.
मेरे घर वाले जैसे ही दोपहर तीन बजे घर से निकले, मैंने आशीष को फोन से बोल दिया कि मेरे घर आ जाओ, आज फ़ाइल पूरी बना ली जाए, घर में कोई नहीं है. किसी तरह का कोई डिस्टर्ब करने वाला भी नहीं है.
वो मेरी बात को समझ गया कि आज कौन सी फाइल पूरी बनानी है.
उसने आने के लिए हामी भर दी.
उसके आने की पक्की करके मैं नहा कर एकदम सेक्सी तरीके से रेडी हो गयी.
आज मैंने अपनी दीदी की लाल रंग की साड़ी पहन ली. ये साड़ी बहुत ही ज़्यादा सेक्सी थी.
मैंने केवल साड़ी पहनी उसके साथ ब्लाउज न पहन कर, सिर्फ लाल रंग की ब्रा पहन ली. मेकअप में लाल नाख़ूनी और लाल रंग की लाली लगा कर इस तरह से तैयार हो गई, जैसे आज मेरी सुहागरात हो.
करीब आधे घंटे बाद आशीष आ गया. मैं उसको अन्दर लेने के लिए गई, तो वो मुझे देखता ही रह गया.
उसने पूछा- किसके लिए इतनी सजी हो?
मैंने भी इठला कर कहा- तुम्हारे लिए.
वो मेरे गले से लग कर मुझसे मिला और उसने मेरे माथे पर एक चुम्बन कर दिया.
मैंने उसे सोफे पर बिठाया और हम दोनों के लिए मैगी बना लाई. हम दोनों साथ में बैठ कर मैगी का मजा लेने लगे और हॉल में बैठ कर टीवी देखने लगे.
कुछ देर बाद मैं आशीष को अपने साथ अपने कमरे में ले आयी.
कमरे में आते ही मैं उस पर टूट पड़ी. मैं उसके होंठों को चूमती जा रही थी. वो भी मेरा बराबरी से साथ देते हुए मुझे चूम रहा था.
उसने मेरे पीछे हाथ डालकर मेरी नंगी पीठ को जकड़ लिया.
अब वो अपने सख्त हाथों से मेरे मखमली बदन को मसलते हुए मेरी पीठ, कमर और मेरी उभरी हुई गांड को भी मसलने लगा.
इससे मेरी उत्तेजना सातवें आसमान पर पहुंच गयी और मैं एकदम से जंगली हो गयी.
मैं बहुत ज़्यादा गर्म हो गई थी और आशीष के होंठों को अपने होंठों से चबा कर किस करने लगी. इसमें उसने मुझे हटाया नहीं … बल्कि बराबरी से साथ दिया.
चुम्बन के बाद आगे बढ़ते हुए पहले मैंने उसकी शर्ट के सारे बटन खोल दिए और हुए उसको आधा नंगा कर दिया. उसके सीने को चूमते व काटते हुए मैं उसकी पैंट के ऊपर से उसके लंड को सहलाने लगी. उसका लंड कड़क होने लगा था. मैंने पैंट खोल दी और उसको पूरा नंगा करके अपने बेड पर लिटा दिया.
फिर उसका मोटा लौड़ा अपने मुँह में लेकर मैं लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी.
काफी देर अपना लंड चुसाने के बाद आशीष में मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर अपने नीचे लिटा लिया और खुद मेरे ऊपर चढ़ गया.
एक बार फिर से मेरे होंठों को चूमते हुए मेरे बदन से कपड़े लगभग उधेड़ते हुए मुझे एक पल में एकदम नंगी कर दिया.
फिर उसने मेरे बदन को खूब चूमा, चुचियों को खूब मसल मसल कर चूसा. मेरी ज़बरदस्त तरीके से चूत चाटी और बहुत जल्दी मेरा पानी निकाल दिया.
अब उसने मुझे सीधी लिटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया. मेरी कुंवारी चूत में अपना घोड़े जैसा लंड सैट करके मेरे पास अपने होंठ ले आया और मुझे चूमने लगा.
मैं भी उसका चूमने में साथ देने लगी, लेकिन इसी बीच आशीष ने एक ज़ोर का झटका मारा, जिससे उसका लंड मेरी चूत फाड़ कर कुछ अन्दर घुस गया.
मैं चीख पाती कि तब तक आशीष ने अपने मुँह को मेरे मुँह में पूरा घुसा दिया.
इससे मेरी आवाज दब गई.
मुझे बेहद दर्द हो रहा था मगर मैंने उससे खुद को छुड़ाने की कोशिश नहीं की क्योंकि मुझे मालूम था कि बस ये दर्द थोड़ी देर ही होगा … मुझे इस दर्द को बर्दाश्त करना ही होगा. इसके बाद मज़ा ही मजा मिलने लगेगा.
मैं यही सोच कर हल्के हल्के कराहती रही और आशीष मेरा दर्द कम करने के लिए बीच बीच में मेरी चुचियां और मेरे मुँह को चूमता रहा.
इसी तरह कुछ देर तक बहुत दर्द हुआ.
फिर जैसे ही मैं कुछ शांत हुई, तो आशीष ने अपने लंड से मेरी पूरी सील तोड़ते हुए अपना लंड अन्दर घुसा लिया.
पूरा लंड अन्दर लेने के बाद कुछ देर दर्द हुआ, फिर मैं सही हो गई.
अब आशीष ने अपनी असली ज़बरदस्त चुदाई शुरू की. उस पूरे कमरे में हम दोनों के संभोग से उत्पन सटासट की आवाज़ आने लगी.
मेरी तेज और कामुक उत्तेजना से भरी आवाजें आने लगीं- उफ़्फ़ हहह यस आई लाइक इट … ओह्ह फ़क आह उह … उफ़्फ़ मम्मी मर गई … आह उफ़्फ़!
इसी तरह की कामुक सिसकारियां पूरे कमरे में गूंजती रहीं.
कुछ देर बाद आशीष ने मुझे चोदने की अवस्था बदली.
उसने मुझे अपने ऊपर चढ़ा लिया और मेरी चुत में लंड फंसा दिया.
अब मैं भी आशीष के लंड पर खूब कूद कूद कर अपनी चूत चुदवाने लगी.
कुछ देर बाद आशीष ने फिर से अवस्था बदल ली. वो अब मुझे कुतिया बना कर चोदने लगा.
बीस मिनट बाद हम दोनों झड़ गए और निढाल होकर लेट गए.
अब तक सिर्फ पांच बजे थे, तो कुछ देर बाद मैं उठी और मैंने हम दोनों के लिए चाय और कुछ नाश्ता बनाया.
हम दोनों बाहर आ गए और साथ में हॉल में सोफे पर नंगे बैठ कर खाने लगे.
कुछ देर बाद उसी सोफे पर मेरा फिर से मूड बनने लगा.
आशीष का नंगा शरीर और उसका ताकतवर लंड देख कर मैं उसी सोफे पर पेट के बल लेट गयी और आशीष को सामने से पैरों को फैला कर बैठने को बोला.
वो टांगें खोल कर बैठ गया.
मैंने उसका खड़ा लौड़ा अपने मुँह के अन्दर पूरा लेकर रख लिया.
उसका लंड मेरे गले में यूं ही अटका रहा. मैं लंड पर अपनी जीभ से खेलती रही.
जब तक लंड मुँह के अन्दर रहा, तब तक मैं आशीष के लंड की गोलियां भी मसलती रही.
इस वक़्त मैं उसको चरमसुख देने की कोशिश कर रही थी क्योंकि उसने मेरी जवानी बहुत अच्छे से निचोड़ी थी और वो ही इसका पहला हक़दार बना था.
BF GF सेक्स कहानी में मेरी चुदाई को पढ़कर आपके लंड चुत गर्म हो गए होंगे. तो मेल करो न यार … और हां अगली बार मैं अपनी बहनों की चुदाई भी लिखने वाली हूँ.
प्लीज़ सेक्स कहानी को अपना प्यार जरूर दें.
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BF GF सेक्स कहानी जारी है.
जेठजी संग मस्ती भरी सुहागरात- 1
हॉट बहू की अन्तर्वासना कहानी में पढ़ें कि जब मैं अपने पति से संतुष्ट नहीं हुई तो मैंने अपने जेठ की तरफ देखा. वो भी मुझे देखते थे. मैंने जेठ से टाँका कैसे फिट किया.
लेखक की पिछली कहानी: पति के तीन दोस्त और मैं अकेली
यहाँ कहानी सुनें.
दोस्तो, मेरा नाम प्रिया है. मेरी शादी को पांच साल हो चुके हैं.
मैं दिखने में एकदम ऐसी मदमस्त माल हूँ कि लोगों की आहें निकल जाती हैं.
मेरी फिगर 34-28-36 की है. मैं ब्रा 32D की पहनती हूँ, ताकि मेरे मम्मे एकदम टाईट दिखे और उभरे हुए दिखें.
मेरे बाल काफी लम्बे हैं और मेरी कमर तक आते हैं.
शादी के समय से ही मेरे जेठ जी मुझ पर फिदा हो गए थे, क्योंकि शादी की रिसेप्शन पार्टी के समय से वो मेरे आगे पीछे कुछ ज्यादा ही मंडरा रहे थे.
