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माँ की चूत पर बेटे की नजर- 3

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मादरचोद लड़के की कहानी में पढ़ें कि कैसे मॉम और बेटा एक दूसरे के साथ सेक्स करना चाहते थे लेकिन रिश्ता आड़े आता था. यह दुविधा कैसे दूर हुई?

दोस्तो, आप रोहन और उसकी मॉम के बीच सेक्स सम्बंधों पर आधारित सेक्स कहानी को पढ़ रहे हैं.
मादरचोद लड़के की कहानी के पिछले भाग
माँ ने जवान बेटे का लंड चूसा
में अब तक आपने पढ़ा था कि रोहन की मॉम ने अपने पति के साथ सुबह सुबह जमकर चुदाई का मजा लिया और झड़ते समय कुसुम के मुँह से अपने बेटे का नाम निकल गया और वो ओह रोहन कहते हुए झड़ गई.
इसके बाद उन दोनों में रोहन को लेकर बातचीत हुई … कुसुम ने रोहन के द्वारा लिखे लैटर को अपने पति शेखर को दिखाया और अब तक हुई सभी घटनाओं का जिक्र किया.

अब आगे मादरचोद लड़के की कहानी:

शेखर अपनी पत्नी के मुँह से अपने बेटे के बारे में ये सब सुन कर चौंक गया.
फिर उसने कुसुम से पूछा- क्या तुम भी रोहन से साथ सेक्स करना चाहती हो?

इस पर कुसुम शेखर से इतना ही बोल पाई- शेखर, मैं आपको धोखा नहीं देना चाहती. मैं आपसे बहुत प्यार करती हूं. पर रोहन का क्या करूं, उसको समझाना मुश्किल है.

शेखर ने कुसुम से कहा कि कुसुम तुम दोनों के मन में जो हो, वो करो … मेरी तरफ से तुम दोनों को खुली छूट है. यार मैं, तुम दोनों की खुशी के लिए ही तो जीता हूं. मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है और रोहन ने लैटर में साफ साफ लिखा है. तुम दोनों जो भी रिश्ता बनाओगे, वो इस घर के अन्दर ही रहेगा. तो दिक्कत वाली कोई बात ही नहीं है.

कुसुम ये सुनकर खुशी से झूम उठी और शेखर का लंड मुँह में लेकर फिर से चूसने लगी.

शेखर ने अब कुसुम को पूरी नंगी कर दिया और उसकी नंगी कोमल चूचियों को छूने मात्र से शेखर का लंड फिर से तन गया.

उसने इस बार कुसुम को बेड पर कुतिया वाले पोज में झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड के छेद पर लगा दिया.

फिर शेखर ने कुसुम की गांड के छल्ले पर थोड़ा थूक दिया, जिससे लंड को अन्दर जाने में कोई प्रॉब्लम ना हो.

कुसुम की गांड के छेद पर लंड सैट करके शेखर ने धक्का देना शुरू कर दिया.
धीरे धीरे करके उसने अपना पूरा लंड कुसुम की गांड में सरका दिया.

कुछ मिनट तक लगातार धक्के मारते मारते शेखर कुसुम की गांड में ही झड़ गया.

ऐसे ही दो दिन निकल गए.

पति पत्नी दोनों ने पूरा मन बना लिया था कि कुसुम अपने बेटे से किस तरह से चुदेगी.

जिस दिन रोहन घर आने वाला था, उस दिन शेखर और कुसुम दोनों ने मिलकर रोहन के लिए सरप्राईज प्लान किया था.

शेखर उस दिन अपने ऑफिस में ही रुक गया था, जिससे कुसुम और रोहन को स्पेस मिल सके.

इधर कुसुम सुबह से ही रोहन के आने की तैयारी में लगी थी.

आज वो ब्यूटी पार्लर जाकर अपने आपको सजा संवार रही थी, वो खुद को आज की रात को स्पेशल बनाने के लिए तैयार कर रही थी.
अब उसे खुली छूट थी कि वो अपने बेटे के लंड से अपनी चुत चुदवा सके.

कुसुम ने ब्यूटीपार्लर में अपने आपको दुल्हन की तरह तैयार करवाया.
वो चाह रही थी कि रोहन और उसका मिलन बहुत स्पेशल हो.

कुसुम ने अपने कमरे को भी सुहागरात की तरह सजवाया था.

सब कुछ रेडी हो जाने के बाद वो खुद दुल्हन बनकर बेड पर रोहन के आने का इंतजार करने लगी.

रोहन ट्रिप से आज रात को आने वाला था. उसने अपनी पिता को कॉल कर दिया था कि वो रात के 10 बजे तक पहुंच जाएगा.

रोहन अपने टाइम पर घर पहुंच गया.
वो एक पल के लिए चौंका क्योंकि उसे घर का मेन दरवाजा खुला ही मिला था. घर में भी ज्यादा रोशनी नहीं थी.

उसने अपनी मॉम और डैड को आवाज दी.
मगर कोई जवाब ना पाकर वो मॉम के कमरे की तरफ बढ़ गया.

उसने जैसे ही अपनी मॉम के कमरे का दरवाजा खोला, तो रूम में पूरा अंधेरा था.

वो वापस मुड़ने को हुआ ही था कि कुसुम की आवाज ने उसे रोक लिया- रोहन मैं यहीं हूं.

रोहन अपनी मॉम की आवाज सुनकर चौंक गया और उसने पूछा- आप अंधेरे में क्यों बैठी हो.
ये कहते हुए रोहन ने रूम की लाइट ऑन कर दी.

रोशनी फैलने के साथ ही रोहन की आंखें भी फैल गईं. पूरा कमरा फूलों से सजा हुआ था. बिस्तर पर उसकी मॉम दुल्हन की तरह सजी हुई बैठी थी.

रोहन को ये सब देख कर विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये सब क्या हो रहा है.

रोहन ने अपनी मॉम से पूछा- मॉम ये सब क्या है … और आप दुल्हन बनकर क्यों बैठी हो … डैड कहां हैं?

कुसुम बोली- तुम्हारे जाने के बाद रोहन मैंने तुम्हारा लैटर पढ़ा और मैं हमारे बारे में सोच ही रही थी कि शेखर ने मुझे आवाज दे दी. मैं जैसे ही उसके पास गई. उसने मुझे दबोच लिया और हम अपनी चुदाई में खो गए. शेखर के साथ होते हुए भी मुझे तुम्हारा ही अहसास हो रहा था. और झड़ते हुए अचानक मुँह से तुम्हारा नाम निकल गया. इस पर शेखर चौंक गया और उसने मुझसे इस बारे में पूछा, तो मैंने ही उसे हमारे बारे में सब कुछ बता दिया और तुम्हारा लैटर भी उसे दिखा दिया. मैं उसे धोखा नहीं देना चाहती थी. शेखर पहले तो चौंक गया था फिर उसने मुझसे मेरी मर्जी पूछी तो मैंने उसे सब सच सच बता दिया. शेखर ने बोला कि हम दोनों को जो भी करना है, हम कर सकते हैं, बस ये सब इस दुनिया से छुपाकर ही करना है. उसने ये भी कहा है कि हम दोनों की खुशी में ही उसकी खुशी है. रोहन इसी लिए शेखर और मैंने तुम्हारे लिए ये सब प्लान किया. शेखर आज रात ऑफिस में ही रुकेगा.

रोहन ये सब सुनकर बहुत खुश हो गया और वो खुशी के मारे अपनी मॉम को किस करने लगा.

कुसुम ने उसे अलग करते हुए कहा- रोहन, मैं आज तुम्हारी ही हूँ. तुम पहले नहा कर आओ, आज हमारी सुहागरात है.

रोहन जल्दी से बाथरूम जाकर नहा धोकर वापस आ गया. उसके बदन पर बस कच्छा और बनियान ही था. रोहन अपनी मॉम के पास गया और उसे लिटा कर उसके रसीले होंठों पर अपने होंठ टिका कर चूसने लगा. वो दोनों एक लम्बी किस में खो गए.

रोहन का लंड ये सोचकर पत्थर हो गया था कि आज के बाद वो कुसुम को कभी भी चोद सकता था.
दोनों किस में खोए हुए थे और रोहन का लंड कुसुम की जांघों पर टक्कर मार रहा था.

रोहन किस के साथ साथ अपनी मॉम के चूचों को भी भींचने लगा.
इससे कुसुम की मादक सिसकारियां निकलने लगीं- आह उंह आह ऐसे ही रोहन … और कसके दबाओ … आह कर लो अपने मन की मुराद पूरी.

तभी रोहन उठ कर बैठ गया और कुसुम का ब्लाउज खोलने लगा.
कुसुम ने भी रोहन का साथ दिया.

जल्द ही कुसुम ब्रा में थी. वो अपनी लाल रंग की रेशमी और छोटी सी ब्रा में बड़ी ही सेक्सी लग रही थी.

रोहन ब्रा के ऊपर से ही अपनी मॉम के चूचों को सहलाने लगा और साथ में उसका एक हाथ अपनी मॉम कुसुम के पेटीकोट में घुस गया.

कुसुम से इतनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हुई और वो रोहन के हाथ पर ही झड़ने लगी.

रोहन ने अपनी मॉम के पेटीकोट को खींच कर अलग कर दिया.
अब कुसुम सिर्फ ब्रा पैंटी में थी और क़यामत लग रही थी.

रोहन एक बार फिर से उठा और अपनी मॉम को किस करते हुए उसकी ब्रा को भी खोल दिया.
कुसुम ऊपर से नंगी थी और एक मस्त माल लग रही थी.

अगले ही पल कुसुम के पहाड़ जैसे चूचे उसके बेटे रोहन के हाथों द्वारा मसले जा रहे थे.

कुसुम की वासनामयी सिसकारियां बहुत तेज़ निकलने लगी थीं. उसको इतना मजा आज से पहले कभी नहीं आया था. वो अपने बेटे के साथ ये सब कर रही है, यह अहसास ही उसे इतना मज़ा दे रहा था कि वो गर्मी की इन्तेहा को पार करते हुए फिर से कामोत्तेजित हो गई थी.

अपनी मॉम की चूचों को रोहन बारी बारी से अपने मुँह में लेकर चूस रहा था.

रोहन को इतने मुलायम चूचे बहुत ज्यादा उत्तेजित कर रहे थे. वो पूरी ताकत के साथ अपनी मॉम के मम्मों को काटने और दबाने लगा था.
साथ ही रोहन का लंड कुसुम की चूत पर बार बार दस्तक दे रहा था.

लंड चुत पर महसूस करके कुसुम बार बार अपना पानी छोड़ रही थी.
इतना पानी उसकी चूत से आज तक नहीं निकलता था. उसे बहुत मज़ा आ रहा था.

कुछ देर बाद रोहन नीचे आ गया और अपनी मॉम कुसुम की नाभि पर किस करने लगा. फिर उसने कुसुम की पैंटी भी निकाल दी.

कुसुम अपने बेटे के सामने बिल्कुल नंगी पड़ी थी.

रोहन अपनी मॉम की चूत देखकर बहुत गर्म हो गया था. उसकी मॉम की बड़ी प्यारी सी चूत खुली हुई थी. कुसुम की चुत एकदम फूली हुई सी, मक्खन सी गोरी और सपाट चिकनी चुत थी.

उसकी मॉम की चूत की पंखुड़ियां किसी गुलाब की पंखुड़ियों की तरह फैली हुई थीं.
अपनी मॉम की रसीली चुत देख रोहन के मुँह में पानी आने लगा था. उसने एक पल की भी देर न करते हुए अपना मुँह अपनी मॉम की चूत पर लगा दिया.

अपने बेटे की जीभ का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर कुसुम की मादक चीख निकल गई और वो उसी पल झड़ने लगी.

रोहन ने अपनी मॉम की चूत का सारा पानी ऐसे चाट लिया जैसे उसे कोई अपनी पसंदीदा मीठी गुझिया मिल गई हो.

चुत का रस पीकर रोहन की आंखों में लाल डोरे तैरने लगे थे. उसका चेहरा मानो दो बोतल शराब के नशे से मदहोश हो गया था.

अब कुसुम ने रोहन को लिटा दिया और उसके ऊपर चढ़ गई. उसने अपने बेटे की बनियान को अलग कर दिया. उसका बेटा सिर्फ कच्छे में था.

कुसुम ने कच्छे के ऊपर से अपने बेटे के लंड को पकड़ लिया और उससे खेलने लगी.

वो जल्दी से रोहन के लंड को नजदीक से महसूस करना चाहती थी. उसने धीरे धीरे रोहन का कच्छा निकाल दिया.
उसकी आंखों के सामने उसके जवान बेटे रोहन का लम्बा और 3 इंच मोटा लंड फनफना रहा था.

अपने बेटे के मोटे लंड को सामने देखकर कुसुम की सांसें गर्म होने लगी थीं. उसकी आंखें फैल गई थीं और वो अपने गले में अटका थूक गुटक कर अपने बेटे के हब्शी लंड को देख कर एक बार डर सी गई.
तब भी चुत की लालसा ने कुसुम को लंड पकड़ने को मजबूर कर दिया.

उसने लंड को पकड़ कर उसकी चमड़ी को नीचे किया. जिससे रोहन की एक मादक आह निकल गई.

कुसुम से अब और सब्र नहीं हो रहा था वो चुदास के मद में झूम रही थी.
उसने अपने बेटे रोहन के लंड के सुपारे पर एक बार जीभ फेरी और लंड के प्रीकम का स्वाद लेकर एकदम भूखी शेरनी की तरह लंड पर झपट पड़ी.

उसने लंड को अपने में मुँह में ले लिया और धीरे धीरे पूरा अन्दर लेने की कोशिश करने लगी.

कुछ ही देर के प्रयास में कुसुम ने अपने बेटे का पूरा लंड मुँह में ले लिया.
लंड गले से टकरा रहा था जिससे कुसुम को तकलीफ हो रही थी. रोहन का लंड काफी लंबा और बहुत मोटा था.

रोहन को इस पल बहुत मज़ा आ रहा था. उसका लंड उसकी मॉम के मुँह से चुस रहा था, ये अहसास उसे मस्त किए दे रहा था.
इसी मजे के कारण उसकी गांड हवा में बार बार उछल रही थी और मॉम के मुँह में अन्दर तक लंड जा रहा था.

रोहन अब खुद अपनी मॉम के सर को पकड़ कर अपने लंड पर दबा रहा था. रोहन का लंड कुसुम के कंठ तक पहुंच कर आतंक मचा रहा था.

इससे कुसुम को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. वो बार बार रोहन के हाथों को अपने हाथों से पकड़ कर खींचती और इशारे से कहती कि अपना लंड बाहर निकाल ले.

रोहन ने इशारा समझ लिया और उसने अपनी मॉम की बात मान ली.
पर अब उससे बर्दाश्त करना मुश्किल हो रहा था.

उसने अपनी मॉम को लिटा दिया और अपना लंड कुसुम की चूत के मुहाने पर लगाकर रगड़ने लगा.
कुसुम को जब अपनी चुत पर अपने बेटे के लंड का अहसास हुआ, तो वो मजे से झूम उठी.

उस पल एक बार उसे वो अहसास भी हुआ कि जिस चूत से उसने अपने इस बेटे को जन्म दिया था, आज वही बेटा अपना लंड उसी चूत में घुसेड़ने जा रहा है.

कुसुम उसी पल उत्तेजना में झड़ने लगी. चुत के रस की चिकनाई से रोहन से भी रहा न गया और उसने अपना लंड रगड़ते रगड़ते ही अन्दर की तरफ धकेल दिया.

पहली बार में ही रोहन का आधा लंड उसकी मॉम कुसुम की चूत में घुस गया.
लंड की मोटाई और लम्बाई से कुसुम की चुत चिर सी गई और उसके मुँह से तेज चीख निकल गई- आआ आहह उफ्फ़ … मादरचोद … धीरे कर रोहन … प्लीज़ … अहह!

उसी पल रोहन ने अपना लंड बाहर निकाला और एक और तेज धक्का देकर अपनी पूरी ताकत से लंड को कुसुम की चुत की गहराई तक पहुंचा दिया.
लंड चुत की गहराई में बच्चेदानी को टच कर गया था.

इस बार कुसुम की चीख पहले से तेज़ निकल गई थी और उसकी आंखों से आंसू की बूंदें भी छलक आई थीं- ऊऊओह येस … कितना मोटा है तेरा लंड रोहन … आहह मज़ा आ गया … उम्म्म … ओह … यसस्स.

अपनी मॉम की आंखों में आंसू देखकर रोहन रुक गया है और उसने अपनी मॉम की आंखों को चूम लिया. वो कुसुम के होंठों को चूसने लगा और साथ ही साथ कुसुम के चूचों को भी हल्के हल्के दबाने लगा.

कुसुम को मज़ा आने लगा और उसकी कमर नीचे से उठ कर लंड में धक्के लगाने लगी.
इससे रोहन भी धीरे धीरे अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा.

अब रोहन अपनी मॉम को जबरदस्त तरीके से चोदने में लगा था और कुसुम आंखें बंद करके बस अपने बेटे के लंड की चुदाई से मिल रहे मजे में खोई हुई थी.

कुसुम- आआहह ओह ईईईर … आई एम लविंग इट … यसस्स्स … फक माय होल … ओ माय गॉड … ऐसा मज़ा तो मुझे कभी नहीं मिला … अहह … ओह रोहन … यू आर फकिंग मी रियली गुड … फक मी विद युअर हार्ड कॉक … अह चोदो मुझे … मारो मेरी चूत … अहह.

अब तक ऐसी चुदाई में इतना मजा उसे कभी नहीं आया था. वो मजे से पागल हुई जा रही थी.

कुछ देर बाद रोहन ने अपनी मॉम को पलट दिया और उसे डॉगी पोजिशन में ले आया.
कुसुम भी झट से कुतिया बन कर अपनी गांड हिलाने लगी.

रोहन ने पीछे से अपना लंड अपनी मॉम की चूत में पूरा घुसा दिया.
इससे कुसुम की मादक सिसकारियां और तेज़ हो गईं- आआ आहह … ओह माय गॉड नोओओ उम्म्म्म … नोऊओ.

रोहन इस बार अपनी मॉम की कमर पकड़ कर पूरी ताकत से चुत में लंड के धक्के लगा रहा था.

लगभग 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद रोहन को लगा कि अब उसका लंड कभी भी पिचकारी छोड़ सकता है.
उसने तुरंत अपना लंड बाहर निकाल लिया और अपनी मॉम को पलट कर उसके चेहरे के पास लंड ले आया.

वो ‘आआ आआहह … उम्म्म्म ..’ करता हुआ लंड हिलाने लगा.
अगले ही कुसुम के चेहरे पर सफेद रंग के मक्खन की बारिश होने लगी जिसे कुसुम अपनी उंगलियों की मदद से चाटने लगी.

काफी माल चाटने के बाद भी रोहन का माल उसके चेहरे से होता हुआ उसके चूचों तक आ गया था.
कुसुम एक एक बूंद को इकट्ठा करके उसे चाटने लगी.

दूसरी तरफ रोहन पूरा लंड खाली करके बिस्तर पर धड़ाम से गिर गया.

कुसुम अपने आपको साफ करने के लिए बाथरूम में चली गई.

बाथरूम जाते हुए कुसुम की गांड देखकर मादरचोद रोहन का लंड फिर से हिलोरें मारने लगा था.

अभी के लिए इतना ही दोस्तो, जल्दी ही आपको इसके आगे की सेक्स कहानी पढ़ने को मिलेगी.
मादरचोद लड़के की कहानी पर अपने मेल भेजना न भूलें.

ajay.raj199206@gmail.com



बहन की सुहागरात से पहले उसकी कुंवारी चुत चोदी

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भाई बहन Xxx कहानी में पढ़ें कि शादी के बाद मैं अपनी बहन को लेने गया तो लॉकडाउन में हम दोनों फंस गए. मुझे मेरी बीवी की चूत याद आ रही थी.

दोस्तो, आज मैं अपनी पहली सेक्स कहानी लिखने जा रहा हूँ.
ये भाई बहन Xxx कहानी 22 मार्च 2020 की है, उस दिन जनता कर्फ़्यू लगाया गया था.
इस जनता कर्फ्यू से दो ही दिन पहले 20 मार्च को मेरी और मेरी बड़ी बहन सलमा का निकाह हुआ था.

बाइस मार्च को मैं अपनी आपा को लेने और अपनी बीवी को छोड़ने महू गया था क्योंकि जीजाजी की बहन से मेरी शादी हुई थी और उनकी शादी मेरी बहन से हुई थी.
हमारे यहां ऐसा चलन है.

चूंकि कोरोना की खबरें फ़ैल रही थीं और माहौल सही नहीं था, तो उस दिन मैं ही दोनों को छोड़ने और लेने गया था.

