Sex kahani

World is incomplete without sex.

Search

मेरी सलहज मेरे लंड की दीवानी- 2

No comments :

पंजाबी गांड की चुदाई की मैंने. मेरी सलहज एक बार मुझसे चुदी तो उसे मेरे लंड की आदत हो गयी. एक बार दिल्ली के एक होटल में उसने गांड कैसे मरवायी?

दोस्तो, कैसे हो आप सभी? उम्मीद करता हूं आप सभी स्वस्थ होंगे और चुदाई का मज़ा ले रहे होंगे।
मैं हरजिंदर सिंह रोपड़ पंजाब से एक बार फिर आप सभी का स्वागत करता हूं।

पंजाबन की चूत गांड चुदाई कहानी के पिछले भाग
साले की बीवी से चूत मांग ली तो …
में आपने जाना कि कैसे मैंने अपनी सलहज हरदीप की पहली चुदाई उसी के घर में की। उसके बाद वो मुझसे खुल गयी. फिर मेरे साले का वीजा लग गया और उसको विदेश जाना पड़ा।

मेरे साले के जाने के बाद मैंने हरदीप को संभाला और कुछ समय बाद हम पुरानी दिल्ली रेलवे स्टेशन के पास एक होटल में चले गए।

अब आगे पंजाबी गांड की चुदाई कहानी :

मैंने हरदीप के बोलने पर एक रूम बुक करवा दिया। मैं और हरदीप कमरे में चले गए।

मैंने हरदीप को पकड़ा और उसको किस करने की कोशिश की।
वो बोली- पूरी रात हम अकेले रुकने वाले हैं इसलिए इतनी जल्दबाज़ी ठीक नहीं।

रात के आठ बज चुके थे। हरदीप बाथरूम में नहाने चली गई और मैं टीवी देखने लगा।

हरदीप के नहाकर वापस लौटने के बाद मैं भी नहा लिया।
अब हरदीप बोली- चलो कहीं घूमने चलते हैं।

हरदीप के बोलने पर हम घूमने आ गए।
तब उसने मुझे बोला- मुझे पिज़्ज़ा खाना है।

हम पिज्जा शॉप में चले गए और वहां हमने पिज़्ज़ा खाया।

रात के दस बजने वाले थे. मैंने हरदीप को बोला कि चलो यार अभी कमरे में चलते हैं।
हरदीप और मैं दोनों कमरे में आ गए।

कमरे में आते ही मैंने हरदीप को पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये। मैं उसके होंठों का रस चूसने लगा।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर की लगी हुई थी.

कब हमारे कपड़े हमारे जिस्म से अलग हो गए हमें पता ही नहीं लगा। वो मेरी शर्ट-पैंट और बनियान उतार चुकी थी और मैंने उसकी सलवार और कमीज उतार दी थी।

मैं उससे थोड़ा पीछे हटकर उसके खूबसूरत बदन को निहारने लगा।
वो बोली- क्या देख रहे हो?
मैंने उसको बोला- तुम्हारी खूबसूरती को निहार रहा हूं।
वो बोली- ऐसे नहीं देखो, मुझे शर्म आ रही है।

मैंने उसको पकड़ कर अपनी ओर खींचा और कसकर बांहों में भर लिया।
उसने भी अपनी बांहें मेरे गले में डाल दीं।

मैंने अपने होंठ उसके गले पर रख दिये और उसकी गर्दन पर यहां वहां चूमने लगा।

वो मस्ती में आकर मुझसे लिपटने लगी। उसकी गर्म सांसें मुझे और ज्यादा उतेजित कर रही थीं।

मैंने हाथ से उसकी ब्रा के हुक को खोल दिया। वो अलग हुई और उसने ब्रा को निकाल दिया।

मैं उसको पकड़कर बेड पर ले आया और वो बेड पर लेट गई। मैं भी उसके ऊपर लेट गया और उसके कबूतरों को मुंह में लेकर चूसने लगा।
वो भी अपने हाथ से पकड़ कर अपने निप्पल को मेरे मुंह में डाल रही थी।

उसके मुंह से आआह … आआह … की आवाज़ें निकलने लगीं।
मेरा लन्ड अंडरवियर में पूरा टाइट हो चुका था।

मैंने हरदीप के दोनों कबूतरों को बदल बदल कर तब तक चूसा जब तक कि वो पूरी तरह लाल नहीं हो गए।

अब हरदीप बोली- मेरे ऊपर से हटो।
मैं उसके ऊपर से उठ गया. हम दोनों खड़े हो गए और मैंने उसकी पैंटी और उसने मेरी अंडरवियर उतार दी। हम दोनों जन्मजात नंगे हो गए थे। तभी उसने मुझे लेटने को बोला।

उसके बोलते ही मैं लेट गया। वो मेरी टांगों के बीच में बैठ गई। उसने मेरा लन्ड हाथ से पकड़ा और हाथ से हिलाने लगी। वो कभी मेरा लन्ड पकड़ लेती तो कभी मेरे अंडकोषों को सहलाने लगती।

पांच मिनट बाद उसने लन्ड के सुपाड़े को मुंह में भर लिया और अपनी जीभ सुपारे के इर्द-गिर्द घुमाने लगी।
आनंद से मेरी आंखें बंद हो गई थीं।

हरदीप ने लन्ड को पूरा मुंह में भर लिया और चूसने लगी।
वो किसी प्रफेशनल रंडी की तरह लन्ड चूस रही थी।
उसने लन्ड को तब तक मुंह से नहीं निकाला जब तक कि लन्ड ने वीर्य नहीं उगल दिया।
वो पूरा वीर्य निगल गई।

उसने लन्ड मुंह से निकाल दिया और मेरे बगल में लेट गई।

अब मैं उठ कर उसकी टांगों के बीच में आ गया और उसकी चूत को हाथ से फैलाकर अपना मुंह उसकी चूत के दाने पर रख दिया।

मैं अपनी जीभ से उसके दाने को सहलाने लगा। उसने अपनी टाँगें फैला दीं और मेरा सिर पकड़ कर चूत पर दबाने लगी।

मैंने उसकी चूत को दस मिनट तक अच्छे से चाटा।
उसकी चूत ने दस मिनट में ही पानी छोड़ दिया।
मैंने उसकी चूत को अच्छे से चाटकर साफ कर दिया।
मैं भी उसके बगल में ही लेट गया।

हरदीप मेरे लन्ड को हाथ से पकड़कर सहलाने लगी।
उसके नर्म हाथों के स्पर्श से लन्ड 90 डिग्री पर खड़ा हो गया।
वो उठी और उसने मुझे बोला- आज मैं आपको सरप्राइज दूंगी।

मैं सोच में पड़ गया कि लन्ड चूत में जाने को बेताब है और यह कौन सा सरप्राइज लेकर बैठ गई है?
उसने मुझे बोला- मैं आपकी आंखों को कपड़े से बांध देती हूं।

उसको मैंने कहा- पहले मुझे एक बार चुदाई करने दो, उसके बाद मैं तुम्हारा सरप्राइज देखूंगा।
वो नहीं मानी और उसने मेरी आँखों पर अपना दुपट्टा बांध दिया।

अब वो बोली- आप लेट जाओ।
उसके बोलने से मैं लेट गया।

उसने लन्ड को हाथ में पकड़ा और हिलाने लगी।
लन्ड पूरा टाइट हो गया। अब मुझे कुछ दिखाई तो नहीं दे रहा था मगर मैं उसकी हरकतों को महसूस कर रहा था।

वो मेरी दोनों साइड में अपनी टांगें रखकर बैठ गई। उसने लन्ड को पकड़ कर सीधा किया और बैठने लगी।

लन्ड का सुपारा उसके अंदर जाते समय मैंने नोट किया कि लन्ड बहुत ही टाइट छेद में घुसा है जैसे कि किसी कुंवारी लड़की की सीलपैक चूत में घुसा हो।

अब वो धीरे धीरे नीचे बैठने लगी और लन्ड को पूरा अपने अंदर ले गई।
मैंने उसकी गांड की गोलाइयों को महसूस किया और मैं समझ गया कि उसने लन्ड को अपनी पंजाबी गांड में ले रखा है।

अब उसने मेरी आँखों से पट्टी हटा दी।

मैंने थोड़ा ऊपर होकर देखा तो उसने पूरा लन्ड अपनी गांड में ले रखा था।
मैंने हरदीप को पूछा- यह क्या है? तुमने अपनी चूत में लन्ड क्यों नहीं लिया है?

वो बोली- इसकी कहानी मैं आपको बाद में बताऊंगी, पहले मुझे अपनी चुदास को ठंडी करने दो।
इतना बोलकर वो लन्ड पर कूदने लगी।

वो आह्ह … आह्ह की आवाज़ों के साथ फुल स्पीड और पूरे जोश के साथ लन्ड पर ऊपर नीचे होने लगी।
उसका जोश देखकर लग रहा था कि उसकी गांड में बहुत ज्यादा खुजली हो रही है।

हरदीप तब तक बिना रुके लन्ड पर ऊपर नीचे होती रही जब तक कि लन्ड ने उसकी गांड को वीर्य से भर नहीं दिया।
गांड में वीर्य गिरने पर उसको एक अजीब सी खुशी मिली।

वो उठी और लन्ड को मुंह में भरकर चूसने लगी। उसने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की कि लन्ड उसकी गांड में घुसा हुआ था।
उसने लन्ड को पांच मिनट तक चूसा और चाटकर साफ कर दिया।

अब वो उठी और बाथरूम में जाकर फ्रेश होकर वापिस आ गई। वो मेरे बगल में लेट गई। मैंने उसको किस की और उसके कबूतरों को हाथ में लेकर खेलने लगा।

हरदीप फिर से गर्म होने लगी।
वो बोली- नींद आ रही है, अभी सो जाते हैं।

सफर की थकावट और इस जबरदस्त चुदाई से मैं भी थक चुका था।
रात के 11:30 बज चुके थे। मुझे भी नींद आ रही थी।

मैं और हरदीप एक दूसरे की बांहों में बाहें डालकर नंगे ही सो गए।

सुबह के साढ़े चार बजे मुझे लन्ड पर कुछ हलचल महसूस हुई।
मैंने अपनी आंखें खोलीं और देखा कि हरदीप ने मेरे लन्ड को मुंह में लिया हुआ था और हाथों से मेरी गोलियों को सहला रही थी।

उसके नर्म हाथ और उसके कोमल होंठों के स्पर्श से लन्ड 90° पर तन गया।
वो प्रोफेशनल रंडी की तरह लन्ड चूस रही थी।

मैंने उसके सिर को पकड़ा और लन्ड की तरफ दबा कर नीचे से धक्का दे दिया।
ऐसा करने से मेरा लन्ड उसके गले में फंस गया।

मैंने दो मिनट तक उसके सिर को लन्ड पर दबाकर रखा।
उसको सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। वो मुझे अपने नर्म हाथों से यहाँ वहां मारने लगी।

मैंने उसके सिर पर से हाथ हटाया. उसने अपने मुंह से मेरा लन्ड निकाल दिया और मेरे ऊपर लेटकर मुझे किस की और गुड मॉर्निंग बोला।
मैंने भी उसके होंठों पर एक जबरदस्त चुम्बन दिया और उसको गुड मॉर्निंग बोला।

हरदीप बोली- आपकी रंडी गुलाम आपकी सेवा में हाज़िर है। आप जैसे चाहो मेरा यूज़ कर सकते हो।
मैं उसको पकड़ कर उसके होंठों को चूमने लगा।
वो भी मेरा साथ देने लगी।

अब हम दोनों गर्म हो चुके थे। हमने लगभग पंद्रह मिनट तक एक दूसरे को अच्छी तरह से चूमा।
हरदीप भी भूखी शेरनी की तरह मुझसे लिपट रही थी।

मेरा लन्ड कंट्रोल से बाहर हो रहा था। मैं हरदीप के ऊपर आया और उसकी टाँगें फोल्ड करके अपने कंधों पर रख लीं। इस तरह पकड़ने से हरदीप की चूत ऊपर उठ गई और उसका मुंह थोड़ा खुल गया।

बिना देरी किये मैंने हरदीप की चूत में लन्ड धकेल दिया और उसको धक्कापेल चोदने लगा।
हरदीप के मुंह से आह्ह … आह की आवाज़ें निकलने लगीं।

वो मुझे जोर से बांहों में कसकर यहां वहां चूम रही थी। मैं भी फुल स्पीड में उसको चोद रहा था।

दस मिनट बाद मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और उसको लन्ड के ऊपर बैठ कर चुदने को बोला।

मैं बैड पर लेट गया और वो उठकर मेरी बगल में अपनी टांगें रखकर लन्ड पर बैठ गई।
उसकी गांड की चोटियां मेरे अंडकोषों को दबा रही थीं।
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

वो पूरी मस्ती और फुल स्पीड में लन्ड पर उछल-कूद रही थी। उसकी आंखें बंद थीं और वो बड़बड़ा रही थी।

वो बोल रही थी- मेरे पति तो चले गए हैं। अब आपको ही मेरी चूत का खयाल रखना पडेग़ा। मैं आप की रंडी हूं … आप जब चाहो मुझे चोद सकते हो … आह्ह … चुदना है मुझे … बस मुझे इस तरह ही चोदते रहना। मैं आपकी दासी बनकर रहूंगी।

उसका इस तरह बोलना मेरे अंदर और ज्यादा उतेजना भर रहा था।

हरदीप और मैं दोनों पसीने से बुरी तरह भीग चुके थे। हरदीप के गालों का रंग टमाटर जैसा लाल हो गया था। उसकी सांसें फूल रही थीं।

वो बोली- मैं घोड़ी की तरह बैठती हूँ और आप पीछे से मुझे चोदो।
और वो घोड़ी की तरह बैठ गई और मैं उसके पीछे आ गया।

मैंने पीछे से लन्ड उसकी चूत में डाला और उसको चोदने लगा। वो भी अपनी गांड पीछे धकेलकर मेरा साथ देने लगी।
वो चुदाई के मामले में किसी प्रोफेशनल रंडी से कम नहीं थी।

मेरी सलहज मुझे औऱ जोर से चोदने के लिए उकसा रही थी।
मैंने उसकी कमर को पकड़ा और पूरे जोश के साथ झटके लगाने लगा।
अब वो दर्द से कराहने लगी।

हम दोनों पसीने से भीग चुके थे।
मुझे उसको चोदते हुए 25 मिनट से ज्यादा हो चुके थे। मेरे लन्ड का सुपारा फूल गया था और वो किसी भी समय वीर्य छोड़ सकता था।

चूंकि हम बिना किसी प्रोटेक्शन के सेक्स कर रहे थे तो मैंने हरदीप को पूछा- मेरा होने वाला है, कहां गिराऊं?
वो बोली- मैं भी झड़ने वाली हूं. मेरी चूत में ही गिराओ और मेरी चूत को वीर्य से भर दो। मैं तुम्हारे बच्चे की माँ बनना चाहती हूं।

मैंने आठ दस झटके जोर से लगाये और मेरे लन्ड ने हरदीप की चूत में वीर्य गिरा दिया।
हरदीप की चूत ने भी पानी छोड़ दिया।

मैंने लन्ड को दो मिनट तक उसकी चूत में रखा।

दो मिनट बाद मैंने लन्ड उसकी चूत से निकाल लिया और बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गया।

मैंने बाथरूम से आने के बाद टाइम देखा तो 6 बजने वाले थे।

हरदीप बाथरूम में चली गई.
आधे घंटे बाद फ्रेश होकर वो वापस आ गई।

सुबह चाय नाश्ते के बाद हम लोग बाजार चले गए और हरदीप ने कुछ शॉपिंग की।

शॉपिंग के बाद हम वापस कमरे में आ गए।
वहां हमने एक और बार जमकर चुदाई की।

शाम के चार बजे हम दिल्ली से वापस लौट आये। चंडीगढ़ पहुंचते हुए हमें रात के साढ़े नौ हो चुके थे। हमने एक अच्छे होटल में खाना खाया।

खाना खाने के बाद मैंने हरदीप को बोला कि मुझे तुमको एक बार और चोदना है।
हरदीप बोली- आपकी रंडी आपके लन्ड की सेवा में हर समय हाज़िर है।

मैंने एक फाइव स्टार होटल में रूम बुक करवाया। मैं और हरदीप उस कमरे में चले गए।

कमरे में जाते ही मैंने हरदीप के कपड़े उतार दिए; हरदीप ने भी मेरे कपड़े उतार दिए।

हम दोनों बेड पर लेट गए और एक दूसरे को चूमने लगे।

दो मिनट में ही हरदीप पूरी तरह से गर्म हो गई; उसकी आंखें किसी शराबी की तरह लाल हो गईं।

मैंने उसको लन्ड चूसने के लिए बोला। वो उठी और मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी।
आनंद के मारे मेरी आँखें बंद हो गईं।

वो सुपारे के इर्द गिर्द अपनी जीभ घुमाकर लन्ड को अच्छे से चूस रही थी।

धीरे से अब मैंने उसकी चुत में अपनी उंगली डाल दी और आगे पीछे चलाने लगा।

पांच मिनट लन्ड चूसने के बाद हरदीप चोदने के लिए बोलने लगी.

उसको बेड पर लेटाकर मैं उसके ऊपर आ गया और उसकी चूत में लन्ड डाल दिया।
उसने मुझे कसकर अपनी बांहों में भर लिया।

मैं अपनी कमर आगे पीछे चलाने लगा।
वो भी फुल मस्ती में गांड उचका उचकाकर चुदवाने लगी।

पांच मिनट बाद उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल सी होकर लेट गई।
मैंने झटके लगाने बन्द कर दिए और उसको यहां वहां चूमने लगा।

वो बोली- कल रात और आज दिन की चुदाई की वजह से चूत में दर्द होने लगा है। अब और नहीं चुदवा सकती।
मैंने उसको बोला- मेरा तो अभी हुआ नहीं है, मैं क्या करूँ?

हरदीप बोली- मैं मुंह से आपका निकाल देती हूं।
मैंने उसको बोला- मुझे तुम्हारी गांड मारनी है।
वो बोली- मैं डॉगी स्टाइल में आ जाती हूं. आप पीछे से मेरी गांड मारो।

हरदीप डॉगी स्टाइल में हो गई और मैं उसके पीछे आ गया।
मैंने लन्ड को उसकी पंजाबी गांड पर रखकर सुपारा उसकी गांड में डाल दिया।

उसकी कमर को पकड़ा मैंने और झटके के साथ पूरा लन्ड उसकी गांड की गहराई में उतार दिया।

उसके मुंह से चीख निकल गई। मैंने ताबड़तोड़ झटके लगाने चालू कर दिए।
वो भी गांड पीछे धकेल कर मेरा साथ देने लगी।

मैंने उसकी गांड को पंद्रह मिनट तक पूरे जोर से चोदा और उसकी पंजाबी गांड को वीर्य से भर दिया।

इस जबरदस्त चुदाई के बाद हम रात को साढ़े दस बजे चंडीगड़ से रोपड़ के लिए चल पड़े।

चंडीगड़ से निकलने के बाद हरदीप लन्ड को पैंट के ऊपर से ही हाथ से सहलाने लगी।

मैंने गाड़ी रोड की साइड में रोकी और अपनी पैंट निकाल दी।
अब मैं केवल अंडरवियर पहने हुए था। मैंने गाड़ी चालू की और हरदीप ने अपनी हरकतें।

अब वो मेरी अंडरवियर के अंदर अपना हाथ डालकर लन्ड को सहलाने लगी। लन्ड उसके नर्म हाथों के स्पर्श से पूरी तरह तन गया।

मैं कार ड्राइव कर रहा था और वो मेरे लन्ड के साथ खेल रही थी।

उसने मेरी अंडरवियर नीचे सरका दी। अब वो झुककर मेरा लन्ड मुंह में लेकर चूसने लगी।
उसने अच्छे से मेरे लन्ड को चूसा।

लगभग बीस मिनट बाद मेरे लन्ड से वीर्य की कुछ बूंदें निकलीं जिनको हरदीप ने निगल लिया।

उसने अच्छे से मेरे लन्ड को चाट कर साफ कर दिया। मैंने रोड के साइड में गाड़ी रोकी और अपनी पैंट पहन ली।

पंद्रह मिनट की ड्राइविंग के बाद हम मेरे ससुराल पहुंच गए।

लम्बी ड्राइविंग और हरदीप के साथ जबरदस्त चुदाई के कारण मैं बहुत ज्यादा थक चुका था।

मैं घर पहुंचते ही सो गया। उसके बाद मेरा जब भी मन करता है मैं हरदीप की चुदाई कर लेता हूं।

वो भी हफ्ते दस दिन में मुझे बुला लेती है और हम जमकर चुदाई का खेल खेलते हैं। हरदीप ने मुझसे अपनी दो छोटी बहनों की भी चुदाई करवा दी है।

हरदीप ने एक और लड़की, जो कि मेरे ससुराल के पड़ोस में ही रहती है, को भी मुझसे चुदवा दिया है। यह कहानियां कुछ समय के बाद मैं आपके साथ शेयर करूँगा।

इसके अलावा हरदीप के अतीत की कहानी भी आपके साथ शेयर करूँगा। आप लोग मुझे इस पंजाबी गांड की चुदाई कहानी के बारे में बताना कि आपको यह स्टोरी कैसी लगी?