मैं उसी वक्त से उनकी नजर परख चुकी थी. शादी से पहले मैं भी अपने यार का लंड लेती रही हूँ, तो मुझे उनकी कामुक नजरों को ताड़ने में एक पल भी नहीं लगा.
शादी के बाद मैं अपने पति के घर आ गई. मेरे पति के हथियार में दम नहीं था. वो मुझे ठीक से शांत नहीं कर पाते थे इसीलिए मेरा उनसे चुदने में मन नहीं लगता था.
साथ ही चुदाई करते समय ही मुझे समझ आ गया था कि इनसे कुछ नहीं होने वाला है, मुझे जेठ जी से ही टांका फिट करवाना पड़ेगा.
मेरे पति अपने बड़े भाई से अलग रहते थे. मेरे जेठ जी का घर हमारे घर के पास ही था. वो जब भी हमारे घर आते, तो हमेशा अपनी हॉट बहू की जवानी पर अपनी नज़र बनाए रखते और मुझे ताड़ते रहते.
अब मैं भी अपनी जवानी के जलवे उनके सामने दिखा कर उनके मजे लेने लगी थी.
हमारी कभी ज्यादा बातचीत नहीं होती थी, पर जब भी हम दोनों की नज़रें मिलतीं, तो उनके कुछ ना कुछ इशारे होते रहते थे.
मैं भी अब उनके इशारों का जवाब इशारों से ही देने लगी थी.
जैसे कभी वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराते, तो मैं भी मुस्कुरा देती.
चूंकि हमारा रिश्ता कुछ ऐसा था कि हम ज्यादा फ़्री होकर बात नहीं कर सकते थे इसलिए बात इशारों तक ही सीमित रही.
लेकिन तब भी मुझे उनकी पावर के बारे में जानना जरूरी था. कहीं ऐसा न हो कि जेठ जी का लंड भी मेरे पति जैसा ही नकारा हो.
इसके लिए मैंने जेठानी से बातों में खुलना शुरू किया.
एक दिन जेठानी ने खुद ही बता दिया कि उनके पति ने बहुत थका दिया.
वो सारी बात जरा तफसील से हुई थी. मैं उसमें जाना नहीं चाहती कि कैसे बात हुई थी. मेरे लिए इतना जान लेना काफी था कि जेठ जी मर्द हैं और मजबूत लंड वाले हैं.
अब मैं बिंदास उनके सामने खुलने की तैयारी करने लगी थी.
मैंने छूट देनी शुरू की, तो धीरे धीरे उनकी हरकतें बढ़ने लगी थीं.
उन्हें अब जब भी मौका मिलता, तो वो मुझे टच करने लगे थे.
मैंने उनके इस छुआ-छाई का कोई विरोध नहीं किया तो जेठ जी की हिम्मत बढ़ गई और अब तो वो मेरा हाथ भी पकड़ने लगे थे.
लेकिन यह सब वो समय और मौक़ा देखकर ही करते थे.
एक दिन मेरा हाथ पकड़ कर दबाने के बाद उन्होंने कहीं अलग जाकर मुझे फोन किया.
मैंने हैलो कहा, तो उन्होंने कहा- मैं तुम्हारा जेठ बोल रहा हूँ प्रिया.
उनकी आवाज सुनकर मेरे अन्दर एकदम से सनसनी सी भर गई.
मैंने कहा- हां जी, बोलिए?
उन्होंने कहा- मैंने तुम्हारा हाथ पकड़ा, तो तुम्हें कैसा लगा?
मैं चुप रही.
वो बोले- शर्माओ मत … बताओ न, कैसा लगा अच्छा या खराब!
मैंने धीरे से कह दिया- अच्छा.
उसी समय जेठ जी ने मुझे फोन पर एक चुम्मा लिया और बोले- ये चुम्मा कैसा लगा.
मैंने कह दिया- अभी बाद में बात करती हूँ. कोई आ रहा है.
जेठ जी ने हंस कर फोन रखते हुए कहा- मेरा नम्बर सेव कर लेना.
शाम को वो घर पर आए और मेरे लिए एक गिफ्ट लाए. मुझे पैकेट देते हुए बोले- ये तुम्हारे लिए है, अकेले में देखना.
उन्होंने गिफ्ट दिया और बाहर चले गए.
मैंने गिफ्ट का पैकेट खोला, तो उसमें ब्रा पैंटी का सैट था.
मैं मदमस्त हो गई. ये सैट लाल रंग का जाली वाला था.
मैंने उसी समय बाथरूम में जाकर उस ब्रा-पैंटी को पहना, तो मेरे चूचे और चुत साफ़ दिख रहे थे.
मैं उस सैट को पहन कर खुद को आईने में देखने लगी.
मैंने जेठ जी को याद करते हुए अपने मम्मे मसलना शुरू कर दिए. मेरी चुत से पानी टपकने लगा.
उस दिन मैं सारा दिन जेठ को ही याद करती रही.
शाम को उनका फोन आया तो उन्होंने पूछा- कैसा लगा था सैट?
मैंने कहा- बहुत ही मस्त!
वो खुश हो गए. मुझसे काफी देर तक बात करते रहे.
अब वो अपनी हॉट बहू को अक्सर गिफ्ट देने लगे. हमारी फोन पर भी कुछ ज्यादा बात होने लगी थी. मैं भी उनसे बात करने लगी थी.
अब तो कभी कभी हम दोनों की घंटों बात होती, हम दोनों का एक दूसरे में इंटरेस्ट बढ़ने लगा था.
एक बार की बात है, गर्मियों की छुट्टी में जेठानी जी अपने मायके गई थीं तो जेठजी खाना खाने हमारे घर आ जाते थे.
दूसरे दिन सुबह ही मेरे पति ने जेठजी को सुबह नाश्ते के लिए कॉल किया और घर बुला लिया.
जेठजी घर आ गए.
मेरे पति जेठजी से बोले- मुझे आज दोपहर में ही किसी जरूरी काम से इन्दौर जाना है. मुझे आने में तीन दिन लग जाएंगे. मेरी गैर हाजिरी में प्रिया को कोई सामान आदि की जरूरत हो, तो आप देख लेना.
फिर उन दोनों में कुछ देर बात हुई और पति ने मुझे चाय लाने का कहा.
मैं चाय लेकर उधर गई.
मैंने चाय रखते हुए जेठ जी को अपने दूध दिखाए और अश्लील इशारा करते हुए एक आंख मार कर अपनी जीभ को होंठों पर फिरा दी.
उन्होंने मेरे पति की नजर बचा कर मुझे आंख मारते हुए जवाब दे दिया.
जेठ जी अखबार पढ़ने लगे और मेरे पति नहाने चले गए.
मैं चाय के कप लेने गई तो जेठ जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
मैंने आंखों से उनको झूठा गुस्सा दिखाया पर उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे अपनी ओर खींच लिया.
मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं उनके ऊपर गिर गई. मेरे और उनके होंठ आपस में टकरा गए.
लेकिन मैंने जल्दी ही अपने आपको सम्भाला और उनसे दूर हो गई.
मैं जेठ जी पर प्यार भरा गुस्सा दिखाते हुए उन्हें आंखों ही आंखों में इशारा करने लगी कि अभी नहीं.
इस पर वो हंसने लगे.
मैं किचन में आ गई. मेरे दिल की धड़कनें जोर से धक धक हो रही थीं.
कुछ समय बाद जेठ जी घर से निकल गए. पति भी अपने जाने की तैयारी में लग गए. वो एक बजे स्टेशन के लिए निकल गए.
मैंने भी घर का सारा काम निपटाया और चार बजे काम से फ़्री होकर पहले पति को फोन लगाया.
वो ट्रेन में थे.
फिर मैंने जेठ जी को फोन लगाया और कहा- रात को खाने में क्या खाना है?
इस पर वो बोले- कहीं बाहर का प्रोग्राम करते हैं.
मैंने पूछा- किधर का?
वो बोले- तुम आठ बजे तक तैयार रहना.
मैंने पूछा- क्या कुछ स्पेशल है आज?
वो बोले कि हां … मिलो तो सही, फिर सब बताता हूँ.
फोन रखकर मैंने एक नींद लेना उचित समझा क्योंकि मैं जानती थी आज जेठ जी से मिलने का मौका है. रात को पता नहीं, कब सोने को मिलेगा.
मैंने एक घंटे के लिए सो गई. फिर उठकर मैं तैयार होने लगी और सोचने लगी कि क्या पहनूं.
आखिरी में मैंने तय किया कि साड़ी ब्लाउज़ ही ठीक रहेगा.
फिर मैंने ब्लू कलर की साड़ी और ब्लैक ब्लाउज़ पहना. ये ब्लाउज़ बैकलैस था और आगे से फ़्रंट डीप कट वाला था. इस ब्लाउज में से मेरे मम्मों की दरार साफ़ दिख रही थी.
मैंने साड़ी थोड़ा नीचे से बांधी थी ताकि मेरी नाभि खुली दिखे. बालों का जूड़ा बनाया था ताकि मेरे हुस्न के सामने जेठजी एकदम से फिदा हो जाएं.