मैं इंदौर में जॉब करता हूँ और उज्जैन में मेरा घर है. अगले दिन तेईस तारीख की देर शाम को मैं बहन को लेकर वापस इंदौर पहुंचा.

उस दिन मुझे ऑफिस का कुछ काम था, तो मैंने सोचा था कि रात को काम करके उज्जैन निकल जाऊंगा.
लेकिन उसी रात को 8 बजे पूरे देश में लॉकडाउन घोषित हो गया तो मैं मेरी बहन वहीं इंदौर में फंस गए.

इंदौर के इस एक कमरे के घर में मैं औऱ बहन ही थे, खाने पीने का सब इंतजाम था … लेकिन बीवी की कमी थी.
अपनी बीवी को यानि मेरी बहन को जीजाजी दो दिन बाद लेने आने वाले थे. उसी समय वो अपनी बहन को मेरे पास छोड़ने वाले थे.

लॉकडाउन लगा, तो कुछ दिन तो यूं ही निकल गए. मगर अब मुझसे चूत के बिना रहना मुश्किल हो रहा था.
कमरा भी एक ही था, तो मैं कुछ कर ही नहीं पा रहा था.

दूसरी तरफ शायद मेरी आपा को किसी तरह की परेशानी नहीं थी.

एक दिन मेरी बहन नहाने गई तो मैं मोबाइल पर अपनी बीवी से बात करने लगा.

उससे बात करतें करते सेक्स की बात होने लगी और मैं ये भूल गया कि बहन नहाने गई है.
मैं अपने लंड को हिलाने लगा और जब लंड की छूट होने वाली थी, तभी बहन नहा कर कमरे में आ गई. उस समय मैं अपने चरम पर था … तो मैं अपने आपको रोक ही नहीं पाया और बहन के सामने ही अपना माल निकाल बैठा.

फिर उसे देख कर मुझे शर्म आ गई तो झेम्प कर बाथरूम में चला गया.

उस पूरे दिन मैंने अपनी बहन से कोई बात नहीं की. रात को बहन ने खाना बनाया और हम दोनों खाना खाने बैठ गए.

थोड़ी देर बाद बहन बोली- भाभीजान की याद आ रही है?
मैंने धीमे से कहा- हां.
वो कुछ नहीं बोली.

तो मैंने उससे पूछा- तुम्हें जीजाजी की याद नहीं आ रही?
बहन बोली- तुम्हारे जीजाजी से अभी तक सिर्फ दो बातें ही हुईं थीं और उसी दिन वो अपने किसी काम से ऑफिस चले गए थे. फिर जब वो लौटे, तो तुम लेने आ चुके थे. मैं बिना उनसे मिले तुम्हारे साथ आ गई.

मैंने पूछा- तो तुम्हारी सुहागरात नहीं मनी?
वो दुखी स्वर में बोली- नहीं.

ये सुन कर मैं सन्न रह गया, मेरी बहन एकदम कुंवारी चूत वाली थी. लेकिन मन में एक अनजानी ख़ुशी भी थी कि मुझे दस दिन में दूसरी सील पैक चूत चोदने को मिल सकती है क्योंकि हमारी यहाँ अपनी बहन को चोद देना कोई बड़ी बात नहीं है.

मैं उस समय तो चुप रह गया और हम दोनों सोने की तैयारी करने लगे.
मेरे रूम में पलंग नहीं था. मैं हमेशा ज़मीन पर ही सोता था क्योंकि अकेला रहता था.

सोने से पहले हम दोनों बात करने लगे.

मेरी बहन बोली- जब भी तुम्हें भाभी की याद आती है, तो क्या तुम ऐसे ही करते हो?
मैंने उसकी बात समझ ली कि ये मुठ मारने की बात कर रही है.

मैंने कहा- हर बार नहीं, कभी कभी.
वो बोली- क्या इसमें वो ही मजा आता है, जो भाभी के साथ आता है!

मैं बोला- नहीं, उसका मजा ही अलग है.
आपा बोली- मैं इस मजे से अभी दूर हूँ … लॉकडाउन खुलेगा, तब तेरे जीजाजी आएंगे, उसके बाद ही मुझे इस मजे का मालूम पड़ेगा.

ये सुन कर मैं बोला- आपा, जिस तरह मैं तेरी भाभी के बिना करता हूँ, तुम क्यों नहीं कर लेतीं.
वो बोली- जो काम एक मर्द कर सकता है … वो औरत नहीं कर सकती.

इस तरह की बातों के बाद मुझे कुछ वासना चढ़ने लगी और मैं मन मसोस कर सोने लगा.
बहन भी सो गई.

मुझे नींद नहीं आ रही थी.
मैं आपा की बातों को याद करने लगा तो मुझे उसका इशारा समझ आने लगा.

तब भी मैं उससे सेक्स के लिए कह नहीं पा रहा था. मेरे मन में आपा को चोदने का जी कर रहा था पर उसे कैसे चोदूं ये समझ नहीं आ रहा था.

अगले दिन सब कुछ रोज जैसे ही हुआ.

रात को मैंने आपा से कहा- आप चाहो तो जो मैं अपनी बीवी को याद करके करता हूँ … आप जीजाजी को याद करके कर लो.
वो बोली- नहीं.

फिर मैंने कहा- आपा आप कब तक इंतजार करोगी?
आपा मेरी आंखों में आंखें डालकर बोली- तू क्या चाहता है?

मैंने हिम्मत करके कहा- मैं आपको चोदना चाहता हूँ.
आपा मुस्कुरा कर बोली- बहुत बड़ा लंडधारी हो गया है!

मैं बहन के मुँह से लंड सुनकर गर्मा गया और बोला- आप एक मौका तो दो … जीजाजी को याद नहीं करोगी.
आपा बोली- तेरे जीजाजी ने अभी तो चूत के दर्शन भी नहीं किए, सिर्फ मम्मे ही दबाए थे.

मैं अब खुल कर बोला- जब जीजाजी आएंगे, तब तक तो मैं आपकी चूत का भोसड़ा बना दूंगा.
आपा बोली- हां, जैसे अभी तुमने भाभी की चूत का भोसड़ा बना ही दिया होगा.

मैंने कहा- मेरे सामने अपनी भाभी से बात कर लो, अगर उसका जबाब सही लगे … तो फैसला कर लेना कि क्या करना है.
आपा बोली- ये बात!
मैंने कहा- हां ये बात.

फिर आपा ने मेरी बीवी को फ़ोन लगाया और इधर उधर की बात करके उससे सीधे सुहागरात की बात पूछ डाली.

मेरी बीवी बोली- आपा, सिर्फ एक रात साथ बिताई थी, तो सात दिन तक सही से चल भी नहीं पाई थी. एक दो दिन और रुक जाती तो आपके भाई मेरी चूत का भोसड़ा बना डालते. मैं तो अभी ये सोच कर डर रही हूँ कि जब घर जाऊंगी, तो मेरा क्या होगा.

ये सुन कर आपा ने फ़ोन काट दिया और मुझसे बोली- ठीक है, मैं तुमसे चुद लूंगी … लेकिन ये बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने कहा- तो आज आपकी सुहागरात मनेगी.

आपा तैयार होने लगी. मैं रात के अंधेरे में बाहर निकला और पास के गार्डन से कुछ फूल तोड़ लाया.
मैंने बिस्तर पर फूल सजा दिए. आपा बिस्तर पर घूंघट में बैठ गई.

मैंने आपा का घूंघट हटाया और उसे एक अंगूठी गिफ्ट दी, जो मैं अपनी पत्नी के लिए लाया था.

आपा अंगूठी देख कर खुश हो गई क्योंकि उसे उम्मीद ही नहीं थी कि चुदाई से पहले उसे गिफ्ट मिलेगा.

अब मैं अपनी बहन को किस करने लगा और मेरे बहन मुझे चूमने लगी.

कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मैंने आपा की कुर्ती खोल दी और उनके मस्त मम्मे चूसने लगा.
आपा ने भी मेरे लोवर मैं हाथ डालकर मेरा लंड पकड़ लिया और उसे हिलाने लगी.

मेरा लंड खड़ा हो गया तो आपा बोली- भाई इतना बड़ा लंड घर में था … और मैं चुदाई के लिए शादी का इंतजार करती रही. अब जल्दी से चोद दो भाई!
मैंने कहा- थोड़ा रुको, तेरी चुत चोदने में अभी मैं कुछ टाइम लूंगा.

मैंने आपा की सलवार खोल दी और उसकी सफाचट चूत देखकर मेरा दिमाग ख़राब हो गया.
बहन की चुत बिल्कुल कसी हुई चूत थी. देख कर ही साफ़ समझ आ रहा था कि बहन ने अपनी चुत में कभी अपनी उंगली भी नहीं घुसाई होगी.

सलमा की चुत देखते ही मैंने उसे लिटा दिया और उसकी टांगें खोल कर उसकी टांगों के बीच में आ गया.

मैंने अपनी जीभ बहन की चूत पर रख दी, तो मेरी बहन एकदम से सिहर उठी.
उसने अपनी टांगों से चुत को छिपाने की कोशिश की मगर मैंने उसकी दोनों टांगों को फैलाए रखा और अपनी जीभ से बहन की चुत को चाटना शुरू कर दिया.

ज्यादा से ज्यादा बीस सेकंड ही बहन ने अपनी चुत की चटाई के लिए टांगें फड़फड़ाईं, फिर खुद ही चुत खोल कर मेरे मुँह में देने लगी.
उसकी कमर उठने लगी थी और मैं उसकी चुत की फांकों को अपने होंठों से पकड़ पकड़ कर खींचते हुए चूस रहा था.

मैं बहन की चुत के ऊपर फूले से मटर के दाने को खींच कर चूस रहा था और जीभ को चुत के अन्दर तक डालकर चाट रहा था.

कोई तीन चार मिनट की चुत चटाई से ही आपा की चुत रोने लगी और वो मेरे मुँह में ही झड़ गई.

बहन के झड़ जाने के बाद भी मैं उसकी चुत को चाटता चूसता रहा.

इससे मेरी बहन फिर से गर्मा गई.
वो मेरे लंड को पकड़ने लगी, तो मैंने उससे कहा- मुँह में लंड लेकर चूस दो.

उसने मुँह फेर लिया.
मैंने सोचा कि शायद मेरी बहन मेरा लंड चूसने में शर्मा रही है, इसलिए मैंने उसके मुँह में लंड डालना चाहा.

उसने मना कर दिया और बोली- मुँह में फिर कभी और ले लूंगी, अभी मेरी चूत चोद दो और पहले इसका भोसड़ा बना दो.

मैंने उसकी बात मान ली और उसे चुदाई की पोजीशन में लिटा कर उसकी चूत पर लंड सैट कर दिया.

मेरी बहन ने जैसे ही अपनी चुत पर लंड का गर्म अहसास किया, वो अपनी गांड उठाने लगी और लंड कि अन्दर पेलने की कहने लगी.
हालांकि मुझे मालूम था कि इसे अभी चुदने का तजुर्बा नहीं है. जिस समय इसकी चुत को चीर कर लंड अन्दर घुसेगा, तब इसे अहसास होगा कि लौड़ा किसे कहते हैं.

मैंने उसकी आंखों में झांका … तो वो मुझे चोदने के लिए गांड उठाती दिख रही थी.
मैंने उससे कहा- झेल लेना.

वो नशीली आंखों से मुझे देखते हुए बोली- क्यों … आर-पार निकालेगा क्या?
मैंने हंस कर कहा- आर-पार तो नहीं … लेकिन काफी अन्दर तक घुसेगा.
वो बोली- हां, मुझे मालूम है कि अन्दर तक घुसेगा. सबकी चुत में अन्दर ही घुसता है.

उसके मुँह से ये सुनकर मैंने सोचा कि कहीं साली चुद तो नहीं चुकी है.

फिर मैंने उससे पूछा- तुझे मालूम है कि लंड जब चुत में जाता है, तो कैसा लगता है!
वो बोली- मुझे कैसे मालूम होगा … मैंने अभी तक लंड लिया ही नहीं है.

मैंने पूछा- तो तुम्हें कैसे मालूम है कि ज्यादा अन्दर तक घुसता है?
वो चुप हो गई.

मैंने उससे फिर से पूछा- बता न!
वो बोली- बाद में बता दूंगी … अभी डाल जल्दी से.

मैंने कहा- क्यों अभी बताने में शर्म आ रही है क्या?
वो सर हिला कर हां बोली.

मैंने कहा- साली, अपनी चुत पर लंड रखवाए हुए हो और शर्मा रही हो. बता न कैसे मालूम तुझे?
वो बोली- मैंने मोबाइल में देखा है.

मैंने कहा- चुदाई देखी है.
वो बोली- हां.

मैंने कहा- तो उसमें क्या क्या देखा?
वो गांड उठा कर बोली- सब बता दूंगी भैन के लंड, अभी लौड़ा अन्दर डाल कमीने.

मैंने आव देखा न ताव और एक ही बार में पूरा लंड चुत में घुसेड़ दिया.

मेरी बहन की चीख निकल गई और आंसू आ गए. वो दर्द से कलपने लगी और छटपटाने लगी.

अब मेरी बहन मुझसे लंड निकालने की कह रही थी.
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसकी चूची सहलाने लगा. एक चूची के निप्पल को चूसने लगा.
इससे उसे राहत मिलने लगी और वो शांत हो गई.

मैं फिर से धीरे धीरे लंड चुत में अन्दर बाहर करने लगा.

उसकी दर्द और वासना से मिश्रित आवाजें आने लगी.
मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और दस मिनट नॉन स्टॉप चुदाई के बाद आपा की चूत में झड़ गया.

जब मैंने चुत से लंड बाहर निकाला, तो मेरा पूरा लंड खून से लाल हो गया था.

मैंने सोचा कि ये खून देख कर डर ना जाए.
पर आपा ने लंड देख लिया था.
वो चुत पर हाथ रखते हुए बोली- डरो मत … चूत की सील टूटती है, तो खून निकलता ही है.

मैं समझ गया कि बहन को चुदाई का पूरा ज्ञान है … बस ये चुदी ही नहीं थी.

फिर आपा उठी और बाथरूम करने जाने लगी. लेकिन आपा की चाल देखकर मुझे हंसी आ रही थी.

आपा बोली- ज्यादा हंसो मत साले … चुत में बहुत दर्द हो रहा है.

फिर वो बाथरूम से चुत साफ़ करके आ गई और मुझसे चिपक कर लेट गई. मैंने उसे फिर से प्यार करना शुरू कर दिया.

थोड़ी देर बाद चुदास फिर से भड़क गई और चुदाई का खेल शुरू हो गया.

उस रात मैंने आपा की तीन बार चुदाई की.

इसके बाद तो ये सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक लॉकडाउन नहीं खुला. मैं रात में बहन की चुत चोदता औऱ दिन में आपा जीजाजी से फ़ोन पर सेक्स करती ताकि जीजा जी को लगे कि आपा ने अपनी उंगली से चूत का ये हाल किया है.

लॉकडाउन के बाद मेरी बहन जीजा के पास चली गई और मेरी बीवी मेरे पास आ गई.

मगर मेरी बहन को मेरे लंड का स्वाद मिल गया था, तो वो मुझसे चुदवाने के लिए मचलने लगी थी.
अब जब भी मुझे और उसे मौका मिलता है. हम दोनों चुदाई कर लेते हैं.

आपा जब भी मुझसे चुदाई करवाती है, तो ये जरूर कहती है कि अकील तुम्हारी तरह तुम्हारे जीजा भी नहीं चोद पाते हैं.

आपको मेरी भाई बहन Xxx कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मेल करके बताएं.
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माँ की चूत पर बेटे की नजर- 1

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मॉम सन Xxx कहानी में पढ़ें कि सेक्सी माँ का जवान बेटा अपना मम्मी को वासना भारी दृष्टि से देखता था. माँ भी अपने बेटे के मन की बात समझती थी.

यह मॉम एंड सन Xxx कहानी है. जो पाठक इस तरह की कहानी नहीं पढ़ना चाहते, वे कोई और कहानी पढ़ लें.

आज रोहन बहुत खुश था. उसकी खुशी का कारण यह था कि वो आज अपने घर पूरे दो वर्ष बाद लौट रहा था.
रोहन जब 18 वर्ष का था, तब उसे आगे की पढ़ाई के लिए हॉस्टल भेज दिया गया था.

रोहन एक बहुत ही शांत स्वभाव का लड़का था, जो ना तो किसी से कोई मतलब रखता था … और न ही किसी से कोई फालतू की बात करता था.
वो बस अपने ही ख्यालों की दुनिया में ही खोया रहता था.

देहरादून से रोहन नई दिल्ली स्टेशन पर पहुंचने वाला था, उसके पिताजी उसे लेने आये थे.
रोहन के पिताजी का नाम शेखर है और वो एक बिजनेसमैन हैं. उनकी उम्र 48 वर्ष है और वो दिखने में बहुत स्मार्ट और एक अच्छे शरीर के मालिक हैं.

उन्हें अभी स्टेशन पहुंचे दस मिनट ही हुए थे कि रोहन की ट्रेन आती हुई दिखी.

ट्रेन रुकने के बाद वो तुरंत ही रोहन के डिब्बे के पास पहुंचे, तो दरवाजे पर उन्हें रोहन खड़ा मिल गया.
रोहन अपने पिताजी से गले मिला और वो दोनों सामान लेकर बाहर आ गए.
फिर वो दोनों अपनी कार से घर की ओर चल दिए.

रोहन आज पूरे 2 वर्ष बाद अपनी मॉम से मिलने वाला था.
वो बहुत रोमांचित हो रहा था और उसका होना भी लाजिमी था.

रोहन ने जब अपनी युवावस्था में कदम रखा था, तभी से उसका अपनी मॉम के प्रति आकर्षण था. इसी आकर्षण की वजह से वो हर वक्त बस इसी कोशिश में रहता था कि किसी तरह मॉम के जिस्म को ताड़ पाए और उन्हें बहाने से इधर उधर छू सके.

रोहन की मॉम को भी जब उस पर थोड़ा शक हुआ तो उन्होंने रोहन के पापा से बोलकर इसे हॉस्टल में डलवा दिया था.

आज रोहन की मॉम कुसुम भी बहुत खुश थी. उसने अपने बेटे रोहन के लिए उसकी हर तरह की पसंद के पकवान बनाए थे.
एक ही तो बेटा था उसका, जिसे वो अपनी जान से ज्यादा प्यार करती थीं. रोहन उसके लिए सब कुछ था.

उसको रोहन को दूर भेजने का बिल्कुल भी मन नहीं था, पर ये कुसुम की मजबूरी थी … जिसकी वजह उसे रोहन को अपने आप से अलग करना पड़ा था.
कुसुम को पता था कि ताक झांक के चक्कर में रोहन का पढ़ाई में बिल्कुल भी में नहीं है, इसलिए उसने रोहन को खुद से अलग कर दिया था.

करीब आधे घंटे के सफर के बाद रोहन अपने घर पहुंच गया. रोहन और उसके पिताजी दरवाजे पर दस्तक देने वाले थे कि रोहन की मॉम भागी भागी आ गई.
रोहन की मॉम ने दरवाजा खोल दिया, शायद उसने गाड़ी के आने की आवाज सुन ली थी.

दरवाजा खुलते ही सामने रोहन खड़ा था.
कुसुम ने तुरंत अपने लाल को अपने गले से लगा लिया.

पिछले दो साल में ये एक ऐसा क्षण आया था, जिसमें कुसुम को सुकून मिला था.
पर रोहन अपनी मॉम के गले लगते सनसना गया. उसके मन कुछ और ही घंटी बजी.
कुसुम के गले लगते ही रोहन को अपने सीने में अपनी मॉम के 38 साइज के बूब्स का बहुत मादक अहसास हुआ. उसे ऐसा लगा, जैसे दो फूले हुए गुब्बारे उसके और उसकी मॉम की बीच में दब रहे हों.

शेखर- रोहन बेटा, तुम अपने कमरे में जा कर नहा धो लो, फिर हम खाने पर मिलते हैं.
ये कहकर रोहन के डैड अन्दर चले गए.

रोहन भी अपने कमरे में सामान रखकर वॉशरूम में नहाने चला गया.

वॉशरूम में अन्दर रोहन को अपनी पैंट में तम्बू बना दिख रहा था. उसका लंड अपनी मॉम को देखते ही खड़ा हो गया था … और जब वो अपनी मॉम के गले लग कर मिला था, तब तो उसे लगा था कि उसका लंड पैंट फाड़कर ही बाहर आ जाएगा.

रोहन अब भी उस अहसास को भूल नहीं पा रहा था, जो उसे अभी थोड़ी देर पहले अपने सीने पर महसूस हुआ था.
ये सब सोचते हुए रोहन अपने हाथ को लंड पर ले गया और तेजी से लंड हिलाने लगा.