आप मुझे मेरी ईमेल पर मैसेज जरूर करें और कहानी पर कमेंट करना भी न भूलें.
मेरी ई-मेल आईडी है
harjindersinghcontractor9@gmail.com



सबसे छोटी मामी जी को बीहड़ में पेला- 4

No comments :

मामी भानजा Xxx कहानी में पढ़ें कि कैसे मैं अपनी सबसे छोटी मामी को जंगल में ले गया. वहां बहाने से उनको लंड दिखाकर चुदाई के लिए मना लिया.

मामी भानजा Xxx कहानी पिछले भाग
मामी को बीहड़ में नंगी करके चूत चाटी
में आपने पढ़ा कि

मामी के दूध को पीने के बाद मैं नीचे आया और मामी जी के पेटिकोट के नाड़े को खोलने लगा।

मैंने तुरंत ही मामी जी के पेटिकोट को खोलकर एक तरफ पटक दिया। अब मामी जी मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी.
और मामी जी के सामने मेरा लंड चूत में घुसने के लिए तैयार खड़ा था।

अब आगे मामी भानजा Xxx कहानी:

लेकिन मामी जी की चूत चोदने से पहले आज मैं मामी जी के जिस्म को बुरी तरीके से मसलना चाहता था क्योंकि मुझे इस माल को चोदने का बार बार मौका नहीं मिलेगा।

मैंने एक बार फिर से मामी जी को टांगों से लेकर के चूत को चूमते हुए रसीले होंठों तक अच्छी तरीके से किस कर डाला।
मेरे इस तरह से किस करने से मामी जी पिघल कर पानी हो चुकी थी। उनकी चूत अब मेरा लंड लेने के लिए तड़पने लगी.

लेकिन मैं मामी जी को अभी और तड़पाना चाहता था।

अब मैंने मामी जी को पलट दिया। मामी जी को पलटते ही मामी जी की मस्त गांड और जवानी से भरी हुई पीठ मेरे सामने आ गई।

मामी मेरे सामने पसरी हुई थी। तभी मैं मामी के ऊपर चढ गया और ताबड़तोड़ तरीके से मामी जी की मस्त पीठ पर किस करने लगा।
वो चुपचाप लेटी हुई किस करवा रही थी।

अब मैंने मामी जी की चोटी को खोल दिया। मामी जी की चोटी खुलते ही मामी जी के लंबे लंबे बाल बिखर गए। अब मामी जी और भी ज्यादा कहर बरफाने लगी।

मेरा लन्ड और भी ज्यादा टाइट हो गया। अब मैं उत्तेजना में जोर जोर से मामी जी की पीठ पर किस करने लगा।
मामी लगातार मदहोश होती जा रही थी; मामी की सिसकारियां बढ़ती जा रही थी।

इधर मेरा लंड ठीक मामी जी के गांड के ऊपर था और मामी जी की गांड में घुसने की कोशिश कर रहा था।

तभी मैं मामी जी की पीठ पर किस करता हुआ मामी जी गांड पर आ गया।
मामी की गांड एकदम गदरायी हुई थी।

मैं मामी जी की फूली हुई गांड को हाथों से मसलने लगा। मुझे मामी जी की गांड को मसलने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
दोस्तो, मामी जी की गांड मेरे लंड में आग लगाने लगी।

मैं मामी जी की गांड में मुंह घुसाने लगा। मुझे गांड की दरार में किस करने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मामी पागल सी होने लगी।
मामी जी चुपचाप लेटी हुई थी और मैं मामी जी की गांड को जोर जोर से किस कर रहा था।

मेरा तो लंड बेकाबू हो रहा था। मैंने बहुत देर तक मामी जी की गांड को किस कर कर के गीला कर दिया था।

अब मैं मामी जी की चूत में लंड डालना चाहता था। मेरा लंड मामी जी की चूत में घुसने के लिए तड़प रहा था।

तभी मैंने मामी जी को वापस पलट दिया और पलटते ही मामी जी की चूत मेरे लन्ड के सामने आ गई.

लेकिन मैं मामी जी की चूत चोदने से पहले एक बार मामी जी के मुंह को भी चोदना चाहता था.
इसलिए मैंने मामी जी से मेरे लंड को चूसने के लिए कहा.

तो मामी ने कहा- मैं लंड नहीं चूसूंगी।
मैं- मामी जी, लंड तो आपको चूसना ही पड़ेगा। मेरा लंड आपके मुंह को चोदना चाहता है। प्लीज मामी जी, आप लंड को चूस लो।

मामी जी- अरे लेकिन मैंने कभी भी लंड नहीं चूसा है। पता नहीं ये चूसने में कैसा लगता है।
मैं- मामी जी, आप एक बार चूस कर तो देखो आपको मजा आ जाएगा।
मामी जी- अरे यार, तू नहीं मानेगा। पता नहीं कैसा लगता होगा।

बस अब मैं समझ गया कि मामी जी मेरा लंड चूसने के लिए तैयार है।
मैं नीचे लेट गया और मामी जी जी से मेरा लंड चूसने के लिए कहा।

अब मामी जी ना नुकुर करते हुए मेरे लंड के यहां आ गई और मेरी टांगों को चौड़ा कर लंड को पकड़ लिया।
मामी जी मेरे लंड को मसलने लगी। मेरा लन्ड और भी ज्यादा टाइट होने लगा।

तभी मामी जी ने अचानक मेरे लन्ड को ज़ोर से मसल दिया।
मेरे मुंह से एकदम चीख निकल गई, मैंने कहा- मामी जी धीरे धीरे मसलो ना!
मामी जी- नहीं, मैं तो ऐसे ही मसलूंगी; तभी तो मज़ा आयेगा।
मैं- ठीक है तो मसलो। मेरा लन्ड आपका ही तो है।

थोड़ी देर तक मामी जी मेरे लन्ड को मसलती रही।
फिर मामी जी ने मेरे लंड को एक हाथ से पकड़ा और लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।

अजब गजब मज़ा आ रहा था यारो!
मामी जी पूरी तरह से नंगी होकर मेरे लन्ड को चूस रही थी और मैं नंगा होकर पड़ा हुआ था।
उनके लंबे लंबे बालों की घटाएं मेरे लन्ड को पूरी तरह से ढक रही थी और मैं मामी जी के बालों में हाथ डाल रहा था।

मामी आज तो चूत की देवी लग रही थी।
वे बड़े प्यार से धीरे धीरे मेरे लंड को चूस रही थी।

मेरा लंड बहुत ज्यादा कड़क हो रहा था। मुझे लंड को चुसवाने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था।

मामी जी ने मेरे लंड को चूस चूस कर पूरा गीला कर दिया। मामी ने बहुत देर तक मेरे लंड को चूसा।

अब मैंने मामी जी से मेरे मुंह पर बैठकर लंड चूसने के लिए कहा तो मामी जी मना करने लगी।
कहने लगी- मैंने ऐसा कभी नहीं किया है।
तो मैंने कहा- मामी जी आपने कभी लंड भी नहीं चूसा था लेकिन आज आपने लंड का स्वाद चख लिया ना! अब आप जैसे मैंने कहा है वो करो, आपको भी मज़ा आयेगा।

थोड़ी देर समझाने के बाद मामी जी तैयार हो गई। मामी जी मेरे सिर की तरफ आ गई और मेरे सिर से होकर लंड तक पहुंच गई।

अब मामी की चूत मेरे मुंह पर थी। मैं मामी जी की चूत को चाटने में लगा। मुझे मामी की चूत को चाटने बहुत मजा आ रहा था।

मामी जी मेरे लंड को चूस रही थी। इस तरह से मामी जी के पूरे मादक जिस्म का दबाव मेरे ऊपर था।
मुझे इस तरह से मामी जी को लंड चुसवाने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। यह मेरे लिए एक नया अनुभव था।

अब मामी जी ने मेरे लंड को अच्छी तरह से चूस लिया था। तो मैंने मामी जी को नीचे आने के लिए कहा।

मामी जी अब नीचे आ गई। अब मैं मामी जी के सिर से होते हुए मामी जी के ऊपर चढ़ गया। अब मेरा लंड मामी जी के मुंह में समा गया और मैं मामी जी की रसीली चूत को चाटने लगा।

मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था अब मैं गांड उचका उचका कर मामी जी के मुंह में लंड पेल रहा था और चूत को चाट चाट कर पिघला रहा था।

मेरी इस हरकत से मामी जी पानी पानी हो चुकी थी।

इस मीठे दर्द को मामी जी ज्यादा देर तक सहन नहीं कर पाई और थोड़ी ही देर में मामी जी की रसीली चूत ने कामरस छोड़ दिया।
मैंने तुरंत ही मामी जी के चूत के रस को चाट चाट कर पूरा पी लिया।

मामी जी मेरे लन्ड को प्यार से चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद मैं खड़ा हो गया। अब मैंने मामी जी के सिर को पकड़ा और मामी जी के मुंह में लंड ठूंस दिया।
मामी जी एकदम से बिलबिला उठी। उनको समझ में नहीं आया कि यह क्या हो गया।

अब मैं मामी जी के सिर को पकड़कर बार- बार मेरे लंड को मामी जी के मुंह में अंदर बाहर अंदर बाहर करने लगा।
मुझे मामी के मुंह को चोदने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैं मामी जी के मुंह में लगातार मेरे लंड को पेल रहा था।

मामी जी मदहोश हो चुकी थी और मैं लगातार लंड का प्रहार करता जा रहा था। मैं बहुत देर तक मामी जी के मुंह में लंड पेलता रहा।
थोड़ी देर में मेरा लंड गलगला गया। अब मेरा झाग निकलने वाला था। इसलिए मैंने मामी जी के मुंह में मेरे लंड को दबा दिया। कुछ ही पलों में मेरा नमकीन रस मामी जी के मुंह में भर गया।

मैंने थोड़ी देर तक मामी जी के मुंह में लंड को दबाए रखा। फिर मैंने मेरे लंड को मामी जी के मुंह से बाहर निकाला।
मामी जी मेरे लंड के रस को बाहर थूकने लगी।
तो मैंने मामी जी से लंड के रस को पीने के लिए कहा लेकिन मामी जी ने मेरे लंड के रस को नहीं पिया और पूरा रस थूक दिया।

मामी कहने लगी- तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था। अगर ऐसा करना ही था तो कम से कम पहले एक बार बता तो देता। मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा।
तो मैंने कहा- मामी जी, मैं क्या करता मेरा लंड तो मान ही नहीं रहा था। ये तो पहले आपके मुंह में रस भरना चाहता था इसलिए मैंने आपके मुंह में लंड को दबा दिया था। आप नाराज मत हो।
मामी जी चुप हो गई।

थोड़ी देर बाद मेरा लन्ड फिर से टाइट हो गया।

अब मैंने मामी जी को नीचे लेटा दिया और मामी जी की टांगों को पकड़कर चौड़ा कर दिया; मेरा लंड मैंने मामी जी की चूत पर सेट कर दिया।

मेरा लंड मामी जी की चूत में जाने के लिए तैयार था। मैंने मामी जी की टांग को पकड़ा और लंड को एक जोरदार झटका मारा और एक ही झटके में मेरा लंड मामी जी की चूत की अस्थि पंजर को चीरता हुआ चूत की जड़ तक जा पहुंचा।

मामी जी एकदम से बिलबिला उठी और मामी जी मीठे दर्द से कसमसाने लगी।
शायद आज पहली बार मामी जी की चूत में इतना बड़ा लंड गया होगा इसलिए मामी जी को बहुत ज्यादा दर्द होने लगा।

तब मैंने मेरे लंड को चूत में से बाहर निकाल लिया। अब मामी जी राहत महसूस करने लगी.

लेकिन मामी जी की ये राहत ज्यादा देर तक नहीं रह सकी और मैंने कुछ ही पलों में फिर से लंड को जोरदार झटके के साथ चूत में पेल दिया।

मामी जी फिर से दर्द से बिलखने लगी और लंड को बाहर निकालने के लिए कहने लगी.
लेकिन अब मैं नहीं मानने वाला था। अब मैं मामी जी की चूत में लंड ठोक चुका था।

अब मैं पूरे जोश के साथ मामी जी की मखमली चूत में लंड पेलने लगा। मुझे लंड ठोकने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

मामी जी की सिसकाारियां लगातार बढ़ती जा रही थी। अब मामी जी को भी चुदने में मज़ा आने लगा। अब मामी जी चुपचाप चिकनी चूत में लंड ले रही थी।

मैं मामी जी की चूत में लंड पेले जा रहा था। मुझे मामी जी को चोदने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था। मैं गांड हिला हिला कर मामी जी की चूत में लंड पेलने लगा।

मामी जी उनकी रसीली चूत को चोदने के लिए मेरे लंड को पूरा मौका दे रही थी। मामी जी की सिसकारियां लगातार बढ़ती जा रही थी।

मेरे लन्ड के घमासान के आगे मामी जी की चूत थोड़ी देर में पिघल गई और मामी जी की चूत ने नमकीन रस छोड़ दिया.
अब जैसे ही मेरा लंड मामी जी की चूत में जाता तो फ्फद्द फ्फ़च फ्फ़क फ्फ़्च फ्फ़्छ की आवाज आने लगती।

जब गजब नजारा था यारो … जिस मामी जी को में इतने दिनों से पेलने की कोशिश कर रहा था आज वो मेरे लंड से चुद रही थी।
चारों ओर शांति थी … बस चूत में लंड अंदर बाहर होने की आवाज़ आ रही थी।

आज मामी जी की पूरी शर्म उतर चुकी थी। मैं लंड को हिला हिला कर मामी जी की चूत को पेल रहा था।

मैं तबीयत से मामी जी की चूत को भोसड़ा बना रहा था। आज मेरा लंड मामी जी की चूत को चोद कर बहुत ज्यादा खुश हो रहा था।
मेरा लंड अभी भी बहुत ज्यादा कड़क था। वह लगातार मामी जी की चूत की बखिया उधेड़ रहा था।

अब तक मामी जी की चूत चुदकर भोसड़ा बन चुकी थी.
लेकिन मेरा लंड अभी भी कहां मानने वाला था; वो तो इस मस्त माल को पूरी तरह से निचोड़ना चाहता था।

अब मैंने मामी जी के होंठों को मेरे होंठों में दबा लिया और मामी जी ने मुझे बांहों में भर लिया।
ऐसा लग रहा था जैसे मामी जी कह रही हो- रोहित आज तो मेरी चूत की पूरी गर्मी को शांत कर दो।

मैं मेरी गांड उचका उचकाकर मामी जी की चूत में लंड पेल रहा था। मैंने बहुत देर तक मामी जी की चूत में लंड पेला।

अब मेरे लंड का पानी निकलने वाला था। मैंने मामी जी से पूछा मामी जी बताओ मेरे लन्ड का पानी कहां डालूं?
मामी जी कहने लगी- बाहर ही डाल दे।

मैं- मामी जी मैं तो आपकी चूत के अंदर ही डालूंगा।
मामी जी- नहीं अंदर मत डालना। अगर मैं प्रेग्नेंट हो गई तो पूरा भंडाफोड़ हो जाएगा।
मैं- मामी जी आप चिंता मत करो। अगर आप प्रेग्नेंट हो भी गई तो उसका पूरा समाधान मैं कर दूंगा।
मामी जी- नहीं रोहित अंदर मत डालना।

लेकिन मैं कहां मानने वाला था जैसे ही मेरे लंड का रस बाहर निकला तो मैं मैंने पूरा रस मामी जी की चूत में भर दिया।
मैंने मामी जी को बुरी तरह से भींच लिया।

मामी जी चुप हो गई थी। मामी जी मेरे लंड की जिद के आगे हार चुकी थी।

थोड़ी ही देर में मेरे लन्ड के रस ने मामी जी की चूत को रस से भर दिया। मेरा लंड अभी भी मामी की चूत में अटका हुआ था।

कुछ देर तक मैं मामी जी के जिस्म के ऊपर ही पड़ा रहा। फिर थोड़ी देर बाद मैं उठा।

मामी जी कहने लगी- तुझे अंदर नहीं डालना चाहिए था ना!
मैंने कहा- मामी जी, मैं क्या करूं मेरे लंड के आगे मेरी बस की बात नहीं थी। आप चिंता मत करो आपको कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।

मामी जी चुप हो गई।

आज मैं मामी जी की चूत को चोद कर बहुत ज्यादा खुश था और मामी जी को भी मेरे लंड से चूत चुदवाकर बहुत ज्यादा खुश थी।

थोड़ी देर बाद मेरा लंड फिर से मामी जी की चूत चोदने के लिए तैयार हो गया।

मैंने मामी जी जी से एक बार फिर चूत में मेरा लंड लेने के लिए कहा।
मामी जी ने कहा- नहीं रोहित, हमें बहुत देर हो चुकी है। अगर और करेंगे तो बहुत ज्यादा लेट हो जाएंगे। अब घर चलते हैं.

लेकिन मैं नहीं माना, मैंने कहा- मामी, प्लीज एक बार और चोदने दो ना! फिर पता नहीं आप को चोदने का मौका कब मिलेगा।

मामी जी चुप हो गई।
मैं समझ गया की मामी जी फिर से मेरा लंड लेने के लिए तैयार है।

अब मैंने फिर से मामी जी की टांगों को पकड़कर चौड़ा कर दिया और जोरदार झटका देते हुए लंड मामी जी की चूत की फांकों को चीरता हुआ चूत की जड़ तक पेल दिया।

मेरा लंड चूत के अंदर जाते ही मामी जी एक बार फिर से बिलबिला उठी।

अब मेरे लन्ड ने एक बार फिर से मामी जी की चूत में घमासान मचा दिया और मामी जी की चूत ने मेरे लंड के घमासान के आगे हार मानते हुए थोड़ी ही देर में नमकीन रस छोड़ दिया।
फिर से चूत चुदाई में फच फाच्च फाछ फाच की आवाजें निकलने लगी।

मामी जी सिसकारियां भरते हुए चूत में लंड लिए जा रही थी।

थोड़ी देर में मेरे लंड ने भी मामी जी की चूत को रस से भर दिया।
मैं थोड़ी देर तक निढाल हो कर मामी जी के ऊपर ही लेटा रहा।

फिर हम दोनों उठे।

अब मामी जी पेंटी को उठाकर पहनने लगी।
तभी मैंने मामी जी की पैंटी को पकड़ लिया और मेरी हाथों से मैंने मामी जी को पेंटी पहनाई।

फिर मैंने ब्रा पहना कर मामी जी को ब्लाउज पहनाया और फिर मामी जी को पेटीकोट पहना कर नाड़ा बांध दिया।

अब मामी जी ने चोटी बांधकर साड़ी पहन ली।

मैं अभी भी मामी जी के सामने नंगा ही खड़ा था। मेरा लंड फिर से टाइट हो चुका था।

अब मेरा लंड फिर से मामी जी की चूत को नापने की ज़िद करने लगा लेकिन तब तक मामी जी कपड़े पहन चुकी थी।
मामी जी कहने लगी- अब तू भी कपड़े पहन ले. नहीं तो ये खड़ा ही रहेगा।

मैं- मामी जी अगर आप बुरा नहीं मानो तो प्लीज इसे एक बार और चूत में ले लो।
मामी जी- नहीं, अब तो बिल्कुल भी नहीं।
मैं- मामी जी, प्लीज मान जाओ ना! बस आख़िरी बार!