मैं तैयार होकर अभी बैठी ही थी कि जेठ जी का फोन आ गया- मैं बाहर आ आ गया, तुम जल्दी से आ जाओ.
तो मैं बोली- बस रेडी हूँ, अभी लॉक करके आती हूँ.
मैं बाहर निकली और उनकी कार के पास आ गई. उनके बगल की तरफ का दरवाजा खोला और अन्दर आने लगी.
जेठ जी मुझे देखते ही बोले- प्रिया आज तक तुम्हें मैंने इस तरह नहीं देखा … तुम वाकयी बहुत ब्यूटीफुल लग रही हो. एकदम हॉट एंड सेक्सी लग रही हो. देख लेना, कहीं रास्ते में ही मेरा इरादा ना बदल जाए.
मैंने कहा- हां रहने दो … आज ही सेक्सी लग रही हूँ, इससे पहले तो मैं सेक्सी थी ही नहीं, इसी लिए आज तक आपने मेरे लिए एक शब्द तक नहीं बोला.
उन्होंने हंस कर कार स्टार्ट की और हम लोग रेस्टोरेंट की ओर चल दिए.
रास्ते भर वो मेरे हुस्न की तारीफ करते रहे.
हम लोग सिटी से बाहर एक अच्छे रेस्टोरेंट में आ गए. वहां एक किनारे वाली टेबल पर बैठकर खाने का ऑर्डर किया और बातें करने लगे.
रेस्टोरेंट में 2-4 लोग ही थे.
जेठजी को मस्ती सूझने लगी और उन्होंने मेरे पैरों के ऊपर अपने पैर रख दिए और मुझे छेड़ने लगे.
मैंने उन्हें आंखों से गुस्सा दिखाया पर वो आज कहां मानने वाले थे.
आखिर मैं भी उनका साथ देने लगी.
फिर कुछ देर बाद हमने खाना खाया और रात दस बजे घर की ओर वापस निकल पड़े.
रास्ते में जेठ जी ने कहा- प्रिया मैं आज तुम्हें उसी रूप में देखना चाहता हूँ, जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था … मतलब दुल्हन के रूप में.
मैंने कहा- अभी रात को!
वो बोले- हां.
मैंने आंख दबाते हुए कहा- सिर्फ देखना ही है ना!
वो बोले- नहीं, आज मैं मेरी दुल्हन के साथ सुहागरात मनाना है.
मैंने आंख मारकर उन्हें ग्रीन सिग्नल दे दिया.
इस पर जेठ जी ने खुशी से मेरे हाथों पर हाथ रख दिए और बोले कि चलो मेरे घर चलते हैं.
मैंने कहा- क्यों!
इस पर वो बोले- तुम्हारे लिए कुछ सरप्राइज है.
वो मेरे हाथ को उठाकर चूमने लगे.
मैंने कहा- अभी नहीं, अब हम दोनों सुहाग की सेज पर ही मिलेंगे.
फिर हम दोनों पहले मेरे घर पहुंचे तो मैंने दरवाजा खोला और हम दोनों अन्दर आ गए.
मैंने दरवाजा बन्द किया और जैसे ही मुड़ी, जेठ जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.
तो मैंने कहा- अभी नहीं मेरे राजा … कुछ देर और इन्तजार कीजिए न!
मैं अपने आपको उनसे छुड़ाकर रूम में चली गई और दुल्हन वाले कपड़े पैक करने लगी.
दस मिनट बाद मैं बाहर आ गई और हम दोनों जेठ जी के घर की ओर निकल गए.
उनके घर पहुंच कर उन्होंने कहा- तुम गेस्टरूम में तैयार हो जाओ.
मैंने कहा- ओके, मैं तैयार होकर आपको आवाज देती हूँ.
मैं गेस्टरूम में घुस गई और दरवाजे लगा लिए.
आज मैं बहुत खुश थी. मुझे मेरी अतृप्त चुत के लिए अपने जेठ जी का लंड मिलने वाला था.
इस हॉट बहू की अन्तर्वासना कहानी में आगे क्या हुआ, वो मैं पूरी तफसील से अगले भाग में लिखूंगी.
आप सभी से निवेदन है कि मेरी सेक्स कहानी पर आप अपनी राय मेल से भेजें और मुझे कोई वेश्या न समझें.
धन्यवाद.
raj280067@gmail.com
हॉट बहू की अन्तर्वासना कहानी जारी है.
महासेक्सी बहन के लैपटॉप में सीक्रेट फोल्डर- 2
सिस्टर Xxx सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैंने अपनी बहन की चुदाई की वीडियो देखी तो मैं भी उसे चोदना चाहता था. मैं अपनी बहन को वो वीडियो दिखायी तो …
हैलो फ्रेंड्स, मैं मानस एक बार फिर से आपको अपनी बहन की चुदाई की कहानी में भिगोने ले आया हूँ.
सिस्टर Xxx सेक्स कहानी के पहले भाग
मेरी सेक्सी बहन मेरे दोस्तों से चुदती थी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं अपनी बहन के लैपटॉप में उसकी चुदाई की फिल्म देख रहा था. वो मेरे दोस्त साहिल से चुदकर एकदम नंगी लेटी थी और उसके साथ सेल्फी ले रही थी.
बहन की चुदाई खत्म होते देख कर मैंने उसके सिस्टम में बना दूसरा फोल्डर खोला.
अब आगे सिस्टर Xxx सेक्स कहानी:
अब मैंने आयुष का फोल्डर खोला.
उसमें 4-5 वीडियो थे, वो भी मेरे ही घर के थे.
मतलब मेरी गैरहाज़िरी में आयुष ने फायदा उठाया.
मैंने एक वीडियो क्लिक किया. उसमें पीछे की तरफ से सीन था कि लड़की नंगी लेटी हुई लड़के के ऊपर बैठकर उचक रही है.
मैं समझ गया कि ये लड़की रंगोली ही थी औऱ लड़का आयुष ही होगा.
रंगोली के बाल बिखरे हुए थे, उसके कंधे उचक रहे थे. वो अपनी चूत को आयुष के लंड में डालकर उचक रही थी. उसकी चूत के होंठ आयुष ले मोटे लंड को जैसे स्मूच कर रहे थे.
रंगोली की गीली चूत से आयुष का लंड भी तर हो गया था. रंगोली ‘आह आह ..’ कर रही थी.
फिर अचानक आयुष ने उठकर रंगोली को बिस्तर में पटक दिया और उसके ऊपर चढ़कर उसे चोदने लगा.
रंगोली सिहरने लगी औऱ उसने अपने पैरों से आयुष को जकड़ लिया.
आयुष का लंड रंगोली की चूत में गहरा जाता गया. शायद इसीलिए आयुष के फोल्डर में 5 वीडियो थे.
रंगोली को आयुष बीस मिनट तक चोदता रहा. फिर आखिर में अपना वीर्य रंगोली की चूत में ही गिरा दिया, जो रिसकर बाहर आने लगा.
आयुष रंगोली को चोदकर उसी के ऊपर लेट गया.
मेरी बहन भी चुदवा कर निढाल हो गयी थी, उसके चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि झलक रही थी.
अब मैं उस फोल्डर से निकल गया और प्रकाश के फोल्डर पर गया.
वहां भी एक वीडियो था.
ये तो घर के बाथरूम का वीडियो था.
वहां रंगोली और प्रकाश शॉवर के नीचे नंगे लिपटे हुए थे. प्रकाश अपने दोनों हाथ से रंगोली के भीगे नितम्ब दबा रहा था.
फिर उन्होंने एक रोमांटिक किस किया … रंगोली ने अपनी पीठ प्रकाश को तरफ कर दी.
प्रकाश ने उसे पीछे से जकड़ लिया औऱ रंगोली के भीगते हुए मम्मों को अपने हाथ से मसलने लगा और गले पर किस करने लगा.
रंगोली भी उसके 7 इंच लंबे लंड को अपने हाथ से हिलाने लगी.
फिर प्रकाश ने एक हाथ से रंगोली के दूध को दबाना चालू किया और दूसरे हाथ से रंगोली की चूत को सहलाने लगा.
रंगोली सिहरने लगी.
प्रकाश का लंड रंगोली की गांड से सटने लगा.
अब रंगोली पलटकर नीचे बैठ गयी औऱ भीगते शॉवर में प्रकाश के लंड को मुँह में ले लिया और लंड चूसने लगी.
प्रकाश ऊपर की तरफ देखने लगा.
रंगोली उसके गुलाबी सुपारे को जीभ से छेड़ती रही.
फिर प्रकाश ने रंगोली को उठाया और एक पैर बंद कमोड में रखने कहा.
उसने रंगोली को झुकाया और अपना भी एक पैर कमोड पर रखके पीछे से रंगोली की चूत में अपना लंड डाल दिया और उसके बाल पकड़ कर उसे चोदने लगा.
पूरा बाथरूम थप थप की आवाज़ से गूंजने लगा.
थोड़ी देर बाद प्रकाश झड़ गया. फिर उन्होंने एक दूसरे को तौलिया से पौंछा और बाथरूम के बाहर आ गए.
बाहर आकर दोनों ने किस किया.