वो लंड हिलाते हुए अपनी मॉम के बारे में ही सोच रहा था. उसकी आंखें बंद हो गई थीं और मन में सिर्फ मॉम की चूचियों की रगड़न का ही अहसास हो रहा था.

तभी उसके लंड से वीर्य की पिचकारी तेजी से निकल कर सामने की दीवार से जा टकराई और उसके मुँह से ‘ओह मॉम ..’ निकल गया.

उसी समय ये सब कुसुम ने सुन लिया था क्योंकि वो रोहन के झड़ने के कुछ पल पहले ही यहां पर उसे तौलिया देने आई थी.

जब कुसुम को अपने बेटे रोहन की मादक सिसकारियां सुनाई दीं, तो वो सकते में आ गई और वापस जा ही रही थी कि ‘ओह मॉम ..’ सुनकर उसकी आंखें फैल गईं.
कुसुम को अहसास हो गया कि रोहन मेरे बारे में सोचकर मुठ मार रहा था.

ये अहसास कुसुम को अन्दर तक झिंझोड़ गया था. साथ ही न जाने क्यों उसकी चूत में भी गीलापन आ गया था.

फिर कुसुम ने एकदम से अपना सर झटका और अपने बेटे को आवाज लगाकर कहा- बेटा बाहर तौलिया टेबल पर रखी है … ले लेना.
ये कह कर वो नीचे चली गईं जहां शेखर पहले ही बैठा इंतजार कर रहा था.

कुसुम भी नीचे आकर नॉर्मल हो गई.

थोड़ी देर में रोहन भी तैयार होकर नीचे आ गया. सभी साथ में लंच करने लगे.

कुसुम की नजर इस समय अपने बेटे पर थी. वो उसे निहारे जा रही थी.
वो देख रही थी कि उसका बेटा इन दो सालों में कितना बड़ा हो गया था. उसकी दाढ़ी मूंछ भी आ गए थी और हाइट भी पहले के मुकाबले ज्यादा हो गई थी. कुसुम सोच रही थी कि रोहन शायद देहरादून में जिम भी जाता होगा. उसकी बॉडी भी अच्छी खासी मॉडलों जैसी हो गई थी.

शेखर- मैं ऑफिस के लिए निकल रहा हूं. रोहन तुम्हें कुछ चाहिए हो, तो फोन पर बता देना. मैं शाम को बाहर से लेता आऊंगा.

ये बोलकर शेखर ऑफिस के लिए निकल गया. रोहन भी खाना खाकर अपने रूम में आराम करने चला गया.

कुसुम किचन में बर्तन धोने के साथ साथ पुरानी यादों में खो गई. वो सोच रही थी कि रोहन में जरा भी बदलाव नहीं आया है. वो अभी भी मेरे प्रति आकर्षित है.

पर इस बार हालात अलग थे. इस बार कुसुम को भी अपने बेटे के प्रति आकर्षण लग रहा था. उसे भी रोहन को देख कर मां बेटे के प्यार से अलग किसी और ही प्यार का आभास अपने अन्दर हो रहा था.

शाम को कुसुम रोहन को उठाने के लिए उसके रूम में गई.
रोहन का दरवाजा खुला ही था. वो अन्दर चली गई. अन्दर रोहन अपने सपने में खोया हुआ था. वो किस तरह के सपने में खोया था, ये उसकी पैंट में बना तम्बू बयान कर रहा था.

कुसुम रोहन के पास उसे उठाने के लिए गई, पर वो उसकी पैंट में बने तम्बू को देखकर उसी में खो गई.
वो अंदाज़ा लगाने लगी कि तम्बू के हिसाब से उसके बेटे का हथियार कितना बड़ा होगा.
उसके बेटे का लंड साधारण तो नहीं था, इतना उसे पता लग चुका था.

उसी समय अचानक से रोहन ने करवट बदली, जिससे कुसुम की तंद्रा टूट गई. उसे एकदम से ख्याल आया कि वो इस रूम में क्यों आई थी.
ध्यान आते ही वो बिना रोहन को जगाए बाहर आ गई और अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी.

अगली सुबह रोहन बिना किसी को बताए एक्सरसाइज करने के लिए बाहर निकल गया था.
कुसुम रोज की तरह उठ कर बाथरूम गई. फिर तैयार होकर किचन के कामों में व्यस्त हो गई. उसे लगा था कि रोहन अभी सो रहा होगा.

कुसुम किचन में अपनी धुन में मस्त होकर नाश्ता बना रही थी. तभी रोहन आ गया और वो अपनी मॉम को किचन में देखकर रुक गया.

वो किचन की तरफ गया. अन्दर उसकी मॉम एक चुस्त नाइटी में ब्रेकफास्ट बना रही थी.
रोहन अपनी मॉम को इस हालत में देख कर गर्म होने लगा था. क्योंकि इस समय उसकी मॉम की गांड नाइटी के ऊपर से ही बहुत सेक्सी लग रही थी.
शायद कुसुम ने ब्रा पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी, जिस वजह से जरा सा हिलने उसके मम्मे और गांड पर साफ़ नुमाया हो रहे थे.

अचानक से कुसुम के हाथ से एक चम्मच छूट कर नीचे गिर गई, जिसे उठाने के लिए वो नीचे झुकी.
इससे कुसुम की गांड एकदम से उभर कर रोहन के सामने आ गई.

अपनी मॉम की मादक गांड की दरार देख कर रोहन का लंड फिर से पैंट फाड़ने को तैयार हो उठा.
उस अद्भुत नजारे को छूने के लिए रोहन के हाथ अपने आप बढ़ गए और उसने अपना एक हाथ मॉम के एक चूतड़ पर रख दिया.

उसी समय कुसुम को अपनी गांड पर कुछ अहसास हुआ, तो वो अचानक से घूम गई.

अचानक घूमने से वो रोहन से सामने से टकरा गई. इस वक्त कुसुम के होंठ रोहन के होंठों के सामने थे और कुसुम की चूचियां रोहन की छाती में धंसी हुई थीं. कुसुम को अपनी चूत पर रोहन के कड़क हथियार का आभास हो रहा था.

करीब दस सेकंड तक दोनों समझ ही नहीं पा रहे थे कि क्या करें … वो दोनों बस आपस में खोए हुए थे.

रोहन ने धीरे से अपने मुँह को कुछ आगे को किया और उसने अपनी मॉम के होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
इस हरकत से कुसुम की आंखें फैल गईं और उसे समझ में आ गया कि ये क्या हो रहा है.

उसी पल वो रोहन से अलग हो गई और भाग कर अपने रूम में चली गई.
अपने रूम में आकर कुसुम अपनी सांसों पर काबू पाने की कोशिश करने लगी थी.

रोहन अभी भी किचन में खड़ा था और अपने किए पर शर्मिंदा था.
उसे लग रहा था कि उसने जो किया, वो ग़लत था.
वो समझ ही नहीं पा रहा था कि अब वो अपनी मॉम का सामना कैसे कर पाएगा.

इसी के बारे में सोचते हुए वो अपने रूम में आकर फिर से लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा.

उधर कुसुम भी कुछ पल बाद संयत हुई और बाहर आकर उसने देखा कि रोहन बाहर नहीं है.
एक दो पल बाद वो अपना ध्यान घर के बाकी के कामों में लगाने लगी.

कुछ देर बाद शेखर भी उठ गया और नित्य क्रिया से फारिग होकर वो तैयार हुआ और बाहर ब्रेकफास्ट के लिए डाइनिंग टेबल पर आ गया.
वो रोहन का इंतजार करने लगा.

ऑफिस जाने से पहले आज शेखर अपने बेटे से कुछ बात करना चाहता था क्योंकि जब से रोहन आया था, वो उससे ठीक से मिल ही नहीं पाया था.
इसी सोच विचार में शेखर रोहन को बुलाने के लिए आवाज लगाने को हुआ.

तभी कुसुम ने उसे मना कर दिया- आप नाश्ता करो … वो सो रहा है. मैं उसे बाद में जगा कर नाश्ता करा दूंगी.
शेखर ने चुपचाप नाश्ता किया और ऑफिस के निकल गया.

अब कुसुम और रोहन ही घर में अकेले थे. कुसुम रोहन को ब्रेकफास्ट के लिए बुलाने गई.
उस समय रोहन लेटा हुआ उन्हीं पलों के बारे में सोच रहा था.

कुसुम वहां आ गई और रोहन को इस तरह खोया देख कर वो समझ गई कि वो क्या सोच रहा है.

कुसुम ने कमरे के बाहर से ही रोहन को ब्रेकफास्ट के लिए नीचे आने का बोला और नीचे चली गई.

नीचे रोहन और कुसुम दोनों डाइनिंग टेबल पर बैठे ब्रेकफास्ट कर रहे थे. दोनों की नजरें नीचे थीं. दोनों को ही उस घटना को लेकर अजीब सा महसूस कर रहे थे.

दोनों ब्रेकफास्ट खत्म करने के बाद अपने अपने रूम में चले गए.

कुसुम अपने रूम में आने के बाद उस पल को भूल ही नहीं पा रही थी, उसके हाथ अपने आप अपनी चूत पर चले गए थे.
वो आंखें बंद करके अपनी चूत को रगड़ रही थी और रोहन के लंड के बारे में सोच रही थी.

किचन में उसे अंदाज़ा हो गया था कि उसके बेटे का लंड मामूली नहीं है. वो किसी की भी चीखें निकलवा सकता है. यही सोचते सोचते वो झड़ने लगी.
आज झड़ने पर कुसुम को जो संतुष्टि मिली थी, वो उसे शेखर से सेक्स के दौरान भी नहीं मिलती थी.

ऐसा नहीं था कि कुसुम की सेक्स लाइफ अच्छी नहीं थी. शेखर हफ्ते में दो तीन बार अच्छे से उसकी चुदाई की खुराक पूरी कर देता था.
पर ये आकर्षण और अहसास उस नए कड़क लंड का था, जो उसके बेटे का उसने महसूस किया था.

उधर रोहन समझ नहीं पा रहा था कि क्या करना चाहिए.
एक तरफ तो उसका दिल कह रहा था कि ये सब गलत है. उसे इन सब चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए … आखिरकार वो उसकी मॉम है.
परन्तु दिमाग कह रहा था कि कोई फर्क नहीं पड़ता, वो मॉम होने से पहले एक औरत हैं … वो भी इतनी सेक्सी.

रोहन इसी कमोवेश में खोया सोच रहा था कि क्या करना चाहिए.
फिर उसने फैसला कर लिया कि उसे मॉम के पास जाकर माफी मांग लेनी चाहिए और इन बातों को यहीं खत्म कर देना चाहिए.

यही सोचकर रोहन अपनी मॉम के पास आया.

वो अभी मॉम के कमरे के दरवाजे पर दस्तक देने वाला ही था कि अचानक से रुक गया. क्योंकि अन्दर से उसकी मॉम की सिसकारियों की आवाज आ रही थी.

ये वही पल था, जिसमें कुसुम अन्दर आकर अपने बेटे के बारे में सोच कर अपनी चुत में उंगली कर रही थी.

रोहन ने मादक आवाजों को सुना, तो उससे रहा न गया. उसने धीरे से रूम का दरवाजा धकेला तो दरवाजा खुल गया.

शायद कुसुम ने दरवाजा लॉक नहीं किया था. रोहन ने अन्दर का नजारा देखा कि उसकी मॉम अन्दर नंगी बेड पर लेटी हुई थी और उसकी आंखें बंद थीं.
वो तेज़ तेज़ अपनी चूत को रगड़ रही थी.

उसकी मॉम की चूत एकदम चिकनी थी और एकदम गोरी गुलाबी चूत थी.
ये देखकर रोहन के मुँह में पानी आ गया और तभी कुसुम रोहन का नाम लेते हुए झड़ गई.

पहले तो रोहन अपना नाम सुनकर चौंक उठा … फिर वो तुरंत वापस मुड़ा और अपनी मॉम के पता चलने से पहले अपने रूम में आ गया.

दोस्तो, ये मॉम एंड सन Xxx कहानी आपको कितना उत्तेजित कर पाई है, प्लीज़ मेल करें.
ajay.raj199206@gmail.com

मॉम एंड सन Xxx कहानी जारी है.



मेरी शर्मीली दुल्हन और हमारी सुहागरात- 2

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दूल्हा दुल्हन सेक्स कहानी मेरी सुहागरात की है. मेरी नयी नवेली पत्नी बहुत शरमा रही थी. इसी से मेरी उत्तेजना ज्यादा बढ़ रही थी. मैंने कैसे खोला उसे!

हैलो मैं राज सोलंकी, एक बार फिर से सुहागसेज पर मेरी बीवी की कुंवारी चुत चोदने की सेक्स कहानी में आपका स्वागत करता हूँ.
मेरी दूल्हा दुल्हन सेक्स कहानी के पहले भाग
शादी के बाद सुहागरात की तैयारी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने अपनी बीवी के ब्लाउज को खोलने लगा था.

अब आगे दूल्हा दुल्हन सेक्स कहानी:

उसके क्लीवेज को चूसते हुए मैंने अपने एक हाथ को हौले से ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी छाती पर रख दिया.
फिर धीरे से उसके एक बोबे को दबा दिया.

इतने में ही उसके मुँह से ‘आआहह …’ की आवाज बहुत ही मादक तरीके से निकली.

मैंने कुछ ही पलों बाद अपने दोनों हाथों से उसकी दोनों छातियों को दबाना शुरू कर दिया था. उसकी छातियों पर मेरे हाथों का जोर धीरे धीरे बढ़ने लगा था. उसकी दोनों छातियों को अब मैं ताकत से मसलने लगा था.

कोमल- आह .. उन्ह ..
मैं- क्या हुआ सेक्सी?
कोमल- बदमाशी आप कर रहे हो और मुझसे पूछ रहे हो कि क्या हुआ!

कोमल की साड़ी तो पहले ही चूमाचाटी में साइड में हो चुकी थी. मैंने अपने होंठों को उसके ब्लाउज के ऊपर से उसकी छातियों पर लगा दिए और उनको चूसने लगा.
कोमल का हाथ मेरे सर के बालों में घूम रहे थे और अपने होंठों से उसको जहां भी जगह मिली, मुझे चूम रही थी.

मेरे होंठ सरकते हुए अब उसके चिकने पेट पर आ चुके थे और अपने होंठों से में उसके पेट को चूम रहा था, चूस रहा था.

लंड महाराज पैंट में से बाहर निकलने को उतावले हो रहे थे.

मैं अब बैठ गया और नीचे झुकते हुए उसके पैरों की तरफ आ गया.
मैंने धीरे से उसके पैरों को चूमा और उसके पेटीकोट को ऊपर सरकाने लगा.

कोमल शर्म के मारे लाल हुए जा रही थी लेकिन कामुक सिसकारी के अलावा उसने अपने मुँह से कुछ नहीं कहा.

मैं कोमल के पेटीकोट को उसकी जांघों तक ऊपर कर चुका था और अब उसकी चिकनी और गदरायी जांघों को चूस रहा था.
मैंने उसकी दोनों जांघों को बारी बारी से चूस चूस कर गीला कर दिया था.

सच में कोमल की जांघें बहुत ही चिकनी थीं. अभी तक मैंने उसको जितना भी चूमा था, उसके बदन पर मुझे कहीं भी एक भी बाल नजर नहीं आया था.

तभी मैंने मदमस्त होकर एकदम से पूरा पेटीकोट ही ऊपर कर दिया.

ऊऊफ्फ … मेरी जान ने अपनी चूत को एक सेक्सी सी पिंक कलर की चड्डी में ढक रखा था.

कोमल ने तुरन्त शर्मा कर अपना एक हाथ अपनी सेक्सी चुत पर रख लिया.
उसकी इस अदा पर तो मेरा लौड़ा और खूंखार हो गया.

नीचे झुकते हुए चूत के ऊपर से उसके हाथ को मैं अपने होंठों से चूसने लगा. मैंने अपनी लार से उसका पूरा हाथ गीला कर दिया. कोमल बेड पर पड़ी हुई गर्म गर्म सिसकारियां भर रही थी.

कोमल- हाआईई … ऊऊननन्ह …

मैंने धीरे से कोमल के हाथ को चड्डी पर से हटा दिया और अपने होंठों से उसकी सेक्सी सी चड्डी पर से ही चुत को चूमने लगा.
उसकी चड्डी को चूमते हुए मैंने अपने होंठों का जोर और बढ़ाया, जिसके कारण उसकी चुत भी चड्डी के साथ साथ मेरे होंठों में आने लगी.

कोमल के हाथ अब मेरे सर के बालों पर आ गए थे और वो अपने हाथों को मेरे बालों में घुमा रही थी.

धीरे धीरे मैंने अपने होंठों से उसकी चड्डी को नीचे सरकाना शुरू कर दिया.
जैसे ही उसकी चूत मेरी आंखों के सामने आई, कसम से मैं तो जैसे मंत्र मुग्ध हो गया.
बहुत ही कोमल और एकदम से मखमली चूत मेरी मदहोश आंखों के सामने थी.

चुत पर झांटों का कोई नामो निशान नहीं था. कोमल की चूत पूरी तरह से बंद थी, फांक की लकीर में थोड़ा सा भी छेद नजर नहीं आ रहा था.
मैं तो सोच रहा था कि आखिर इस चूत से मूत्र भी कैसे बाहर निकलता होगा.

मगर चूत से पानी रिसते हुए नीचे जा रहा था, तो भरोसा हुआ कि लंड पेलने के लिए रास्ता है.

कोमल ने जब मुझे अपनी चूत की तरफ घूरता हुआ पाया तो वो बोली- ऐसे मत देखो न, मुझे शर्म आ रही है.
उसकी इस आवाज से मेरी तंद्रा टूटी.
मैं- क्यों न देखूं. अब तो कोमल मेरी है और उसकी हर एक चीज पर मेरा अधिकार है. तुम्हारी ये सेक्सी और मखमली चूत पर से तो नजर ही नहीं हट रही है जान!

ये कहते हुए मैंने अपने प्यासे होंठ को उस मखमली चूत पर रख दिए.

कोमल के बदन ने एक झुरझुरी सी ली. और उसके मुख से ‘आईईई ..’ की आवाज निकल गई.

उसकी चूत से चिकना पानी लगातार बह रहा था.
मैंने अपने होंठों से पहले तो उसकी चिकनी चूत के पानी को स्पर्श किया और जीभ निकाल कर वो रस चूस लिया.

इतने में ही कोमल ने अपने हाथों से जोर से मेरे सर को अपनी चूत से चिपका दिया.

अब मैंने भी अपने होंठों से उसकी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया.
कोमल- आह .. ईईईई.

चूत का लिसलिसा पानी मेरे मुँह में आ रहा था. साथ ही उसकी चड्डी को भी मैं नीचे ले आया था और उसकी जांघों से अलग करके उतार दिया.

मेरी जान अब नीचे से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी और मैं जोर जोर से उसकी चूत को चूसने लगा था. मेरा लौड़ा अपने पूरे उफान पर था. ऐसा लग रहा था कि कहीं लावा न निकल जाए.

दस मिनट तक मैंने उसकी चिकनी चूत को चूस चूस कर लाल कर दिया था.

कोमल जोर जोर से हांफ रही थी. वो अपने हाथों से चादर को जोर से भींच रही थी और मसल रही थी.

मैंने कोमल की चूत से अपने होंठों को हटाया और उसकी चुत के पानी से सने अपने होंठों को अचानक से ही उसके तपते हुए होंठों से चिपका दिया.

कोमल अब काम वासना की आग में बुरी तरह सुलग रही थी तो उसने कोई प्रतिरोध नहीं किया.
वो अपने होंठों से अपनी ही चूत का रस भी चखने लगी.

हम दोनों ही बुरी तरीके से होंठों को चूस रहे थे .. जोर जोर से होंठों को खा रहे थे.

कुछ मिनट बाद जब हम दोनों के होंठ अलग हुए, तो दोनों के दिल जोर से धड़क रहे थे. दोनों के चेहरे एक दूसरे की थूक से गीले हो चुके थे.

मैंने कोमल की आंखों में देखा, तो उसकी आंखों में लाल डोरे तैर रहे थे. आंखों में वासना की आग से उसकी आंखें सुर्ख हो चुकी थीं. उनमें एक गहरा नशा साफ़ झलक रहा था.

एक हाथ से मैंने उसके एक बोबे को दबाया और दूसरे हाथ से उसके ब्लाउज के हुक खोलने लगा. मैंने उसके ब्लाउज को दोनों तरफ से अलग किया, तो उसकी पिंक ब्रा में कसे दोनों बोबे मेरे सामने थे, जो उसकी सांसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.

मैं ब्रा के ऊपर से उसके बोबों को दबाने लगा. मैं उसके मांसल बोबों को दबाते हुए मसलने लगा था. वो मादक आहें भर रही थी.