मामी जी- अरे लेकिन तू बहुत टाइम लगाएगा।
मैं- नहीं मामी जी मैं थोड़ी सी देर में मेरे लन्ड को आपकी चूत में उतार दूंगा।

मामी जी- नहीं, हम लेट हो रहे हैं, अब चल!
ये कहकर मामी जी चलने लगी तभी मैंने मामी जी का हाथ पकड़ लिया और मामी जी को बांहों में भरकर ज़मीन पर लेटा दिया।

मामी जी कहने लगी- अरे यार, अब क्या है। तू मुझे मरवा कर ही मानेगा।

तभी मैंने मामी जी की टांगों को फैला कर चौड़ा कर दिया जिससे मामी जी की साड़ी और पेटीकोट नीचे खिसक गए।
मैंने मामी जी की पैंटी एक ही झटके में खोल दी; अब मेरे लंड का रास्ता साफ था।

अब मैंने लंड को चूत के मुंह पर रखा और ज़ोरदार धक्का लगाया। एक ही धक्के में मेरा लन्ड मामी जी की रसीली चूत में समा गया।

मामी जी एकदम से फिर से चीख पड़ी।

अब मैं फिर से घपाघप चूत में लंड पेलने लग गया। अब मैंने मेरी स्पीड को बड़ा दिया और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए मामी जी की चूत में लंड पेले जा रहा था।
मुझे मामी जी की रसीली चूत को फोड़ने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।

थोड़ी ही देर में मेरे लन्ड ने मामी जी की चूत को फिर से गरमागरम लावे से भर दिया।

अब मेरा लन्ड मामी जी की चूत में ठंडा हो चुका था। थोड़ी देर तक मेरा लंड मामी जी की मखमली चूत में फंसा रहा। फिर मैंने लंड को बाहर निकाला।

अब मामी जी खड़ी हो गई और मैंने मामी जी को पैंटी पहना दी।
मैंने मेरी टीशर्ट और पजामा पहन लिया।

आज मामी जी मुझसे चुद कर बहुत खुश लग रही थी।

फिर हम दोनों ने एक दूसरे को एक बार फिर से किस किया और मैंने मामी जी के स्तनों को दबा दिया।
उसके बाद हमने रास्ते में और बेर तोड़े। फिर शाम को हम घर पहुंच गए।

घर पहुंचने के बाद मैंने देखा कि सीमा मामी जी कहीं दिख नहीं रही है तो मैं उनके घर के अंदर गया तो देखा कि सीमा मामी दाल को डिब्बे में भर रही थी।

मैंने मामी जी को पीछे से पकड़ लिया और मामी जी के स्तनों मसल दिया।
मामी जी पलट कर कहने लगी- लगता है तूने उर्मिला को पेल दिया?
तो मैंने कहा- हां मामी जी, आज मैंने मामी जी को अच्छी तरीके से मसल डाला। सच में मामी जी उर्मिला मामी जी को पेलने में बहुत ज्यादा मजा आया।

मामी जी मुंह बनाकर बोली- अच्छा तो तुझे मुझे पेलने में मजा नहीं आता है।
तो मैंने कहा- अरे मामी जी, जितना मज़ा आपको पेलने में आता है इतना मजा तो मुझे किसी को भी पेलने में नहीं आता है तभी तो मेरा लंड बार बार आपकी चूत को ही मांगता है।

सीमा मामी खुद ही चूत पर नाज़ करती हुई मुस्कुराने लगी।

आपको मेरी मामी भानजा Xxx कहानी कैसी लगी मुझे मेल करके जरूर बताएं।

rohit24xx@gmail.com



ससुरजी और बहू की कमर तोड़ चुदाई

No comments :

ससुर जी का इतना मोटा लंबा 7 इंची का लंड मेरी चूत में तहलका मचा रहा था। उनका अपने अंदर लेने से मेरा रोम-रोम वासना सुख में कांप रहा था। मुझे नहीं पता था ससुर जी के अंदर इतना दम होगा जो मेरे जैसी औरत को शारीरिक संतुष्टि दे पाएगा।

मेरे जैसी औरत मतलब जिसको बहुत ही जल्दी शारीरिक संतुष्टि नहीं मिलती है मुझे संतुष्ट करने के लिए आपको बहुत ज्यादा मेहनत करनी पड़ेगी। और हमारी इस ससुर बहू की चुदाई में ससुर जी ने बहुत मेहनत करी और अपना दम दिखा कर मुझे शारीरिक संतुष्टि दी।

यह (गंदी कहानी) हमें आंध्र प्रदेश की रहने वाली शालिनी ने भेजी है। जिसकी अभी हाल फिलहाल में ही शादी हुई है लेकिन उसका नया नवेला पति उसे शारीरिक संतुष्टि नहीं दे पा रहा है। पति कोशिश तो बहुत ज्यादा करता है लेकिन बहू की वासना कुछ ज्यादा ही मांग कर रही है और वह जल्दी सुख नहीं प्राप्त कर रही है। इस Family Sex Story में शालिनी हमें बताती हैं कि कैसे उनके ससुर जी ने उन्हें शारीरिक संतुष्टि दी और कमर तोड़ चुदाई कर पूरा मजा दिलाया।

आइए उनकी गंदी कहानी उन्हीं की जुबानी सुनते हैं!!

हेलो दोस्तों मेरा नाम शालिनी है और मेरी 3 महीने पहले ही शादी हुई है। जैसा कि हर औरत के साथ होता है मेरे साथ भी यही हुआ और शादी के बाद मेरी बात ना भूख और ज्यादा बढ़ गई। मेरा पति कोशिश तो बहुत करता है लेकिन वह मुझे वह खुशी नहीं दे पाता जिस खुशी कि मेरी अंतर्वासना मांग कर रही है।

इसी कारण वर्ष मैं खुश नहीं रहती थी और परेशान रहती थी क्योंकि मेरी कामवासना शांत नहीं हो पा रही थी। एक रात ऐसे ही मैं और मेरा पति रोमांस कर रहे थे। शुरुआत में तो सब कुछ बहुत अच्छा लगता है और सब कुछ करने में बहुत मजा आता है।

लेकिन जब चुदाई की बारी आती है तो बस मजा मेरे पति को ही आ रहा होता है और मुझे कुछ भी महसूस नहीं होता।

उस रात भी कुछ ऐसा ही हो रहा था और मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा था। तो मैं बहुत ही ज्यादा गुस्सा हो गई और अपने पति के ऊपर भड़क पड़ी।

मैंने कहा – कैसे मर्द हो तुम जो अपनी औरत को संतुष्टि भी नहीं दे पा रहा है

मेरा पति – यह तुम कैसी बातें कर रही हो तुम्हें मजा तो आता है

मैंने कहा – नहीं मुझे बिल्कुल भी मजा नहीं आता सारे मजे तुम्हें ही आते हैं तुम क्या अपनी औरत को अपनी बीवी को शारीरिक संतुष्टि भी नहीं दे सकते

इस बात पर हमारी बहस होने लगी और हम दोनों बहुत ही ज्यादा झगड़ने लगे। मेरा पति गुस्सा होकर बाहर वाले कमरे में सोने के लिए चला गया।

वह चुटिया तो मुझसे झगड़ कर बाहर सोने के लिए चला गया और मुट्ठ मार कर सो जाएगा। लेकिन मैं अपनी आग कैसे बुझाओ मैं कैसे अपनी प्यास बुझाओ!!! hindi sexy story, sexsy kahani, hindi sexey kahani 

तो मैंने अपना हाथ जगन्नाथ वाली तरकीब आजमाएं और स्वयं को संतुष्टि देने की कोशिश करने लगी। मैंने अपना पल्लू ऊपर उठाया और अपनी चूत के ऊपर उंगली से हिलाने लगी।

तभी अचानक ससुर जी कमरे के अंदर आ गए और उन्होंने मेरी साड़ी ऊपर होती देख मेरे सारे नजारे मार लिए। मैंने जल्दी से अपनी साड़ी नीचे करी और उठ कर बैठ गई और अपनी नजरें नीचे कर कर बोली – ससुर जी आप क्या कर रहे हैं यहां???

क्या – आपको कुछ चाहिए

ससुर जी बोले – मुझे कुछ चाहिए तो नहीं लेकिन तुम्हें देना है

मैंने कहा – क्या ससुर जी क्या देना है

उन्होंने कहा – तुम्हें वह सुख देना है जो मेरा नालायक बेटा नहीं दे पा रहा है??!!

मैंने कहा तो आपने सब कुछ सुन लिया??

ससुर जी बोले – हां बेटी मैंने सब कुछ सुन लिया!!

मैंने कहा लेकिन हम यह कैसे कर सकते हैं यह गलत है

ससुर जी बोले – कामवासना के अंदर कुछ भी सही और गलत नहीं होता यह बस एक आनंद है!!

और उन्होंने अपनी धोती नीचे कर अपना बड़ा मजबूत काला लंड दिखाया

उनका लंड मेरे पति से दूर ना मोटा और लंबा था जिसे देखकर मैं गरम हो गई!!

फिर ससुर जी मेरे पास आकर बैठ गए और उन्होंने अपनी मोटी उंगली मेरी चूत में घुसा दी। सिर्फ उनकी उंगली ही घुसने से मेरी चूत पूरी गीली हो गई और मुझे वासना का मजा आने लगा।

फिर इसके बाद ससुर जी ने मेरी साड़ी खोल दी और मेरी दोनों टांगों को अपने कंधे पर रखा और अपना मोटा लैंड धीरे धीरे मेरी कशी चूत में घुसाने लगे।

उनका लंड जब धीरे-धीरे मेरी कशी चूत में घुस रहा था तो मुझे बहुत ही ज्यादा मजा आ रहा था और मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी।

ससुर जी ने अपना पूरा का पूरा मोटा लंबा 7 इंची का लंड मेरी चूत में घुसा दिया। और फिर वह मेरी चूत की जबरदस्त तरीके से चुदाई करने लगे।

मैंने कहा धीरे ससुर जी धीरे आपका बेटा कभी इतनी तेज नहीं कर पाता है

ससुर जी बोले – मैं उसका बाप हूं और तुम बस मजा लो

वह मुझे घचाघच चोदने लगे और मेरे दूध को भी खूब जोर जोर से दबाने लगे जिससे मुझे और ज्यादा मजा आ रहा था!!

मैंने कहा हां ससुर जी मुझे मजा आ रहा है मुझे आप की चुदाई से बहुत मजा आ रहा है ऐसे ही करो

और ससुर जी ने थप्पड़ थप्पड़ मेरी चुदाई करना चालू कर दिया वह मुझे बहुत ही जोर जोर से चोद रहे थे। ससुर जी की चुदाई से मेरा बार-बार मत निकल रहा था और मुझे बहुत ही ज्यादा कामवासना का आनंद मिल रहा था।

उस दिन मेरी वासना की आग ससुर जी बहुत ही बढ़िया तरीके से बुझा रहे थे। फिर कुछ ही देर में मुझे चरम सुख की प्राप्ति होने वाली थी और ससुर जी का भी झड़ने वाला था।

माना कि यह बहुत ही जल्दी हो रहा था लेकिन मुझे इतने से में ही तीन चार बार चरम सुख मिल चुका था। ससुर जी के मोटे लंबे 7 इंची के लंड ने मेरा मूड निकाल दिया था और मेरी बहुत ही जबरदस्त कमर तोड़ चुदाई करी थी।

जैसे ही ससुर जी का झड़ने वाला था उन्होंने अपना सारा माल मेरी चूत में झाड़ दिया। उनका मोटा गाना बीज मेरी चूत में जा रहा था जिसे मैं महसूस कर पा रही थी।

ससुर जी ने मेरे अंदर अपना बीच डाल दिया लेकिन मुझे इससे फर्क नहीं पड़ा क्योंकि खून तो एक ही है चाहे बच्चा किसी का भी हो बाप का या दादा का।

उस रात ससुर जी के मलाई ने मेरी आग बुझा दी और मुझे असली वासना का सुख प्राप्त हुआ।

The post ससुरजी और बहू की कमर तोड़ चुदाई appeared first on Sex Kahani & Antarvasna Story.



सबसे छोटी मामी जी को बीहड़ में पेला- 2

No comments :

मामी की चुदाई स्टोरी मेरी सबसे छोटी मामी के साथ सेक्स की है. मैं सबसे छोटी मामी की चूत मारना चाहता था. इसके लिए मैंने बड़ी मामी की मदद ली.

मामी की चुदाई स्टोरी के पहले भाग
सबसे छोटी मामी की चूत चुदाई की चाहत
में आपने पढ़ा कि मैं सबसे छोटी मामी की चूत मारना चाहता था. इसके लिए मैंने बड़ी मामी की मदद ली.

छोटी मामी के साथ मैं जंगल में जा रहा था बेर लाने. बड़ी मामी ने ही उनको मेरे साथ जाने को कहा था.

अब आगे मामी की चुदाई स्टोरी:

मामी जी ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी जिसमें वो बहुत ज्यादा कामुक लग रही थी।

हम खेतों के रास्ते से होकर बीहड़ की ओर जा रहे थे। मामी जी मेरे आगे आगे चल रही थी और मैं मामी जी के थोड़ा पीछे पीछे चल रहा था।

जब मामी जी चल रही थी तो उनकी गांड बहुत ज्यादा मटक रही थी। मामी जी की गांड को देख देखकर मेरा लन्ड बेकाबू हो रहा था। मैं मेरे लंड को मसल मसलकर चल रहा था। दिल तो कर रहा था कि यही रास्ते में ही मामी जी की चूत में लंड पेल दूं.
लेकिन मैं मेरे लन्ड को दिलासा दे रहा था कि थोड़ी देर रुक जा, फिर तुझे मामी जी की चूत से ज़रूर मिलवाऊंगा।

इस तरह मामी जी की चूत के ख्यालों में खोता हुआ और मामी जी गांड को मटकाती हुई हम दोनों बीहड़ में पहुंच गए।

बीहड़ में बेर की बहुत सारी झाड़ियां थी जो बेरों से लदी हुई थी। बीहड़ में कुछ खाइयां और बहुत सारे पेड़ों के झुरमुट भी थे।
अब हम दोनों बेर तोड़ तोड़कर खाने लगे।

मामी जी मेरे साथ बातें करती हुई बेर तोड़ रही थी.
लेकिन मेरा ध्यान तो ये सोचने में लगा हुआ था कि अब मैं मामी जी को कैसे पेलूं?

मामी जी बीच बीच में बेर तोड़कर मुझे भी खिला रही थी और कह रही थी- ये खा कर देख, ये बेर बहुत ज्यादा मीठा है।

जब मामी जी बेर तोड़ती तो मैं उनकी मस्त दमदार गांड को घूर रहा था। मामी जी की मस्त गांड को देख देखकर मेरा लन्ड फनफना रहा था।

अब तो बहुत तीव्र इच्छा से मेरा लन्ड मामी जी की चूत मांगने लगा।

लेकिन उर्मिला मामी जी इतनी आसानी से चूत कैसे दे देगी? मुझे इस बात की बड़ी चिंता हो रही थी।
आखिरकार चूत मामी जी की सबसे ज्यादा अनमोल चीज है और वो इस अनमोल चीज को इतनी आसानी से तो नहीं देगी।
यह सोचकर सोचकर मेरी धड़कनें बढ़ रही थी।

तभी मामी जी जैसे ही बेर तोड़कर पीछे की ओर सरकी तो उनका पैर खड्डे में पड़ गया और मामी जी नीचे गिरने लगी. मामी जी के हाथ में से सारे के सारे बेर नीचे बिखर गए।

ठीक उसी समय मैंने तुरंत अपनी मामी जी को हाथों में थाम लिया।

जैसे ही मैंने मामी जी को पीछे से पकड़ा तो मेरा एक हाथ अनायास ही मामी जी के बोबे पर पहुंच गया।

तब मैंने सोचा यही सही मौका है; मसल देता हूं मामी जी के रसीले बोबों को।
मैंने हिम्मत करके मामी जी के बोबों को मसल दिया।

आह … क्या मस्त मुलायम बोबे थे मामी जी के! मुझे तो मज़ा आ गया।
मेरे तो तन बदन में आग लग गई और मेरा लन्ड अब तो मामी जी को पेलने के लिए फड़फड़ाने लगा।

स्तनों को मसलते ही मामी जी गुस्से से लाल पीली हो गई और अपने आप को मेरी बांहों में से छुड़ाकर खड़ी हो गई।

मामी जी मुझे डांटने लगी- तुझे शर्म आनी चाहिए। मैं तेरी मामी हूं और तू मेरे साथ ऐसा कर रहा है। तुझे तो बड़े छोटे और रिश्तों की ज़रा भी लिहाज नहीं है? बहुत बदतमीज हो गया है तू तो!
मैं- मामी जी, वो गलती से हो गया। मैं क्या करूं … आपको देखकर मैं बेकाबू हो गया।

मामी जी- तूने मुझ में ऐसा क्या देखा कि तू बेकाबू हो गया? सम्हाल अपने आप को!
मैं- मामी जी, मुझे आप बहुत अच्छी लगती हो। आप ऊपर से लेकर नीचे तक एकदम मस्त माल हो।

मामी जी- पागल हो गया है तू तो। मैं कोई 18 साल की लड़की नहीं हूं जो तुझे मैं इतनी अच्छी लगती हूं। अगर इतना ही बेकाबू हो रहा है तो कोई लड़की ढूंढ ले। उसके साथ जो जी में आये कर … यहाँ रिश्ते क्यों खराब कर रहा है?
मैं- मामी जी मैं क्या करू? मुझे तो आप ही सबसे अच्छी लगती हो। मामी जी प्लीज एक बार आपकी चूत दे दो ना!

यह सुनकर मामी जी और भी ज्यादा गुस्से से लाल पीली हो गई- अपने मुंह को बंद रख। शर्म नहीं आती तुझे मुझे ऐसा कहते हुए। अभी बच्चा है तू! ये सब करने की तेरी उम्र नहीं है।
मैं- मामी जी एक बार आप मौका तो देकर देखिए फिर आपको पता चल जाएगा कि मैं अभी बच्चा हूं या मर्द?