उन दोनों की चुदाई देख कर मैं लंड हिला रहा था. उन दोनों के किस के साथ ही मेरे लंड ने माल छोड़ दिया और मैंने आंखें बंद करके खुद को तृप्त होता पाया.
मैं सोचने लगा कि आज का बहुत हो गया. अब कल लैपटॉप खोलूंगा.
बाकी रंगोली तो गदर माल थी … उसे तो हर कोई चोदना चाहेगा. मेरे दोस्तों की क्या गलती, जब मेरा खुद उसे चोदने का मन करने लगा था.
शाम को मॉम डैड को मामा के घर जाना था. वो दोनों दो दिन बाद वापस आने वाले थे.
मैं डिनर करने रूम से बाहर निकल गया.
आज रंगोली खाना परोस रही थी. मेरा ध्यान उसके चेहरे पर था. साली कितनी मासूम दिखती है और मेरे किसी दोस्त को नहीं छोड़ा … सबसे चुदी. देखकर लगता नहीं था कि ये लड़की गले तक लंड लेती होगी.
रंगोली ने मुझे देख लिया और पूछा- क्या हुआ भाई!
मैंने कहा- कुछ नहीं, आटा लगा है तेरे चेहरे पर.
उसने हंस कर अपना मुँह पौंछ लिया.
खाना खाकर मैं रूम में चला गया और फिर फाइनांस का मोड्यूल ओपन किया.
साहिल रोहित आयुष प्रकाश के बाद एक और फोल्डर था, जिसमें नाम नहीं लिखा था, बस लिखा था न्यू फोल्डर.
उसको क्लिक करने पर एक और फोल्डर था उसमें मेरा नाम लिखा था- मानस.
मेरी धड़कन बढ़ गई और लंड टनटनाने लगा.
फोल्डर खाली था … मतलब रंगोली की भी तमन्ना थी कि वो अपने भाई के लंड से भी खेले. मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
रात को एक बजे मैं लैपटॉप लेकर रंगोली के रूम में गया.
वो किसी से मोबाइल में चैट कर रही थी.
मुझे कमरे में आया देखकर वो हड़बड़ा गयी और बोली- क्या हुआ?
मैंने कहा- लैपटॉप देने आया था … हो गया मेरा प्रेजेंटेशन पूरा.
वो उठकर बैठ गयी.
मैंने लैपटॉप बिस्तर में रखा और उससे कहा- देख मुझे क्या मिला!
फिर मैंने फाइनेंस फोल्डर को क्लिक किया जो खाली था.
रंगोली ने कहा- क्या हुआ … खाली तो है. फिर मैंने हिडन फाइल्स व्यू किया, तो सारे फोल्डर आ गए सामने. रंगोली के चेहरे को हवाईयां उड़ गईं औऱ वो शर्म से नीचे देखने लगी.
मैंने कहा- मैं सब देख चुका हूं, पर तू डर मत. तेरी खुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं है.
ये सुनकर रंगोली ने मुझे हग कर लिया और उसकी टी-शर्ट के अन्दर तने हुए बूब्स मेरी छाती पर सट गए.
मैंने कहा- पर ये बता लास्ट फोल्डर में मेरा नाम क्यों लिखा है?
रंगोली शर्माकर बोली- जिसके नाम का फोल्डर … उसके साथ सेक्स.
मैंने कहा- तो तूने पहले क्यों नहीं कहा? तुझे मेरे दोस्तों की जरूरत नहीं पड़ती और कितना लकी होता मैं, अगर तेरी पिंक पुसी की सील सबसे पहले तोड़ता.
रंगोली ने कहा- हां … पर कभी हिम्मत नहीं हुई बोलने की. रोज़ सुबह उठाने आती थी, तो चादर के अन्दर से तुम्हारा डिक खड़ा रहता था. मन करता था अभी ले लू मुँह में.
मैंने कहा- कोई ना … अब ले ले ना.
फिर मैं औऱ रंगोली लिपट गए और बेतहाशा स्मूच करने लगे.
करीब पंद्रह मिनट तक हम लोग एक दूसरे के होंठ चूसते रहे.
फिर मैंने रंगोली की आंखों में रुमाल बांध दिया.
उसने कहा- क्या कर रहा भाई?
मैंने कहा- तू बस मजे ले … कुछ बोल मत.
उसकी टी-शर्ट उतारी मैंने और एक झटके के साथ रंगोली के बूब्स मेरी आंखों के सामने आ गए.
उफ्फ … इतने गोरे, इतने बड़े दूध और बीच में गुलाबी निप्पल ऐसे … जैसे केक के ऊपर चैरी रखी हो.
मैं उसकी शॉर्ट्स धीरे धीरे नीचे करने लगा और मेरी बहन की गुलाबी चूत की दरार दिखनी शुरू हो गयी.
मेरी धड़कन बढ़ने लगी, लंड फड़फड़ाने लगा.
मैंने निक्कर उतार दिया. उफ्फ रंगोली की गुलाबी चूत अब मेरे सामने थी.
क्या चिकना बदन था मेरी बहन का … एकदम मलाई.
मैंने उसे घुमाकर देखा तो दो सुडौल भरे हुए नितम्ब मेरे सामने नग्न थे.
एकदम इतने गोरे कि छूने से लाल हो जाएं. मेरा मन तो कर रहा था कि अभी लपक कर बहन चोद दूँ … पर मैं ये पहली चुदाई स्पेशल बनाना चाहता था.
मैंने दो टाई से रंगोली के हाथ खिड़की में बांध दिए.
फिर मैं फ्रिज से बर्फ ले आया और रंगोली के माथे से उसे हल्के से छुआता गया. माथे से नाक, नाक से होंठ, होंठ से गला, गले से दोनों निप्पल, फिर धीरे धीरे नाभि.
मेरी बहन रंगोली सिहरने लगी. उसका पेट कंपकपाने लगा.
फिर धीरे धीरे बर्फ उसकी जांघों की तरफ औऱ अचानक सीधे गर्म चूत में रख दिया.
रंगोली तड़प उठी उसके मुँह से कामुक आवाज़ निकल पड़ी- आआह …
फिर मैंने दीवार पर टंगे मोरपंख के बंच से एक ले लिया और उससे रंगोली के बदन को छुआता चला गया.
रंगोली के गदर बदन में करंट दौड़ने लगा. उसका एक एक रोंगटा खड़ा हो गया. कभी चूत में गुदगुदी, कभी निप्पल से खिलवाड़.
रंगोली बोली- भाई इतना मत तड़पाओ … पागल हो जाऊंगी मैं!
मैंने कहा- ओक्के बहना.
फिर में नीचे बैठ गया औऱ रंगोली के दोनों पैरों को थोड़ा फैलाकर उसकी चूत की गुलाबी दरारों में अपनी गर्म जीभ रख दी.
अपने भाई की जीभ अपनी चुत पर पाकर रंगोली तड़प उठी.
फिर मैं अपनी बहन की चिकनी चूत को चाटने लगा, उसकी क्लाइटोरिस से खेलने लगा. उसकी चूत की अंदरूनी नाज़ुक चमड़ी को चूसने लगा.
रंगोली ने अपनी दोनों जांघें मेरे कान में सटा दीं. मैं और जम कर चुत चाटने लगा. उसकी गीली चूत का क्षारीय रस मेरे मुँह में आने लगा.
फिर मैं उठ गया और अपनी बहन के दोनों दूध को अपने हाथों में ले लिए. उफ्फ रुई के गोले पकड़ लिए हों जैसे.
मैंने ऊपर से नीचे तक मम्मों पर अपना हाथ फेरा. फिर लिक्विड चॉकलेट की शीशी से अपनी उंगलियों में चॉकलेट लेकर रंगोली के निप्पल में लगा दिया और दोनों हाथों से उसका एक दूध पकड़कर चूसने लगा.
रंगोली जोश में सिहरने लगी.
फिर थोड़ी देर बाद दूसरे दूध को चूसा.
मैं धीरे धीरे रंगोली के गले तक आया और कान के पीछे तक चूमने लगा. एक हाथ से उसकी गांड दबाने लगा.
रंगोली से रहा नहीं गया, वो बोली- भाई, मेरी आंख से रुमाल हटा दो और मुझे खोल दो.
जैसे ही मैंने उसे खोला वो मुझसे लिपट गयी. मेरी टी-शर्ट निकाल फैंकी और बॉक्सर उतार दिया.
वो मुझे पागलों की तरह चूमने लगी. मेरी छाती में अपने दूध रगड़ने लगी. फिर नीचे जाने लगी.
मेरी बहन मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर बोली- भाई, तेरा तो आयुष भैया से भी मोटा है!
मैंने कहा- हां मेरी चुदक्कड़ बहना … भाई भी तो तेरा हूँ.
उसने हंस कर मेरे लंड के सुपारे को अपने मुँह में डाल लिया.
उफ्फ क्या फीलिंग थी वो … पर मैंने उसे हटा दिया और कहा- पहले सेक्स कर लेते हैं … नहीं तो ब्लोजॉब में ही झड़ गया तो मज़ा खराब हो जाएगा.
उसने कहा- ठीक है.