मैंने उसकी बांहों से ब्लाउज को अलग कर दिया और साथ ही साथ उसकी ब्रा को भी खोल दिया.
एक हाथ से उसके पेटीकोट को भी उसके संगमरमरी बदन से अलग कर दिया.

अब मेरी जान बिल्कुल नंगी हो चुकी थी. मैं उसके चिकने और सफेद बदन को अपनी भूखी आंखों से निहार रहा था.

कोमल ने धीरे से फुसफुसाते हुए कहा- अपने तो कपड़े उतारे ही नहीं और मुझे पूरी नंगी कर दिया.

उसके इतना बोलते ही मैंने तुरन्त अपने सारे कपड़े अपने जिस्म से अलग कर दिए.
मेरा लौड़ा तो उछाल मार रहा था.

कोमल ने आज पहली बार किसी आदमी का लौड़ा देखा था. उसने शर्मा कर अपनी आंखें बंद कर लीं.
मैंने उसका एक हाथ पकड़ा और अपने लौड़े पर रखवा दिया.

जैसे ही उसे गर्म लौड़े का अहसास हुआ, तो उसकी सांसें और तेज हो गईं.

मैंने कोमल के नंगे बदन को अपने बदन से चिपका लिया और दोनों के होंठ एक बार फिर चूसने में बिजी हो गए.

दोनों के बदन नंगे थे. मेरा सख्त लौड़ा कोमल की चूत से टकरा रहा था. कोमल का पूरा बदन एक आग में जल रहा था.

कोमल- जान, अब इस आग को बुझा दो. ये अगन अब सहन नहीं होती.
मैं- हां जान, मैं भी अपनी जान के अन्दर समाना चाहता हूँ.
कोमल- समा जाओ न … किसने रोका है.

वैसे मैं यह चाहता था कि एक बार इसको लौड़ा भी चुसवा दूँ, लेकिन सब कुछ मैं एक ही रात में नहीं करना चाहता था इसलिए लौड़ा चुसवाने का काम बाद के दिनों के लिए छोड़ दिया.

अब मैंने उसको पीठ के बल सीधा लिटा दिया और उसके ऊपर छा गया.
मैंने उसकी चिकनी जांघों को चौड़ा किया और अपने लौड़े को उसकी चिकनी चूत से रगड़ा.

कसम से उसकी चूत किसी तप्त भट्टी की तरह जल रही थी.

कोमल ने एक अनजाने भय से अपनी आंखें बंद कर रखी थीं.

मैंने उसकी जांघों को चौड़ा किया और अपने लौड़े को चूत के निशाने पर लाकर एक करारा धक्का लगा दिया.

इसी के साथ कोमल की एक जोरदार चीख कमरे में गूंज गयी.
हालांकि लौड़ा अभी चूत में घुस नहीं पाया था मगर कोमल की तेज चीख घरवालों ने जरूर ही सुन ली होगी.

कोमल की आंखों में आंसू आ गए थे.
मैंने तुरन्त उसको दिलासा दिया और 5 मिनट तक उसकी पीठ को सहलाता रहा.

जब वह थोड़ी सामान्य हो गयी, तो मैंने ड्रेसिंग से क्रीम निकाली और खूब अच्छी तरीके से उसकी चूत में लगा दी. क्रीम लगाते टाइम मुझे अहसास हो गया था कि उसकी चूत का छेद बहुत ही संकरा था और लौड़े दर्द तो उसे झेलना ही पड़ेगा.

मैं- कोमल, तुम्हें दर्द तो अब भी होगा, लेकिन तुम इसके लिए तैयार रहना. मैं चाहता हूं कि ये दर्द एक बार तुम्हें दे ही दूँ.
कोमल- ऊऊनन्ह.

मैंने अपने लौड़े को भी खूब क्रीम से लथेड़ लिया और जितना हो सकता था उसकी जांघों को चौड़ा कर दिया.

लौड़े को उसकी कमसिन चूत पर रखा और धीरे से जोर लगाया. लौड़े हल्की सी रगड़ देता हुआ चूत में जाने लगा.

कोमल ने चादर को जोर से पकड़ लिया था. उसके चेहरे पर दर्द के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे.

लौड़ा बुरी तरह से चुत में जकड़ चुका था, या यूं कहें कि चूत ने लौड़े को अपने अन्दर कस लिया था. न तो लौड़ा बाहर निकल रहा था और न ही अन्दर जा रहा था.

उधर कोमल के चेहरे पर दर्द साफ झलक रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि यही हाल रहा, तो लौड़ा पानी छोड़ देगा.

मैंने अपना थोड़ा जोर लगा कर लौड़े को वापस चूत से बाहर निकाला.

लौड़े के बाहर आते ही कोमल ने एक लंबी सांस ली. चूत वापस चिपक गयी … कोई छोटा सा छेद भी नजर नहीं आ रहा था.

मैं- कोमल, ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा न!
कोमल- कुछ मत बोलो जान, होता है दर्द तो होने दो. मत करो रहम, बना लो मुझे अपनी.

अब मैंने पहली बार कोमल की चुत को अच्छे से देखा.
हां एक छोटा सा छेद था बस. मुझे पता चल गया था कि लौड़ा इस जरा से छेद में घुसेगा, तो आज पक्के में इसकी चूत बुरी तरीके से फट जाएगी.

एक बार फिर से मैंने उसकी चूत में बहुत सारी क्रीम भर दी और खूब सारी लौड़े पर भी लगा ली.

अब टाइम आ गया था कि मैं किला फतेह करने को आगे बढ़ा.

जितना हो सकता था, मैंने कोमल की जांघों को फिर से चौड़ा किया और लौड़े को चुत के छेद पर घिसकर थोड़ा सा अन्दर कर लिया.

फिर एक लंबी सांस ली और एक ऐसा तगड़ा धक्का मारा कि लौड़ा एक बार में ही चूत में अन्दर तक फिट हो गया.

कोमल- आह आईई मर गयी. आआ आईईई ..

तभी शायद उसे अपनी चीख का अहसास हो गया था इसलिए उसने खुद अपना मुँह अपने हाथ से दबा लिया था.
फिर भी उसकी एक घुटी सी चीख निकल ही गयी.

मैंने कोमल के चेहरे पर अपने होंठ रगड़ना चालू कर दिए और बिना हिले डुले उसको सहलाता रहा. कुछ मिनट तक मैं उसे जगह जगह चूमता रहा.

जब उसका दर्द कम हो गया, तो मैंने अब लौड़े को गति दी. बाहर निकाला और फिर से चूत में घुसा दिया.

अब मैं और रुकने की हालत में नहीं था. मैंने कोमल की छातियों को पकड़ा और धक्के लगाना शुरू कर दिए.

लौड़ा चिकना हो चुका था क्योंकि कोमल की चूत फट चुकी थी.
उसकी चूत से निकला गर्म खून और क्रीम की चिकनाई से अब मैंने लौड़े को जोर जोर से अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.
मैंने कोमल के बोबे भी चूसने शुरू कर दिए थे.

अब कोमल थोड़ा रिलैक्स फील कर रही थी. मैं उसकी जांघों को चौड़ा करके राजधानी एक्सप्रेस की रफ्तार से धक्के लगा रहा था.
मेरा लौड़ा फूल कर कुप्पा हो रहा था.

हम दोनों के बदन पसीने से भीग चुके थे. कोमल के होंठों को अपने मुँह में लिए हुए मैं उसको ताबड़तोड़ चोद रहा था.

मेरे हर धक्के पर उसके मुँह से एक आह निकल रही थी, वह भी अब वासना के नशे में मुझे जगह जगह से काट रही थी.

मैंने उसके बोबों को मसलते हुए जोर से धक्के लगाए और एक जोरदार हुंकार के साथ लौड़े ने अनगिनत पिचकारियां उसकी कोमल सी चुत में भर दीं.

कोमल ने अपनी पूरी ताकत के साथ मुझे अपने सीने से चिपका लिया. मैं बुरी तरह से हांफता हुआ उसके कोमल से बदन पर एक कटी हुई डाल की तरह गिर पड़ा.

हमारा पहला दूल्हा दुल्हन सेक्स पूर्ण हो गया था.

इसके बाद क्या क्या न हुआ, बीवी के अलावा मेरी साली भी मेरे लंड से चुदी, वो सब अभी बाकी है.

दोस्तो, आपके सामने मैं अपनी अगली सेक्स कहानी जल्दी ही लाने का प्रयास करूंगा. तब तक आप मेल से बताएं कि आपको मेरी दूल्हा दुल्हन सेक्स कहानी कैसी लगी.
raj327191@gmail.com


मां बेटी की चुदास मेरे लंड से मिटी- 5

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स्कूल गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि कैसे आंटी की कमसिन सेक्सी बेटी मेरे साथ वाटर पार्क में घूमने गयी. वहां वो कैसे मेरे सामने नंगी होकर मेरा लंड चूसा.

मित्रो, नमस्कार, मैं आकाश एक बार फिर से आकृति आंटी की बेटी रिट्ज की चुत चुदाई की कहानी को आगे लिख रहा हूँ.
स्कूल गर्ल सेक्स कहानी के पिछले भाग
आंटी ने अपनी बेटी की चुदाई के लिए कहा
में अब तक आपने पढ़ा था कि रिट्ज मेरे साथ जाने के लिए रेडी हो गई थी और उसकी मम्मी मतलब आकृति आंटी ने मुझे आंख मारते हुए उसे चोदने के ले जाने के लिए इशारा कर दिया था.

अब आगे स्कूल गर्ल सेक्स कहानी:

फिर सब तैयारी होने के बाद आकृति आंटी ने कहा- चलो, मैं तुम लोगों को बस अड्डे तक छोड़ देती हूं.

आकृति आंटी स्कूटी बाहर निकाल लाईं. उन्होंने मुझे बीच में बिठा लिया और पीछे रिट्ज को.

मैं आकृति आंटी के मम्मे दबाते हुए रास्ते भर मजा लेता आया. सुबह का समय था तो सड़कें भी सूनी थीं.

आकृति आंटी हम दोनों को बस में बिठा कर चली गईं.

मैं और रिट्ज दो वाली सीट पर अगल बगल बैठ कर दूसरे शहर आ पहुंचे.

बस अड्डे से ऑटो करके हम दोनों वाटर पार्क वाली जगह पहुंच गए.
फिर अन्दर पहुंचे तो हमारा सारा सामान जमा हो गया. टिकट लेकर हम दोनों को स्विमिंग कॉस्ट्यूम दिया गया. जिसको मैंने ट्रायल रूम में जाकर पहन लिया.

मुझे पहनने को बस एक छोटी चड्डी टाइप की कॉस्ट्यूम मिली थी, जिसमें मेरा लंड एकदम साफ प्रदर्शन कर रहा था.

अब मुझे इंतज़ार था रिट्ज का, वो भी एक बहुत सेक्सी सी कॉस्ट्यूम में बाहर आई. इस कॉस्ट्यूम में उसकी जांघ तक की लैगिंग्स टाइप की चिपकी हुई हाफ पैंट थी. ये उसकी जांघ के ऊपर तक की ही थी. उसमें से उसकी फूली हुई गोल गांड ऐसी लग रही थी कि जैसे किसी ने पीछे कपड़ा ठूंस कर गांड फुला दी हो.

आगे एक बनियान जैसी थी, जो कि बिना बांह की थी. वो हल्की ढीली सी थी लेकिन उसमें रिट्ज के दूध एकदम कसे हुए थे. उसने अन्दर ब्रा भी नहीं पहनी थी. उसकी चूची के निप्पल एकदम साफ खड़े दिख रहे थे. बगल से भी चुचियों के दर्शन हो रहे थे.

हम दोनों साथ में अन्दर गए और एक बड़े से पूल में घुस गए.

पानी से भीग कर रिट्ज का शरीर और साफ दिखने लगा था.
मेरा लंड हाहाकार कर रहा था. मेरी छोटी सी चड्डी में से एकदम साफ़ फुंफकारता हुआ दिख रहा था जिसे रिट्ज ने भी देख कर मजा लिया था.

हम दोनों ने काफी देर तक मस्ती की. फिर इस पूल से निकल कर हम दूसरे पूल में आ गए.

उधर ऊपर से फिसलने वाली स्लिप बनी थी. आज यहां हमेशा के हिसाब से कुछ कम भीड़ थी.

पहले की तरह ही काफी देर पानी में मस्ती करने के बाद रिट्ज ने कहा- चलो दूसरी तरफ झूला झूलने चलते हैं.
हम दोनों भीगे बदन में झूले की तरफ आ गए.

पहले हमने एक टकराने वाला झूला झूला.
और फिर इसी तरह काफी तरह के झूलों पर झूल कर जब रिट्ज थक गई तो हम वहीं एक गार्डन में आ गए. जहां एकदम सन्नाटा था.

गार्डन में ज़मीन में लगी घास में रिट्ज सीधी लेट गयी. मैं उसके बगल में जाकर लेट गया.

कुछ देर बाद रिट्ज बोली- चलो चलें.

वो चली, तो मैं उसके पीछे पीछे चल दिया. वो उसी किनारे बने एक छोटे से पूल में मुझे ले गयी जो बिल्कुल खाली था.
उसने मुझे भी अन्दर बुला लिया और अब हम दोनों अकेले पानी में मस्ती करने लगे.

पहले तो रिट्ज मुझे पानी में धक्का देने लगी. फिर मैंने भी उसको उठा उठा कर उसी पानी में फेंकना शुरू कर दिया.
इस वजह से मेरा हाथ काफी बार उसकी चुचियों पर भी पड़ा, जिससे मेरा लंड पूरी तरह खड़ा हो गया.

कुछ ही देर में शायद ये बात का अंदाज़ा रिट्ज को भी हो गया था. धीरे धीरे रिट्ज को शायद चुदास चढ़ने लगी थी क्योंकि वो अपनी गांड एकदम मेरे लंड पर चिपकाए थी.

अब वो मेरे गले लग जाती और कभी मेरा मुँह अपनी चुचियों में दबा देती.

वो पानी में तैरने लगी. तो मैं एक किनारे खड़ा हो गया था क्योंकि मुझे तैरना नहीं आता था.
कुछ देर में उसकी बनियान पानी के ऊपर तैरने लगी. मैं चौंक गया कि रिट्ज ने अपनी बनियान यहीं उतार दी है.

वो ऊपरी हिस्से को नंगा करते हुए एक किनारे आ गयी.
अब तक मैं समझ गया था कि अब 19 साल की जवान लड़की रिट्ज पूरी तरह से चुदने के लिए मचल रही है, वरना पब्लिक प्लेस पर कौन सी लौंडिया नंगी होती है.
भले ही यहां अभी कोई नहीं था, लेकिन क्या पता कब कौन कहां से आ जाए.

रिट्ज तैरते हुए अपनी बनियान हाथ में लेकर बाहर आ गई और मेरे सामने उसने अपनी बनियान को पहना.
हालांकि अभी भी उसकी चूचियां पानी के अन्दर थीं, लेकिन पानी साफ था तो मुझे सब कुछ साफ ही दिखा.

मुझे पेशाब लग आयी थी तो मैं रिट्ज से बोल कर पानी से बाहर निकल आया.
रिट्ज बोली- मुझे भी लगी है.

हम दोनों टॉयलेट ढूँढते हुए दूसरे छोर पर आ गए.

मैं अन्दर गया तो रिट्ज भी मेरे पीछे पीछे अन्दर आ गयी.
अन्दर आकर रिट्ज मेरे पास आई और मेरे गले लग गयी.

एक पल को तो मुझे कुछ समझ नहीं आया कि मैं क्या करूं.

फिर मैंने उसको नार्मली ही लिया और उसको हल्का सा पीछे को कर दिया.

पर उसने मुझे कसके पकड़ लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए. जिसका विरोध करते हुए मैंने उसको तुरंत पीछे को किया, लेकिन इस बार उसने एक हाथ में मेरा लंड पकड़ लिया और मुझे चूमने लगी.

इस बार मैंने उसको ज़्यादा कठोरता के साथ पीछे किया और उसपर गुस्सा करने लगा.

मेरी इस हरकत के जवाब में उसने बोला- क्या गलत है … अब मेरी उम्र ही ये सब करने की है और आखिर मैं कितना बर्दाश्त करूं. आजकल हर कोई ये सब करता है. मेरे स्कूल में सब लड़कियों को ये सब रोज़ करने मिलता है तो मैं क्यों इतना सब्र करूं!

मैंने उसको समझाते हुए लेकिन सख्त लहज़े में कहा- अगर सब कुएं में जाएंगे तो क्या तुम भी जाओगी.
उसने बोला- हां मैं जाऊंगी. तुम किस बिना पर मुझे समझा रहे हो. क्या तुम नहीं करते हो?

उसकी इस बात से मैं एकदम से हड़बड़ा गया और बोला- मैं नहीं करता ये सब!
इस पर रिट्ज बोली- अच्छा तो मेरे कॉलेज जाने के बाद तुम और मम्मी क्या डांस करते हो. देखो मुझे सब पता है कि मेरे बर्थडे वाली रात तुमने कैसे मेरी मम्मी के साथ गुजारी थी. फिर रोज़ तुम मेरे घर आते हो, मेरे जाने के बाद मेरी मम्मी के क्या क्या करते हो, मुझे सब समझ आता है.

उसकी इस बात से मैं एकदम शांत हो गया.

फिर रिट्ज मेरे पास आई और बोली- देखो मुझे मालूम है कि मेरी मम्मी की क्या हालत है, पापा से कोई उम्मीद नहीं है और वो मेरी वजह से दूसरी शादी भी नहीं कर सकती हैं. बाहर मुँह मारने से नाम खराब होगा, तो तुमने जिस तरह उनकी मदद की, मुझे भी तुमसे वही प्यार चाहिए.

इतना बोल कर वो मेरे पास आई और मेरे गले लग गयी.
अब मैं भी शांत हो गया था.

फिर उसने अपने होंठों को मेरे होंठों से जोड़ कर मुझे चूमना शुरू कर दिया.

कुछ देर मैं मैं भी उसका साथ देने लगा और उसकी पीठ और मोटे मोटे चूतड़ों को मसलने लगा.
फिर उसके मम्मों को भी उसकी बनियान उठा कर खूब चूसा.

उसको वहीं बने बेसिन में बिठा कर पहले दरवाज़ा अन्दर से बंद कर दिया.
फिर खूब बढ़िया से उसकी सील पैक चूत को चाट चाट कर उसका पानी निकाल दिया.

जिसके बाद उसने भी अपनी ज़िंदगी में पहली बार लंड का अहसास किया. उसने काफी देर तक लंड चूसा और मेरा पानी भी पिया.

इस ओरल सेक्स के बाद कुछ देर बाद करीब साढ़े पांच बजे हम वहां से बाहर निकले.
रिट्ज को अब बहुत जोरों की भूख लगी थी तो हमने पहले कुछ खाया.

फिर हम मॉल और अन्य जगह घूमने लगे.
जब करीब रात आठ बजे तो आकृति आंटी का फ़ोन मेरे पास आया. उन्होंने हम दोनों के बारे में पूछा, तो मैंने आकृति आंटी को बस इतना बताया कि काम सैट हो गया है. बाकी बातें घर पर होंगी.

फिर हमने रात का खाना खाया और करीब दस बजे वापसी की बस पकड़ ली.

रात का वक़्त था तो बस में सवारियां भी कुछ कम थीं.
मैं और रिट्ज सबसे पीछे वाली सीट पर जा बैठे और बस में अंधेरे का फायदा उठा कर रिट्ज मेरी गोद में मेरे सीने लग कर बैठ गयी.

फिर कुछ देर बाद हमारा मूड बना, तो हम दोनों ने एक दूसरे के होंठों को चूमने से शुरूआत की.
ये चुम्बन काफी देर तक होता रहा, जिसके बाद रिट्ज ने अपने ऊपर के कपड़े उठा कर मेरे मुँह में अपनी चुचियां भर दीं.

मैंने काफी देर तक उसके मम्मों को चूसा. शायद उसकी चूचियां लाल पड़ गयी थीं.

इस तरह से हमने किस करते हुए, चूची दबाते और पीते हुए लगभग आधा रास्ता काट दिया था.

बस वाले ने एक जगह बस रोक कर चाय पानी वगैरह पिया. मैं भी तब तक मूत कर हल्का होकर आ गया.

इस बार मैं सीट के नीचे बैठ गया और रिट्ज ने अपनी दोनों टांगों को फैला दिया. मैं उसकी चूत चाटने लगा और इस बार रिट्ज पहली बार से कुछ देर बाद डिस्चार्ज हुई.

झड़ने के बाद मैं फिर से अपनी सीट पर बैठ गया. रिट्ज बगल की सीट पर पैरों को फैला कर मेरी गोद में सिर रख कर लेट गयी.
उसने मेरा लौड़ा निकाल लिया और घर आने तक चूसती रही.

अंत में मैं भी उसके मुँह में ढेर हो गया.