मामी जी- चुप रह चुप। अब आगे ज्यादा कुछ कहा तो तेरी शिकायत तेरे मामा जी कर दूंगी। चल अब चुपचाप बेर खा ले।

ये सुनकर मैं समझ गया कि मामी जी चूत देने के लिए तो तैयार है लेकिन अभी नखरे दिखा रही है। थोड़ी सी मेहनत और करनी पड़ेगी फिर तो पक्का मामी जी मेरे लन्ड के आगे टांगे चौड़ी कर देगी।

अब हम दोनों नीचे बैठकर गिरे हुए बेर बीनने लगे।

उस समय मामी जी मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी। शायद जो नहीं होना चाहिए था वो हो गया था।

अब हम वहां से आगे बढ़े।
हम बेर तोड़ते हुए आगे बढ़ रहे थे लेकिन अब मामी जी ज्यादा बात नहीं कर रही थी।

तभी मैंने मामी जी से कहा- मामी जी आप बुरा मत मानना। वो तो गलती से मेरा हाथ आपके बोबे पर लग गया था.
तो मामी जी ने कहा- चुप कर तू … मैं सब जानती हूं, तूने जानबूझकर ऐसा किया था।

मैं- नहीं मामी जी, वो गलती से हो गया था। प्लीज आप मामाजी को मत बताना।
मामी जी- तू चिंता मत कर। मैं किसी को नहीं बताऊंगी। लेकिन अपने आप पर काबू रख। ऐसी हरकतें करना तुझे शोभा नहीं देता.
मैं- ठीक है मामी जी। मैं मेरे ऊपर पूरा काबू रखूंगा।

अब मैं मेरे लन्ड को मसलता हुआ बेर खाए जा रहा था।
मैंने सोच लिया था कि मामी जी को आज ही पेलना है; बार बार ऐसा मौका नहीं मिलेगा। जो होना है वो हो गया; मामी जी जान चुकी है कि मैं उनकी चूत लेना चाहता हूं।

मैं बीहड़ में मामी जी को पेलने के लिए सही जगह तलाश करने लगा।

हम आगे बढ़ते जा रहे थे। वहां का सुनसान नजारा देखकर मुझे लगा कि अब मैं यहां मामी जी की चूत में लंड पेल सकता हूं लेकिन तभी गांव की कुछ औरतें और बच्चे बेर खाते हुए नजर आ गए। वो बेर खाकर वापस घर लौट रहे थे।

मामी जी कहने लगी- मैं रोहित को बेर खिलाने लाई हूं। अब ये भी कुछ दिन बाद घर जायेगा ना!

मैंने मन ही मन में सोचा कि मैं बेर नहीं आपकी चूत में लन्ड पेलने आया हूं।

तब मैंने मामी जी से कहा- मामी जी आगे चलते है ना! यहां बेर मीठे नहीं लग रहे है।
मामी जी- अरे ये मीठे ही तो है।
मैं- नहीं है, आपने कहा था कि पूरी बीहड़ में घुमाओगी। चलो मामी जी, आगे चलते हैं।
मामी जी- अच्छा ठीक है। चल।

अब हम बीहड़ में आगे की ओर जा रहे थे। थोड़ी देर में हम बीहड़ में बहुत आगे तक निकल गए।

वहां झाड़ियों पर बहुत सारे बेर लदे हुए थे। मामी जी मेरे आगे खड़े होकर बेर तोड़ रही थी।
मामी जी की मस्त गांड को देखकर मेरी जान हलक में आ रही थी। मामी जी की मस्त गांड के चक्कर में मेरा मुंह सूख रहा था।

तब मैं हिम्मत करके मामी जी के पीछे खड़ा हो गया और मामी जी की गांड में लंड सटाकर बेर तोड़ने लगा।

तभी मामी जी कहने लगी- रोहित तू क्या कर रहा है? मेरे पीछे मत खड़ा हो।
लेकिन मैं नहीं माना और लंड को और ज्यादा सख़्त तरीके से मामी जी की गांड में सेट कर दिया।

मामी जी आगे सरकने लगी।
तब मैंने हिम्मत करके मामी जी को बांहों में दबोच लिया और ज़ोर से मामी जी के उरोजों को मसल दिया।

मामी जी अपने आप को मुझ से छुड़ाने लगी। लेकिन मैं मेरी ऐसी मस्त मामी जी को कैसे छोड़ सकता था। आखिरकार मुझे तो मामी जी की चूत चाहिए थी।
मुझे मामी जी की गांड में लंड रगड़ने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था।
अब तक मेरा लंड कठोर औजार बन चुका था।

मामी जी- तू क्यों मेरे पीछे पड़ा हुआ है? आखिर तू चाहता क्या है?
मैं- बस मामी जी, एक बार मुझे आपकी चूत दे दो। मैं बस यही चाहता हूं।

मामी जी- तू तो पूरा पागल हो गया है। मैं तेरी मामी जी हूं और अपने बीच में ऐसा कभी नहीं हो सकता है।
मैं- हो सकता है मामी जी। आजकल तो भाई भी बहिन को चोद देता है तो मैं आपको क्यों नहीं चोद सकता। प्लीज मामी जी, दे दो एक बार। मेरा बहुत ज्यादा मन कर रहा है।
मामी जी- नहीं, बिल्कुल नहीं। तू मुझे छोड़। मैं प्यार से कह रही हूं।

मैं- मामी जी मैं भी प्यार से ही कह रहा हूं। एक बार आपकी चूत दे दो बस।
मामी जी- अरे यार, पहले तू मुझे छोड़!
मैं- लो, मामी जी मैंने आपको छोड़ दिया।

तब मामी जी मुझे समझाने लगी- देख हम दोनों का रिश्ता एक पवित्र रिश्ता है और तू इस रिश्ते को गन्दा मत कर। और अभी तेरी पढ़ने लिखने की उम्र है। इन बातो में ज्यादा ध्यान मत दे। थोड़ा सा खुद पर कंट्रोल रख।
ये सुनकर मैं थोड़ी देर के लिए चुप हो गया और अब हम बेर खाने के लिए आगे बढ़ गए।

ये बात मैं अच्छी तरह से जानता था कि मामी जी की चूत में आग लग चुकी है। बस ये केवल नखरे कर दिखा रही है।
तब मैंने सोचा यहां मामाजी को चोदने का सबसे अच्छा मौका है और अब मैं यह मौका हाथ से नहीं जाने दूंगा।

अब मैंने मामी जी को चोदने का प्लान बनाया। मैंने मन ही मन में सोचा की मामी जी को चोदने से पहले मामी जी को लंड दिखा दूँ जिससे मामी खुद चुदने के लिए तैयार हो जाए।

मामी मेरे आगे आगे चल रही थी। उनकी गांड बहुत ज्यादा मटक रही थी। मेरा लन्ड मामी जी की गांड को देख देख कर बहुत टाइट हो रहा था.

तभी मेरे दिमाग में एक खुरापाती आईडिया आया और मैं लंड को पकड़ कर चिल्लाने लगा.

तो मामी जी मुड़कर मेरे पास आई और मामी जी ने पूछा- अरे रोहित, क्या हो गया?
मैंने कहा- मामी जी मेरे पजामे के अंदर कोई कीड़ा घुस गया है और वो कीड़ा मुझे काट रहा है।
यह कहकर मैं ज़ोर जोर से लंड को मसलने लग गया।

मामी जी- अरे कीड़ा कब घुसा गया?
मैं- आह आह, अभी घुसा है। बहुत ज़लन हो रही है … आह आह!

मामी जी- अरे तो कीड़े को बाहर निकाल दे ना!
मैं- कीड़ा अंदर ही चिपक गया है मामी जी। बाहर नहीं निकल रहा है।

मामी जी- तो पजामे को खोल दे।
मैं तो यही चाहता था कि मामी जी पजामे को खोलने के लिए कहे। मैं तो कब से तैयार था।

मामी जी के कहते ही मैंने तुरंत मेरा पजामा खोल दिया।
आज मैंने जानबूझकर अंडरवीयर नहीं पहनी थी। जैसे ही मैंने पजामा खोला तो मेरा खतरनाक हथियार फुफकार मारता हुआ बाहर निकल आया।

मामी जी बिल्कुल मेरे सामने खड़ी थी। मेरे लन्ड को देखते ही मामी जी के चेहरे की हवाइयां उड़ गई।
उनका चेहरा पसीने से लथपथ हो गया और मुंह सुख गया। मामी जी एकदम से स्तब्ध हो गई।

मामी जी की निगाहें मेरे लन्ड पर टिक गई। शायद मामाजी का लन्ड इतना बड़ा नहीं होगा या फिर मामी जी ने पहली बार इतना मस्त लंड देखा होगा।
अब मामी जी कैसे चुदेगी? ये कहानी के आगे भाग में देखिए।

आपको मेरी मामी की चुदाई स्टोरी आपको कैसी लगी मेरी मेल करके जरूर बताएं.
rohit24xx@gmail.com

मामी की चुदाई स्टोरी जारी रहेगी.



रमिला की अनचुदी चूत चुद गयी !! 😱

No comments :

लेखिका और उसकी दोस्त राधिका ने दो लड़को के साथ पूरी रात चुदाई मचाई। अगली सुबह चारो अपने सूजे हुजे लिंग और बुर के दर्द से परेश हो गए। पर उनकी जबरदस्त समूह चुदाई कहानी काफी मजेदार है। और ऊपर से ये सेक्स कहानी एक लड़की द्वारा लिखी गई है तो मजा तो दुगना होने वाला है।

ये XXX सेक्स कहानी मेरी दोस्त रमिला की चुदाई की है। उसी के शब्दो मे कहानी पढिये –

मेरा नाम रमिला है। ये घटना आज से दो साल पहले की है जब मै 12वीं कक्षा मे पढती थी।
मेरा एक दोस्त थ जिसका नाम विनीत था।
विनीत बहुत ही होशियार और शरीफ लडका था मै उसे बहुत पसंद करती थी और वो
भी मुझे पसंद करता था।

जब बारहवीं कक्षा की परीक्षा खत्म हुई और गर्मियो की छुट्टी शुरू हुई तो
मेरे दोस्तो ने घूमने जाने की योजना बनाई।
फिर सबकी राय जानने के बाद शिमला जाने की योजना बनी।

पांच लडकियां और दस लडके सभी बस मे बैठकर शिमला गये।
वहां हमने सबसे पहले हमारे रहने के लिए सस्ते कमरे बुक करवा लिये।
फिर हम घूमने के लिए गये।

हमने शिमला मे घूमकर खूब आनंद लिया।
फिर जब हम थक गये तो अपने कमरो मे आकर आराम करने लगे।

फिर हमने खाना वगैरह खाया।चाय पी।तब तक रात हो चुकी थी।
अब हम सोने की तैयारी कर रहे थे।

मेरे कमरे मे हम दो सहेलियां थी मै और राधिका।

राधिका पक्की चुदक्कड लडकी थी।अपने बॉयफ्रेंड रॉनित से बहुत चुदवाती थी।

जब हम दोनो सोने वाली थी तो मैने देखा राधिका ने टॉवेल लपेटकर अपनी जींस
और पैंटी उतार दी।फिर उसने अपना टॉप और ब्रॉ भी उतार दिया।और टॉवेल मे ही
बिस्तर पर लेट गयी।

मैने पूछा ऐसा क्यो कर रही हो तो वो बोली-रॉनित मुझे चोदने वाला है।इसलिए
कपडे उतारे है मैने।तू भी उतार ले।

मै बोली-मै क्यो उतारूं?मुझे नही चुदना किसी से।

राधिका बोली-चुदवा ले न मेरी जान बहुत मजा आएगा।

ऐसा कहते हुए उसने मेरे सारे कपडे उतारकर तौलिया लपेट लिया।मेरी चूत मे
भी खुजली हो रही थी इसलिए मैने मना नही किया।

तभी विनीत और रॉनित दोनो कमरे मे दाखिल हुए।
विनीत मेरे पास आकर बैठ गया और मेरी पीठ सहलाने लगा।

अपना लंड खड़ा करने के लिए हमें इंस्टाग्राम पर फॉलो करे !!

follow antarvasnastory on instagram
फिर मुझे चूमते हुए मेरी चूत को मसलने लगा।

वो मुझे गालो और होंठो पर बुरी तरह चूम रहा था और मै भी उसका साथ दे रही थी।

फिर वो चूमते हुए मेरे नीचे की तरफ आने लगा और मेरा तौलिया उतारकर मुझे
नंगी कर दिया और मेरी चूत के दाने पर अपने प्यासे होंठ रख दिये और चूसने
लगा।

मुझे चूत चटवाने मे बहुत मजा आ रहा था इसलिए टांगे भींचकर अपने आनंद को
जब्त करते हुए आहे भर रही थी और छटपटा रही थी।

फिर विनीत खडा हो गया और उसने अपनी पैंट और कमीज उतार दी।अब वो मेरे
सामने नंगा खडा था।

उसने अपना लंड मेरे हाथ मे दिया और मुँह मे लेने के लिए कहा।
मै उसका लंड मुँह मे लेकर चूसने लगी।

फिर उसने मुझे बिस्तर पर चित्त लिटाया और मेरी टांगे चौडी कर दी।
अब मेरी चूत का खुला हुआ द्वार उसके सामने था।

विनीत ने अपना लंड मेरी चूत के द्वार पर रखा और रगडने लगा फिर लंड सेट
करके मुझे कमर से पकड लिया और मेरे ऊपर झुक गया।

फिर उसने एक धक्का मारा मेरी चूत की सील टूट गयी मेरा कौमार्य भंग हो गया।
मुझे बहुत दर्द हो रहा था उसका आधा लंड मेरी चूत मे था।
थोडी देर के लिए वह रूका जब मेरा दर्द कम हुआ तो उसने एक और धक्का मारा।

अब उसका पूरा लंड मेरी चूत मे था और विनीत मुझे चोद रहा था।

वह मुझे धक्के लगा लगाकर पचड़ पचड़ चोद रहा था और मै भी गांड उठा उठाकर
उसका लंड अपनी चूत मे ले रही थी।

वो मुझे चूम भी रहा था और चोद भी रहा था।मै भी उसकी पीठ से हाथ लिपटाकर
चुदवाते हुए कामुक आहे भर रही थी।

वो मेरे बोबे दबाते और मेरे नाजुक शरीर को सहलाते हुए मेरी चूत चोदने का
आनंद ले रहा था।
मुझे भी चुदवाने मे असीम आनंद आ रहा था क्योंकि मेरी चूत की खुजली मिट रही थी।

उधर रॉनित और राधिका भी हमारी तरह ही चुदाई का आनंद ले रहे थे।हम चारो
कमरे मे नंगे होकर चुदते और चोदते हुए जिंदगी का आनंद लूट रहे थे।

विनीत ने अपनी स्पीड बढा दी थी और मुझे बुरी तरह चूमते और रगडते हुए चोद
रहा था। मुझे पता चल गया कि विनीत अब झडने वाला है।मै भी झडने के करीब आ
ही गयी थी।
तभी मेरी चूत ने कामरस का फव्वारा छोड दिया।

कुछ ही समय बाद विनीत भी मेरी चूत मे झड गया।उसका गर्म वीर्य मेरी चूत मे
गिरने से मुझे बहुत मजा आया।

रॉनित और राधिका ने भी अपना काम निपटा लिया था। थोडी देर हम ऐसे ही लेटे
रहे। फिर हमारी दोबारा चुदाई की इच्छा होने लगी।
इस बार राधिका ने विनीत को पकड लिया था और रॉनित मेरे पास आ गया।

एक बार फिर से चुदाई हुई। विनीत ने राधिका को पेला और रॉनित ने मेरी चूत
का भुर्ता बनाया।

इस तरह हम सारी रात नंगे ही पडे रहे और चुदाई करते रहे।
सुबह तक मेरी और राधिका की चूत सूजकर लाल हो चुकी थी और विनीत और रॉनित
के लौडे भी सूज गये थे।

तो ये थी मेरी अनचुदी चूत की चुदाई दास्तान।इस तरह मेरी चुत सूज गई और मैंने अपनी कहानी का नाम रमिला की अनचुदी चूत चुद गयी रखा। उम्मीद है आपको पसंद आई होगी।

 

सबसे मजेदार चुदाई की सच्ची और नयी कहानियाँ हर रोज पढ़िए सिर्फ Sexkahani.net  पर. आपके कमेंट का हमें इन्तजार रहेगा धन्यवाद

The post रमिला की अनचुदी चूत चुद गयी !! 😱 appeared first on Sex Kahani & Antarvasna Story.



रिंकू के पुद्दो मे फंसा मेरा लंड

No comments :

कहानी का लेखक एक लड़की के साथ सेक्स कर रहा होता है की तभी लड़की की माँ आ खड़ी होती है और उनको सेक्स करता देख लेती है। अब लेखक वहा से नंगा भागा या पिट कर गया ये आप अन्तर्वासना कहानी पढ़कर जाने।

पुद्दे यानि चूतड या नितंब। इन्हे कूल्हे या हिप्स भी कहते है। हमारे यहां
की भाषा मे इन्हे पुद्दे कहा जाता है।क्योंकि चूतडो पर लात मारने से
‘पद्द’ की आवाज आती है इसीलिए इन्हे पुद्दे कहा जाता।

प्रस्तुत कहानी मे मैने अपनी गर्लफ्रेंड रिंकू के पुद्दो को चोदा है यानि
गांड मारी है। जिस वजह से रिंकू के पुद्दो मे फंसा मेरा लंड मैंने इसका नाम रखा।

तो कहानी पढिये और मेरे लिए भगवान से प्रार्थना कीजिए कि मुझे हमेशा नयी
नयी लडकियो और औरतो को चोदने का अवसर मिले और मेरा लंड हमेशा उनकी
गांड,चूत,या मुँह मे पडा रहे।मेरे हाथ हमेशा उनके बूब्स और चूतड दबाते
रहे।और मेरे होंठ हमेशा उनके होंठो गालो,चूतो के दानो,और गांड के छेदो,और
बूब्स के निप्पलस का रसपान करते रहे।

अब मै Hot Hindi Sex Story पर आता हूं।

हैल्लो दोस्तो,मै हूं आप आपका चोदू यार यानि विनीत कुमार।मै लडकियो और
औरतो की चूत और गांड का दीवाना हूं।मै हमेशा चूत और गांड के लिए प्यासा
रहता हूं।
मैने आज तक अनेक लडकियो को चोदा और उनकी चूत गांड दोनो का पूरा मजा लिया।

मै कुछ दिनो पहले अपनी गर्लफ्रेंड रिंकू की गांड मारना चाहता था लेकिन
रिंकू नही मान रही थी।वो गांड मरवाने से पैदा होने वाले दर्द से डर रही
थी।

रिंकू मुझे बहुत चाहती थी और अपनी चूत के द्वार हमेशा मेरे लंड लिए खुले
रखती थी लेकिन गांड का द्वार खुलवाने से डर रही थी।

लेकिन मै तो हर हालत मे रिंकू की गांड मारने के लिए मरा जा रहा था।
उसकी बडी सी गोल चिकनी मखमली प्यारी भरी हुई गांड देखकर मेरा लंड आपे से
बाहर हो जाता था।

एक दिन मैने ठान लिया कि आज तो रिंकू को गांड चुदाई के लिए मनाकर ही रहूंगा।

मैने उसे फोन किया और कहा-रिंकू प्लीज एक बार अपने पीछे के छेद को चोदने दो।

वो बोली-नही मै पीछे नही कराऊंगी,वहां बहुत दर्द होता है।

मै बोला-मेरी जान मै तो तेरी गांड के लिए तडप रहा हूं।एक बार गांड चोदने
दो,विनती कर रहा हूं पैर पकड कर याचना कर रहा हूं।

वो मेरे ऐसा कहने से द्रवित हो गयी और रोते हुए कहने लगी-ऐसा मत कहो मेरी
जान,मै तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकती हूं।ठीक है मार लेना मेरी
गांड।

मै बहुत ही खुश हो गया और रिंकू से बात करके गांड चुदाई का पूरा प्लान
तैयार कर दिया।

प्लान के मुताबिक रिंकू की मम्मी दोपहर को 12 बजे उसके पिताजी को टिफिन
देने जाती और 2 बजे वापस आती थी।यानि दो घंटे तक रिंकू अकेली घर रहती
थी।दो घंटे मे तो मै आराम से रिंकू की गांड चोद सकता था।

अगले दिन 12 बजे जैसे ही रिंकू की मम्मी टिफिन लेकर निकली मै सीधा रिंकू
के घर पहुंच गया।रिंकू ने अच्छे से नहा धोकर हल्के कपडे पहन रखे थे और
मेरा ही इंतजार कर रही थी।