फिर मैंने अपनी बहन को बिस्तर में लेटा दिया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख दिया ताकि उसे अच्छे से चोदते बने.
अब मैंने रंगोली की दोनों टांगें उठाईं औऱ अपने कंधे पर रख लीं. फिर उसकी चुत को दो उंगलियों से थोड़ा फैलाकर अपना लंड उसकी मखमली चूत के मुहाने में टिका दिया.
मैं धीरे धीरे लंड चुत के अन्दर डालने लगा.
उफ … क्या मस्त अहसास था.
मेरे लंड के चारों तरफ नर्म-नर्म गर्म-गर्म … रंगोली किसी मछली की तरह तड़पने लगी.
मैंने झटके से अपना लंड अन्दर डाल दिया.
रंगोली की चीख निकल गई- भाईईई … उम्फ़.
अब मैं धीरे धीरे रंगोली को चोदने लगा. उसके बूब्स भी हर झटके के साथ ऊपर नीचे होने लगे.
रंगोली जोश में अपने होंठ चबाने लगी औऱ उसने चादर को हथेली से भींच लिया.
मैं जोर जोर से चोदने लगा, उसके दूध झटका खाने लगे. उसकी चूत का चिकना रस चुदाई को आसान बनाता रहा.
दस मिनट तक अपनी बहन को चोदने के बाद मेरे लंड ने भी जवाब दे दिया.
मैंने अपना वीर्य अपनी बहन की चूत में उड़ेल दिया और निढाल होकर उसके ऊपर लेट गया.
रंगोली भी थक चुकी थी.
उसने अपनी बांहों में मुझे जकड़ लिया और अपनी कामुक धीमी आवाज़ में बोली- भाई … ये मेरी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा सेक्स था.
मैंने उसके होंठों पर पप्पी ली और कहा- फिर ये अच्छा सेक्स रोज़ होगा. पर एक शर्त है. रोज़ सवेरे तुझे मुझे ब्लोजॉब से उठाना पड़ेगा.
रंगोली ने हंसते हुए कहा- बदमाश.
उसने मुझे पप्पी दी.
इस तरह मैंने अपनी खूबसूरत बहन को चोदा था. सिस्टर Xxx सेक्स कहानी कैसी लगी कृपया कमेंट में बताइए, या मेल कीजिएगा.
धन्यवाद.
baklolwriter@gmail.com
चचेरी बहन की सील पैक गांड मारी- 2
सिस्टर की गांड की कहानी में पढ़ें कि कैसे मेरी चचेरी बहन मुझसे सेक्स के लिए उतावली थी. लेकिन मुझे लड़की की गांड मारना पसंद है तो मैंने उसकी गांड ही मारी.
हैलो, मैं रोहित एक बार फिर से आपके सामने अपनी चचेरी बहन की सीलपैक गांड मारने की सेक्स कहानी को आगे लिख रहा हूँ.
सिस्टर की गांड की कहानी के पिछले भाग
चचेरी बहन मेरा लंड देखती थी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरी बहन ने मेरा लंड की मुठ मार कर ये जता दिया था कि वो मेरे लंड से चुदने के लिए रेडी है.
अब आगे सिस्टर की गांड की कहानी :
लंड झड़ गया तो लंड सिकुड़ गया.
वो हंस कर बोली- अब पैंट में अन्दर घुस जाएगा … छोटा हो गया है ना!
फिर लंड बैठा, तो उसने अन्दर घुसा दिया और जाकर अपना मुँह धो आई.
फिर आकर बोली- हो गया न अन्दर … मैं सब कर सकती हूँ
मैं हंस दिया, तो वो मुझसे बोली- तुम मुझे गोदी में नहीं उठा सकते!
मैंने कहा- क्यों?
वो बोली- तुम में जान ही नहीं है, वर्ना उठा कर दिखाओ.
मैंने कहा- ओके अभी लो.
मैंने उसे गोदी में उठाया, तो उसने मेरी गर्दन में अपनी बांहें डाल दीं और इस पोजीशन में उसकी गांड मेरे लंड पर आ गई. तभी उसने मेरी कमर पर पैर लपेट लिए.
मैंने कहा- देखा उठा लिया!
वो हंस दी और मेरे लंड पर अपनी गांड घिसने लगी.
मैं भी उससे मस्ती करने लगा.
मैंने उसे बेड पर गिरा दिया और टांगों को आगे से पीछे करके उसकी गांड पर ज़ोर डालने लगा. ऐसे ही हम दोनों मजाक करने लगे.
मेरा लंड जींस में दब रहा था तो मैंने कहा- यार, जींस उतार देता हूँ … लोवर पहन लेता हूँ … जींस में गर्मी लग रही है.
उसने कहा- हां उतार दो जींस.
मैंने जींस उतार दी, तो अंडरवियर में लंड का तंबू बना हुआ था.
उसने देखा, तो बोली- भैया लोवर रहने दो, ऐसे ही ठीक है. गर्मी ज़्यादा है.
मैंने कहा- ओके.
फिर उसने खुद ने भी अपना लोअर उतार दिया. अन्दर उसने सफ़ेद रंग की पैंटी पहनी थी.
वो मेरे पास आई और मेरे गले में हाथ डाल कर बोली- अब उठाओ मुझे गोदी में.
मैंने उसे उठाया और उसकी गांड अपने लंड पर रख दी.
उसने मेरी कमर से पैर लपेट लिए.
वो एकदम मेरे लंड पर गांड रख कर झूल रही थी और मेरी गोदी में ही चढ़े हुए खुद ऊपर नीचे हो रही थी.
मैंने दोनों हाथों से उसके दोनों चूतड़ पकड़ कर थोड़ा सा ऊपर उठाया और अपना अंडरवियर नीचे करके लंड आज़ाद कर दिया. साथ ही मैंने उसकी पैंटी भी गांड से नीचे खिसका दी.
उसकी गांड के छेद पर अपने लंड का टोपा रख दिया.
वो भी लंड का अहसास पाकर मस्त हो गई और मेरी गोदी में टंगी टंगी झूलने लगी. शायद उसकी गांड के छेद में खुजली होने लगी थी.
फिर मैंने अपनी एक उंगली पर थूक लगाया और उसके दोनों चूतड़ पकड़ कर ऊपर उठा दिए. अपनी एक उंगली उसकी गांड के छेद में डालने लगा.
लेकिन उंगली नहीं घुसी. बस ऊपर ऊपर का पोर भर घुस पाया.
फिर मैं उतनी ही उंगली से सिस्टर की गांड में खुजली करता रहा.
वो फुल मूड में आ गई और बोली कि भैया तुम मेरे ऊपर लेट जाओ … मैं तुम्हारे साथ लेटूंगी.
मैंने कहा- ठीक है.
वो मेरे ऊपर से तुरन्त उतरी और अपनी पैंटी नीचे करके उल्टी लेट गई. मैं भी उसके ऊपर जाकर लंड पर थूक लगाया और लंड गांड के छेद पर सटा कर लेट गया और ऐसे ही झटके देता रहा. लंड इस तरह से तो घुस नहीं सकता था इसलिए मैं ऐसे ही उसे काफ़ी देर रगड़ता रहा.
फिर मैं सीधा होकर नीचे लेट गया और उसे उठा कर उसको अपने लंड पर बैठा लिया. वो अपनी चुत लंड पर रगड़ने लगी, तो मैंने ऐसे ही उसे ऊपर नीचे किया.
कुछ देर बाद मैंने कहा- चल बाथरूम में चलते हैं.
मैं और वो बाथरूम में गए और हम दोनों पूरे नंगे हो गए. मैंने उसे मेरा मोबाइल लाने को कहा, वो नंगी ही बाहर गई और बाथरूम में मोबाइल ले आई. मैंने एक ब्लूफिल्म चला दी, जिसमें लड़की, लड़के का लंड चूस रही थी. वो गौर से लंड चुसाई देखने लगी.
मैंने उसे नीचे बिठाया और लंड उसके मुँह के सामने करके उसके मुँह में घुसाने लगा.
लेकिन उसके मुँह में मेरा टोपा टोपा ही अन्दर गया.
वो लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी. लंड का टोपा उसके मुँह में ठीक से एडजस्ट नहीं हो पा रहा था लेकिन फिर भी वो मुँह में खींच खींच कर लंड चूस रही थी.
मैंने उसका सर पकड़ कर लंड पर दबाया लेकिन लंड और अन्दर नहीं जा सका.
मैंने उसे बाथरूम की दीवार से सटा कर बिठाया और फिर से उसके मुँह को चोदने लगा.
गूच गूच की आवाज़ होने लगी.
थोड़ी देर मुँह चोदने के बाद मुझे लगा अब लंड झड़ जाएगा.
मैंने उससे कहा- जल्दी जल्दी चूस … तेज तेज चूस … रबड़ी खाने को मिलेगी.
उसने बहुत तेज़ी से दूध की बोतल की तरह से लंड चूसना शुरू कर दिया.
मैंने उसका सर लंड पर दबा दिया और मैं उसके मुँह में ही झड़ गया.
उसे मेरा वीर्य मुँह में महसूस हुआ तो वो लंड निकालने की कोशिश करने लगी.