करीब बारह बजे बस ने हमें अड्डे तक पहुंचा दिया था. मैं रिट्ज को घर छोड़ कर अपने घर आ गया.

अगली सुबह रिट्ज ने मैसेज किया- मुझसे अब रहा नहीं जा रहा है. मुझे अब बस तुमसे चुदना है.
ये मैसेज उसने सुबह किया था. शायद स्कूल जाने से पहले किया था.

जब मैं उठा, तब तक आकृति आंटी का फ़ोन आ गया.

मैं आकृति आंटी के पास पहुंचा और हम टूट कर चुदाई करते हुए बात करते जा रहे थे.

मैंने कल हुई सारी बातों के बारे में विस्तार से आकृति आंटी को बताया.

आकृति आंटी बोलीं- ठीक है, लेकिन कहीं सही जगह उसको ले जाना … कोई दिक्कत न हो.
इस पर मैं बोला कि क्यों ना इसी घर में उसकी सील का उद्घाटन कर दूं.

आकृति आंटी भी इस बात से सहमत थीं. लेकिन मसला ये था कि कैसे?

इसी तरह कुछ और समय बिता कर दूसरे दिन शाम को आकृति आंटी ने मुझे बताया कि उसकी दो दिनों की छुट्टी है. उस दिन गुरुवार है, तो मेरी भी शॉप बन्द रहेगी, तो क्यों ना मैं दो दिनों के लिए मायके चली जाऊं. तुमको घर रोक जाऊंगी.

इस पर मैं भी सहमत हो गया.

अगले दिन आकृति आंटी ने मुझे करीब शाम को साढ़े आठ बजे अपने घर जाने को बोला और ये भी बताया कि उसने रिट्ज को भी ये बोला है कि मैं दो दिनों के लिए बाहर जा रही हूँ, तो तुम अकेली रहोगी. इसी लिए आकाश को घर पर रुकने का कह कर जा रही हूँ.

मैं घर पहुंचा तो रिट्ज मुझे देख खुश हो गई.
हम दोनों ने कुछ देर एक दूसरे को चूमा और उसके बाद हमने अकेले घर में ओरल सेक्स किया.

झड़ने के बाद मैं रिट्ज की स्कूटी से करीब 10 बजे आकृति आंटी को दुकान से लेने चला गया.

आकृति आंटी घर आने के बाद रिट्ज से बोलीं- तुम खाना लगाओ मैं नहा कर आती हूँ.
अब तक रिट्ज रात का खाना बना चुकी थी.

मैं भी लोअर और टीशर्ट बदल का खाने की टेबल पर आ गया. कुछ ही देर में आकृति आंटी एक काले रंग की शार्ट नाइटी पहन कर आ गईं.

ये नाइटी बस उनकी गांड के कुछ ही नीचे तक की थी. आंटी की पूरी टांगें नंगी थीं.
आंटी की ये नाइटी आगे से बस एक डोरी से बंद होने वाली थी, जिसको आकृति आंटी ने एक हल्की सी गांठ मार कर रोका हुआ था. उस नाइटी में में आंटी के बूब्स की घाटी साफ़ नज़र आ रही थी.

आंटी ने हल्का सा मेकअप किया हुआ था. जिसमें उनके होंठ लाल रंग की लाली से रंगे हुए थे.
आंखों में गहरा काला काजल लगाया हुआ था और हाथों और पैरों में लाल नाख़ूनी लगी थी.
हाथों में लाल चूड़ियां और पैरों में पायल पहने हुई थीं.
खुले गीले बाल थे, जिसमें आकृति आंटी कोई पोर्न एक्ट्रेस से कम नहीं लग रही थीं.

आंटी की इस कातिलाना अदा में आता देख कर रिट्ज मेरे पास आई.
वो धीरे से मेरे कान में बोली- लगता है मम्मी दो दिनों की सारी कसर आज रात ही पूरी करने वाली हैं.

उसके इतना बोलते ही हम दोनों हंस पड़े.

खाने के बाद रिट्ज अपने कमरे में चली गयी और आकृति आंटी ने मुझे अपने कमरे में आने को बोला.
कुछ ही देर में वो एक दारू की बोतल गिलास और पानी लेकर कमरे में आ गईं.

आकृति आंटी के लिए मैंने एक हार्ड पैग बनाया, जिसे पीने के बाद वो मेरी गोद में आ गईं और मेरे होंठों को चखने की जगह खाने लगीं.
मैंने भी उनका साथ बराबरी से दिया.

फिर आधी रात में आकृति आंटी ने चार पैग में मेरे दो पानी से अपनी गांड और चूत की प्यास बुझवाई और हम दोनों एक दूसरे से नंगे ही चिपक कर सो गए.

सुबह मुझे लगा कि मुझे आकृति आंटी किस कर रही हैं तो मैंने उनको पकड़ कर अपने पास खींच लिया और उनकी गांड दबा दबा कर किस करने लगा.

तभी धीरे से मेरे कान में आवाज़ आयी- मैं आकृति आंटी नहीं, उनकी लड़की हूँ.

मैं एकदम से चौंक कर उठ गया, तो देखा आकृति आंटी मेरे बगल नंगी अभी तक सो रही थीं और रिट्ज मेरे सामने थी.

मैंने रिट्ज को जल्दी से बाहर भेजा और आकृति आंटी को एक तगड़ा स्मूच किस दे कर जगाया.
जिसके बाद वो तैयार हो गईं और हम सबने नाश्ता किया.

उसके बाद मैं आकृति आंटी को बस स्टॉप छोड़ कर घर आ गया.

मुझे घर आते ही देखा तो रिट्ज ने मुझे आकृति आंटी के कमरे में उन्हीं के बिस्तर पर आकृति आंटी का वही रात वाला सेक्सी वाला नाईट सूट पहना हुआ था.
वो बिल्कुल उसी तरह तैयार होकर लेटी थी.

मैं भी तुरंत नंगा होकर उस पर टूट पड़ा.

हम दोनों ने एक दूसरे को होंठों को चूमते हुए शुरूआत की, जिसके बाद मैंने उसको भी नंगी कर दिया.

फिर उसकी दोनों चुचियों को निचोड़ने के बाद उसकी चूत को चाटा. इसके बाद उसने मेरा लंड भी चूसा.

आज मैंने रिट्ज की सील पैक चूत का उद्घाटन कर दिया.

उसकी चुत से खून निकला और वो काफी दर्द से तड़फी भी मगर गजब की लौंडिया थी. उसने एक बार भी चुदाई रोकने के लिए नहीं कहा.
मैंने रिट्ज की चुत को हचक कर चोदा.

चुदाई के बाद उसने अपनी इच्छा जाहिर की कि इसे बेड पर एक बार मुझे मेरी मम्मी के साथ तुम्हारे लंड से चुदना है.

मैंने हामी भर दी.

इसी तरह दिन भर रुक रुक कर स्कूल गर्ल सेक्स का ये सिलसिला चलता रहा.

उस रात में मैंने रिट्ज की गांड को भी खोल दिया.
ये सिलसिला अगले दिन दोपहर तक चला जिसके बाद शाम को आकृति आंटी वापस आ गईं और मैं अपने घर चला आया.

इसी तरह मां बेटी दोनों मेरे लंड से चुदने को हमेशा बेताब रहने लगीं.

आकृति आंटी तो दिन में या कभी मुझे रात भर के लिए बुला लेती थीं, जिसमें कभी रिट्ज की चुदाई होती, तो कभी आकृति आंटी की.

इसी बीच एक दिन उन दोनों ने दारू पी और मुझे घर बुलाया.
मैं समझ गया कि आज माँ बेटी दोनों मेरे लंड से चुदने के मूड में हैं.

मैंने उस दिन उन दोनों को पेला.

फिर रिट्ज की शादी के बाद भी वो जब मायके आती तो मैं उसके लिए बुक रहता.
मेरे बीज से ही रिट्ज को एक बेटी और बेटा भी हुआ, जिसका पता सिर्फ हम दोनों और आकृति आंटी को था.

रिट्ज के ससुराल जाने के बाद तो जब भी मेरा मन होता या आकृति आंटी का मन होता, तो हम दोनों पूरे घर में चुदाई का मज़ा लेते.

ये थी मां बेटी की चुत चुदाई! आपको स्कूल गर्ल सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करके अवश्य बताएं.
आपका आकाश
romanreigons123@gmail.com


मेरी बीवी ने मेरे बड़े भाई चुत चुदवाई- 3

1 comment :

मेरी सेक्सी बीवी की कहानी में आप पढ़ रहे थे कि वो कैसे अपने कामदेव जैसे जेठ से जोरदार चूत चुदाई का मजा ले रही थी. उसकी ऐसी चुदाई पहले नहीं हुई थी.

दोस्तो, मेरी बीवी … मेरे बड़े भाई यानि अपने जेठ से चुद रही थी और उस चुदाई की कहानी को मेरे कहने पर मुझे सुना रही थी.
मेरी सेक्सी बीवी की कहानी के पिछले भाग
मेरी बीवी की चूत में मेरे बड़े भाई का लंड
में अब तक उसने मुझे बताया था कि उसके जेठ ने उसकी ताबड़तोड़ चुदाई चालू कर दी थी. जिससे मेरी बीवी की हालत पतली हो गई थी.

अब मेरी सेक्सी बीवी की कहानी को आगे उसी की जुबानी सुनिए.

इस कहानी को लड़की की सेक्सी आवाज में सुनें.

तकरीबन 40 धक्कों के बाद जेठजी ने ने चुदाई को विराम दिया और मेरे ऊपर झुक कर मेरे दोनों स्तन अपने बड़े कठोर हाथों में लेकर जोर जोर से मसलने लगे.

मैंने अपने दोनों हाथों से जेठजी के चेहरे को पकड़ा और मेरे बाएं स्तन की घुंडी को ऊपर करके उनके मुँह में रख दी.
जेठजी ने अपने बड़े मुँह को खोल कर मेरी पूरी की पूरी चूची को अपने मुँह में ले लिया और चूची को अन्दर तक ले जा कर जोर जोर से चूसने लगे.

इधर नीचे उनके लंड के धक्के मेरी चूत पर लगातार पड़ रहे थे.
मैं भी उनका पूरा साथ दे रही थी.

तभी मुझसे रहा नहीं गया और उचक उचक कर मेरी चुत पानी छोड़ने लगी.

जब मैं शांत हुई, तब भी जेठजी लगातार मुझे चोदे जा रहे थे.

मैंने अपने दोनों हाथों से अपने बाएं स्तन को, जिसे जेठजी चूस रहे थे, अपने हाथों की उंगलियों से पूरी तरह से घेरा बना कर और उभार दिया ताकि ज्यादा से ज्यादा मेरा स्तन जेठजी के मुँह में जा सके.

पिछली चुदाई से जो जेठजी ने मेरे स्तन पर दांतों से चबाया था, उस वजह से अब जब मेरे स्तन में मुझे दर्द का अहसास भी हो रहा था.
इस समय भी उसी निप्पल को जेठजी अपने मुँह में भरे हुए थे … लेकिन वासना के मजे का अनुभव, उस दर्द से कहीं ज्यादा था.

जेठजी का एक हाथ लगातार मेरे दाहिने स्तन को दबा रहा था. काफी देर तक जोर जोर से मेरे बाएं स्तन को चूसने के बाद जेठजी ने एक पॉप की आवाज से स्तन को मुँह से निकाला.
मेरा बायां स्तन पूरा लाल हो गया था.

जेठजी ने अपने दोनों बड़े बड़े हाथों की उंगलियों से मेरे बाएं स्तन के निचले हिस्से को चारों तरफ से घेरा बना कर जोर से निचोड़ दिया, जिससे मेरा स्तन ऊपर की ओर उभर गया.

जेठजी ने उस स्तन को ऊपर की ओर मेरे मुँह की तरफ मोड़ा … और मुझसे कहा- अब इसे तुम चूसो.

मैं अपना सर नीचे की तरफ मोड़ कर जीभ निकाल कर अपने लाल हुई चूची को चाटने लगी.

उसी समय जेठजी ने भी अपनी जीभ उसी चूची के ऊपर फेरने लगे.
दोनों की जीभ आपस में टकरा जातीं और एक दूसरे की जीभ को चूस लेते.

थोड़ी देर बाद जेठजी फिर से उठे और बढ़ी हुई रफ़्तार से मेरी चुत चोदने लगे.
मैंने मन ही मन सोचा कि इस तरह से जेठजी की दीवानी हो जाऊंगी.

उन्होंने तकरीबन 50 धक्के मारे तो मैंने महसूस किया कि जेठजी की छाती पर पसीना आ गया था. कुछ पसीने की बूंदें मेरे पेट पर गिर रही थीं. इससे मुझे बहुत सुख का अनुभव हो रहा था.

फिर जेठजी एक पल के लिए रुके और मेरे ऊपर फिर से छा गए. अब उन्होंने मेरे दाहिने स्तन को चुम्बन किया और उसके बड़े कड़क से निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे.

मैं आपको बता दूँ कि मेरा दाहिना स्तन मेरे बाएं स्तन से थोड़ा बड़ा है.

इस समय मेरा सारा का सारा स्तन जेठजी के बड़े से मुँह में समां गया था. मैंने फिर से उनका सर अपने दोनों हाथों से पकड़ा और अपने स्तन पर दबा दिया.

वह ज़ोर ज़ोर से मेरे दूध को चूसते रहे और बीच बीच में दांतों से चबा भी देते.

मैंने फिर से अपने दोनों हाथों से स्तन को चारों तरफ से घेर लिया और ज़ोर से भींचते हुए ऊपर की ओर उभार दिया.
इससे मेरा स्तन जेठजी के मुँह में और ज्यादा घुस गया.

वासना का खेल अपनी पूरी चरम सीमा पर था. जेठजी का समूचा बड़ा मोटा लंड पूरी तरह मेरी चूत के अन्दर तक घुसा हुआ था और जेठजी मेरे दाहिने स्तन को पूरी तरह अपने मुँह में समाए हुए थे.

इस दौरान जेठजी मेरे बाएं लाल हुए पीड़ा दायक स्तन को अपने सख्त कठोर हाथों से मसल भी रहे थे.

गहरी वासना में चुदाई का इतना मजा आता है, मुझे इसका आज ही अनुभव हुआ.

अब मुझसे और रहा नहीं गया. मेरा शरीर ज़ोर से अकड़ा और नीचे से ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए में फिर से झड़ गई.

शायद मैं चौथी बार झड़ी थी. मैंने थोड़ी सी आंखें खोलीं और मेरी नजर दरवाजे पर चली गईं.

हमने दरवाजा बंद नहीं किया था. मैंने देखा कि जेठानी दरवाजे की झिरी से एक आंख से देख रही थी.

मैं बहुत खुश हुई और आंखें बंद करके चुदाई का मजा लेने लगी.

कुछ देर बाद जेठजी ने मेरे दाहिने स्तन को मुँह से निकाला. मेरी ये वाली चूची भी सेब की तरह पूरी लाल हो गई थी.
मेरे दोनों स्तनों पर जेठजी के दांतों के बहुत से निशान थे.

जेठजी ने मेरे दोनों स्तन के निचले हिस्से से अपने दोनों बड़े बड़े खुरदरे हाथों में लेकर एक साथ ऊपर की ओर उभारा और दोनों को एक साथ सटा दिया.
इससे मेरे दोनों बड़ी बड़ी चूचियां पास पास आ गई थीं.

जेठजी ने मेरी दोनों चूचियों को जीभ से चाटा और फिर एक साथ मुँह में लेकर चूसने लगे. मेरी पीठ का आकार धनुष सा बन गया था. मैंने दोनों हाथों से जेठजी के सर पकड़ कर ज़ोर से अपने सीने पर दबा दिया.

दो मिनट ऐसे करते हुए जेठजी थोड़ा रुके और मेरे दोनों स्तनों को अपने हाथों से आजाद कर दिया.

अब धीरे से जेठजी अपना दाहिना हाथ नीचे की तरफ ले गए और मेरी गांड के नीचे से लेते हुए मेरी चूत के चारों ओर अपनी उंगली फेरने लगे.

मैं मन ही मन सोच रही थी कि अब पता नहीं जेठजी क्या करेंगे. फिर सोचा, जो भी करेंगे … उसमें मजा ही आएगा.

मैं अभी ऐसा सोच ही रही थी कि जेठजी ने मेरी चूत की बायीं तरफ, जो मेरी चूत और उनके लंड की जगह से बची हुई फांक थी, उसमें अपनी एक उंगली अन्दर करते हुए मेरी चूत में उंगली डाल दी.

उफ्फ … मैं चिहुंक उठी.
एक तो इतना मोटा लंड घुसा हुआ है … और उस पर एक और मोटी उंगली भी चुत में डाल दी.

कुछ पल के दर्द के बाद मेरे चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई.

इस खेल में जेठजी बारी बारी से लंड और उंगली को आगे पीछे कर रहे थे.
मुझे ऐसा लग रहा था मानो दो लंड से मेरी चूत की चुदाई हो रही हो.

जेठजी अपना दूसरा हाथ भी मेरी गांड के नीचे ले गए और मेरे चूतड़ों को ऊपर की तरफ उठा दिया.
मेरी चूत और लंड की दूसरी तरफ की सांस को भी उन्होंने उंगलियों से टटोलते हुए अपनी बीच वाली उंगली चूत में पेल दी.

‘हाय राम … मर गई ..’ कहते हुए मैं दर्द के सुख से कराह उठी.

अब मेरी चूत मैं जेठजी का लंड के साथ साथ दोनों तरफ से दो उंगलियां भी मेरी चूत को चोद रही थीं.
जेठजी अपने लंड और दोनों उंगलियों को मेरी चूत में एक लय में अन्दर बाहर करते हुए चोद रहे थे.

अभी मेरी चूत इस चुदाई को एडजस्ट कर ही रही थी कि जेठजी ने दोनों तरफ से और एक एक उंगली मेरी चूत में डाल दी और तेज गति से चुदाई करने लगे.

उनके हाथ किसी वायलिन बजाने वाले की तरह से मेरी चुत पर लंड के साथ चल रहे थे. चुत से उठने वाली तरंगों से मेरा बदन पूरी तरह अकड़ गया था.

मेरी चूत पूरी तरह फैल कर जेठजी के लंड के साथ साथ उनकी चार मोटी मोटी उंगलियों को अन्दर समेटे हुई चुदाई का मजा ले रही थी.

मैंने जेठजी को जोर से अपने ऊपर जकड़ा हुआ था और चुदाई का आनन्द ले रही थी.

अभी इतना काफी नहीं था कि तभी जेठजी ने दोनों तरफ बाकी की दो दो उंगलियां, दोनों तरफ से मेरी चूत में डाल दीं.

ऊई दइया … अब तो मेरी चूत के बीचों बीच जेठजी का बड़ा मोटा लंड … और दोनों तरफ से उनकी चारों उंगलियां मेरी चूत को चौड़ा किए हुई थीं.

जेठजी अपनी उंगलियों से मेरी चूत की फांक को दोनों तरफ से फैला रहे थे, जिससे मेरी चूत पूरी तरह फैली जा रही थी.
इधर जेठजी मेरी चूत को उंगलियों से फैलाते और उधर अपने लंड को जोर जोर से मेरी चूत के अन्दर बाहर करके चोदे जा रहे थे.

अपनी जिंदगी में मैंने ऐसी चुदाई का सुख कभी नहीं भोगा था.
मैंने जेठजी के मांसल कंधों को ज़ोर से पकड़ लिया.
वो अपनी मोटी उंगलियों और हब्शी लंड, दोनों से जेठजी मेरी चूत को चोद रहे थे.

कुछ देर ऐसे करने के बाद जेठजी ने एक एक करके अपनी उंगलियां मेरी चूत से बाहर निकाल दीं और मेरे चूतड़ों को अपने दोनों हाथों से जकड़ कर ऊपर की ओर उठा दी.

जेठ जी अब सिर्फ अपने लंड से जोर जोर से चुदाई कर रहे थे.
इससे मेरी जान में जान आई.

मैंने अभी दूसरी सांस ही ली थी कि जेठजी ने एक उंगली मेरी गांड में डाल दी.
चूत के रस से मेरी गांड भी पूरी तरह भीगी हुई थी जिसके कारण बड़ी आसानी से फच फच करके उंगली मेरी गांड में घुस गई.

जेठजी मेरे कान में फुसफुसाये- सोनी, ऐसे कभी किया है?
मैंने ना में सर हिलाया.

उसी समय तुरंत ही जेठजी ने दूसरी उंगली को भी मेरी गांड में डाल दिया.
अब यह ऐसा महसूस हो रहा था कि एक लंड मेरी चूत में है … और दो लंड मेरी गांड में घुसे हैं.

ऐसे ही जेठजी मेरी चूत को लंड से चोदते और गांड को अपनी दो उंगलियों से चोदते रहे.