मेरे जाते ही उसने गले लगकर मेरा स्वागत किया और मेरे गाल पर चुम्मी
दी।मै भी उसे बेसब्री से चूमते और चाटते हुए उसके पुद्दे दबाने
लगा।पुद्दे यानि चूतड या नितंब।

वो भी गर्म हो रही थी और चूमने चाटने मे मेरा सहयोग कर रही थी।मेरा लंड
टाईट हो गया था और उसकी चूत पर प्रहार कर रहा था।
फिर मैने उसे पीछे घुमाया और उसकी गांड पर लंड से धक्के मारने लगा और
उसके मम्मे दबाते हुए गाल पर चूमने लगा।

अब मेरा लंड लोहे के सरिये जैसा टाईट हो गया था और उसकी गांड मे घुसने के
लिए तैयार था।
वो भी गर्म हो गयी थी और अपनी गांड मेरे लंड पर दबा रही थी।

अब मैने रिंकू से कपडे उतारने के लिए कहा लेकिन वो इनकार करने लगी और
कहने लगी कि घर मे कोई आ गया था इतनी जल्दी कपडे कैसे पहनेंगे।इसलिए मै
अपने पजामी और पैंटी घुटनो तक उतारकर अपनी गांड तुम्हारे सामने प्रस्तुत
करती हूं तुम जल्दी से गांड मारो और चले जाओ।

लेकिन मै कहां मानने वाला था मै तो उसे पूरी नंगी करके उसकी गांड चोदना चाहता था।
इसलिए मै उसे बार बार कपडे उतारने के लिए कहने लगा।

वो मान गयी और अपने कपडे उतारने लगी।मै भी अपने कपडे उतारने लगा।
थोडी ही देर मे हम दोनो नंगे खडे थे।

मै उसके चूतड चाटने लगा और दोनो चूतडो के बीच जीभ घुसाकर उसकी गांड का
छेद चाटने लगा।मै आईसक्रीम की तरह स्वाद ले लेकर उसकी गांड को चाट और चूस
रहा था।

फिर मैने अपनी एक उंगली पर बहुत सारा थूक लिया और उसकी गांड मे घुसाकर
आगे पीछे करने लगा।उसकी गांड बहुत टाईट थी और मुझे अपनी उंगली उसमे फंसी
हुई महसूस हो रही थी।

फिर मैने दोनो उंगलियां थूक मे भिगोकर उसकी गांड मे घुसा दी।

फिर मैने अपना लंड उसके हाथ मे दिया।उसने मेरा लंड मुंह मे लिया और चूसने लगी।
जब मेरा लंड चिकना हो गया तो उसने मुंह से बाहर निकाल दिया।

अब मैने सरसो की बोतल उठायी अपने हाथ मे बहुत सारा सरसो का तेल लिया और
उसकी गांड के छेद पर तेल लगाकर चिकना करने लगा।
फिर मैने अपने लंड को भी उसी तेल से चिकना किया।

अब मै पूरी तरह तैयार था रिंकू की गांड चोदने के लिए।

मैने उसे घोडी बनाया और लंड गांड की दरार पर रख दिया।फिर दोनो पुद्दे
खोले और गांड के छेद पर लंड सेट करने लगा।
फिर एक जोर का धक्का मारा और रिंकू की दर्दभरी चीख निकल गयी।मेरे लंड का
सुपाडा उसकी गांड मे घुस चुका था। hindi sexey kahani, sexy hindi kahaniyan, kahaniyan sexy

फिर मैने एक और धक्का मारा तो लगभग आधा लंड उसकी गांड मे था।
दर्द के मारे रिंकू चीखना चाहती थी लेकिन आसपास के लोग इकट्ठे न हो जाए
इसलिए बडी मुश्किल से अपने आपको संयत कर रही थी।

थोडी देर तक मै आधे लंड से ही रिंकू का गुदा चोदन करता रहा।फिर एक अंतिम
और करारा घस्सा मारा।पूरा लंड रिंकू की गांड मे प्रविष्ट हो गया।

फिर मै मस्ती से भर गया और आगे पीछे होकर उसकी गांड मारने लगा।

वो भी मस्ती मे आ गयी और गांड हिला हिलाकर चुदवाने लगी।उसके स्पंज जैसे
मांसल चूतडो को मसलते हुए मै उसकी गांड मार रहा था।

उसकी गांड बहुत ही टाईट और गर्म थी जिसे मारते हुए मुझे स्वर्ग का आनन्द
मिल रहा था।
उसकी गांड की कसावट और गर्मी को मेरा लंड ज्यादा देर तक नही झेल सकता
था।इसलिए मुझे लगा कि थोडी ही देर मे मेरा लंड वीर्य छोडने वाला है।

मैने उसकी कमर को पकड लिया और आँखे बंद करके दनादन धक्के मारने लगा।

इस तरह पूरी उत्तेजना और रफ्तार से मै रिंकू की गांड चुदाई कर ही रहा था
कि महसूस दरवाजे पर किसी की आहट सुनाई दी।
तभी दरवाजा खुला और मैने वहां मैने रिंकू की मम्मी को देखा।मै उसे देखकर
इतना डर गया कि रिंकू की गांड मे झड गया।बहुत सारा माल निकला जिससे रिंकू
की गांड भर गयी और बाहर टपकने लगा।मैने लंड बाहर निकाला और मै भागना
चाहता था।रिंकू की मम्मी हमे अभी भी आश्चर्यचकित होकर देख रही थी।

रिंकू की मां क्रोधभरी आंखो से हम दोनो को देख रही थी। रिंकू भी अपनी
मम्मी को वहां देखकर बुरी तरह शर्मा गयी थी और डर भी रही थी।

मै भागना तो चाहता था पर नंगा होने के कारण कैसे भाग सकता था।
मैने तुरंत अपनी अंडरवियर और पैंट पहनी और कमीज कंधे पर डालकर वहां से भाग खडा हुआ।

उसके बाद वहां क्या हुआ मुझे नही पता। क्योंकि मै घर आ गया था और डर के
मारे मेरी साँसे फूली हुई थी।

The post रिंकू के पुद्दो मे फंसा मेरा लंड appeared first on Sex Kahani & Antarvasna Story.



ससुरजी ने मेरी चूत पूरी रात बजाई

No comments :

यह ससुर और बहू की चुदाई की कहानी है.एक रात मैंने अपने ससुर को मुठ मारते देखा. उनका मोटा लम्बा लंड देख मैं भी चुदने की सोचने लगी. मुझे ये मौका कैसे मिला?

प्रिय पाठको, मैं अन्तर्वासना पर अपनी सच्ची चुदायी की घटना बताने जा रही हूं जो एकदम सत्य घटना पर आधारित है.
यह घटना मेरे और मेरे ससुर के बीच हुई थी. मैं इसमें नाम और पता बदलकर बता रही हूं.

इस कहानी को सुनें.

तो दोस्तो, अब मैं आपका समय बर्बाद न करते हुए सीधी ससुर और बहू की चुदाई की कहानी पर आती हूं जो मेरे साथ 9 जनवरी की रात घटी थी।

मेरा नाम नेहा है और मैं 24 साल की शादी शुदा औरत हूं.

मेरी हाईट 5 फीट है और फिगर 33-28-34 है। मैं प्रयागराज की रहने वाली हूं. मेरी शादी पिछले साल फरवरी में हुई थी.

बीते दिसंबर की एक रात को मुझे तेज प्यास लगी. आप जानते होंगे कि सर्दी में या तो प्यास लगती नहीं और लगती है तो फिर प्यास कितनी जोर से लगती है.

ठंड बहुत ज्यादा थी फिर भी मैं जल्दी से उठी रसोई में जाने लगी. मेरा ध्यान ससुर के कमरे की ओर गया तो मैंने पाया कि उनके रूम की लाइट जल रही थी.
मैंने सोचा कि इतनी रात को ये जाग क्यों रहे हैं, कहीं तबियत तो खराब नहीं हो गयी?

उनको देखने के लिए मैं रूम की ओर जाने लगी तो मैंने पाया कि मेरे ससुर अपने लंड को अपने हाथ में लेकर सहलाये जा रहे थे.
उनका लन्ड करीब 7 इंच का था। इतना बड़ा लंड मैंने कभी किसी मर्द का नहीं देखा था.

मैं आपको उनके बारे में बता दूं कि वो उम्र में 55 साल के करीब हैं. उनकी हाइट 6 फीट है.

मेरी सास की मृत्यु बहुत समय पहले हो गयी थी. शायद इसी वजह से ससुर जी का लंड इतना बेताब लग रहा था.

वो आंखें बंद किये लगातार अपने हाथ को अपने लंड पर चला रहे थे.
ये नजारा देखकर मैं तो सन्न रह गयी.
मगर मेरी नजर भी मेरे ससुर के लंड से हट नहीं रही थी. मेरे पति का लंड उनके लंड से कम था.

उनका लंड देखकर मेरे अंदर भी चुदास सी जागने लगी लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी.

फिर मैं रसोई से पानी लेकर अपने कमरे में चली गयी. अब मुझे भी लंड चाहिए था तो मैंने पति को जगाया और उनको गर्म करने की कोशिश करने लगी.

मैंने पति के लंड को ऊपर से ही सहलाया. उनका हाथ मेरी चूत पर रखवाया और सहलवाने लगी.
थोड़ी देर में उनका लंड खड़ा होने लगा. फिर मैंने उनके लंड को चूसा और चुदाई के लिए पूरा तैयार कर दिया.

पति ने मेरी चूत में लंड डाला और चोदने लगे. उनका लंड 6 इंच के करीब था. मैं चुदाई का मजा लेने लगी.

मगर दिमाग में ससुर का लंड अभी भी घूम रहा था. उनका लंड बहुत मोटा था.

पति ने मुझे पांच मिनट तक चोदा और फिर वो झड़ गये. मुझे लंड तो मिल गया लेकिन वो संतुष्टि वाली चुदाई नहीं हुई. फिर भी मैंने पति को ज्यादा नहीं कहा क्योंकि वो नींद में थे और मैं भी अब सोना चाहती थी.

फिर कुछ दिन बाद मेरे पति ने कहा कि वो जॉब करने दिल्ली जाने वाले हैं.
वो कहने लगे कि पहले वो वहां पर जम लेंगे और उसके बाद मुझे भी वहीं बुला लेंगे. मैं ये सोचकर परेशान हो रही थी.

मुझे पति के बिना कैसे चुदाई का मजा मिलने वाला था. 4 जनवरी को मेरे पति दिल्ली चले गये.

उनके जाने के बाद मेरा मन सूना हो गया.
एक दो दिन तो मैंने किसी तरह सब्र किया लेकिन फिर ससुर का लंड मेरे दिमाग में घूमने लगा.

मैं उनका लंड देख चुकी थी और जब से मैंने उनका मोटा लंड देखा था मैं उसको अपनी चूत में लेने का सपना भी देख रही थी.
अब मैं किसी तरह ससुर जी का लंड खड़ा करके उनको खुद चुदाई के लिए तैयार करना चाहती थी.

इसके लिए मैंने बाजार से कुछ नये कपड़े ले लिये. नाइटी, पैंटी और ब्रा के सेट लिये. सेक्सी वाली नाइट ड्रेस ली ताकि अपने बदन को दिखाकर मैं ससुर जी के लौड़े की प्यास को और ज्यादा बढा़ सकूं.

शाम को जब मैं घर आयी तो मैंने जल्दी जल्दी खाना बनाया.

ससुर जी को भूख लगी तो वो बोले- बहू खाना लगा दो.
मैंने उनको बैठने को कहा और बोली- अभी लगा देती हूं.

मैं अपनी साड़ी बदल कर आ गयी और मैंने वो नयी ड्रेस पहनी जो मैं बाजार से लायी थी.

जब मैं खाना लेकर उनके पास पहुंची तो उनकी नजर मेरे बदन पर पड़ी और वहीं पर ठहर गयी.
इससे पहले मेरे ससुर ने मुझे इतने ध्यान से नहीं देखा था.

वो लगातार मुझे देख रहे थे और मैं खुश हो रही थी कि मेरा प्लान काम कर रहा है. वो ये भी कोशिश कर रहे थे कि मुझे उनकी नजर के बारे में पता न चले इसलिए बार बार नीचे नजर कर लेते थे.

ससुर ने खाना खाया और फिर वो सोने के लिए चले गये.

मगर मुझे नींद नहीं आ रही थी. मेरे बदन की गर्मी मुझे चैन से लेटने नहीं दे रही थी.
आज मैंने ससुर की आंखों में मेरे जिस्म के लिए हवस भी देख ली थी लेकिन मैं कुछ नहीं कर पा रही थी.

मैं फिर सोचते सोचते सो गयी.

मगर उस दिन के बाद से मैं किसी न किसी तरह अपने बदन और उसके उभार दिखाकर अपने ससुर को तड़पाने लगी.
वो अब अक्सर मेरी चूचियों और मेरी गांड को ताड़ते रहते थे.

कुछ दिन बीत गये. फिर 9 जनवरी की रात आयी.
उस रात को मैंने लाल रंग की नाइटी पहनी थी जो चूचियों पर से जालीदार थी. उसको देखकर तो मेरे ससुर की आंखें ही फैल गयीं. वो जैसे पागल से हुए जा रहे थे.

उन्होंने खाना भी ठीक से नहीं खाया और थोड़ा सा ही खाकर रूम में चले गये.
मैंने भी जल्दी से काम खत्म किया और सोने के लिए जाने लगी.
मगर मेरा मन बेचैन था.

आज ससुर जी बहुत उतावले थे. मैं एक बार उनकी हालत देखना चाहती थी.

इसलिए मैंने दूध गर्म किया और उनके कमरे की ओर चल दी.
मैंने अंदर देखा तो वो लंड को लगातार हिला रहे थे और बार बार कह रहे थे- चूस साली मेरे लंड को … साली नेहा … चूस इसे.

ऐसे कहते हुए वो अपने लंड की मुठ मार रहे थे.
मैं बहुत उत्तेजित हो गयी उनकी ये हालत देखकर.

उसके बाद मैंने दरवाजा खटखटाया तो वो संभल गये. उन्होंने अपना लंड अंदर पजामे में किया और ढक लिया.

मगर जब मैं अंदर गयी तो तब भी उनके पजामे में वो लंड तना हुआ ऐसे ही उछल रहा था. उनके माथे पर पसीना आ गया था.

मैंने उनके लंड की ओर देखा और हल्की सी मुस्कान दे दी और शर्माते हुए गिलास को उनके बेड के पास रख दिया.

जब मैं जाने लगी तो ससुर जी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले- कुछ देर बैठ जा बहू.
मैं बोली- ये आप क्या कर रहे हैं पापा? ये सब ठीक नहीं है.

इस बात पर उनको गुस्सा आ गया और मेरा हाथ अपनी ओर खींचकर मुझे अपने पास बिठाते हुए बोले- साली रण्डी, जब से तेरा पति गया है तभी से तेरा नाटक देख रहा हूं. आज तुझे चोद चोद कर सब तेरी नौटंकी दूर कर दूंगा.

ये कहकर उन्होंने मुझे बेड पर पटक लिया और मेरे ऊपर आ चढ़े.
वो मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों में मुंह मारने लगे. मेरी गर्दन को चूमने लगे.

पहले तो मैंने दिखावटी विरोध किया लेकिन फिर हार मानने का नाटक करके मैं आराम से लेट गयी.
फिर वो मेरे होंठों को चूमने लगे लेकिन मैंने मुंह नहीं खोला. फिर वो मेरी चूचियों को दबाने लगे तो मेरी आह्ह निकल गयी और मेरे होंठ खुल गये.

इस मौके का फायदा उठाकर वो मेरे होंठों को चूसने लगे और मुझे भी अच्छा लगने लगा.

मैं भी अंदर ही अंदर उनका साथ देने लगी लेकिन मैं ये नहीं दिखाया कि मुझे मजा आ रहा है.
मैं बस न चुदवाने का नाटक सा करती रही.

मेरे ससुर के हाथ मेरी चूचियों पर आ गये थे और वो मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूचियों को जोर जोर से दबा रहे थे.
मैं अब सिसकारने लगी थी.

वो बोले- हां, साली रंडी, मैं जानता था कि तू ये सब नाटक चुदने के लिए ही कर रही है. मैं आज तेरी चूत को फाड़ दूंगा.
ये बोलकर मेरे ससुर ने मेरी नाइटी फाड़ डाली और मेरी चूचियों को जोर जोर से पीने लगे.

उनके मुंह की पकड़ इतनी तेज थी कि मेरे मुंह से जोर जोर की आहें निकलने लगीं.
मैं अपनी चुदास को कंट्रोल नहीं कर पा रही थी.

इतने में ही ससुर का एक हाथ मेरी चूत को सहलाने लगा. मेरी चूत में हल्का गीलापन आने लगा था. वो मेरी चूत को जोर जोर से रगड़ने लगे.

मेरी चूत में पानी आने लगा और वो चूत में उंगली से कुरेदने लगे.
मैं भी पागल सी हो रही थी अब.

इतने में ही ससुर ने अपने पजामा नीचे करके लंड बाहर निकाला और मेरे मुंह में दे दिया.
उनका लंड मेरे मुंह में फंस गया और वो धक्के देते हुए बोले- चूस साली … यही है तेरा सपना … चूस ले इसे. चूस साली कुतिया।
मेरे मुंह में उनका लंड पूरा फंस गया था और मेरे गले में अटक गया था. मुझसे सांस नहीं ली जा रही थी लेकिन वो मेरे मुंह को चोदे जा रहे थे.

काफी देर तक मेरे मुंह को चोदने के बाद उन्होंने लंड को बाहर निकाला जो मेरी लार में पूरा गीला हो गया था.

फिर उन्होंने मुझे उल्टी तरफ लिटा दिया और मेरी गांड ऊपर आ गयी.
वो मेरी गांड में मुंह देकर चाटने लगे.

मैं डर गयी कि कहीं ये अपने इस मोटे मूसल को मेरी गांड में न धकेल दें. मैं उनका लंड गांड में नहीं ले सकती थी.

वो मेरी गांड को लगातार चाटे जा रहे थे. मुझे मजा भी आ रहा था लेकिन साथ में डर भी बना हुआ था.

इससे पहले मैंने कभी भी अपनी गांड नहीं चुदवाई थी. कई बार मेरे पति मेरी गांड में लंड देने की कोशिश करते थे लेकिन मैं मना कर देती थी.
अभी तक मेरी गांड कुंवारी ही थी.

उसके बाद वो मेरी चूत भी चाटने लगे तब जाकर मेरी सांस में सांस आयी. वो मेरी चूत को चाटते हुए मेरे बूब्स भी दबा रहे थे और मुझे अब बहुत मजा आ रहा था.
दोनों तरफ से मजा मिल रहा था.

कुछ देर तक वो मेरी चूत को काट काटकर खाते रहे.
मैं भी पानी छोड़ती रही और चुदने के लिए मचल उठी.

अब ससुर जी से भी नहीं रुका गया तो उन्होंने अचानक से मेरी चूत पर लंड रखा और एक धक्का दे दिया.
उनके लंड की चोट से मेरी जान निकल गयी.
एक बार में ही मेरी चूत को फाड़ कर रख दिया उनके मोटे लंड ने.

उन्होंने मेरे मुंह पर थप्पड़ मारा और चुप रहने के लिए कहा.
मैं चुप हो गयी.

अब वो मुझे चोदने लगे. मैं तो बेहाल होने लगी.

कुछ देर तक तो लंड नहीं लिया गया लेकिन फिर जब चूत खुलने लगी तो मुझे मजा आने लगा.
अब मैं आराम से चुदवाने लगी.

लेकिन ससुर जी की स्पीड बढ़ रही थी. वो लगातार तेज तेज चोदे जा रहे थे.

बीस मिनट की चुदाई में मैं दो बार झड़ गयी. वो अभी भी मुझे तेजी से चोद रहे थे.