मगर मैंने उसका सर दबा कर लंड मुँह में पेला हुआ था.
इस वजह से वो सारा लंड रस पी गई.
फिर वो मोबाइल में ब्लूफिल्म देखने लगी. इस बार मैंने उसे उल्टा करके घोड़ी बनाया और बाथरूम में रखी तेल की शीशी से बहुत सारा तेल उसकी गांड पर टपका कर गांड एकदम चिकनी कर दी.
अपनी एक उंगली चिकनी करके एक ही बार में उसकी गांड में घुसा दी.
वो चीख पड़ी.
तो मैंने उसे ऐसे ही पकड़ लिया और उंगली गांड में ही रखी.
उसे दर्द होने लगा.
पर मैं उसकी रसीली चुचियां मसलने लगा और उसे ब्लूफिल्म देखने को बोला दिया. वो मजे से ब्लू फिल्म देखने लगी और मैं धीरे धीरे उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
कुछ देर बाद मैंने देखा कि उसकी सीलपैक गांड से खून निकल आया है.
मैंने उसे बिना बताए थोड़ा और तेल डाला और उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
मेरी उंगली बहुत चिकनी हो गई थी, तो मैं थोड़ा तेज तेज करने लगा. उसे भी अच्छा महसूस होने लगा था.
फिर मैंने कुछ देर उंगली की और हम दोनों बाहर आ गए.
फिर उस दिन रात को मैंने खुद उसके हाथ में लंड दे दिया.
वो लंड से खेलने लगी, उसे मुँह में लेकर चूसने लगी. चूस चूस कर उसने लंड का पानी अपने मुँह में खा लिया.
कुछ दिन ऐसे ही कुछ चलता रहा.
चूंकि चाचा चाची दोनों जॉब पर चले जाते थे और हम पूरा दिन नंगे रह कर मस्ती करते थे. वो मेरे लंड पर अपनी गांड रख कर कूदती थी.
ऐसे ही एक दिन मैंने उंगली पर तेल लगा कर उसकी गांड में पेल रखी थी. उसने मेरा लंड पकड़ रखा था.
उसने कहा- आज गांड में लंड डालो.
मैंने कहा- नहीं जाएगा.
वो बोली- डाल कर देख लो.
मैंने कहा- तुझे दर्द होगा बहुत!
वो बोली- मैं सह लूँगी … तुम डालो.
मुझे तो मौका चाहिए था, मैंने कहा- चल ठीक है. तू पहले मेरा पूरा लंड तेल में गीला कर दे और अपनी गांड भी तेल से चिकनी कर ले.
उसने ऐसा ही किया.
फिर मैं उसे कुतिया बना कर उसके पीछे आ गया और लंड गांड में घुसाने लगा. मगर लंड अन्दर नहीं जा पा रहा था.
मैंने हर कोशिश कर ली थी.
मैंने कहा- मैं लेट जाता हूँ, तू मेरा लंड लेने की कोशिश करना. पहले अपनी गांड फिर से तेल में एकदम गीली कर ले और अपनी गांड के छेद पर लंड सैट करके एक साथ झटके से लंड पर कूद जाना.
वो बोली- ठीक है.
उसने अपनी गांड तेल से सराबोर कर ली, अपने दोनों चूतड़ों को भी गीले कर लिए, मेरा पूरा लंड भी तेल से सान दिया.
ऐसा लग रहा था कि आज लौंडिया अपनी गांड फड़ा कर ही मानेगी.
मैं लेट गया, वो मेरा लंड पकड़ कर मेरे ऊपर आई और अपनी गांड के छेद पर लंड का टोपा घिस कर सैट कर दिया.
अब वो बोली- कूदूं?
मैंने कहा- जरा रुक!
फिर मैंने उसके दोनों चूतड़ चौड़ाए … ओर लंड गांड के छेद पर सही से सैट करके कहा- हां अब कूद!
उसने मेरे लंड पर एक झटका मारा. मेरा एक इंच लंड सिस्टर की गांड को चीरता हुआ अन्दर घुस गया.
उसकी चीख निकल गई और वो ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.
लंड का सुपारा गांड के पहले छल्ले में अटक गया था. गांड से खून भी बहने लगा था.
उसकी गांड तरबूज की तरह फट गई थी.
उसने लंड से उठने की कोशिश की … रोती हुई थोड़ी सी उठी भी.
मगर मैंने बिना समय गंवाए एक बार उसे लंड पर फिर से गिरा लिया और मेरा 4 इंच लंड गांड में जा कर अटक गया. इससे अन्दर लंड नहीं जा सकता था.
वो बेहोश हो गई.
मैंने उतने लंड से ही उसकी गांड मारनी स्टार्ट कर दी.
मैं उसकी गांड मारता रहा. उसके खून से मेरा लंड लाल हो चुका था.
फिर गांड मारते मारते में उसकी गांड में ही झड़ गया.
वो बेहोश पड़ी थी.
मैंने उसकी गांड से लंड खींचा और उसे उठा कर बाथरूम में ले गया, उसकी गांड साफ करने लगा. उसको नहलाया.
फिर वो होश में आने लगी. उसकी गांड के फटने की दरार दिख रही थी. गांड का छेद पूरा लाल हो गया था.
मैं नहला कर उसे नंगी ही रूम में ले आया. उसकी गांड के छेद में तेल भरा और छेद के ऊपर रुई का फाहा लगा कर उसे एक पेन किलर खिलाई और ऐसे ही नंगी सुला दिया.
ग्यारह बजे से शाम 5 बजे तक वो बेसुध होकर सोती रही.
चाचा चाची के आने का समय हो रहा था तो मैंने उसे जगाया, तब जाकर वो उठी. उससे चलना नहीं हो पा रहा था.
फिर मैंने उसकी हिम्मत देकर चलाया और उसकी गांड में फिर से तेल लगाया. मैं उसके साथ कुछ ज्यादा चलने लगा ताकि वो ठीक हो सके.
फिर चाचा के आने तक वो 70% ठीक हो गई थी.
उसके दो दिन तक हम दोनों ने कुछ नहीं किया.
तीसरे दिन मैंने उसको लंड पर बिठाया और उसकी गांड के छेद को लंड पर रखा.
लंड घुसा नहीं तो वो खुद जाकर तेल ले आई. उसने मेरे लंड पर और अपनी गांड पर तेल लगाया और मेरी गोदी में बैठ गई.
मेरा 4 इंच लंड ही गांड में घुस गया था. फिर वो ऐसे ही मेरे गले में हाथ डाल कर मेरे लंड पर बैठी रही.
मेरी कमर पर पैर लपेट कर हिलने की कोशिश करने लगी.
थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हुआ और उसको ऐसे ही लंड पर लटका कर घूमने लगा. वो मेरी गर्दन में हाथ डाल कर लंड पर झूलती रही और मुझसे चिपकी रही.
करीब आधे घंटे बाद मेरा लंड उसकी गांड में खुद ही झड़ गया. फिर वो लंड से नीचे उतरी, तो उसकी गांड का छेद अन्दर तक लाल लाल दिख रहा था. वो हंसने लगी. फिर धीरे धीरे गांड की गुफा बंद हो गई.
एक दो दिन फिर ऐसे ही चलता रहा.
फिर तीसरे दिन मैंने उसे झुका कर सिस्टर की गांड में लंड घुसाया क्योंकि उसको अब लंड लेने की आदत हो चुकी थी.
चार इंच तक लंड तो वो बड़े आराम से ले लेती थी. मैंने लंड गांड में घुसा दिया.
वो गांड हिलाने लगी.
मैं उसकी गांड मारने लगा.
गांड मारते मारते मैंने तीन इंच लंड बाहर निकाला और ऊपर से लंड पर तेल की धर टपकाते हुए गांड लंड दोनों को तेल में भिगो लिया.
फिर उसकी गांड में एक झटके से घुसाया, तो फूच फूच फूच फूच की आवाज़ तेज तेज आने लगी.
अब मैंने उसके दोनों कूल्हे टाइटली पकड़े और एक ज़ोर का झटका दे मारा.
इतने दिनों से बाहर भटकता हुआ बाकी का लंड भी सिस्टर की गांड के अन्दर घुस गया.
उसकी चीख निकल गई.
फिर मैं मजे में उसकी टाइट गांड बजाने लगा.
कुछ पल बाद मैं सीधा खड़ा हो गया. वो मेरे लंड पर ऐसे उल्टी टंग गई, जैसे उसकी गांड में खूंटा पर टांग दी हो.
मैंने उसे काफ़ी देर लंड पर टांगे रखा और उसे उछाल उछाल कर उसकी गांड मारने लगा.
फिर मैंने उसे अपने लंड से नीचे उतारा और उसके मुँह में लंड देकर रस झाड़ दिया.
वो इस बार बहुत खुश थी और कह रही थी- भैया, अब मेरी चुत की सील भी फाड़ दो.
मैंने उसके दूध मसल कर कहा- हां जल्दी ही तेरी चुत को भी बुलंद दरवाजा बना दूँगा.
दोस्तो, मेरी ये सिस्टर की गांड की कहानी आपको कैसी लगी … प्लीज़ मेल करना न भूलें.