थोड़ी देर बाद जेठजी अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल दिया और अपने पंजों के बल ऊपर उठ कर ज़ोर ज़ोर से लंड के धक्के मेरी चूत में लगाने लगे.

कुछ ही देर बाद जेठजी ने एक ज़ोर से धक्का लगाया और उनका शरीर अकड़ गया.
इसी के साथ उनके लंड का सुपारा फूल गया और फुंफकार मारते हुए मेरी चूत में अपना बच्चे पैदा करना वाला रस उड़ेलने लगा.

जेठजी झड़ कर मेरे ऊपर छा गए और मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर ज़ोर ज़ोर से उचक उचक कर मेरी चूत के अन्दर तक धक्के मारने लगे.

मैं भी नीचे से उछलने लगी और फिर आखरी बार झड़ गई.

मैंने जेठजी को अपनी बांहों में जकड़ रखा था और अपनी टांगों से उनकी कमर को पकड़ कर ऊपर की ओर धकेल रही थी.

इससे यह हुआ कि जेठजी का वीर्य मेरी योनि की अंडे वाली थैली पर सीधा गिर रहा था.
मुझे पूरा अहसास हो रहा था कि मेरी चूत की गहराई में जेठजी का पोषक वीर्य एक तेज धार की तरह मार कर रहा था.
यदि अभी अगर मेरे गर्भाशय में बच्चा पैदा होने वाला अंडा होगा तो जेठजी के पोषक वीर्य से जरूर उसे फर्टिलाइज कर देगा और मैं जेठजी के बच्चे की मां बन जाऊंगी.

यह सोच सोच कर मैं वासना की और भी तीव्र आग में जलने लगी.
अब हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे.

जेठजी के अंडकोष से उनका गाढ़ा वीर्य मेरी गर्भवती होने के लिये तैयार चुत में लंड के सुपारे के जरिए मेरी बच्चेदानी में अंडे को पूरी तरह भिगो रहा था.
हम दोनों एक दूसरे से चिपके हुए थे.

जब तूफान शांत हुआ तो जेठजी मेरे ऊपर से उठ गए और अपने कपड़े पहनने लगे.

मैं भी उठी और अपनी साड़ी, ब्लाउज, साया, सभी को समेट कर एक हाथ को अपनी चूत के ऊपर दबाये अपने कमरे में चली गई.

जेठानी वहां नहीं थी तो मैंने फटाफट नाइटी पहनी और अपने बेड पर कमर के नीचे तकिया लेकर लेट गई.
पता नहीं क्यों मुझे जेठजी के बच्चे की मां बनने की बहुत इच्छा हो रही थी. किसी भी हाल में अपनी चूत से जेठजी का अनमोल वीर्य बाहर नहीं आने देना चाहती थी.

मैंने एक छोटे साइज की तंग पैंटी पहनी और एक प्लास्टिक की पन्नी अपनी चूत के आगे लगा दी ताकि जेठजी का गाढ़ा वीर्य मेरी चूत में ही रहे.

दोस्तो ये सब मैं अपने पति को बता रही थी.

चुदाई की कहानी सुनाने के बाद मैं अपने पति से बोली.

आप उस रात 10.30 बजे आए थे और मैं उठकर आपको खाना देकर लेट गई. आप आए और मुझे चोदने के लिए उठाने लगे, लेकिन मैंने मना कर दिया.

मैं दाहिनी करवट होकर लेटी हुई थी. आप फिर भी नहीं माने और मेरे पीछे से आकर आपने मेरी नाइटी कमर तक उठा दी. फिर मेरी पैंटी को साइड करके आपने अपने लंड को पीछे से मेरी चूत में डाल दिया. मेरी चूत जेठजी के इतने मोटे लंड से चुदने के बाद और उनके वीर्य से भरी हुई होने के कारण आपका छोटा सा पतला लंड मेरी ताजा ताजा चुद चुकी चूत में बड़ी आसानी से घुस गया.

अपनी बीवी की बात सुनकर मुझे याद आया कि हां उस रात बीवी की गीली चूत में लंड डालते समय मुझको अहसास हुआ था कि मेरी बीवी की चुत इतनी गीली और खुली हुई कैसे है.

मेरी पत्नी बताए जा रही थी:
आपने पीछे से अपने हाथों को आगे लाकर मेरी चूचियों को दबाने की कोशिश की, लेकिन मैंने आपका हाथ हटा दिया.
आप भी 3-4 धक्के मार कर शांत हो गए. आपका भी वीर्य पतन हो गया. आपने मेरी चूत में अपना पतला सा दो बून्द वीर्य टपका दिया. आपका वीर्य जेठजी के गाढ़े वीर्य में ही समा गया.
आपने बिना कुछ कहे आपने कपड़े पहने और सो गए. मैं भी सो गई.

दोस्तो, ये मेरी बीवी के अपने जेठ से चुदने की सेक्स कहानी थी, आपको कैसी लगी मेरी सेक्सी बीवी की कहानी? प्लीज़ मुझे मेल जरूर करें.

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मेरी बीवी ने मेरे बड़े भाई चुत चुदवाई- 2

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जेठ से चुदाई का मजा लिया मेरी बीवी ने. उसने सारी बात मुझे खुद बतायी. मैं भी अपनी बीवी को दूसरे मर्द से चुदवाना चाहता था. तो इसमें मुझे मजा आ रहा था.

दोस्तो, मैं आपको अपनी चुत चुदाई चुदाई का मजा कहानी में लिख रही थी कि जब मेरे पति ने मुझसे जेठ जी के साथ सेक्स कहानी को सुनाने को कहा, तो मैं उन्हें अपनी चुदाई के बारे में बताने लगी थी.

जेठ से चुदाई का मजा कहानी के पिछले भाग
जेठानी के कमरे में जेठजी संग सेक्स
मैंने पति को बताया कि जेठ जी के मोटे लंड का सुपारा मेरी आंखों के सामने आया तो मैं इतना मोटा सुपारा देख कर घबरा गई थी. मगर जेठ जी ने मुझे सहलाया और लंड चूसने का इशारा कर दिया.

अब आगे चुदाई का मजा:

यह कहानी सुनें.

मैंने जेठजी के बड़े लंड को अपने हथेलियों में पहले प्यार से सहलाया और फिर उनके बड़े सुपारे को चारों ओर से चुम्बन लिया. मेरे लंड चूमने से धीरे धीरे जेठजी का लंड खड़ा होने लगा था.

अब जेठजी के लंड का सुपारा फूलने लगा था. मैं लंड के सुपारे को अपने पूरे चेहरे पर रगड़ने लगी.
जैसे जैसे मैं हाथों में जकड़ कर आगे पीछे करती, जेठजी का लंड और बड़ा और मोटा होने लगता; उनके बड़े बड़े अंडकोष भी ऊपर को उठने लगे और कठोर होने लगे.

मैं जेठजी के लंड को चारों ओर से चुम्बन करने लगी और अंडकोष को हथेलियों में लेकर सहलाने लगी.

दो ही मिनट में जेठजी का लंड पूरी तरह सख्त होकर खड़ा हो गया था और उनका सुपारा पूरी तरह नंगा होकर मेरे चेहरे के सामने अपनी मर्दानगी का परिचय दे रहा था.
वो मुझ पर हावी होने का प्रमाण दे रहा था.

मैं भी अपने जेठजी के असली मर्द के बड़े लंड को अपनी आंखों के सामने देख कर बहुत गर्व महसूस कर रही थी.

मैंने मन ही मन सोचा कि काश … जेठजी के साथ मेरी शादी हुई होती और सुहागरात पर मेरी नथ उन्होंने ही उतारी होती.

जेठजी के लंड को मैंने दोनों हाथों में कसके पकड़ा और जेठजी के सुपारे के ऊपर चुम्बन कर दिया.

लंड ने एक फुंफकार मारी, तो मैं उनके लंड के सुपारे को अपनी जीभ से चाटने लगी. अपनी जीभ से चाट चाट कर उनका सुपारा पूरा गीला कर दिया.

फिर मैंने अपना मुँह खोला और सुपारे को मुँह में ले लिया. अब मैं जेठजी के लंड को अपने हाथों में आगे पीछे करने लगी और मुँह से सुपारे को चूसने लगी.

जेठजी ने अपने दोनों बड़े बड़े हाथों से मेरे सर को पकड़ कर अपनी कमर से धक्का मारा और उनका लंड मेरे मुँह में 3 इंच अन्दर घुस गया.
लंड ने मेरे मुँह के अंदरूनी हिस्से पर वार किया.

मुझे महसूस हुआ कि मेरे गले में भी लंड का कुछ हिस्सा चला गया.
मैं उन्हें ऐसा करने से रोक रही थी … लेकिन जेठजी ने अपने हाथों का दबाव कम नहीं किया. वो तो मेरे मुँह में पूरा लंड घुसाना चाहते थे और मेरे मुँह को चूत के समान चोदना चाहते थे.

जेठजी ने एक बार लंड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से मेरे मुँह में जोर से लंड को घुसा दिया.
लेकिन इस बार भी लंड उतना ही अन्दर गया जितना पहले गया था.

मैं घबरा गई कि कहीं जेठजी मेरे मुँह का बुरा हाल ना कर दें.
तो मैं खुद ही अपने मुँह में लंड को जोर जोर से आगे पीछे करके चूसने लगी.

जेठजी वासना भरी सिसकारियां लेने लगे. इससे मुझे अहसास हुआ कि जेठजी को बहुत मजा आ रहा है.

थोड़ी देर लंड को चूसने के बाद मैं अपने हाथों से उनके लंड और सुपारे को जकड़ कर हिलाने लगी और अपने मुँह को नीचे ले जाकर उनके अंडकोष को जीभ से चाटने लगी.
फिर एक अंडकोष को अपनी एक हथेली में लेकर मुँह में डाल लिया और उसे टॉफ़ी की तरह चूसने लगी.

थोड़ी देर एक अंडकोष को चूसने के बाद मैंने जेठ जी के दूसरे अंडकोष को भी चूसा.

फिर मेरा मन हुआ कि दोनों अंडकोषों को एक साथ मुँह में ले लूँ!
लेकिन जेठजी के अंडकोष बहुत बड़े थे और देखने से ही साफ़ पता चल रहा था कि उनमें बहुत से बच्चे पैदा करने वाला वीर्य भरा हुआ था.
जेठ जी के आंड काफी सख्त और फूले फूले थे.

फिर मेरे कंधों को पकड़ कर जेठजी ने मुझे खड़े होने का इशारा किया.
मेरी चूत पूरी तरह पानी पानी हो रही थी.

मैंने लंड चूसना छोड़कर उनकी आंखों में देखा, तो जेठजी ने मुझे उठाया और पलंग पर लिटा दिया.
इसके बाद जेठजी मेरी दोनों जांघों के बीच औंधे मुँह होकर लेट गए.

मैं ये सोच कर ही पागल हो रही थी कि अब जेठजी क्या मेरी चूत चाटेंगे.

मेरी चिकनी चूत को देख कर जेठजी मंत्रमुग्ध हो गए.
पहले तो उन्होंने मेरी चूत के दाने को अपनी उंगलियों से रगड़ा और फिर मेरी गीली चूत में एक उंगली डाल दी.

मैं पूरी तरह से अकड़ गई.

जेठजी अपनी एक उंगली को मेरी चूत में अन्दर बाहर कर रहे थे और अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को चाट रहे थे.

ये ठीक वैसा ही हो रहा था जैसा ब्लू फिल्मों में होता है.

जेठजी ने अब अपनी उंगली चुत से निकाल ली और अपनी जीभ को मेरी चूत में डाल दी.

अपनी खुरदुरी जीभ से जेठजी मेरी चूत को चोद रहे थे. मेरी टांगें फ़ैल गई थीं और मैं गांड उठा कर अपनी चुत चटवाने का मजा लेने लगी थी.

जेठजी ने मेरी चूत को अपनी जीभ से चोदते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर कर दिए और मेरे दोनों स्तनों को पकड़ लिया.

मैंने भी अपने दोनों हाथों से जेठजी का सर पकड़ लिया और अपनी चूत के ऊपर दबाने लगी.
जेठजी अब मेरी चूत में गहराई तक जीभ पेल कर उसे चोदे जा रहे थे और मेरे दोनों स्तनों को दबाते हुए बीच बीच में मेरी चूचियों के निप्पलों को भी मसल दे रहे थे.

थोड़ी देर बाद मैंने जेठजी का सर अपने हाथों से छोड़ दिया और जेठजी के बड़े बड़े हाथों के ऊपर रख कर उनके हाथों को अपने हाथों से दबाने लगी ताकि जेठजी मेरे स्तनों को और जोर जोर से मसलें.

अब मैं झड़ने वाली थी.
मैंने एक बार फिर से जेठजी के सर को अपने हाथों से जोर से अपनी चूत के ऊपर दबाया और कमर को धनुष सा अकड़ा कर जोर जोर से झटके मारने लगी.

जेठजी ने तुरंत अपनी जीभ को मेरी चूत के और अन्दर डाल दिया और सर को आगे पीछे करते हुए मेरी चूत को चोदने लगे.

मेरा एक फव्वारा आने पर जेठजी ने जीभ को बाहर किया और स्तन से अपने दाहिने हाथ को नीचे लाकर, झट से एक साथ अपनी तीन उंगलियां, प्यार के रस से लबालब हुई मेरी चूत में डाल कर तेज रफ़्तार से चुत को चोदने लगे.

मैं भी अपने स्तनों को अपने दोनों हाथों से कस कर दबाते हुए जोर जोर से झटके लेने लगी.

अगले कुछ ही पलों में 5-6 झटके लेकर मैंने चूत का ढेर सारा रस जेठजी के चेहरे और हाथों में उढ़ेल दिया.
जेठ जी मेरी चुत के रस को चाटते चले गए.

कुछ देर बाद जब मैं शांत हुई, तो जेठजी ऊपर उठे.
मैंने देखा कि उनका चेहरा मेरी चूत के रस से भीगा हुआ था. उनकी मूंछें और दाढ़ी पूरी तरह भीगी हुई थीं.

मैं जेठजी को देख कर मुस्कुरा दी और अपने दोनों हाथों को फैला कर जेठजी को आगोश में लेने के लिए इशारा किया.

जेठजी मेरी दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ कर अपना चौड़ा सीना लेकर मेरे ऊपर छा गए.
हम दोनों ने एक दूसरे को प्यार से चुम्बन किया और जीभ से एक दूसरे के मुँह के अन्दर तक टटोला. बारी बारी से हमने एक दूसरे की जीभ को चूसा.

मैंने कहा- हरी, आई लव यू.
जेठजी ने भी कहा- सोनी, आई लव यू टू.

उसी पल मैंने अपनी टांगों को फैला दिया और दाहिने हाथ को नीचे ले जाकर जेठजी के बड़े मोटे लंड को अपनी चूत के ऊपर रख दिया.

लंड चुत से सटा तो मैं नीचे से धक्का देने लगी लेकिन जेठजी का पूरा भार मेरे ऊपर होने से मैं थोड़ा भी हिल नहीं पाई.
मैंने जेठजी की आंखों में आंखें डाल कर मुस्कुरा कर इशारे से सर को हां में ऊपर से नीचे करते हुए उनको चोदने का इशारा किया.

जेठजी उठे और मेरी दोनों टांगों को अपने दोनों बलिष्ठ हाथों से पकड़ कर फैला दिया और अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर टटोलते हुए चुभाने लगे.

जेठजी अपने लंड को मेरी चूत के ऊपर जैसे ही ठेलते ही उनका बड़ा सुपारा, मेरी छोटे मुँह की चूत की वजह से फिसल कर ऊपर को आ जा रहा था.

जब मुझसे नहीं रहा गया तो मैं पूर्ण उत्तेजित हो उठी और झट से अपने दाहिने हाथ को अपनी दोनों टांगों के बीच ले जाकर जेठजी के लंड को बीच से पकड़ कर अपनी गीली चूत के मुँह पर रख दिया.
फिर जेठजी की आंखों में आंखें डाल कर प्यार भरी निगाहों से देख कर, मुस्कुराते हुए अपने सर से हां का इशारा किया.

उसी समय मैंने अपनी कमर को भी ऊपर की ओर धकेला और अपने बाएं हाथ से जेठजी की कमर को पकड़ कर चुत की ओर धकेलने का इशारा किया.

जेठजी ने एक कामुक नजर से मुझे देखा और अपनी कमर को नीचे धकेला. जिससे उनके लंड का सुपारा मेरी चूत के मुँह को खोलते हुए धीरे से अन्दर प्रवेश करने लगा.
मैंने भी आंखें बंद करके अपनी कमर को ऊपर की धकेले रखा और अपने दोनों बांहों से जेठजी को कसके कमर से भींचते हुए ऊपर की ओर अड़ाए रखा.

जेठजी का मोटा बड़ा लंड धीरे धीरे मेरी रस भरी चूत की फांकों को चीरते हुए अन्दर घुसता चला गया.
लंड घुसते ही मानो मेरी तो सांस ही जैसे अटक गयी थी.

जेठजी मेरे ऊपर पूरी तरह से छा गए और मेरी दोनों बगलों से हाथों को ले जाकर नीचे से मुझे आगोश में ले लिया.

मैंने भी उन्हें सहयोग देने के लिए अपनी पीठ उठा दी ताकि जेठजी मुझे जोर से जकड़ सकें.
इसी के साथ मैंने भी अपनी नाजुक बांहों से जेठजी को जकड़ लिया और टांगों को उनकी कमर में बांध दिया.

अब जेठजी अपनी कमर से और जोर जोर से झटके मारते हुए अपने मोटे बड़े लंड को मेरी छोटी सी चूत में घुसाने लगे.
एक एक झटके से उनका लंड मेरी चूत की गहराई में जाने लगा.

जैसे ही जेठजी ऊपर की ओर झटका देते, मैं भी अपनी कमर से नीचे की ओर झटका दे देती ताकि उनका लंड जल्दी मेरी चूत में जड़ तक घुस जाए.

दस बारह झटकों के बाद ही उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया.

अब जब उनका पूरा लंड मेरी चूत में घुस गया तो मुझे अहसास हुआ कि उनके बड़े बड़े अंडकोष मेरी गांड से सट गए हैं.
मैंने अपनी पकड़ कुछ ढीली की, जिससे जेठजी मेरे ऊपर से जोर जोर मेरी चूत में अपने लंड को आगे पीछे करके मुझे चोदें.

थोड़ी देर हम दोनों ऐसे ही पड़े रहे. इस बीच में अपनी चूत की फांकों से जेठजी के लंड को जकड़ती और छोड़ती रही.
उनका लंड भी मेरी चूत की पूरी गहराई में फुंफकार मार रहा था.

कुछ देर बाद मेरी चूत जेठजी के मोटे बड़े लंड को लेने के लिए स्वीकार करके उसके लिए जगह बना चुकी थी.
मैं पूरी तरह जेठजी से जोर से चुदने को तैयार थी.

इस बार मैं शाम की तरह चुदाई नहीं चाहती थी कि जेठ जी अपना लंड चुत में डाल कर पड़े रहें और झड़ जाएं.

इस समय मैं चाहती थी कि जेठजी मुझे अपनी बीवी, गर्लफ्रेंड, रंडी, रखैल या जो भी समझें … लेकिन बेरहम होकर जोर जोर से मुझे चोदें और चुदाई का मजा दें.
मुझे तो ये सोच कर ही चुदाई का सुख आ रहा था कि मैं जेठजी यानि मेरे पति के बड़े भैया से चुदवा रही हूँ जो कि मुझसे करीब 11 साल बड़े हैं.

मैंने अपनी पकड़ थोड़ी ढीली की, लेकिन जेठजी ने मुझे जोर से जकड़ रखा था.

जेठजी को और उत्तेजित करने के लिए मैं धीरे से जेठजी के कान में फुसफुसायी- मेरे डार्लिंग जेठजी, आज आप अपने छोटे भाई की बीवी को अपनी बीवी बना लो … और कोई कसर न छोड़ना. यह सोनी आपके जैसे मर्दों के लिए बनी है … आज आप मेरी सारी प्यास बुझा दो.

ये कह कर मैंने नीचे से अपनी गांड को ऊपर की ओर उछाल दिया और चुदने का संकेत दे दिया.

जेठजी ने अपनी पकड़ ढीली की और अपने हाथों के बल अपने बदन को मेरे ऊपर से उठाकर अपनी कमर को पीछे किया; फिर पूरी रफ़्तार से अपना लंड वापस मेरी चूत के अन्दर डाल दिया.

मेरी ख़ुशी की सीमा न थी. मैंने मदमस्त आंखों से जेठजी को मुस्कुराते हुए देखा.
जेठजी भी मुस्कुरा दिए.

फिर तो चुदाई गाड़ी चल पड़ी.