फिर उन्होंने एकदम से मेरी चूत से लंड को बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह पर उनके वीर्य की पिचकारी एकदम से आकर लगी.

कई बार उनके लंड से वीर्य की पिचकारी लगी और मेरा पूरा चेहरा सन गया.
मुझे मजा आ गया.
इतनी अच्छी चुदाई मेरी आज तक नहीं हुई थी.

झड़ने के बाद वो मेरे बगल में आकर लेट गये.

हम दोनों फिर 69 में आकर एक दूसरे को चूसने लगे.

कुछ देर की चुसाई के बाद उनका लंड फिर से खड़ा हो गया. अब उन्होंने लंड पर तेल लगा लिया. मेरी चूत और गांड पर दोनों जगह तेल लगा दिया.

उसके बाद मुझे पेट की तरफ सुला दिया और नीचे तकिया लगा दिया.
फिर वो मेरी चूत में लंड डालकर चोदने लगे.

मैं आह्ह आह्ह करते हुए चुदने लगी.

मगर अचानक से उन्होंने मेरे मुंह के ऊपर तकिया लगा दिया.

इससे पहले कि मैं कुछ सोच पाती उनके लंड का टोपा मेरी गांड में जाता हुआ महसूस हुआ.

जब एक जोर का झटका लगा तो मेरी जान निकल गयी.
मैं जोर से चीखी लेकिन मेरी आवाज तकिया के नीचे ही दब गयी.

ससुर का लंड मेरी गांड में घुस गया था और मैं दर्द से छटपटाने लगी.
मगर ससुर ने लंड को बाहर निकालने की बजाय और अंदर धकेल दिया.

वो मेरी गांड में धीरे धीरे लंड को अंदर बाहर करने लगे मगर मैं दर्द में तड़प रही थी.

मैं दर्द से रोने लगी तो वो बोले- साली … तेरी गान्ड कब से मारना चाह रहा था. आज तो फ़ाड़ डालूंगा इसे मैं!

अब मैं बेहोश होने वाली थी कि एक थप्पड़ जोर से मुंह पर उन्होंने मारा और फिर गांड में लंड को धकेलने लगे.
उसके बाद वो मेरी गांड को चोदने लगे.

धीरे धीरे मेरी गांड खुली और मैं चुदवाने लगी.
पांच मिनट की चुदाई के बाद उन्होंने लंड को बाहर निकाल लिया और मेरे मुंह में दे दिया.
मैं फिर से उनका लंड चूसने लगी.

फिर ससुर ने मेरे मुंह में ही अपना माल गिरा दिया. मैंने उस माल को पी लिया.

उनकी चुदाई से मेरी चूत और गांड दोनों ही फट गयी थी. मगर मुझे चुदाई में मजा भी बहुत मिला.
उन्होंने मेरी चूत और गांड पर मलहम लगाया और मेरा दर्द कम करने की कोशिश की.

अगले 2 दिन तक मैं ठीक से चल नहीं पा रही थी.

फिर उसके 20 दिन के बाद मेरा जन्मदिन था. मेरे जन्मदिन पर भी मेरे ससुर ने मुझे चुदाई का तोहफा दिया.
मगर उस दिन उनके साथ उनका एक दोस्त भी था.
उन दोनों ने मिलकर मुझे चोदा.

9 जनवरी की रात जो ससुर और बहू की चुदाई हुई वो मैं कभी नहीं भूल पाती हूं. पहली बार ससुर के लंड से चुदाई और उनका मोटा लंड आज भी जब मैं सोचती हूं तो मेरी चूत गीली हो जाती है.

फिर मेरे जन्मदिन पर मेरे ससुर जी ने अपने दोस्त के साथ मिलकर मुझे कैसे चोदा वो मैं आपको अगली कहानी में सुनाऊंगी।

मेरी ससुर और बहू की चुदाई की कहानी पर अपने विचार अवश्य प्रकट कीजिएगा.
अभी मैं चलती हूं. आपकी प्यारी भाभी नेहा।
appanditt07@gmail.com



आखिर ससुरजी घुस ही गए मेरी चुत में :- सूहास .. मेरी चूत में आग लगी है उसे अपने पानी से शांत कीजिए..

No comments :

नमस्ते, मेरा नाम है सूहास. मैं बीस saal की हूँ दो साल से मेरी शादी प्रदीप से हुई है मेरी एक समस्या है जिस के बारे में मैं आप की राय माँग रही हूँ ये कहानी मेरी समस्या की है फेमिली में मैं मेरे पति प्रदीप, मेरे ससुर जी रसिकलाल और मेरा छोटा सा बेटा किरण इतने हें. ससुर जी का बिझनेस बड़ा है और हमें खाने पीने की कोई कमी नहीं ह मेरे पिताजी का फेमिली बहुत ग़रीब था. चार बहनों में मैं सब से बड़ी संतान थी. मेरी मा लंबी बीमारी बाद मर गयी तब में सोलह साल की थी. मा के इलाज वास्ते पिताजी ने क्या कुछ नहीं किया, ढेर सारा कर्ज़ा हो गया. पिताजी रेवेंयू ओफ़िस में क्लेर्क क नौकरी करते थे, उन के पगार से मांड गुज़रा होता था. में छ्होटे मोटे काम कर लेती थी. आमदनी का ओर कोई साधन नहीं था जिस से कर्ज़ा चुका सकें. लेनदार लोग तक़ाज़ा कर रहे थे. फ़िक्र से पिताजी की सेहत भी बिगड़ ने लगी थी.ऐसे में मेरे संभावित ससुर रसिकलाल मदद में आए. उन का एकलौता बेटा प्रदीप कंवारा था. दिमाग़ का थोड़ा सा बेकवार्ड हो ने से उसे कोई कन्या देता नहीं था. रसिकलाल की पत्नी भी छे महीनों पहले ही मर गयी थी, घर संभाल ने वाली कोई थी नहीं. उन्हों ने जब करज़े के बदले में मेरा हाथ माँगा तब पिताजी ने तुरंत ना बोल दी. में हाई स्कूल तक पढ़ी हुई थी, आगे कॉलेज में पढ़ने वाली थी. मेरे जैसी लड़की कैसे प्रदीप जैसे लड़के के साथ ज़िदगी गुज़ार सके ? मैने पिताजी से कहा : आप मेरी फिकर मत कीजिए, मेरी तीन बहनों की सोचिए. आप रिश्ता मंज़ूर कर दीजिए और सिर पर से करज़े का बोझ दूर कीजिए. में मेरी संभाल लूंगी.अपने हृदय पर पत्थर रख कर पिताजी ने मुज़े प्रदीप से ब्याह दी. तब में 18 साल की थी. में ससुराल आई. पहले ही दिन ससुरजी ने मुझे पास बीठा कर कहा : देख बेटी, में जानता हूँ की प्रदीप से शादी कर के तूने बड़ा बलिदान दिया है मेने तेरे पिताजी का कर्ज़ा भरावा दिया है लेकिन तूने जो किया है उस की क़ीमत पैसों में नहीं गीनी जाती. तूने तेरे पिताजी पर और मुझ पर भी बड़ा उपकार किया है में जवाब मे बोली : पिताजी…………उन्हों ने मुज़े बोलने नहीं दिया. कहने लगे : पहले मेरी सुन ले. बाद में कहना जो चाहे सो. ठीक है ?

अब तू मुज़ पर एक एहसान ओर कर दे. जल्दी से मुज़े एक पोता दे दे. समजी ? मुज़े बच्चा चाहिए. प्रदीप मेरा अकेला है थोड़ा सा बेकवार्ड है उस के साथ तुज़े सलूकाई से काम लेना होगा. मेने डाक्टर रवि की राई ली है उन का कहना था की प्रदीप जैसे लड़के नपुंसक होते हें और बाप नहीं बन सकते. लेकिन में ये मानने तैयार नहीं हूँ मेने क्या कहूँ तुझ से ? तू जो मेरी बेटी बराबर हो ? ख़ैर, माफ़ करना मुज़े साफ़ साफ़ बताना पड़ेगाउन्हों ने नज़र फिरा ली. बोले : मैने उन का वो..वो देखा है टटार हुआ देखा है मुझे विश्वास है की वो तेरे साथ शारीरिक संबंध कर सकेगा और बच्चा पैदा कर सकेगा. मेरी ये विनती है की तू ज़रा सब्र से काम लेना, जैसी ज़रूर पड़े वैसी उसे मदद करना.ये सब सुन कर मुझे शरम आती थी. मेरा चहेरा लाल लाल हो गया था और में उन के सामने देख नहीं सकती थी. मेने कुछ कहा नहीं. वो आगे बोले : तुमारी सुहाग रात परसों है आज नहीं. में तुज़े एक किताब देता हूँ पढ़ लेना, सुहाग रात पर काम आएगी. और मुझ से शरमाना मत, में तेरे पिता जैसा ही हूँमुझ से नज़र चुराते हुए उन्हों ने मुज़े किताब दी और चले गाये किताब काम शास्त्र की थी. मैने ऐसी किताब के बारे में सुना था लेकिन कभी देखी नहीं थी. किताब में चुदाई में लगे हुए कपल्स के फ़ोटो थे. मैं ख़ूब जानती थी की चुदाई क्या होती है लंड क्या है छूट क्या है सब. फिर भी फ़ोटो देख कर मुझे शरम आ गयी इन में से काई फ़ोटो ऐसे थे की जिस के बारे में मैने कभी सोचा तक ना था. एक फ़ोटो में औरत ने लंड मुँह में लिया था, छी छी इतना गंदा ? दूसरे में वही औरत की भोस आदमी चाट रहा था. एक में आदमी का पूरा लंड औरत की गांड में घुसा हुआ दिखाया था. कई फ़ोटो में एक औरत दो दो आदमी से चुदवाती दिखाई थी. ये देखने में में इतनी तल्लीन हो गयी थी की कब प्रदीप कमरे में आए वो मुज़े पता ना चला.आते ही उस ने पीछे से मेर आँखें पर हाथ रख दया और बोले : कौन हूँ में ? मेने उन की कलाइयाँ पकड़ ली और बोली : छोड़िये कोई देख लेगा. मुज़े छोड़ कर वो सामने आए और बोले : क्या पढ़ती हो ? कहानियाँ की किताब है ? अब मेरे लिए समस्या हो गयी की उन को चुदाई के फ़ोटू वाली किताब कैसे दिखा उन.

किताब छुपा कर मेने कहा : हाँ, कहानियाँ की किताब है रात आप से कहूँगी.ख़ुश हो कर वो चला गया. कितना भोला था ? उस की जगह दूसरा होता तो मुज़े छेड़े बैना नहीं जाता. दो दिन दरमियान मेने देखा की लोग प्रदीप की हाँसी उड़ा रहे थे. कोई कोई भाभी कहती : देवर्जी, देवरानी ले आए हो तो उन से क्या करोगे ? उन के दोस्त कहते थे : भाभी गरम हो जाय और तेरी समाज में ना आय तब मुज़े बुला लेना. एक ने तो सीधा पूछा : प्रदीप, चूत कहाँ होती है वो पता है ? मुज़े उन लोगों की मज़ाक पसंद ना आई. अब में मेरे ससुरजी के दिल का दर्द समाज सकी. मुज़े उन दोनो पैर तरस भी आया. मैने निर्धार किया की मैं बाज़ी अपने हाथ ले लूंगी और सब की ज़ुबान बंद करवा दूँगी, चाहे मुज़े जो कुछ भी करना पड़ेतीसरी रात सुहाग रात थी. मेरी उमर की दो काज़ीन ननदो ने मुझे सजाया सँवारा और शयन कमरे में छोड़ दिया. दुसरी एक चाची प्रदीप को ले आई और दरवाज़ा बंद कर के चली गयी में घुमटा तान कर पलंग पर बैठी थी. घुँघट हटाने के बदले प्रदीप ने नीचे झुक कर झाँखने लगा. वो बोला : देख लिया, मैने देख लिया. तुम को मैने देख लिया. चलो अब मेरी बारी, मे छुप जाता हूँ तुम मुझे ढूँढ निकालो.छोटे बच्चे की तरह वो चुपा छुपी का खेल खेलना चाहता था. मुझे लगा की मुझे ही लीड लेनी पड़ेगी. घुँघट हटा कर मेने पूछा : पहले ये बताओ की मैं तुम्हे पसंद हूँ या नहीं. प्रदीप शरमा कर बोला : बहुत पसंद हो. मुहे कहानियाँ सुनाएगी ना ? में : ज़रूर सुना उंगी. लेकिन थोड़ी देर मुझ से बातें करो. प्रदीप : कौन सी कहानी सुनाएगी ? वो किताब वाली जो तुम पढ़ रही थी वो? में : हाँ, अब ये बताओ की में तुमारी कौन हूँ प्रदीप : वाह, इतना नहीं जानती हो ? तू मेरी पत्नी हो और में तेरा पतिमें : पति पत्नी आपस में मिल कर क्या करते हें ? प्रदीप : में जनता हूँ लेकिन बता उंगा नहीं. में :क्यूं ? प्रदीप : वो जो सुलेमान है ना ? Antervasnasexstories, antarvasna story, Antarvasnacom

कहता है की पति पत्नी गंदा करते हें. मैने पूछा नहीं की सुलेमान कौन था, मैं बोली : गंदा माइने क्या ? नाम तो कहो, में भी जानू तो प्रदीप : चोदते हें. लंबा मुँह कर के में बोली : अच्छा ? बीन बोले उस ने सिर हिला कर हा कही. गंभीर मुँह से फिर मेने पूछा : लेकिन ये चोदना क्या होता है ? प्रदीप : सुलेमान ने कभी मुज़े ये नहीं बताया. शरमा ने का दिखावा कर के मेने कहा : में जानती हूँ कहूँ ? प्रदीप : हाँ, हाँ. कहो तोउस रात प्रदीप ने बताया की कभी कभी उस का लंड खड़ा होता था. कभी कभी स्वप्न दोष भी होता था. रसिकलाल सच कहते थे, उन्हों ने प्रदीप का खड़ा लंड देखा होगा. मेने आगे बातें चलाई : ये कहो, मुझ में सब से अच्छा क्या लगता है तुम्हे ? मेरा चहेरा ? मेरे हाथ ? मेरे पाँव ? मेरे ये..? मेने उन का हाथ पकड़ कर स्तन पर रख दिया. प्रदीप : कहूँ ? तेरे गाल. में : मुझे पप्पी दोगे ?प्रदीप : क्यूं नहीं ? उस ने मेरे गाल पैर किस की. मेने उस के गाल पैर की. उनके लिए ये खेल था. मैने जैसा मुँह से मुँह लगाया की उस ने झटके से छुड़ा लिया और बोला : छी छी, ऐसा गंदा क्यूं करती हो ? में : गंदा सही, तुम्हे मीठा नहीं लगता ? प्रदीप : फिर से करो तो. मैने फिर मुँह से मुँह लगा कर किस किया.प्रदीप : अच्छा लगता है करो ना ऐसी पप्पी. मैने किस करने दिया. मैने मुँह खोल कर उस के होठ चाटे तब फिर वो ही सिलसिला दोहराया. मेने पूछा : प्यारे, पप्पी करते करते तुम को ओर कुछ होता है ? प्रदीप शरमा कर कुछ बोला नहीं. मैने पूछा : नीचे पिसब की जगह में कुछ होता है ना ?

प्रदीप : तुम को कैसे मालूम ? में : मैं स्कूल में पढ़ी हूँ इस लिए कहो,, उधर गुदगुदी होती है ना ? प्रदीप : किसी से कहना मतमें : नहीं कहूँगी. में तुमारी पत्नी जो हूँ प्रदीप : मेरी नुन्नी में गुदगुदी होती है और कड़ी हो जाती है में : मैं देख सकती हूँ ? प्रदीप : नहीं. अच्छे घर की लड़कियाँ लड़ाकों की नुन्नी नहीं देखा करती.मैं : में तो स्कूल में ऐसा पढ़ी हूँ की पति पत्नी बीच कोई सीक्रेट नहीं है पत्नी पति की नुन्नी देख सकती है और उन से खेल भी सकती है पति भी अपनी पत्नी की वो वो… भोस देख डकाता है तुम ने मेरी देखनी है ? प्रदीप : पिताजी जानें गे तो बड़ी पिटाई होगी. में : श्ह्ह्हह.. कौन कहेगा उन से ? हमारी ये गुप्त बात रहेगी, कोई नहीं जान पाएगा. प्रदीप : हाँ, हाँ. कोई नहीं जान पाएगा. में : खोलो तो तुमारा पाजामा. पाजामा खोलने में मुझे मदद करनी पड़ी. निकर उतारी तब फ़ान फ़नाता हुआ उस का सात इंच का लंबा लंड निकल पड़ा. में ख़ुश हो गयी मैने मुट्ठी में पकड़ लिया और कहा : जानते हो ? ये तुमारी नुन्नी नहीं है ये तो लंड है प्रदीप : तू बहुत गंदा बोलती हो. मैने लंड पर मूट मारी और पूछा : कैसा लगता है ? लंड ने एक दो ठुमके लगाए. वो बोला : बहुत गुदगुदी होती है मैं : मेरी भोस देखनी नहीं है ?प्रदीप : हाँ, हाँ. मेरे वास्ते शरमा ने का ये वक़्त नहीं था.मैं पलंग पर चित लेट गयी घाघरी उठाई और पेंटी उतर दी. वो मेरी नंगी भोस देखता ही रह गया. बोला : में छू सकता हूँ ? मैं : क्यूं नहीं ? मेने जो तुमारा लंड पकड़ रक्खा हैडरते डरते उस ने भोस के बड़े होठ छुए. मेरे कहने पर चौड़े किए. भीतरी हिस्सा काम रस से गिला था. आश्चर्य से वो देखता ही रहा. मेऐन : देखा ? वो जो चूत है ना, वो इतनी गहरी होती है की सारा लंड अंदर समा जाय. प्रदीप : हो सकता है लेकिन चूत में लंड पेल ने की क्या ज़रूरत ? मैं : प्यारे, इसे ही चुदाई कहते हें. प्रदीप : ना, ना, तुम झूठ बोलती हो. मैं : में क्यूं झूठ बोलूं ? तुम तो मेरे प्यारे पति हो. मेने अभी अपनी भोस दिखाया की नहीं ?प्रदीप : में नहीं मानता. मैं : क्या नहीं मानते ? प्रदीप : वो जो तुम कहती हो ना की लंड चूत में डाला जाता है मुझे वो किताब याद आ गयी मैने कहा : ठहरो, में कुछ दिखाती हूँ किताब के पहले पन्ने पर रसिकलाल का नाम लिखा हुआ था. वो दिखा कर मेने कहा :ये किताब पिताजी की है पिक्चर देख वो हेरान रह गया. मेने कहा : देख लिया ना ? अब तसल्ली हुई की चुदाई में क्या होता है ? उन पैर कोई असर ना पड़ा. वो बोला : मुज़े पिसब लगी हैमें : जाइए पीसाब कर ने के बाद लंड पानी से धो लीजिए, वो पिसब कर आया. उस का लंड नर्म हो गया था.