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मेरी कुंवारी अल्हड़ जवानी और मस्त चुत चुदाई
यह गाँव सेक्स कहानी एक देसी लड़की की है. वो अपने क्लासमेट को पसंद करती थी. वे दोनों आपस में खूब चूमाचाटी करते थे पर लड़की उसके लंड का मजा लेना चाहती थी.
यह कहानी सुनें.
दोस्तो, मैं आशा करती हूँ कि आप सब बहुत अच्छे से होंगे.
आज की सेक्स स्टोरी मुझे एक पाठिका से प्राप्त हुई है, वो अपनी गाँव सेक्स कहानी मेरे माध्यम से अन्तर्वासना पर प्रकाशित करवाना चाहती है.
ये सेक्स कहानी मुझे निधि शर्मा ने भेजी है, उसी के शब्दों में सुनें.
मेरा नाम निधि है और मैं अभी 26 साल की हूँ. अब मेरी शादी हो चुकी है और मेरी एक 3 साल की बेटी है. आज जो भी मैं आपके साथ शेयर करने जा रही हूँ, वो मेरे साथ दस साल पहले हुआ था.
मैं एक छोटे से गांव में रहती थी. स्कूल में पढ़ने जाने के लिए पास के ही गांव में जाना पड़ता था. मैं रोज साइकल से स्कूल जाती-आती थी.
मेरा एक दोस्त सुरेश भी मेरे साथ साथ पढ़ता था.
मैं और सुरेश एक दूसरे को पसंद करते थे.
मेरा शारीरिक विकास दूसरी लड़कियों से जल्दी हो गया था जिससे मैं कम उम्र में ही मैच्योर लगने लगी थी.
मेरा बदन भरा हुआ और गदराया हुआ लगता था. बड़ी बड़ी चुचियां, गोल गोल बाहर को निकलते हुए चूतड़, पतली कमर, गोरा रंग … बड़ी मस्त माल लगने लगी थी मैं!
सुरेश और मैं कभी कभी स्कूल से तालाब पर चले जाया करते थे. उधर अकेलेपन का फ़ायदा उठा कर हम एक दूसरे को चूम लिया करते थे.
हमारे बीच धीरे धीरे ये सब चीजें बढ़ने लगीं … और अब सुरेश मेरे मम्मों को अपने मुँह में लेकर चूसता और दबा देता; मेरी सलवार में हाथ डालकर मेरी चुत को रगड़ देता.
इससे मुझे भी बहुत अच्छा लगता था.
वो अपनी एक उंगली मेरी चुत में धीरे धीरे अन्दर बाहर करता और मैं उसे ज़ोर से पकड़ लेती.
इतना सब कुछ होने के बाद भी सुरेश ने मेरी तड़पती हुई प्यासी चुत में अब तक अपना लंड नहीं डाला था.
सुरेश की इस बात से मैं कुछ कसमसाती सी रहती थी.
अब लड़की थी, तो अपने मुँह से सुरेश से नहीं कह पा रही थी कि मुझे चोद दो.
एक बार मैंने सुरेश की पैंट के ऊपर से ही उसका लंड हाथ से सहलाया था कि शायद इसको समझ आ जाए कि मैं उससे चुदना चाहती हूँ.
मगर उस भौंदू ने मेरी बात कभी समझी ही नहीं.
उस दिन मुझे उसकी पैंट गीली सी लगी, तो मैं समझ गई कि इसका लंड भी पानी पानी हो गया है.
उसकी इसी न चोदने की वजह से मुझे उस पर कुछ चिढ़ सी आने लगी थी.
स्कूल में मेरी क्लास में एक लड़का बसंत भी पढ़ता था.
उसका बाप गांव का एक पैसे वाला किसान था. उसके पास कार वगैरह सब था.
वो भी मुझे बड़ी हसरत से देखता था. कई बार उसने मुझे अपनी ओर खींचने की कोशिश की मगर मुझे न जाने क्यों ऐसा लगता था कि ये मुझे चोद कर छोड़ देगा.
जबकि सुरेश से मुझे प्यार था.
दूसरी तरफ सुरेश और बसंत आपस में दोस्त थे. सुरेश के साथ अक्सर बसंत मेरे पास आकर बैठ जाया करता था. वो हमेशा मेरे लिए महंगी महंगी चॉकलेट आदि लाया करता था.
मुझे चॉकलेट खाना पसंद तो थी लेकिन मैं बसंत से लेते समय कुछ सकुचा जाती थी. तो सुरेश जबरन मुझे चॉकलेट लेने के लिए कह देता था.
मैं भी बसंत की तरफ देख कर आंखों ही आंखों में उसे धन्यवाद कर देती थी.
अब मुझे कुछ कुछ लगने लगा था कि सुरेश मुझे नहीं चोदेगा, तो मैं बसंत से ही चुद जाऊंगी.
वो ठंड का मौसम था, नया साल आने वाला था. सुरेश ने मुझे एक फोन देने का वादा किया था. जिससे हम दोनों कभी भी एक दूसरे से बात कर सकते थे.
उसने मुझसे भी कुछ पैसे देने के लिए कहा. मैंने अपनी गुल्लक में से निकाल कर उसे पांच सौ रूपए दे दिए.
सुरेश ने मुझे एक तारीख को स्कूल न जाने के बजाए तालाब वाली जगह पर मिलने को बोला.
मैं सुबह अपनी साइकल से 8:30 बजे घर से निकलकर तालाब पर पहुंच गई.
उस दिन ठंड के साथ साथ कोहरा भी बहुत ज्यादा था. थोड़ी सी दूरी का भी कुछ नहीं दिखाई दे रहा था.
तभी मुझे सामने किसी गाड़ी की लाइट चमकती हुई दिखाई दी. मैं एक तरफ रुक गई और उसके निकल जाने तक रुकी रही.
तभी एक कार मेरे पास रुक गई. सुरेश पीछे वाली सीट से बाहर निकला और मुझसे अपने साथ चलने के लिए बोला.
ये बसंत की कार थी.
मुझे काफ़ी अज़ीब लगा. इससे पहले मैं कभी कार में नहीं बैठी थी. मेरी साइकल को सुरेश ने पेड़ से बांधकर मुझे अपने साथ कार की पिछली सीट पर बैठा लिया. मैं चुपचाप बैठी थी. बसंत कार चला रहा था.
मैंने बाहर झांकने की कोशिश की, तो गाड़ी के शीशों पर ओस जमी थी. बाहर का कुछ भी नहीं दिखाई दे रहा था. सुरेश मेरे साथ बैठा था और मेरी जांघों पर हाथ फेर रहा था.
मैं आंखों ही आंखों में उस पर गुस्सा थी कि बिना बताए ये किधर का प्रोग्राम बना लिया.
तभी अचानक से मैंने हिम्मत जुटा कर बोल ही दिया- तुम लोग मुझे किधर ले जा रहे हो. पहले मुझे बताओ वर्ना मैं कहीं नहीं जाऊंगी.
बसंत ने गाड़ी रोक दी.
अब तक हम गांव से काफ़ी दूर आ गए थे. मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कहां हूँ.
मैंने सुरेश से कहा- प्लीज़ मुझे बताओ न कि हम लोग किधर जा रहे हैं.
सुरेश ने बोला- तू चिंता क्यों कर रही है. हम लोग नए साल की मस्ती में कुछ दूर तक घूमेंगे और थोड़ी देर में वापस आ जाएंगे.
मैं इस बात से चुप हो गई. तब भी मेरा मन नहीं लग रहा था.
थोड़ी देर के बाद बसंत ने कार को एक कच्चे रास्ते पर उतार दी और कोई दो किलोमीटर अन्दर जाकर उसने गाड़ी रोक दी. उधर चारों तरफ खेत ही खेत थे. पास ही एक मिट्टी से बना हुआ कच्चा घर भी था. उसके सामने दो लोग बैठे हुए अंगीठी से आग सेंक रहे थे.
वो दोनों शायद उधर के चौकीदार थे.
उन्होंने बसंत को देखा तो उसके पैर छूकर नमस्ते की.
‘जुहार पहुंचे दाऊ साब … नया साल मुबारक हो.
‘तुम्हें भी नया साल मुबारक हो … जाओ अब खेतों में घूम आओ.’
वो दोनों उधर से चले गए.
बसंत ने मुझे सुरेश के साथ अन्दर जाने का इशारा किया.
उसका इशारा पाकर सुरेश मुझे उसी कच्चे मकान के अन्दर ले गया. उसमें एक तरफ चारपाई बिछी थी, दूसरी तरफ पुआल और भूसे का ढेर पड़ा था.
सुरेश कमरे के अन्दर ले जाते ही मुझे चूमने लगा. उसके ठंडे ठंडे हाथ मेरी कमर पर चल रहे थे.
उसकी उंगलियों ने मेरी सलवार का नाड़ा पकड़ कर खींच दिया और अगले ही पल मेरी सलवार नीचे गिर गई.
मैं जब तक कुछ समझ पाती कि उसके ठंडे हाथ मेरी चड्डी में घुस कर मेरी चुत को सहलाने लगे थे.
मुझे एकदम से सुरेश के मर्द बन जाने पर हैरानी हो रही थी. तब भी मैं कुछ नहीं बोली.