अब जेठजी तक़रीबन अपने पूरे लंड को मेरी चूत से बाहर निकालते और वापस पूरी रफ़्तार से अन्दर डाल देते.
ऐसे ही वो अपने लंड को मेरी चूत में आगे पीछे करके चोदते रहे.
मैं भी नीचे से धक्के दे देकर उनका पूरा साथ देती रही.

जब भी जेठजी का लंड अन्दर तक मेरी चूत में जाता, उनके बड़े बड़े अंडकोष मेरी गांड पर हथौड़े की तरह चोट मार देते.
चुदाई के वक्त जब जेठजी ऊपर को धक्का मारते, तो मेरे स्तन ज़ोर से ऊपर की ओर उछल जाते और फिर नीचे की ओर आ जाते.

जेठ जी के तीव्र धक्कों से मेरी चुत का कबाड़ा हुआ जा रहा था.

दोस्तो, मेरी चुदाई की दास्तान को मैं अपने पति को सुना रही थी. मेरी सेक्स कहानी को सुनकर मेरे पति के चेहरे पर वासना की लकीरें साफ़ दिख रही थीं.
इस सेक्स कहानी को मैं आगे उन्हें बताऊंगी. जिसे पढ़ कर आपको भी चुदाई का मजा आएगा.

प्लीज़ आप मेरी सेक्स कहानी को लेकर अपने विचार मेल द्वारा जरूर भेजें.
sunilsingh252602@gmail.com

चुदाई का मजा कहानी जारी है.



चरमसुख की तलाश

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हॉट साली सेक्स कहानी में पढ़ें कि मुझे अपने साले की पत्नी बहुत पसंद थी. पर मुझे पता नहीं था कि वो यौन सुख की कमी से जूझ रही है. जब मुझे पता लगा तो …

आदरणीय देवियों, सज्जनों और प्रेम रसिकों को लेखक पथिक रंगीला का सादर प्रणाम।
मेरी उम्र 32 साल, लंड 6 इंच का और लंबाई 5′ 10″, गठीला शरीर है।

लंबे समय से एक बात दिल में छुपा रखी थी हमने!
वो बोली इस बात को एक कहानी का रूप दे दो मुझे भी अमर कर दो अपने संग संग।

पहली बार किसी प्रसंग को कहानी का रूप देने की कोशिश कर रहा हूँ. मेरी हॉट साली सेक्स कहानी में कुछ त्रुटि हो जाए तो क्षमा करें और अपना अमूल्य सुझाव देने की कृपा करें।

दोस्तो, यह बात 2 साल पहले की है उन दिनों की जब मेरी शादी मधु से हुए कुछ महीने ही बीते थे।
मधु मेरी धर्मपत्नी … क्या बदन पाया है उसने … क्या यौवन … और चुदाई का ऐसा शौक कि क्या कहना?

उन दिनों आलम यह था कि यदि मैं व्यवसाय के सिलसिले में पास के शहरों में कभी जाता तो वो मुझे जिद करके चार दिन के जगह दो दिन में ही लौटने को विवश कर देती थी।
मैं भी उसे बेहद प्रेम करता था तो कभी उसकी बात टाल नहीं पाता था और दौड़ा दौड़ा आ जाता था.

फिर बिस्तर पर हमारी घमासान चुदाई होती थी।

खैर ये कहानी मेरी और मधु की नहीं है, मेरी और मधु की कहानी मैं फिर कभी लिखूंगा।

चलिए मेरी इस कहानी चरम सुख की तलाश की नायिका से आपका साक्षात्कार कराते हैं।
उसका नाम है हर्षिता!
उस वक्त वो 35 वर्ष की थी।

यूँ तो रिश्ते में वो मेरी सलहज (साले की पत्नी, भाभी) लगती थी पर ये संबंध इस कहानी में रह नहीं जाता।
यह बात आगे आपको स्वतः ही समझ आ जाएगी।

यदि मैं अपनी हर्षिता को पंक्तिबद्ध करना भी चाहूं तो मेरे शब्द कम पड़ जायें!

वो चंचल शोख अदाओं की स्वामिनी,
अल्हड़ सी मस्ती लिए एक जवानी!
समर्पण की वो असीम मूरत सी,
समा जाने को बेताब खड़ी मेरी सोणी कली।
शांत इतनी कि दर्द और प्रेम की कोई थाह नहीं,
प्रेम प्रसंग पर आये तो रहे ना प्रेम रस में भीगे कोई अंग।

ये बात जून 2018 के बरसात के दिनों की है।
मेरी शादी को हुए कुछ महीने हो गये थे और मैं ससुराल उदयपुर में अक्सर आया जाया करता था।

मैं जयपुर से अपना व्यवसाय चलाता हूँ परंतु काम के सिलसिले में जोधपुर, उदयपुर, लखनऊ, दिल्ली जाना आना लगा रहता है।

मुझे इनमें उदयपुर जाना सबसे प्रिय है जिसका कारण उस वक़्त एक तो उस शहर का सौंदर्य और उस पर ससुराल की विशेष आवभगत!

पर अब उसमें एक विशिष्ट नाम मेरी चरमसुख की साथी हर्षिता का नाम भी जुड़ चुका है।
जो अब सबसे महत्वपूर्ण है।

मुझे 5 दिन का काम था पर मैं काम 3 दिन में ही निपटा कर एक दो दिन ससुराल में विशेषकर हर्षिता के स्वादिष्ट पकवानों का मज़ा लेते हुए बिताना चाहता था।

उस वक़्त तक ना मुझे पता था, ना मेरी साथी हर्षिता को कि उसको जिस सुख की तलाश पिछले कई साल से है, वो अब बहुत करीब है।

सलहज जी हमेशा से ही शांत सुंदर घरेलू महिला थी जिन्हें देख कर कोई अंदाज़ा ही नहीं लगता था कि इस शांत चित्त के पीछे ख्वाहिशों का एक पहाड़ दबा है।
एक अंतहीन तलाश है अनकहे से अधूरे से सुख की … जो सभी सुखों से बड़ा है।

मेरी महिला पाठक यह बात भली भाँति समझ सकती हैं कि चरमसुख कितना अनमोल है; और कैसे अनेकों भारतीय महिलायें उसे बिना अनुभव किए जिए जा रही हैं।

दो वर्षो पूर्व हर्षिता भी उन्ही में से थी।

पर क्या प्यारी सलहज जी को सिर्फ़ चुदाई वाले चरमसुख की तलाश थी या कुछ और भी?
चलिए ढूंढते हैं कहानी में।

हमारा रिश्ता मस्ती मज़ाक का था तो वो काफ़ी खुल के मजाक किया करती थी.
जैसे कि ‘सुना है कि मेरी मधु को आप सोने नहीं देते?’
और मैं शरमा जाया करता था।

आप समझ ही सकते हैं कि नयी नयी शादी के बाद ससुराल वालों की ये बातें अनायास ही हमें शरमाने पर विवश कर ही देती हैं।
यूँ तो हर्षिता जी के दो बच्चे थे पर उनको देख कर लगता नहीं था कि वो 25-26 से अधिक की होंगी।

उन्होंने आज भी स्वयं को बहुत संभाल कर संवार कर रखा है। आज भी कोई बूढ़ा भी उन्हें देखे तो उसका खड़ा हो जाए।
34-28-36 का साइज़ किसी पर भी कहर बरसाने को काफ़ी है।

मेरे साले साहब एक बड़े बैंक के मार्केटिंग विभाग पर कार्यरत हैं और महीने का बड़ा हिस्सा अलग अलग जगहों पर व्यवसाय (क्लाइंट) के लिए बिताते थे।

उनके पास पैसों की कोई कमी नहीं थी पर शायद उन्होंने दो बच्चे होने के बाद इसे अत्यधिक गंभीरता से ले लिए था या उनका मन अब सेक्स जैसी चीजों में पूरी तरह नहीं लगता था।

खैर उनकी वो जाने, पर इस बात का असर सलहज जी पर पड़ने लगा था।
मैंने कई बार उनकी आँखों में एक अज़ीब सी ख़ालीपन देखा था। कोशिश भी की थी जब हम साथ होते तो कारण जानने की … पर वो हमेशा कोई ना कोई बहाना करके पीछा छुड़ा लेती थी।
पर उन्हें कहा पता था कि उसका समाधान ही उनसे कारण पूछ रहा था।

आज मैं काम से लौटा तो पता चला कि साले साहब अभी अभी माता पिताजी के साथ अजमेर की ओर निकले हैं जो सासू जी का मायका है. और एक दिन रुककर वो आगे अपने काम के सिलसिले में और 4 दिन रुकेंगे।

मैं यह जानकर मंद मंद मुस्काया क्योंकि घर में मैं और हर्षिता जी और उनके बच्चे रह गये थे।
रात का खाना बना, खाया और सोने चल दिए।

उस दिन अनायास ही मैं रात 1 बजे के लगभग जाग गया.
कारण था किसी के सिसकने की आवाज़ … जो हाल की ओर से आ रही थी।

मैंने हाल में आकर देखा तो ये हर्षिता थी.
और मुझे देखते ही वो पलट कर पौंछ कर झूठी मुस्कान के साथ बोली- क्या हुआ? नींद नहीं आ रही हमारी मधु के बिना?

मैंने भी मज़ाक में कह दिया- तो आप आ जाइए सुलाने मधु की तरह!
वो ‘धत तेरे की’ बोलकर शरमा कर जाने लगी।

मैंने रोकते हुए कहा- मेरे लिए पानी लेते आइए. और आइए कुछ बात करनी है।

वो रसोई की ओर गयी और तभी बाहर बारिश होने लग गयी।
उन्होंने आवाज़ लगा कर बोला- चाय भी लाती हूँ।

खैर वो आई और मैंने उन्हें समीप ही बैठा कर पूछा- आप क्यूं रो रही थी? आपसे पहले भी मैंने कई बार आपकी उदासी का कारण पूछा … पर आपने टाल दिया। आज आपको बताना पड़ेगा … मेरी कसम!

ये कसम भी बड़े कमाल की चीज़ है … ऐसे मौकों पर बड़े काम आती है।

उन्होंने मुझसे वादा लिया मैं ये बात किसी को भी नहीं बताऊंगा।
मैंने वादा किया.

फिर वो फफक का रो पड़ी.
मैंने उनका सर अपने कंधे पर रख कर गालों को सहलाते हुए ढाढस बँधाया।

यह पहली बार था जब मेरे दिल में उनके लिए तरंगें उठी. यह अहसास किसी प्रेमिका के कंधे पर सर रखने पर ही आता है।

हर्षिता ने बताया की साले साहब अब उन्हें प्यार नहीं करते, पहले 4-5 साल तो कोई दिन नहीं रहता था जब वो उनके साथ घर आके समय नहीं बिताते थे और रोज़ रात प्यार नहीं करते थे ।
पर अब…
वो बोलते बोलते रुक गयी।

मैंने उत्सुकता वस पूछ लिया- तो अब क्या बदल गया?
वो बोली- अब तो महीनों बीत जाते हैं. ना वो समय बिताते हैं, ना शारीरिक सुख देने की ज़रूरत समझते हैं। शारीरिक ज़रूरत तो मैं जैसे तैसे उंगली करके शांत कर लेती हूँ … पर एक पत्नी को जो वक़्त जो अपनापन चाहिए वो कहाँ से लाये।

मैंने उन्हें समझने की कोशिश की, बोला- सब ठीक हो जाएगा।
और मैंने कहा- और मैं हूँ ना … जब साली आधी घरवाली हो सकती है तो ननदोई भी तो कुछ होता होगा।
वो मेरे मज़ाक पर मुस्कुरा दी।

तभी अचानक बहुत तेज़ बिजली कड़क गयी और उसकी आवाज़ इतनी तेज़ थी की एक बार तो मैं भी धम्म से हो गया पर हर्षिता ने मुझे कस के पकड़ लिया।
मुझे कुछ समझ नहीं आया कि यह अचानक क्या हुआ।

अचानक मेरी और हर्षिता की नज़रें मिली और जैसे हम कहीं खोने से लगे।

अनायास ही मेरे होंठ हर्षिता के काँपते होंठ की ओर बढ़ने लगे।
हमने कितने देर तक चुंबन किया … बता तो नहीं सकता … पर ऐसा लगा वक़्त रुक सा गया था।

जब हम होश में आए तो मौन आँखों से इजाजत माँगी कि आगे बढ़ें?
हर्षिता ने पलकेन झुका दी.
यह इशारा काफ़ी था।

मैंने हर्षिता, जो अब तक साले की पत्नी थी, उसे अपनी बांहों में उठाया और प्यार करते हुए अपने कमरे की ओर बढ़ रहा था।
घर में मेरे, उसके और बच्चों के सिवा कोई ना था.
और बच्चे सो रहे थे।

हमें अब ना डर था ना अब होश ही रहा था।

मैंने उन्हें ऐसे उठा रखा था जैसे कोई फूल हो जो मेरे से टूट ना जाए, इसकी फ़िक्र हो। मैंने बहुत सलीके से उन्हें बिस्तर पर टिकाया और थोड़ा उठने को हुआ तो हर्षिता ने मुझे खींच लिया।

उसके मौन इज़हार में एक कशिश थी कि बहुत तड़प चुकी हूँ! और ना तड़पा मेरे साजन!

मैंने भी खुद को खो जाने दिया।
मेरे मन में कॉन्डोम का विचार आया पर वो विचार खो सा गया.

और मेरे हाथ अब हर्षिता के उन्नत उरोजों पर बढ़ चले।
उसकी चूची को मसलते हुए मुझे मजा आ गया.
और जैसे वो भी इस आनन्द में खोने सी लगी.

और पता ही ना लगा कब उनकी साड़ी उनके बदन से पेटिकोट के साथ मेरे कमरे के फर्श पर थी।

मेरे होंठों को चूसने और कपड़ों के ऊपर से मसलने का असर उन पर दिखने लगा था।
बारिश के शोर में हरषु की मादक आवाजें आग में घी का काम कर रही थी।
मैं एक अलग ही दुनिया में खोने लगा.

पर यह अहसास मुझमें जिंदा रहा कि जो आज मेरे साथ है, उसे सिर्फ़ चुदाई नहीं, बल्कि प्रेम की आवश्यकता भी है।

हर्षिता ने पलकें उठाई और पूछ लिया- आप अब तक कपड़ों में क्यों हैं?
मैंने कहा- यह काम तो आपको खुद ही करना पड़ेगा।

हर्षिता ने वक़्त ना गंवाया और मेरे कपड़े एक पल में ही ज़मीन पर उसके कपड़ों के साथ पड़े थे।

कपड़ों के अलग होते ही हर्षिता ने मेरे पूरे बदन पर चुंबनों की झड़ी लगा दी।
उन्होंने अपनी ब्रा और पैंटी को भी उतार फेंका।

मैंने भी उसका साथ देने के लिए अपने एकमात्र कपड़े को दूर फेंक दिया।
अब हम दोनों जन्मजात नंगे थे।
आग से तपते बदन, बाहर बारिश और दो लोग जो अब एक हो जाने को बेताब थे।

मैं उनके चूचों पर अपने जीभ फेरने लगा और एक हाथ से दूसरे चूचे को मसलने लगा।
वो पागल सी होने लगी. मुलायम चूचों पर अब कड़कपन आने लगा जो हर्षिता की उत्तेजना को बता रहा था।

मैंने बहुत देर तक चूचों को चूसा।
दोनों को बारी से मर्दन करते हुए इश्क की आग में मैं उन्हें लिए जा रहा था।

दो बदन ऐसे लग रहे थे अब एक हो गये हैं।

मैं चूमते चाटते हुए नीचे नाभि तक आया। मेरा पसंदीदा हिस्सा है नाभि क्षेत्र … मैंने बहुत प्यार से चूसा हर्षी के पेट को … और उन्हें बड़ा आनंद आया।
उन्होंने बताया कि वो एक अलग ही अहसास था।

उससे नीचे उतरने पर आया प्यारी चूत का नंबर!
जो मेरे इंतज़ार में पहले ही पानी पानी हो रही थी।

मेरी जीभ ने जैसे उसके तपते अहसास को ठंडक दे दी।

जीभ चूत को छुते ही हरषु उचक सी गयी और अगले ही पल मेरे सर को चूत पर दबाने लगी; जैसे समा लेना चाहती हो मुझे अपनी चूत में।

मेरी जीभ ने वो काम शुरू कर दिया था जिसमें उसे महारत हासिल थी।
मैं चूत रस का आशिक हूँ।

मेरी जीभ गहराई में और होंठ उसकी चूत की पंखुरियों को चूस रहे थे।
हम दोनों ऐसे ही खोते गये जब तक कि वो एक बार झड़ नहीं गयी।

हर्षिता ने बहुत कोशिश की मुझे हटाने की … पर मैं उसकी अमृत की हर बूँद पी गया।

हर्षिता किसी प्रेयसी की तरह मंत्रमुग्ध सी मेरे सीने से लिपट गयी जैसे मुझमें समा जाना चाहती हो।
मैंने भी उसे अपने आलिंगन में बाँध लिया।

यह पल वासना से तपते जिस्मों में जैसे एक ठहराव का पल सा था।

देखते ही देखते फिर हर्षिता मेरे होंठों पर टूट पड़ी।
इस बार उसका हमला किसी घायल शेरनी सा था।

हर्षिता बोली- मेरे रंगीले साजन … आज जो सुख तुमने दिया है, वो और किसी ने कभी नहीं दिया।

अनायास ही मैं पूछ बैठा- क्या भाई साहब के पहले भी किसी से किया है?
हर्षिता शरमा गयी और बोल पड़ी- आप भी ना! जाइए हम आपसे बात नहीं करते. क्या हम आपको ऐसे लगते हैं? आप दूसरे पुरुष हैं जिनसे मैं इस हद तक बढ़ी हूँ।

हर्षिता धीरे धीरे चुंबन का स्पर्श कठोर करती हुई नीचे बढ़ने लगी।
वो मेरे हर अंग को ऐसे चूम रही थी, चाट रही थी जैसे कोई बच्चा अपने मनपसंद रबड़ी को चाट रहा हो।

मेरी साँसें भी इस अहसास मात्र से रोमांचित हो उठी कि उसका अगला हमला मेरे लंड पर होने वाला था।
किसी गैर विवाहित महिला का इस शिद्दत से प्यार करना मुझे रोमांचित कर रहा था।

उसने मेरे लंड को मुंह में भर लिया।

होंठों की कसावट और जीभ की गर्माहट मुझे आनंद के दूसरे छोर पर लिए जा रहा था।
वो दिन दुनिया से बेख़बर सी मंत्रमुग्ध होकर इस कदर मेरा लंड चूस रही थी कि कुछ पल को लगा जैसे मैं अभी ही झड़ जाऊंगा।

मैंने स्वयं को संभाला, हरषु को एक पल को रोका और 69 की पोजीशन ले ली।
मेरा अनुभव है कि यह अवस्था … जब आपका साथी आपको सुख दे रहा हो, उसे भी वही चरमसुख साथ में मिले तो दोनों तृप्त हो जाते हैं।

वो चाव से मेरा लंड चूसती रही और मैं दूसरी बार उसकी चूत के अमृत का पान करने जा रहा था।

कामुक आवाजों से और चूसने की मद्धम आवाजों से कमरा काममय हो रहा था।
दोनों का जिस्म एक दूसरे को ऐसे चूस जाने को आतुर था जैसे कुछ रह ना जाए … या जैसे आज कयामत आने को है।

उसकी तप्त जिह्वा का स्पर्श मात्र मुझे संसार का सर्वोतम सुख देने को काफ़ी था।

मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलाया और और जीभ को अंतरंग गहराइयों में घुसते हुए उसकी चूत को जीभ सख़्त करके चोदने लगा।
हर्षिता आह आह की आवाजें करती हुई लंड चूसने में लगी हुई इस पल का आनंद ले रही थी।

जैसे ही मेरी जीभ ने उसके चूत के अंतिम छोर को छुआ, उसने मेरे पूरे लंड को मुख में भर लिया।
अनायास ही मेरी कमर चल पड़ी और मैं उसके मुंह को चोदने लगा।
वो भी हर पल आनन्द लेती रही।

मैंने कहा- बाहर निकाल दो, मेरा आने वाला है।
हर्षिता ने दो पल रुक के लंड निकल कर कहा- आने दो मेरे साजन, मुझे भी तो अपनी रबड़ी खाने दो। तुम चालू रखो. आज मैं भी पहली बार दो बार बिना चुदे झड़ने वाली हूँ। आप तो सच में चोदन कला में पारंगत है ननदोई जी! आज ननद जी से मुझे सच में जलन हो रही है। काश आप मेरे पति होते!

मैंने कहा- अब तो हूँ ही! आधा ही सही!