मैने लाख सहलाया, फिर से हिला नहीं. मुँह में ले कर चुस ती, लेकिन प्रदीप ने ऐसा करने ना दिया. रात काफ़ी बीत चुकी थी. में एक्साइट हो गयी थी लेकिन प्रदीप अनारी था. लंड खड़ा होने पैर भी उस के दिमाग़ में चोद ने की इच्छा पेदा नहीं हुई थी. वो बोला : भाभी, मुज़े नींद आ रही है उस रात से वो मुझे भाभी कहने लगा. मैने उसे गोद में ले कर सुलाया तो तुरंत नींद में खो गया. मैने सोचा आगे आगे चुदाई के पाठ पढ़ा उंगी और एक दिन उस का लंड मेरी चूत में ले कर चुदवा उंगी ज़रूर. लेकिन मेरे नसीब में कुछ ओर लिखा था. उन के कुछ शरारती दोस्तों ने उन के दिल में ठसा दिया की चूत में दाँत होते हैं नूनी जो चूत में डाली तो चूत उसे काट लेगी, फिर वो पीसाब कहाँ से करेगा. मेने लाख समझाया लेकिन वो नहीं माना. मैने कहा की उंगलियाँ डाल कर देख लो की अंदर दाँत है या नहीं. वो भी नहीं किया उस ने. बीन चुदवाये में कम्वारी ही रहरसिकलाल की पहचान वाले और प्रदीप के कई मुँह-बोले दोस्तों में से कितने भी ऐसे थे जिस ने मुझ पर बुरी नज़र डाली. दूर के एक देवर ने खुला पूछ लिया : भाभी, प्रदीप चोद ना सके तो गभराना नहीं, मैं जो हूँ चाहे तब बुला लेना. उन सब को मैने कह दिया की प्रदीप मेरे पति हें और मुझे अच्छी तरह चोद ते हें. दिन भर मैं उन सब का हिम्मत से सामना करती थी, रात अनारी बालम से बीन चुदवाये फूट फूट कर रो लेती थी. रसिकलाल लेकिन हुशियार थे, उन को तसल्ली हो गयी थी की प्रदीप ने मुझे चोदा नहीं था. मुझे शक है की चुपके से वो हमारे बेडरूम में देखा करते थे.

जो कुछ भी हो, उन्हे पितामह बन ने की उतावल थी.एक दिन एकांत पा कर मुझ से पूछा : क्यूं बेटी ? सब ठीक है ना ? उन का इशारा चुदाई की ओर था जान कर मुझे शर्म आ गयी मेने सिर ज़ुक लिया, कुछ बोल ना सकी.. में रो पड़ी. मेरे कंधों पर हाथ रख कर वो बोले : मैं सब जनता हूँ तू अब भी कम्वारी हो. प्रदीप ने तुझे चोदा नहीं है सच है ना ? ससुरजी के मुँह से चोदा सुन कर मैं चोन्क़ गयी उन की बाहों से निकल गयी कुछ बोली नहीं. आँसू पॉच कर सिर हिला कर हा कही.वो फिर मेरे नज़दीक आए, मेरे कंधों पर अपनी बाह रख दी और बोले : बेटी, ये राज़ हम हमारे बीच रखेंगे की प्रदीप चोद ने के काबिल नहीं है लेकिन मुज़े पोता चाहिए इस का क्या ? मेरी इतनी बड़ी जायदाद, इतना बड़ा कारोबार सब सफ़ा हो जाएगा मेरे मार ने के बाद. वो तो वो लेकिन जब मैं इस दुनिया में ना रहूं तब तेरी और प्रदीप की देख भाल कौन करेगा जब तुम दोनो बुड्ढे हो जाओगे ? मुज़े लड़का चाहिए. है कोई इलाज तेरे पास ?मैं बोली : मैं क्या कर सकती हूँ पिताजी ? रसिकलाल : तुझे करना कहाँ है ? करवाना है सम्जी ? मैं : हाँ, लेकिन किस के पास जा उन ? आप की इच्छा है की मैं ओर कोई मर्द छी छी मुझ से ये नहीं हो सकेगा. रसिकलाल : मैं कहाँ कहता हूँ की तू ग़ैर मर्द से चुदवाओ. ससुरजी फिर चुदवाओ बोले, मुझे शरम आ गयी सच कहूँ तो मुझे बुरा नहीं लगा, थोड़ी सी गुदगुदी हो गयी और होटों पैर मुसकान आ गयी जो मैने मुँह पर हाथ रख कर छुपा दी.

मैने पूछा : आप की क्या राई है ?कुछ मिनीटों वो चुप रहे, सोच में पड़ गये बोले : कुछ ना कुछ रास्ता मिल जाएगा, मैं सोच लूंगा. मुझे तू वचन दे की तू पूरा सहकार देगी. देगी ना ? मैने वचन दे दिया. वो चले गयेउस दिन के बाद ससुरजी का वर्तन बदल गया. अब वो अच्छे कपड़े पहन ने लगे. रोज़ शेविंग कर के स्प्रे लगा ने लगे. बाल जो थोड़े से सफ़ेद हुए थे वो रंग लगवा कर काले बना दिएक बार उन्हों ने पानी का पियाला माँगा. मेने पियाला धर दिया तब लेते वक़्त उन्हों ने मेरी उंगलियाँ छू ली. दुसरी बार पियाला पकड़ ने से पहले मेरी कलाई पकड़ ली. बात बात में मुज़े बाहों में ले कर दबोछ लेने लगे. मुज़े ये सब मीठा लगता था. आख़िर वो एक हट्टे कट्टे मर्द थे, भले प्रदीप जैसे जवान ना थे लेकिन मर्द तो थे ही. सासूज़ी के देहांत का एक साल हो गया था. मेरे ख़याल से उस के बाद उन्हों ने कभी चुदाई नहीं की थी, किसी के साथ मेरे जैसी जवान लड़की घर में हो, एकांत मिलता हो तो उन का लंड खड़ा हो जाय इस में उन का क्या कसूर ?थोड़े दिन तक मेरी समझ में आया नहीं की मैं क्या करूँ. फिर सोचने लगी की क्यूं ना सहकार दूं ? ज़्यादा से ज़्यादा वो क्या करेंगे ? मुज़े चोदेन्गे ? हाय हाय सोचते ही मुझे गुदगुदी हो गयी ना ना, ऐसा नहीं करना चाहिए. क्यूं नहीं ? बच्चा पेदा होगा तो सब समस्याएँ हल हो जाएगी. किस को पता चलेगा की बच्चा किस का है ?

और सच कहूँ तो मुज भी चाहिए था कोई चोदने वाला. ऐर ग़ैर को ढूंढु इन से मेरे ससुरजी क्या कम थे ? मेने तय किया की मेरे कौमार्य की भेट में अपने ससुरजी को दूँगी और उन से चुदवा कर जब चूत खुल जाय तब प्रदीप का लंड लेने की सोचूँगी.उस दिन से ही मैने ससुरजी से इशारे भेजना शुरू कर दिया. मैने ब्रा पहन नी बंद कर दी. सलवार कमीज़ की जगह चोली घाघरी और ओढनी डालने लगी वो जब कलाई पकड़ लेते थे तब में शरमा कर मुस्कुराने लगी मेरा प्रतिभाव देख वो ख़ुश हुए. उन्हों ने छेड़ छाड़ बढ़ाई. एक दो बार मेरे गाल पर चिकोटी काट ली उन्हों ने. दुसरी बार मेरे कुले पर हाथ फिरा लिया. मैं अक्सर ओढनी का पल्लू गिरा कर चुचियाँ दिखाती तो कभी कभी घाघरी खिसका कर जांघें दिखाती रही.दिन ब दिन सेक्स का तनाव बढ़ता चला. एक समय ऐसा आया की उन की नज़र पड़ ते ही मैं शरमा जा ने लगी उन के छू ने से ही मेरी पीकी गीली होने लगी उन की मोज़ूड़ागी में नीपल्स कड़ी की कड़ी रहने लगी अब वो अपना धोती में छुपा टटार लंड मुझ से चुराते नहीं थे. मैं इंतेज़ार करती थी की कब वो मुझ पर टूट पड़ेंगे. आख़िर वो रात आ ही गयी प्रदीप सो गया था. ससुरजी रात के बारह बजे बाहर गाँव से लौटे. मेने खाना तैयार रक्खा था . वो स्नान करने गाये और मेने खाना परोसा.वो नहा कर बाथरूम से निकले तब मैने कहा : खाना तैयार है खा लीजिए. वो बोले : तूने ख़ाया ?

मैं : नही जी. आप के आने की राह देख रही थी. वो बोले : सूहास, ये खाना तो हम हररोज खाते हें. जिस की मुझे तीन साल से भूख है वो वो कब खिलाओगी ? मैं : मैं कैसे खिला उन ? कहाँ है वो खाना ? वो : तेरे पास हैमैं समझती थी की वो क्या कह रहे थे. मुझे शर्म आने लगी नज़र नीची कर के मैने पूछा :

मेरे पास ? मेरे पास तो कुछ नहीं है वो : है तेरे पास ही है दिखा उन तो खिलाओगी ? सिर हिला कर मैने हा कही. उधर मेरी पीकी गीली होने लगी मेरे दिल की धड़कन बढ़ गयीवो मेरे नज़दीक आए. मेरे हाथ अपने हाथों में लिए होठों से लगाए . बोले : तेरे पास ही है बता उन ? तेरी चीकनी गोरी गोरी जांघें बीच. में शरमा गयी उन से छूटने की कोशिश करने लगी लेकिन उन्हों ने मेरे हाथ छोड़े नहीं बल्कि उठा कर अपनी गार्दन में डाल दिए मेने सरक कर नज़दीक गयी मेरी कमर पर हाथ रख कर उन्हों ने मुज़े अपनी पास खींच लिया और बाहों में जकड़ लिया. मैने मेरा चहेरा उन के चौड़े सेने में छुपा दिया.

मेरे स्तन उन के पेट साथ डब गाये उन का टटार लंड मेरे पेट से दब गया. मेरे सारे बदन में झुरझूरी फैल गयीएक हाथ से मेरा चहेरा उठा कर उस ने मेरे मुँह पर अपना मुँह लगाया. पहले होठों से होठ छू ए, बाद में दबाए, आख़िर जीभ से मेरे होठ चाटे और अपने होठों बीच ले कर चुसे, मुझे कुछ कुछ होने लगा. ऐसी गरमी मेने कभी मेहसूस की नहीं थी. मेरे स्तन भारी हो गाये नीपल्स कड़ी हो गयी पीकी ने रस ज़राना शुरू कर दिया. मुज़ से खड़ा रहा गया नहीं.चुंबन का मेरा ये पहला अनुभव था, मुझे बहुत मीठा लगता था. उन्हों ने अपने बंद होठों से मेरे होठ रगडे. बाद में जीभ निकाल कर होठ पर फिराई.. फिराते फिराते उन्हों ने जीभ की नोक से मेरे होठों बीच की दरार टटोली. मेरे रोएँ खड़े हो गये अपने आप मेरा मुँह खाल गया और उन की जीभ मेरे मुँहमें पहुँच गयीउन की जीभ मेरे मुँह में चारों ओर घूम चुकी. जब उन्हों ने जीभ निकाल दी तब मैने मेरी जीभ से वैसा ही किया. मैने सुना था की ऐसे चुंबन को फ़्रेंच किस कहते हें.फ़्रेंच किस करते करते ही उन्हों ने मुझे अपनी बाहों में उठा लिया और बेडरूम में चल दिए पलंग पर चित लेटा दिया. ओढनी का पल्लू हटा कर उन्हों ने चोली में क़ैद मेरे छोटे स्तनों को थाम लिया. चोली पतले कपड़े की थी और मैने ब्रा पहनी नहीं थी इस लिए मेरी कड़ी नीपल्स उन की चीपटी में पकड़ा गयी इतने से उन को संतोष हुआ नहीं. फटा फट वो चोली के हूक खोलने लगे. मैं चुंबन करने में इतनी मशगूल थी की कब उन्हों ने चोली उतार फैंकी उस का मुझे पता ना चला. जब मेरी नीपल्स मसली गयी तब मेने जाना की मेरे स्तन नंगे थे और उन के पन्जे में क़ैद थे.स्तन सहलना कोई ससुरजी से सीखे. उंगलिओं की नोक से उन्हों ने स्तन की तलेटी छुना शुरू की और होले होले शिखर पर जहाँ नीपल है वहाँ तक पहुँचे. पाँचों उंगलिओं से कड़ी नीपल पकड़ ली और मसली. ऐसे पाँच सात बार किया हर स्तन के साथ. अब पन्जा फैला कर स्तन पर रख दिया और उंगलियाँ वाल कर सारा स्तन पन्जे में दबोच्च लिया. मेरे स्तन में दर्द होने लगा लेकिन मीठा लगता था.

अंत में उन्हों ने एक के बाद एक नीपल और एरिओला चीपटी में ली और खींची और मसली. इन दौरान किस तो चालू ही थी.अचानक किस छोड़ कर उन्हों ने अपने होठ नीपल से चिपका दिए उन के होठ लगते ही नीपल से करंट जो निकला वो क्लैटोरिस तक जा पहुँचा. वैसे ही मेरी नीपल्स सेंसीटीव थी, कभी कभी ब्रा का स्पर्श भी सहन नहीं कर पाती थी. उस रात पहली बार मेरी नीपल्स ने मर्द की उंगलियाँ और होठों का अनुभव किया. छोटे लड़के की नुन्नी की तरह एरिओला के साथ नीपल कड़ी हो गयी थी. एक एक करके उन्हों ने दोनो नीपल्स चुसी , दोनो स्तन सहलाए और मसल डाले.उन्हों मे मुज़े धकेल कर चित लेता दिया, वो आधे मेरे बदन पैर छा गाये मेरी जाँघ के साथ उन का कड़ा लंड दब गया था, अपनी कमर हिला कर वो लंड मेरी जाँघ से घिस रहे थे. उन के हाथ स्तन पर था और मुँह मेरे मुँह को चूम रहा था. ज़्यादा देर उन से बारदस्त ना हो सकी. वो बोले, बेटी, अब में देर करूँगा तो चोदे बिना ही झाड़ जा उंगा. तू तैयार हो ?मेरी हा या ना कुछ काम के नहीं थे. मुझे भी लंड तो लेना ही था. मेरी सारी भोस सूज गयी टी और काम रस से गीली गीली हो गयी थी. मेने ख़ुद पाँव लंबे किए और चौड़े कर दिए वो उपर चड़ गये धोती हटा कर लंड निकाला और भोस पर रग़ादा. मेरे नितंब हिलने लगे. वो बोले : सूहास बेटी, ज़रा स्थिर रह जा, ऐसे हिला करोगी तो में कैसे लंड डालुंगा ?

मैने मुश्किल से मेरे नितंब हिल ने से रोके. हाथ में लंड पकड़ कर उन्हों ने चूत में डालना शुरू किया लेकिन लंड का मत्था फिसल गया और चूत का मुँह पा ना सका, पाँच सात धक्के ऐसे बेकार गये मेने जांघें उपर उठाई फिर भी वो चूत ढूँढ ना सके. लंड अब ज़रा सा नर्म होने लगा उन की उतावाल बढ़ गयीउस वक़्त मुज़े याद आया की नितंब नीचे तकिया रखने से भोस का एंगल बदलता है और चूत उपर उठ आती है उन से पूछे बिना मैने छोटा सा तकिया मेरे नितंब नीचे राझह दिया. अब की बार जब धक्का लगाया तब लंड का मत्था चूत के मुँह में घुस गया.मेरी चूत ने संकोचन किया. संकोचन से जैसे लंड दबा वैसे वो पुककर उठे : ना, ना ऐसा मत कर ऊओहह्ह्ह,आआ मेरी परवाह किए बिना उन्हों ने ज़ोरों से धक्के मारे. मेरा योनी पटल टूटा, मुज़े जान लेवा दर्द हुआ और ख़ून निकाला और मैं रो पड़ी. उन सब से वो अनजान रहे क्यूं की उन को ओर्गेझम हो रहा था, वो अपने आप पर काबू नहीं रख सकेछूट का दर्द कम हॉवे इस से पहले लंड नर्म होने लगा. भोस और क्लैटोरिस में गुड़गूदी के अलावा मुझे कोई ख़ास मझा ना आया. नर्म लोडा चूत से निकाल कर वो उतरे, बाथरूम से टॉवेल ले आए और मेरी भोस साफ़ की. मेरे ख़ून से मिला हुआ उन का वीर्य चारों ओर गिरा था वो सब उन्हों ने प्यार से साफ़ किया. मुझे फिर आगोश में लिए वो लेट गये और बोले : बेटी, तेरा एहसान मैं कभी नहीं भूलूं गा.

लेकिन अभी हमें ज़्यादा काम करना बाक़ी है अब जो तेरी ज़िल्ली टूटी है तब फिर से चुदाई करने में बाधा नहीं आएगी. मैं : मैं प्रदीप से चुदवाने का प्रयास कर रही हूँ हो सके तो आप उस को इतना कहिय की चोदना गंदी बात नहीं है और चूत में दाँत नहीं होते.मेरी सुनकर वो हस पड़े. उन का हाथ मेरी क्लैटोरिस से खेल रहा था और मैने उन का लोडा पकड़ा था. उगालियों की करामात से वो मुझे ओर्गेझम की ओर ले चले. मेरे नितंब डोलने लगे और भोस से भर मार काम रस फिर से ज़र ने लगा. मैने उन की कलाई पकड़ ली लेकिन वो रुके नहीं. उन्हों ने एक उंगली चूत में डाली. चूत में फटाके होते थे वो उंगली से जान सके. मुझ से रहा नहीं जाता था. मेरे हाथ में पकड़ा हुआ उन का लोडा फिर तन गया था. मैने ही लंड खींच कर उन्हें मेरे बदन पर ले लिया. मैने लंड चूत पैर धर दिया तब वो बोले : बेटी, इतनी जलदी क्या है ? अभी तो तेरी चूत का घाव हरा है दर्द होगा लंड लेने से. मुझे उंगली से ही काम लेने दमैं लेकिन उन की सुन ने के मूड में नहीं थी. मुझे लंड चाहिए था, लंबा और कड़ा, उसी वक़्त, मेरी चूत में. वो मेरे बदन पर ओंधे पड़े थे, मेरे हाथ में उन का लंड था, मैं लंड चूत में डालने का प्रयास कर रही थी, वो रोक रहे थे. आख़िर मैने लंड मूल से पकड़ा और चूत के मुँह पर धरा. वो धक्का मारे या ना मारे मैने मेरे नितंब ऐसे उठाए की आधा लंड चूत में घुस गया. थोड़ा दर्द हुआ लेकिन लंबा चला नहीं. लंड घुस ते ही मैने योनी सिकूड कर उसे दबाता. लंड ने ठुमका लगाया, योनी ने फिर दबोचा, लंड फिर ठुमका. फिर क्या कहना था ? बाक़ी रहा आधा हिसा एक ही झटके से चूत में उतार कर वो रुके. मेरे मुँह पर चुंबन कर के पूछ ने लगे : दर्द तो नहीं होता ना ?मैने मेरे पाँव उन की कमर से लिपटाये और कहा : आप फिकर मत कीजिए. जो करना है वो कीजिए, मुझ से रहा नहीं जाता. आधा लंड निकाल कर छिछरे धक्के से वो मुझे चोद ने लगे.