उसी समय बसंत भी कमरे के अन्दर आ गया.
सुरेश मुझे उसी हालत में छोड़ कर बाहर चला गया.
मैं सकपका गई कि ये क्या हो रहा है.
तभी बसंत मेरे पास आकर मेरे बालों में हाथ फेरने लगा.
मैंने उससे कहा- बसंत तुम ये क्या कर रहे हो … छोड़ दो, जाने दो मुझे!
बसंत- निधि तू अपने दिल की बात मुझसे कह सकती हो. मुझे मालूम है कि तुम जो सुरेश से चाहती हो, वो तुम्हें नहीं दे रहा है. बल्कि मैं तुम्हें सच बताऊं तो सुरेश तुम्हारी कामना पूर्ति में अयोग्य है.
उसके इस खुलासे से मैं एकदम से चौंक गई- क्या … ये तुम क्या कह रहे हो बसंत! मैंने खुद उसे देखा है उसके पास सब कुछ है.
मैं बसंत को सुरेश के लंड के बारे में बताना चाह रही थी.
बसंत- हां, सुरेश ने मुझे वो सब बताया है. मगर निधि मैं भी तुम्हें बहुत चाहता हूँ और अपने दोस्त की खातिर तुमको भी पूरी तरह से खुश कर सकता हूँ. आज नया साल है और इधर हमारे अलावा कोई नहीं है. और तू चिंता मत कर … सुरेश ने तुझे जो चीज़ देने का वादा किया है, वो मैं तुझे दूँगा.
ये बोल कर बसंत ने मेरी चड्डी नीचे खींच दी और मेरी बड़ी बड़ी घुंघराली काली झांटों में छिपी मेरी कोमल चुत उसके सामने नुमाया हो गई.
मैं एकदम से लजा गई और मैंने बसंत से कहा- ये क्या कर रहे हो … जरा रुको तो!
मगर अब तक बसंत ने मेरी चुत की लकीर पर अपनी उंगली रख दी थी. अगले ही पल उसने अपनी उंगली से मेरी चुत की फांकों को खोल दिया.
मैं सिहर उठी और सर्दी का अहसास खत्म होने लगा.
बसंत नीचे बैठ गया और उसने मेरी चुत के दोनों होंठों को खोलकर अपना मुँह लगा दिया.
आह … मेरी सिसकारी निकल गई.
उसने अपनी जीभ मेरी चुत में डाल दी और मेरी चुत को चाटने लगा. मेरी चुत हल्की चिपचिपी होने लगी थी और उसमें से निकलने वाली मादक गंध बसंत को मदहोश कर रही थी.
मैंने अपनी आंखें बंद कर ली थीं और बसंत के सर पर अपना हाथ रखते हुए अपनी टांगें खोल कर उसे अपनी चुत में घुसाने की कोशिश करने लगी थी.
मुझे इस समय कुछ भी होश नहीं था.
उधर बसंत भी पागलों की तरह मेरी चुत के दाने को होंठों से खींच खींच कर चूस रहा था.
मैं एकदम गर्मा गई थी और चुदने के लिए मचल उठी थी.
तभी बसंत ने मेरी चुत से अपना मुँह हटाया और वो खड़ा हो गया. मैं उसे देखने लगी, तो उसने मेरा स्वेटर और कुर्ती को उतार दिया. मेरे बदन पर सिर्फ एक ब्रा रह गई थी. जिसमें मेरे दोनों सुडौल कबूतर कैद थे.
वो मेरे रसभरे मम्मों को देखकर एकदम से पगला गया.
उसके मुँह में पानी आ गया और वो बुदबुदाने लगा- आह आज तो तेरे इन रस भरे संतरों को पूरा निचोड़ डालूंगा. कितनी खूबसूरत है तू … तेरा बदन बड़ा सेक्सी है निधि.
ये बोल कर बसंत ने मेरी ब्रा से एक दूध बाहर निकाल लिया और उसे दबाने लगा.
मैं मस्त होने लगी और उसकी आंखों में आए गुलाबी डोरों को देखने लगी.
बसंत ने मुझे खटिया पर धक्का देते हुए लिटा दिया.
फिर मेरे एक गुलाबी निप्पल को जीभ से चाट कर उसे अपने मुँह में भर लिया और किसी बच्चे की तरह मेरा दूध चूसने लगा. साथ ही उसने अपने दूसरे हाथ से मेरा दूसरा दूध पकड़ लिया और उसे मसलते हुए मेरे ऊपर चढ़ गया.
उसके पायजामे के अन्दर से ही उसका मोटा लंड मेरी चुत पर रगड़ मार रहा था.
कुछ देर में वो मुझे उठा कर पुआल के ढेर पर ले गया. उधर उसने अपना पज़ामा नीचे किया और मेरी टांगों के बीच में आकर बैठ गया. उसने मेरी टांगें फैला कर घुटनों को मोड़ा और अपने मोटे लंड को मेरी चुत की फांकों में फंसा दिया.
पहली बार किसी लंड के स्पर्श से ही मेरी सांसें एकदम से रुक गई थीं.
लंड लेने की चाहत भी थी और उससे चुत फट जाने का एक डर भी था.
जैसे ही बसंत ने अपने लंड को एक झटका दिया. मेरी आवाज गले में ही घुट कर रह गई. उसने के ही झटके में अपना लंड मेरी चुत के अन्दर उतार दिया था.
मैंने उसे जोर से पकड़ लिया … और मेरी आंखों में आंसू आ गए.
दूसरे ही पल बसंत ने बड़ी बेरहमी से एक और झटका दे मारा और अब मेरी आवाज निकल पड़ी- आआहह मम्मी मर गई … आहह..’
मैं बसंत से छूटने की कोशिश कर रही थी, मगर उसकी पकड़ मेरी कमर पर काफ़ी मजबूत थी.
उसने बिना कोई परवाह किए धक्के देने चालू कर दिए और वो मेरी चुत में ताबड़तोड़ धक्के मारता चला गया.
मैं बेबस चिड़िया सी उसकी बलिष्ठ बाजुओं में पिस कर रह गई. मेरी चुत ने अपना रस दो बार छोड़ दिया था.
मगर बसंत का इंजन किसी सुपरफास्ट ट्रेन की तरह मेरी चुत की बखिया उधड़ने में सरपट दौड़ा जा रहा था.
कोई पन्द्रह मिनट तक मुझे धकापेल चोदने के बाद बसंत ने अपने लंड को चुत से बाहर खींचा और उसका गर्मागर्म माल मेरी चुत के ऊपर झाड़ दिया.
वो झड़ कर मेरे ऊपर ही लेट गया. मैंने भी उसे अपनी बांहों में समेट लिया.
थोड़ी देर बाद फिर से मेरी चुदाई शुरू हो गई. इस बार बसंत ने मुझे बीस मिनट तक रगड़ा. मैं मस्त हो गई थी.
उसके बाद सुरेश अन्दर आ गया और मेरी तरफ देखने लगा.
मुझे उस पर दया सी आ गई.
बसंत ने कहा- निधि एक बार तू कोशिश करके देख, शायद सुरेश किसी काम का निकल आए.
मैंने उसे अपने पास खींच कर नंगा किया और उसका लंड चूसने लगी.
पहली बार में तो उसने एक मिनट में ही अपना रस छोड़ दिया. फिर भी मैंने सुरेश के लंड की चुसाई जारी रखी. उसकी गोटियों को भी चूसा तो सुरेश का लंड खड़ा हो गया.
फिर मैंने उसे नीचे गिराया और उसके लंड पर चुत सैट करके चढ़ गई. लंड चुत में घुस गया था मगर उसमें बसंत के लंड जैसी सख्ती नहीं थी. मैं तब भी उसके लंड पर पांच मिनट तक कूदती रही और उसे भी अपनी चुत का मजा दे दिया.
उस दिन ये हैप्पी न्यू इयर दो बजे तक चला.
आज मैं उन दोनों के लंड से चुद कर बहुत खुश थी.
फिर गाँव सेक्स के बाद हम सभी ने जाने की तैयारी की.
बसंत ने मुझे एक नोकिया का पुराना फोन दिया और एक हज़ार रुपए भी दिए.
मैंने रूपए लेने से मना किया, तो बसंत बोला- तुम्हारे पांच सौ रूपए बढ़ कर एक हजार हो गए. तुम मुझसे इतनी खुल कर मिली निधि … सच में मुझे तुम्हारे साथ बहुत मजा आया. अब प्लीज़ मुझसे मिलती रहा करो.
मैं हंस दी और हम तीनों कार से वापस आने लगे.
करीब 2.30 पर उसने मुझे फिर से तालाब के पास छोड़ दिया. उधर से मैं अपनी साइकल उठा कर घर आ गई.
उस रात को बसंत का फोन मेरे फोन पर आया. वो आज दिन में जो भी हुआ था उसी के बारे में बात करने लगा.
मैं भी सुरेश की जगह बसंत की मर्दानगी की कायल हो गई थी और उसी की जीएफ बन गई.
आपको मेरी कुंवारी अल्हड़ जवानी की चुत चुदाई की गाँव सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करना न भूलें.
deepika141@yahoo.com