अब मैंने अपनी गति बढ़ा दी और उसकी चूत और मेरे लंड ने एक साथ लावा उगल दिया।
जिसे ना मैंने व्यर्थ जाने दिया ना हर्षिता सलहज जी ने।

हम तृप्त थे … फिर भी अभी तड़प शेष थी।

दोनों नंगे ही आजू बाजू लेट कर बाते करने लगे।
साथ में मैं अपनी उंगलियों को उसकी रसीली चूत की फांकों को सहला रहा था।

धीरे धीरे वो फिर उत्तेजित हो गयी और बोली- अब बस भी करो, कब तक तड़पाओगे? अब मेरे प्यासी चूत को अपने प्रेम से पूर्ण भी कर दो.
और ऐसे कहकर उसने मेरे लंड को जो अभी आधा सोया था को सहलाना शुरू कर दिया।

लंड ने भी अपनी प्रेमिका को ज़्यादा इंतज़ार कराना ठीक नहीं समझा और एकदम लोहे के रोड जैसे कड़क हो गया।

हर्षिता ने एक बार फिर उसे चूसना शुरू कर दिया।
थोड़ी देर में मैंने उन्हें रोका ताकि फिर झड़ ना जायें हम दोनों चुदाई से पहले।

अब लंड को मैंने हरषु की चूत पर रखा और सहलाने लगा.
मेरी हरकत हरषु के तन बदन में आग लगा रही थी.

उसने कतर नज़र से मेरी ओर देखा और बोली- मार ही डालोगे क्या? तड़पाना बंद करो और अपने लंड को मेरी मुनिया रानी में डाल दो. अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।

मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा और एक ही झटके में अपना लंड अंदर कर दिया।

हर्षिता अचानक हमले से आह कर बैठी और मुस्कुरा कर बोली- मार ही डालोगे क्या?
मैंने भी उतर दिया- ऐसे कैसे? कोई अपनी जान को मारता है क्या? तुम्हें तो हम अब छोड़ेंगे नहीं। इतना चोदन करेंगे कि तुम कहोगी कि बस ननदोई जी, जान बक्श दीजिए। आप तैयार हैं ना जन्नत की सैर को?

उनका हाँ का इशारा पाते ही मैं पहले मद्धम गति से चोदने लगा।

मेरा हर प्रहार ऐसे जा रहा था जैसे कोई सितार की तारों पर उंगलियाँ चला रहा हो।
चूत और लंड के टकराने से एक मद्धम संगीत निकल रहा था जो इस कामुकता में और चार चाँद लगा रहा था।

उस पर कामुक आहें आग लगा रही थी।

गति को मैं लगातार बढ़ा रहा था और चूत की गहराई को जैसे भेदे जा रहा था।

चूत में लंड की रफ़्तार अब मैं बढ़ने लगा और हर्षिता आह आह किए जा रही थी। उसके नीचे से धक्के बता रहे थे कि वो इस पल को कितना मज़ा ले रही है।

हमने अपना पोज़ बदला और कुत्ते कुतिया की पोज़ में आ गये।
मैंने फिर से एक बार बिना बोले एक झटके में लंड पेल दिया और घनघोर चुदाई शुरू कर दी।
यह मेरा पसंदीदा पोज़ है।

मेरा लंड अपने विकराल रूप में चूत की धज्जियाँ उड़ा रहा था। नायिका की कामुक आहें इसमें घी का काम कर रही थी।

हर्षिता ने कहा- और तेज़ करो … आज फाड़ दो … बना लो मुझे अपनी कुतिया! इस निगोड़ी ने मुझे बहुत परेशान किया है। आज इसकी अच्छे से मरम्मत हुई है।
और भी जाने क्या क्या वो बोलती रही।

मैंने फिर से जगह बदली और उसके एक टाँग को अपने एक हाथ पे उठा कर दुगनी रफ़्तार से चोदने लगा।
मैं चाहता था कि जिस चरमसुख की हर्षिता को तलाश है उसमें हम दोनों एक साथ स्खलित हों।

बाहर बारिश का शोर और अंदर चुदाई का तूफान अब ठहरने को था।
मुझे अंदर से एक गर्म लावे का अनुभव हुआ और मेरे लंड ने भी उसी पल अपनी बरसात अंदर ही कर दी।

उस रात मेरे वीर्य की कितनी मात्रा निकली मुझे खुद नहीं पता!
पर हाँ अन्य दिनों से कहीं ज़्यादा था।

हम दोनों थक कर चूर हो चुके थे पर ऐसा लग रहा था कि अभी भी प्यास अधूरी है।

हर्षिता उठी और बाथरूम में जाकर खुद को साफ किया और नग्न ही आकर मेरे बांहों में लेट गयी।
उस रात हमने बहुत देर तक बात की।

दोस्तो, अक्सर पुरुष सहवास के बाद सो जाते हैं जबकि महिलाओं को उसके बाद एक अलग प्यार और स्पर्श की ज़रूरत होती है। जिसके बिना प्यार अधूरा है।

आज हर्षिता बहुत प्रसन्न थी; उसे जिस चरम सुख की तलाश थी, वो उसे अपने ननदोई मतलब आपके प्रिय पथिक रंगीला में मिला था।

अभी हमारे पास कुछ और दिन शेष थे और हमने इसका भरपूर उपयोग किया।

बाकी दिनों की बातें अगली बार सुनाएँगे।
आपके प्रेम का आकांक्षी हूँ और अपनी हॉट साली सेक्स कहानी पर फीडबॅक का भी।

धन्यवाद।
सप्रेम पथिक रंगीला
rjlovechat@gmail.com



मामी को माँ बना कर इच्छा पूरी की

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भानजा मामी सेक्स कहानी में पढ़ें कि मामी और मैं चुदाई का मजा ले चुके थे. एक बार मामा मामी हमारे घर आये तो मामी ने मुझसे दो बूंद जिन्दगी की मांगी.

नमस्ते, आप सभी को मेरी भानजा मामी सेक्स कहानी
मामी की चूत और गांड का आनन्द
पसंद आयी, उसके लिए बहुत धन्यवाद.

मेरी अगली सेक्स कहानी, मेरी प्यारी मामी के साथ की ही है.
उन हसीन पलों के बाद मामी और मैं फिर से मिले और जी भर के प्यार किया.

फिर मैं अपने काम के लिए शहर चला आया. उसके एक साल बाद मैंने अपनी फैमिली को भी यहां शिफ्ट कर लिया.

अब मुझे मामी जी से मिले दो साल हो गए हैं. उनके मम्मे और उनकी सुगंध आज भी दिमाग में आ जाती है तो बस मत पूछिये.
मगर अब कुछ कर नहीं सकता था.
दिल में मामी को चोदने की कल्पना करके अपने लंड की मुठ मार लेता था.

फिर एक दिन किस्मत ने मेरी सुन ही ली.

एक दिन मामाजी का फोन आया और उन्होंने बोला कि वो और मामी किसी काम से शहर आ रहे हैं.

मेरी माताजी तो ये खबर सुनकर बहुत खुश हो गईं. आखिर वो भाई बहन जो थे.

पर मैं सिर्फ अपनी मामी के लिए ही खुश था.
मैंने तुरंत मामी को मैसेज किया और उधर से सिर्फ दिल वाला निशान ही आया.
मैं इससे ही खुश हो गया.

फिर वो दिन भी आ गया, जब मामा मामी हमारे घर आए.
मम्मी उन दोनों को देखकर बहुत खुश हुईं और मैं सिर्फ मामी को देखकर खुश था.

वो दोनों थोड़ी देर बैठे ही थे कि माताजी और मामाजी पास में एक मंदिर जाने का मन बनाने लगे.

मामा ने मुझसे साथ चलने को कहा.

मैंने कहा- आप लोग हो आइए मुझे थोड़ा काम है.
मामा बोले- ठीक है, तेरी मामी भी घर पर आराम कर लेगी.

फिर माताजी और मामाजी घर से निकल गए.

उनके जाते ही मामी कहने लगीं- मैं नहा लेती हूँ.
मैंने उनकी तरफ प्यार से देखते हुए कहा- ठीक है, आओ मैं आपको वाशरूम दिखा देता हूँ.

मैं उनका सामान अपने कमरे में रखने चला गया. मामी मेरे पीछे आईं और कहने लगीं- मुझे अपने बैग में से कपड़े निकालने हैं.
मैंने बोला- हां ले लीजिए.

वो जैसे ही बैग के लिए आगे बढ़ीं, मैंने उनको पीछे से पकड़ लिया और उनकी गर्दन पर चुंबन करने लगा.

मामी आह भरते हुए कहने लगीं- इतनी देर से क्यों तड़पा रहे थे?
मैंने कहा- बस अब नहीं तड़फाऊंगा मेरी जान.

मैंने तुरंत घर का मुख्य दरवाजा बंद किया, फिर अपने रूम का दरवाजा बंद कर लिया. ताकि कोई आ भी जाए तो हम दोनों को संभलने का मौका मिल सके.

मैंने मामी को अपनी बांहों में लेकर चुंबन करना शुरू कर दिया.

उनके बदन को चूमते हुए मैंने उनको बिस्तर पर धक्का दे दिया.
मामी बिस्तर पर गिरीं, तो मैंने उनके सारे कपड़े निकाल दिए.

अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने चित पड़ी थीं. मामी का गोरा बदन काले रंग की ब्रा पैंटी में अलग ही चमक रहा था.

मैं उनके ऊपर चढ़ गया और उनके पूरे बदन को चाटने लगा. फिर मैंने उनकी ब्रा और पैन्टी भी निकाल दी और खुद नीचे जाकर उनकी चूत चाटने लगा.
मामी की चुत एकदम साफ़ थी, झांटों का नामोनिशान तक नहीं था.

मैंने मामी की ओर देखा, तो उन्होंने कहा- तुमसे मिलने की आस में सब कुछ रेडी करके आई हूँ.

मैं उनकी चुत को फिर से चाटने लगा और अपने हाथों से उनके मम्मे दबाने लगा.

आज दो साल बाद भी मामी का बदन इतना खूबसूरत था कि जन्नत की हूर भी उनकी खूबसूरत जवानी देख कर शर्मा जाए.

मैंने मामी को पीछे पलट दिया और उनकी पीठ पर चुम्बन करते हुए ऊपर आता चला गया.

उनके बदन को अच्छे से अपने नीचे करके पीछे से उनकी चूत में मैंने अपना लंड डाल दिया.
मामी के मुँह से कामुक आवाजें आने लगीं.

मैं थोड़ी देर ऐसे ही उनको चोदता रहा, फिर मैंने उनको आगे पलटा दिया और उनके मम्मे पीते हुए उनको चोदने लगा.
कोई 20 मिनट तक हम ऐसे ही भानजा मामी सेक्स में लगे रहे, फिर मैंने अपना काम रस उनकी चूत के बाहर ही छोड़ दिया.

आप लोग तो जानते ही हैं कि मामी को ऐसे ही रस लेना पसंद है.

फिर हम दोनों एक दूसरे को चूमते हुए नहाने चले गए.

जब तक माताजी और मामाजी नहीं आए, हम दोनों ऐसे ही प्यार से एक दूसरे के साथ बैठे रहे और चुंबन करते रहे.

कुछ समय में मामाजी और माताजी भी आ गए.
फिर पूरी फैमिली ने मिलकर खाना खाया और बहुत सारी बातें होती रहीं.

तभी मामाजी मुझसे बोले- मुझे अपने एक मित्र के साथ बिजनेस के सिलसिले में मिलने जाना है. तुम अपनी मामी जी को शहर घुमा दो.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने माताजी को पूछा तो उन्होंने बोला- शाम को मंदिर में सोसायटी का प्रोग्राम है … मैं वहां जाऊंगी. तुम ही अपनी मामी को घुमा लाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

शाम को मैं और मामी जी तैयार होकर बाहर जाने लगे.
जब मामी जी तैयार होकर आईं, तो मैं उन्हें देखता ही रह गया.
मामी ने ब्लू जींस और पिंक टॉप पहना था. पहली बार आज मैंने मामी को जींस और टॉप में देखा था.
ऊपर से उनका गोरा बदन मानो बिजली गिरा रहा था.

हम दोनों जैसे ही लिफ्ट से नीचे जाने लगे, तो मैंने उनके दूध दबा दिए और होंठ पर एक चुंबन कर दिया.

वो इठला कर बोलीं- ये क्या था?
मैंने कहा- बस आप पर प्यार आ रहा था.

वो हंसने लगीं और उन्होंने भी मुझे चूम लिया.

मामी बोलीं- कमल, मुझे तुमसे कुछ चाहिए है.
मैंने कहा- बिंदास मांग लो, आपके लिए तो मेरी जान भी हाजिर है.

मामी ने झट से मेरे होंठों पर अपनी हथेली रख दी और बोलीं- शुभ शुभ बोला करो.
मैंने उनकी हाथ अपने हाथों में लिए और उनकी आंखों में प्यार से देख कर पूछा- बोलो मेरी जान … मैं क्या दे सकता हूँ?
मामी ने आंख दबाते हुए कहा- दो बूंद जिन्दगी की.

मैं समझ गया लेकिन मैंने उनसे कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि लिफ्ट रुक गई.

मैं मामी का हाथ पकड़ कर बाहर आ गया.

इसके बाद हम दोनों में इधर उधर की और प्यार मुहब्बत की बातें होती रहीं. मैंने उन्हें शहर में थोड़ा इधर-उधर घुमाया.

फिर मामी का मूवी देखने का मन हुआ, तो हम दोनों मूवी देखने चले गए.
मूवी काफी रोमांटिक थी, तो हम दोनों का ही मूड बन रहा था, पर वहां कुछ हो नहीं सकता था.

फिर हम दोनों मॉल में आ गए और हमने शॉपिंग की. मैंने मामी जी के लिए तीन ड्रेस पसंद किए, उन्होंने भी मुझे कपड़े दिलाए.

कुछ देर बाद मैंने मामी से कहा- आप इधर ही रुको, मैं टॉयलेट होकर आता हूँ.

मैं टॉयलेट जाने के बहाने से अलग हुआ और उस मॉल के वेडिंग स्पेशल सेल में चला गया.
वहां एक खूबसूरत सा लहंगा चुनरी टंगा हुआ था.
मैंने उसे खरीद लिया और पैक करवा कर ले आया.

जब मैं आया, तो मामी ने मेरे हाथ में बैग देखा. वो पूछने लगीं कि ये क्या ले लिया है?
मैंने कहा- कुछ स्पेशल लिया है. पर अभी नहीं, कमरे में चल कर बताऊंगा.

मामी मेरी तरफ जरा कौतूहल भाव से देखने लगीं, तो मैंने उन्हें आंखों से ही आश्वस्त किया और उन्हें चुप करा दिया.

फिर हम दोनों हाथ पकड़े एक दूसरे के साथ घूमने लगे; रेस्तरां में खाना खाने गए.

तभी बरसात होने लगी और घूमते हुए रात भी होने लगी थी.
हम दोनों भीग भी गए थे.

हम दोनों घर से दूर थे, मैंने सोचा बरसात में घर पहुंचना मुश्किल रहेगा और रात भी हो गई है.

मैंने मामी जी को समझाते हुए कहा- हम पास में कोई होटल में रुक जाते हैं.

वो मेरा मतलब तो समझ गई थीं, पर झिझक रही थीं.

मैंने कहा- मैं घर पर बता देता हूँ.
उन्होंने कहा- ठीक है.

फिर मैंने घर पर कॉल करके बता दिया कि हम दोनों सुबह आएंगे, बारिश होने से आने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा है.

मेरी माता जी ने भी हां कह दी और हम एक होटल में रूम लेकर रुक गए.

हम होटल के रूम में जैसे ही अन्दर गए, तो मैंने अपने गीले हो चुके कपड़े निकाल दिए और मामी जी ने अपने कपड़े निकाल दिए.

हम दोनों साथ में ही नहा लिये. अब मैंने कमरे की रोशनी को हल्की कर दिया.

मैंने मामी को गोद में लेकर बेड पर लेटा दिया. उनके बालों को खोल दिया.

उनके हाथों में चूड़ियां खनक रही थीं. मैंने उनको भी निकाल दिया, उनके बदन को हर जगह चूमने लगा.

मैंने चूमते हुए मैंने उन्हें ‘आई लव यू ..’ बोला, उन्होंने भी मुझे ‘लव यू टू ..’ बोला.

सच बताऊं तो मुझे मामी को चूमना और चाटना बहुत अच्छा लग रहा था. मैंने उन्हें हर जगह चूमा और उनके मम्मों को चूस चूस कर लाल कर दिया.
फिर उनके पैरों के बीच में जगह बनाकर मैं अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ने लगा और उनके नर्म नर्म होंठ चूमता रहा.

मैंने बहुत आराम से उनको चोदना चालू किया और काफी देर तक उनको चोदता रहा.
बारिश में भीगने के कारण हम दोनों जितने ठंडे हुए थे, इतना सेक्स करने के बाद हम उससे भी ज्यादा गर्म हो गए थे.

फिर हम दोनों साथ में झड़ गए और साथ में लेट गए. मैंने अपना रस उनके पेट पर ही निकाल दिया था.

मामी बोलीं- मैंने तुमसे कुछ मांगा था, याद है न!
मैंने बोला- हां मैंने भी कहा था कि आपके लिए मेरी जान भी हाजिर है.

वो बोलीं- तुमसे मुझे एक बच्चा चाहिए.
मैंने कहा- ठीक है. मगर मेरी एक इच्छा है.

मामी ने पूछा- क्या इच्छा है?
मैंने कहा- मैं आपको दुल्हन के रूप में भोगना चाहता हूँ और पूरे मन से आपको दो बूंद जिन्दगी की देना चाहता हूँ.

मामी हंस दीं और बोलीं- अच्छा तो तुम मेरी मनोकामना उसी समय समझ गए थे!
मैंने कहा- हां जी … और उसी के बाद मैंने आपके लिए वो गिफ्ट खरीदा था.

उस समय मामी को याद आया कि मैंने बैग में कुछ लिया था.
वो जल्दी से बैग की तरफ देखने लगीं और बोलीं- क्या है इसमें?
मैंने कहा- बैग खोल कर देख लो.

मामी ने बैग खोला तो उसमें दुल्हन के लिबास के लिए लाल रंग का लहंगा चुनरी और उसके साथ कुछ मेकअप का सामान था.

मामी ये सब देख कर खुश हो गईं. फिर मेरी बांहों में खुद को समर्पित करते हुए बोलीं- आई लव यू कमल.
मैंने भी मामी को चूमा और कहा- लव यू टू जान.

अब मैंने मामी से कहा- अब आप बाथरूम में जाकर जल्दी से मेरी दुल्हन बन कर आ जाओ. फिर मैं तुम्हें दो बूंद जिन्दगी की दे देता हूँ.

मामी किलकारी भरती हुई लहंगा चुनरी और बाकी का सामान लेकर बाथरूम में चली गईं.

बीस मिनट बाद मामी बाथरूम से एक नई नवेली दुल्हन के लिबास में घूंघट निकाले हुए मेरे सामने आईं.
मैं उन्हें देख कर खुश हो गया.

मामी बेड पर दुल्हन की तरह घुटने ऊपर करके बैठ गईं. मैं उनके करीब गया और और उनका घूघंट उठाने लगा.
तो मामी बोलीं- मेरी मुँह दिखाई तो दो!

अब मैं अचकचा गया.
फिर मैंने अपने गले की जंजीर उतारी और मामी को पहनाने लगा.

मामी ने मेरे हाथ को पकड़ लिया.
मैंने उनकी तरफ देखा तो मामी ने कहा- ये नहीं … अपना स्पेशल इंजेक्शन लगा दो.
तो मैंने कहा- दो बूंद जिन्दगी वाला!

मामी हंस पड़ी.

मेरी मामी मुँह दिखाई में लंड देखना चाह रही थीं.
मैंने उनका घूंघट उठाया और उनके होंठों से अपने होंठों को जोड़ दिया. हम दोनों प्रेम के सागर में डूबते चले गए.

कुछ पल बाद उन्होंने बताया- तुम्हारे मामाजी बिजनेस के लिए विदेश जाकर रहने का बोल रहे हैं. तब ये बच्चा मेरे लिए तुम्हारी याद बन जाएगा.

मामी के विदेश जाने की बात सुनकर मुझे थोड़ा बुरा लगा, परंतु मैंने मामी जी की बात मान ली.

उस रात चार बार भानजा मामी सेक्स हुआ. और हर बार मैंने अपना लंड चुत में खाली किया और मामी की चुत को दो बूंद की जगह चार चम्मच वीर्य पिला दिया.

सुबह हम दोनों घर आ गए.

वहां मामाजी ने भी वही विदेश जाने की बात बताई.

कुछ दिनों बाद मुझे मामी का मैसेज आया, इसमें उन्होंने मां बनने का संदेश लिखा था.
मैं उनके लिए बहुत खुश था.

अब मामाजी और मामी जी विदेश में रहते हैं और मेरी भी शादी हो गई है.
पर मुझे मामी जी की याद हमेशा आती है.

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धन्यवाद.
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