हर धक्के से योनी में से एलेक्ट्रिक करंट निकलता था और सारे बदन में फैल जाता था.मेरे नितंब ज़ोर ज़ोर से हिल ने लगे थे. आठ दस धक्के बाद उन्हों ने फिर एक बार पूरा लंड योनी की गहराई में ज़ोर से घुसेड दिया. मूल तक लंड चूत में उतर गया. लंड का मूल से मेरी क्लैटोरिस दब गयी बस इतना काफ़ी था. मैं पूरी गरम हो चुकी थी. क्लैटोरिस के दब जाने के साथ ही मुझे जोरो का ओर्गेझम हो गया. मेरी चूत ने लंड नीचोड़ डाला. उस ने भी वीर्य छोड़ दिया. मेरा ओर्गेझम शांत होने तक वो रुके, बाद में उतरे. मैं थक गयी थी. करवट बदल कर सो गयदूसरे दिन से रसिकलाल का व्यवहार ऐसा रहा मानो की कुछ हुआ ही नहीं था. ये अच्छा था क्यूं की अडोस पड़ोस वाली चाचियाँ भाभियाँ और फुफ़्फ़ीयान सब मुझ पार कड़ी निगाहें डाल बैठी थी. मैने भी ऐसा वर्ताव रक्खा की जैसे प्रदीप मुझे रोज़ चोदता हो. उस दिन के बाद सावधानी से ससुरजी मुझे चोदते रहे. उन का बच्चा लग जाय इस से पहले मैं प्रदीप से छुड़वाना चाहती थी. एक मैने उस दिन प्रदीप की पसंदगी का खाना बनाया. रात जब सोए तब मैने पूछा : कैसा लगा आज का खाना ?
प्रदीप : बहुत बढ़िया. रोज़ ऐसा क्यूं नहीं बनाती ?
मैं : क्यूं की मैं आप से रुठ गयी हूँ
प्रदीप : क्यूं ?
मैं : इस लिए की आप मुझ से खेलते नहीं हें.
प्रदीप : खेलूँगा. कौन सा खेल खेलना है ?
मैं : राज कुमार और वन कन्या का.
ख़ुश हो कर वो तालियाँ बजाने लगा और बोला :मैं राज कुमार बनूंगा.
मैं : हाँ, हाँ, तुम ही हो राज कुमार.
प्रदीप: आगे क्या होता है ?
मैं : सुनो, पहले मैं आप को कहानी सुना उंगी. जैसे जैसे कहानी चले वैसे वैसे आप को राज कुमार का रोल अदा करना होगा. तैयार ?
प्रदीप ; हाँ, तू क्या करेगी ?
मैं : कहानी चलते ही आप समझ जाएँगे हुशियर हें ना आप ? मैने कहानी शुरू की …… एक था राजा का बेटा, बिल्कुल आप जैसा. जवान भी था आप जैसा. पता है कैसे मालूम हुआ की वो जवान हो गया था ?
प्रदीप : ना, कैसे मालूम हुआ ?
मैं : उस का बदन भर गया. सीना चौड़ा हो गया. चहेरे पैर दाढ़ी मुछ निकल आए सब तुमारी तरह, हे ना ?
प्रदीप : और क्या ?
मैने शरमा के निगाहें झुका दी और बोली : और उस का वो …. वो जो है ना दो पाँव बीच, लंबा सा, क्या बोलते हें उसे ?

प्रदीप : मूत की जगह ?
मैं : हाँ, हाँ, वो ही. लेकिन उस का दूसरा नाम भी है
प्रदीप : है लेकिन गंदा नाम है मैं : ऐसा ? सुनाओ तो मुझे. मुज़े सुनना है प्रदीप : ना, तू औरत है ऐसे लफ्ज़ नहीं सुनती और बोलती.
मैं : तो कहानी ख़तम. मैं फिर आप से रुठ जा उंगी. मैने रुठ ने का और रोने का खेल खेला.
वो पिघल गया और बोला : रो मत. किसी को कहना मत. उस को लोडा कहते हें. मैं : हाय हाय, तो वो लॅन ……लॅन …. लंड किसे कहते हें ?
प्रदीप : मालूम नहीं. छोड़ो ना ये बेकार बातें. कहानी सुनाओ ना.
मैं : हाँ , तो वो राज कुमार का लोडा लंबा और मोटा हो गया था जिस से पता चला की वो जवान हो गया था. तुमारा ……. लो …लो…..लोडा भी मोटा हो गया है ना ?
प्रदीप : हाँ , कभी कभी कड़ा भी हो जाता है .
मैं : अरे वाह, राज कुमार को भी ऐसा ही होता था. उस का वो भी कड़ा हो जाता था.
प्रदीप : फिर क्या हुआ ?
मैं : एक दिन राज कुमार शिकार खेलने जंगल में गया. अपने रसाले से छूट कर वो बहुत दूर चला गया और रास्ता भूल गया. घूमते घूमते वो थक गया और उसे भूख भी लगी प्रदीप : फिर ?
मैं : इतने में उस ने एक सरोवर देखा. वहाँ जा कर उस ने देखा की एक लड़की पानी में नहा रही थी. लड़की ने राज कुमार को देखा नहीं था. राज कुमार एक पेड़ के पीछे छुप कर लड़की को देखने लगा. लड़की नंगी नहाती थी. जब वो खड़ी हुई तब राज कुमार उस के नंगे बदन को देख कर उत्तेजित हो गया. जानते हो क्यूं ?
प्रदीप : क्यूं ?
मैं : क्यूं की उस लड़की के सीने पर बड़े बड़े गोल गोल कठोर स्तन थे, बिल्कुल मेरे हें वैसे. और भारी चिक्नी जांघें बीच काले झांट से ढकी छोटी सी भोस थी.
प्रदीप : तू तो गंदा बोलती हो. तेरी भ … भ .. .भोस भी ऐसी है ?
मैं : मुझे क्या पता ? तुम ही देख कर तय कर लो ना.
प्रदीप : तुझे बुरा नहीं लगेगा ?
मैं : बिल्कुल नहीं, तुम जो मेरे पति हो. लेकिन ज़रा ठहर जाई ये. कहानी पूरी होने पर देख लेना .
प्रदीप : हाँ, ऐसा ही करेंगे.
मैं : वो लड़की को देख कर राज कुमार का लो … लोडा तन गया, वो अपना थाक और भूख भूल गया. लड़की अपने कपड़े पहन ले उस से पहले राज कुमार बाहर निकल आया. उसे देख कर लड़की गभरा गयी अपने हाथों से स्तन और भोस ढकने लगी राज कुमार ने अपनी पहचान दी और कहा की वो रास्ता भूल गया था इसी लिए वहाँ आ पहुँचा था.लड़की ने बताया की वो नज़दीक वाले आश्रम की कन्या थी और नहाने आई थी. उस ने कहा की वो राज कुमार को आश्रम में ले जाएगी और खाना खिलाएगी. उस वक़्त राज कुमार का लंड खड़ा था और ठुमके लगा रहा था. उस ने धोती का तंबू बना रक्खा था. लड़की ने पूछा : ये क्या है ? राज कुमार : ये मेरा सेवक है कन्या : वो ऐसे क्यूं हिल रहा है ? धोती से निकल कर दिखाओ ज़रा. राज कुमार ने धोती हटा कर लंड बाहर निकाला और कहा : पता नहीं. अक्सर ऐसा करता है लड़की हुशियर थी वो सब जानती थी. उस ने काई प्राणीओ को चोदते देखा था.उस की सहेलियों ने उसे सिखाया था की चुदाई कैसे और क्यूं की जाती है उस ने कहा : राज कुमार, में जानती हूँ की आप का सेवक क्यूं ऐसा हिल रहा है वो गरम हो गया है और ठंडी जगह में जाना चाहता है राज कुमार भी चुदाई के बारे में कुछ जानता था, जैसे तुम जानते हो. जानते हो ना ? प्रदीप : जानता हूँ आगे बोलो. फिर क्या हुआ ? मैं : फिर वो कन्या ने राज कुमार के पास आ कर गले में बाहें डाल दी. ऐसे ….. मैने मेरी बाहें प्रदीप के गले में डाल दी. में : कन्या के हाथ उपर उठे तब उस के स्तन खुले हो गये और राज कुनार के सीने से दब गये ऐसे …… राज कुमार ने मुँह से मुँह लगा कर चुंबन किया …..ऐसे …… और एक हाथ से स्तन थाम लिया. कन्या ने राज कुमार का लंड पकड़ लिया.इस वक़्त मैने प्रदीप का लंड पकड़ा नहीं. मेरा स्तन उस की हथेली में था. वो बोला : कैसे पकड़ लिया लंड ? ऐसे ….. कह कर मैने लंड पकड़ा. मैने कहा : कन्या तो नंगी थी, मैने तो कपड़े पहने हें. मेरे राज कुमार, तुम कहो तो मैं भी कपड़े निकाल दूं ? प्रदीप : हाँ,, हाँ, निकाल दो. मैने फटा फट कपड़े उतार दिए मेरे स्तन देख कर वो बोला : इतने बड़े ? मैं : हाँ, तुमारे लिए ही है प्रदीप : में चुस सकता हूँ ? में : क्यूं नहीं ? प्रदीप ने मेरी नीपल मुँह मे ली और चूसने लगा. मैने उस के हाथ मेरी कमर पर लिपटाये. एक हाथ में लंड पकड़ कर मैं मूठ मार ने लगी प्रदीप रितारडेड हो या ना हो, उस का लंड रितारडेड नहीं था. सात इंच लंबा और ढाई इंच मोटा था. लोहे जैसी कठोर दांडी पर मख़मल जैसी कोमल चमड़ी थी जो आसानी से उपर नीचे खिसकाई जा सकती थी. लंड का मत्था भारी और चिकना था. उस वक़्त उत्तेजना से मत्था जाँवली कलर का हो गया था और भर मार काम रस बहा रहा था.प्रदीप के होठ मेरी नीपल पर लगते ही मेरी एक्सात्मेंट बढ़ गयी मेरी भोस भारी हो गयी और पानी बहाने लगी क्लैटोरिस कड़ी हो कर ठुमके लगाने लगी योनी में लाप्प लाप्प होने लगा. मैं होले से से पलंग पर लेट गयी और प्रदीप को मेरे उपर ले लिया. मैं : प्यारे, एक बात कहूँ ? राज कुमार ने कन्या के साथ ऐसा ही किया था जो अभी तुम मेरे साथ कर रहे हो. मज़ा आता है ना
नीपल छोड़े बिना उन ….उन कर के उस ने हा कही.

कहानी कहानी के ठिकाने पर रह गयी मैने मेरी जाँघें चौड़ी कर दी. वो बीच में आ गया. तना हुआ लंड मेरे हाथ में ही था. मैने लंड का मत्था चूत के मुँह पर टीका दिया. प्रदीप ने दो पाँच धक्के लगाए लेकिन लंड फिसल गया, चूत में घुस पाया नहीं. प्रदीप अपना विचार बदल दे इस से पहले मैने कहा : राज कुमार का लंड कन्या की चूत में जा ना सका क्यूं की लंड मोटा था और चूत सीकुडी थी. कन्या ने राज कुमार को बाहों में भर लिया …..ऐसे …..और पलट गयी अब राज कुमार नीचे और कन्या उपर हो गये ….ऐसे. प्रदीप मेरा एक स्तन पकड़े हुए नीपल चुसे जा रहा था इस लिए मैं बैठ ना सकी. दो बदन बीच हाथ डाल कर मैने लंड पकड़ा और उस पर चूत टिकाई. मैने कमर का हलका धक्का मारा तो लंड चूत में घुस गया. मैने अपने नितंब हिला कर प्रदीप को चोदना शुरू कर दिया.मैने कहानी आगे चलाई : कन्या अपने कुले हिला कर राज कुमार का लंड चूत मे अंदर बाहर करने लगी लंड की टोपी खिसक गयी और नंगा मत्था चूत से घिस ने लगा. दोनो को बहुत मझा आने लगा. तुम्हे भी मझा आ रहा है ना ? इस वक़्त प्रदीप ने जो किया उस से मैं दंग रह गयी उस ने स्तन छोड़ दिया, मुझे बाहों में भर ली और पलट कर उपर आ गया, चूत से लंड निकाले बिना. नीचे आते ही मैने जांघें चौड़ी कर दी और पाँव इतने उठाए की मेरे घुटने मेरे कानों से लग गये नितंब का एंगल बदलने से अब पूरा लंड चूत में उतर गया. मेने कहा : वाह मेरे राज कुमार, वो राज कुमार ने भी ऐसा ही किया था. प्रदीप लेकिन कुछ सुन ने के होश में नहीं था. घचा घच्छ, घचा घच्छ धक्के से वो चोदने लगा और दो तीन मिनिट की चुदाई में झड़ गया. मुज़े ओर्गेझम हुआ नहीं लकिन इस की मुज़े परवाह नहीं थी. जब वो होश में आया तब बोला : ये क्या हुआ था ? मैं : पहले ये बताओ की तुम्हें मझा आया की नहीं. प्रदीप : आया, ख़ूब मझा आया. मैं : मझा आया तो किसी से बोल ना नहीं. जो तुमने अभी किया वो हैर पति अपनी पत्नी के साथ करता है उसे चुदाई कहते हेंप्रदीप : मैने तुम को चोदा ? मैं : हाँ, मेरे प्यारे, तुम ने मुझे अपने लंबे लंड से चोदा जैसे राज कुमार ने वन कन्या को चोदा था. प्रदीप : तेरी चूत में दाँत तो नैन है मैं : किसी की चूत में दाँत नहीं होते. किसी ने तुम्हे ग़लत ठसा दिया था. प्रदीप : मैं तुझे रोज़ चोद सकूंगा ? मैं : ज़रूर, जब चाहे तब चोद सकते हो.

प्रदीप : अभी भी ? मैं : क्यूं नहीं ? पता है ? उस राज कुमार का लंड कन्या ने पकड़ रक्खा था. देखते देखते में लंड फिर से टन गया. राज कुमार ने कन्या को आधी बिता दी जिस से वो अपनी चूत में आता जाता लंड देख सके. छूट और लंड गिले ही थे. स र र र र करता लंड फिर से चूत की गहराई नापने अंदर उतर गया. दोनो ने लंड की कारवाई देखी और बीस मिनिट तक घमासान चुदाई की. प्रदीप ने भी मुज़े दुसरी बार चोदा. इस वक़्त मुझे छोटा सा ओर्गेझम हुआ. चूत से लंड निकले इस से पहले प्रदीप नींद में खो गया. उस को उतार कर बिस्तर पर सुला दिया और मैं सफ़ाई के लिए बाथरूम में चली गयीजब मैं निकली तब मेरी उत्तेजना बनी रही थी. औरत को कैसे संतुष्ट करना वो प्रदीप कैसे जाने ? मेरी भोस गीली थी और क्लैटोरिस टटार थी. मैं हस्त मैथुन सोच रही थी की रसोईघर से आवाज़ आई. मैं रसोईघर में गयी देखा तो ससुरजी पानी पी रहे थे. पास जा कर मैने कहा : पान क्यूं पी रहें हें आप ? दूध पी लीजिए ना. मेरी आँखों की शरारत वो समझ गये मुज़े बाहों में भर लिया और किस करने लगे. बोले : मैने तुमारी चुदाई पूरी देख ली है तू बड़ी हुशियार हो. कहानी के बहाने तू ने प्रदीप का लंड ले ही लिया. बातें करने के मूड में मैं नहीं थी, मुझे तगड़ा लंड चाहिए था. उन का लंड हाज़िर ही था, मैने झट से पकड़ लिया और कहा : हमारी चुदाई देख आप को कुछ नहीं हुआ ? वो बोले : क्यूं ना हो ? अब तक मेरा लंड खड़ा था, बड़ी मुश्किल से ठंडा पानी डाल कर मैने उसे शांत किया था. अब तू आ गयी अब वो मेरा कहा नहीं मानेगामैं : ना माने तो क्या बुरा है ? मेरी चूत भी अभी संतुष्ट नहीं हुई है चलिए ना. ससुरजी मुझे अपनी बेडरूम में ले गये मैं पलंग पर लेट गयी उन्हों ने मुझे चार पाँव किया और बोले : आज पीछे से करेंगे. मैने सोचा की वो गांड मारना चाहते थे.

मैने कभी गांड मरवाई नहीं थी. इस लिए डर से मैं बोली : मुझे गांड नहीं मरवानी. मेरी चूत में आग लगी है उसे अपने पानी से शांत कीजिए. वो हस पड़े. बोले : अरी पगली, तूने वो किताब नहीं देखी जो मैने तुझे दी थी ? मैं गांड मारने नहीं जा रहा हूँ पीछे से लंड डाल कर चोदुन्गा. तेरी सासूज़ी के साथ मैने किताब वाले सब आसनों ट्राय कर लिए हें. वो भी क्या दिन थे ? चुदाई ही चुदाई, रात दिन जब देखो तब लंड चूत में घुसा ही देखो. वो मेरे नितंब सहला रहे थे और चौड़े कर रहे थे. उन की उंगलियाँ चूत का मुँह तक पहॉंच गयी थी. मैने कहा: किताब तो मैने ठीक से देखी है इन में से आप को कौन सा आसान ज़्यादा पसंद आया है ? वो : वही जिस में घोड़े घोड़ी की तरह चोदा जाता है दो उंगलियाँ छूट में दल कर अंदर बाहर कर रहे थे वो. मैं : क्यूंवो : इस में लंड मूल तक चूत में घुस पाता है थोड़ा भी बाहर रहता नहीं है दूसरे, हर धक्के के साथ क्लैटोरिस लंड से घिसी जाती है दोनो हाथों से स्तन पकड़े जाते हें.. भोस और क्लैटोरिस को सहालाना आसान होता है अभी मैं तुम्हे दिखा उंगा. उन्हों ने पीछे से लंड चूत में डाला. स र र र र र करता पूरा लंड मूल तक अंदर उतर गया. जब ंन्हों ने थोड़ा निकाला और डाला तब पता चला की लंड कैसे क्लैटोरिस से घिस पाता था. फिर से लंड चूत की गहराई में दबाए रख कर वो रुके. मैं कब की उत्तेजित हुई थी. मेरी योनी में फटाके होने लगे. जैसे उन की उंगलियों ने क्लैटोरिस छुआ, मुझे ज़ोर से ओर्गेझम हो गया. ओर्गेझम की लहरें शांत हुई तब वो मुझे चोद ने लगे. मैने सोचा था की वो दो पाँच मिनिट में झड़ जाएँगे लेकिन ऐसा हुआ नहीं. लंबे, गहरे और धीरे धक्के से उन्हों ने मुझे दस मिनिट तक चोदा. आख़िर मुझे पलंग पर सपाट लेटा कर तेज़ रफ़्तार से चोद ने लगे और झडे. इन दौरान मैं तीन बार झड़ी.थोड़ी देर हम पड़े रहे. उन्हों ने लाख किस कर दी. नर्म लोडा निकाल कर वो बाथरूम में चले गये जब वो निकले तब में सो गयी थी. उस रात के बाद प्रदीप अक्सर मुझे चोदता रहा. ओर्गेझम के लिए लेकिन मुझे ससुर जी का सहारा लेना पड़ा. मुझे ये मंज़ूर था क्यूं की इस से हम तीनो राज़ी थे. ससुर जी ने मुझे कई पाठ पढ़ाए. किताब वाले सब आसनों कर दिखाए. दर्द बिना कैसे लंड गांड में लिया जाता है वो दिखाया.

लंड चूसने की तकनीक सिखाई. मुठ मार कर झडे बिना कैसे लंड को ओर्गेझम तक लिए जा सकता है वो सिखाया. वक़्त के साथ प्रदीप की दिल चश्पी भी बढ़ती चली चुदाई में. पाँच महीनो बाद मैने गर्भ रख लिया और पूरे महीनों बाद अल मस्त लड़के को जन्म दिया. मुझे पता नहीं है की उस का बाप कौन है प्रदीप या ससुरजी. डिलिवरी के बाद थोड़े दिवासों तक मैं ये सोचती रही. बाद में बच्चे की देख भाल में ऐसी लग गयी की दुसरी बातें सोच ही ना सकी.अलबत, बाप और बेटे दोनो से मेरी चुदाई चालू रही है जब मेरा बेटा चौदह साल का होगा तब मैं छत्तीस साल की हूँगी. हो सकता है उस की पहली चुदाई मुझ से हो. अभी तो मैं उस की नुन्नी से खेलती हूँ कभी कभी मुँह में लिए चुस भी लेती हूँ आप राय दीजिए, क्या करना चाहिए नुज़े ? चुदाई चालू रक्खूं या ससुरजी से ना बोल दूं ? ना बोलूं तो कैसे बोलूं ? पिछली उमर में उन के लिए आनंद का एक मात्र साधन है मेरी चुत. और मुज़े भी ओर्गेझम चाहिए जो प्रदीप मुझे नहीं दे सकता है क्या करूँ ?

The post आखिर ससुरजी घुस ही गए मेरी चुत में :- सूहास .. मेरी चूत में आग लगी है उसे अपने पानी से शांत कीजिए.. appeared first on Sex Kahani & Antarvasna Story.