मेरे जेठ ने मेरी मज़बूरी का फ़ायदा mere jeth ne meri majburi ka fayada
नमस्ते दोस्तों, मेरा नाम साक्षी सिंह है, मै अमृतसर की रहने वाली हूँ। मेरी कहानी बहुत दर्द भरी और मज़ेदार है। मै आज अपनी कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर आप के सामने प्रस्तुत करती हूँ। मेरी कहानी जानने से पहले मै थोडा अपने बारे में बता दूँ। मै अभी 26 साल की हूँ। 5 साल पहले मेरी शादी जालंधर में हो गई। मेरे पति का नाम अभिषेक है। वो अभी 25 साल के होंगे। उनके घर में मेरी सास, ससुर, एक ननद और मेरी जेठानी और उनके पति रहते थे।
शादी के पहले मै बहुत हॉट और सेक्सी थी। मेरे बड़े बड़े और काले काले बाल, गोरे गोरे और लाल गाल, बड़ी बड़ी आंखे और मेरे सुडोल और सख्त जिस्म तो बहुत हो मस्त थी। चुचियाँ तो कमाल के थे ऐसा लगता था देखने पर की जैसे कोई मैदे के आटे को सान कर उसपे काले और हलके भूरे रंग की जामुन रख दिया हो। मेरी चूची बहुत ही गोरी और रुई की तरह मुलायम और साथ साथ सख्त और टाइट भी थी। मेरी चूत तो किसी जलते हुए कोयले से काम नही थी, मेरी कमसिन चूत बहुत रसीली बिल्कुल रसीले आम की तरह और बिल्कुल चिपकी हुई ऐसे लग रहा था की अभी इसका सील भी नही टूटा होगा, लेकिन मैंने बहुत बार अपनी चूत को अपने चाचा के लडको से मरवा चुकी थी।
मेरी शादी के बाद मेरे पति ने लगातार मेरी चुदाई करके मेरी चूत को फैला दिया और एक ही साल बाद मेरे एक लड़का भी हो गया। लड़का होने के बाद हमारा खर्चा बढनें लगा और मेरे पति कुछ काम नही करते थे, वो दिन भर घर पर रहते और जब भी मन करता मेरी चूत को बजाते।
मैंने एक दिन अपने पति से कहा – ”जानू तुम कुछ काम करो अब हमे पैसे की जरूरत है और कब तक हम किसी के सामने अपना हाथ फैलाएगें’’।
मेरे पति ने मुझसे कहा – ‘’हाँ मै जल्दी ही कुछ काम ढूंड लूँगा’’। थोडा दिन बीता अभिषेक ने एक काम करना शुरू किया लेकिन पैसे बहुत कम मिलता था। कुछ दिन उन्होंने वहां वो काम किया।
धीरे धीरे मेरे बेटा भी बड़ा हो रहा था, उसके पढ़ी का भी खर्चा बढ़ने वाला था। अभी तक तो मेरे ससुर जी हमारा खर्चा देते है लेकिन कब तक वो हमारा खर्चा उठाएंगे।
मेरे जेठ जी की नजर बहुत बुरी थी, वो औरतो को केवल चुदाई का सामान समझते थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में इतनी औरतो को चोदा था की क्या बताऊँ। मेरे जेठ की नजर मेरे ऊपर भी थी लेकिन अभिषेक हमेसा घर पर ही रहता था इसलिए उनको मौका नही मिल पता था मुझ पे डोरे डालने को। अगर बात करे जेठ जी की तो दिखने में स्मार्ट और साथ ही साथ उनके पास पैसे की भी कमी नही थी। उनका काम बहुत तेजी से चल रहा था और खूब पैसे भी आ रहें थे।
कुछ दिन बाद मेरे ससुर की मौत हो गई, ससुर के मौत के बाद हमारा खर्चा किसी तरह से पूरा होता था। अभिषेक बहुत मेहनत भी करता तब भी हमारा खर्चा किसी तरह से चलता। कुछ दिन बाद बाद मेरे जेठ ने बटवारा कर दिया।
अब तो हमारा और भी बुरा हाल हो गया। अभिषेक और ज्यादा पैसे कमाने ले लिये अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली चले आये। अब मै और मेरा बेटा हम दोनों ही घर रहते थे, मेरे पति दिल्ली से पैसे भेजते थे, और खुद भी कभी चले आते थे। जब वो आते थे तो हम दोनों मिलके खूब चुदाई करते जितने दिन रहते, हम एक एक दिन पांच छः बार काम कर लेते थे। लेकिन उनके जाने के बाद मेरी चूत में सुखा पड़ जाता था। कोई मुझे चोदने वाला नही रहता था।
मेरे पति के परदेस जाने के बाद मेरे जेठ जी ने मुझ पर चांस मारना शुरू कर दिया था। लेकिन मुझे उन्हें देख कर नफरत होती थी क्योकि उन्होंने मेरे पति को नौकरी नही दी थी।
मै एक दिन अपने घर के सामने बैठी थी, मेरे जेठ जी आए और उन्होंने मुझसे कहा – ‘’मै तुम्हारे पति को अपने काम में नौकरी दे सकता हूँ लेकिन पहले तुम मेरे लिये कुछ करो फिर मै भी तुम्हारे लिये कुछ कर सकता हूँ’’। मै समझ गई की ये मुझे चोदने के बारे में बात कर रहे है। मैंने उनसे कहा -‘’आप जो चाहते है वो कभी नही हो सकता है चाहे दुनिया इधर से उधर क्यों ना हो जाए’’।
मेरे जेठ ने कहा – मै तो तुम्हारा अकेलापन दुर करना चाहता हूँ, तुम्हारे पति को तुम्हारे पास बुला के और तुम कहा रही हो जो मै चाहता हूँ वो कभी नही हो सकता???
कुछ देर बाद मेरे जेठ वहां से चले गाये। मैंने उनके बातों के बारे में बहुत सोचा पर मै लेकिन मेरे मन उनसे चुदवाने को नही कर रहा था। धीरे धीरे कुछ दिन और बीता, अभिषेक घर आ गया। घर आते ही उसने मुझे गोदी में उठा लिया और बिस्तर में ले गया। उसने बहुत दिन बाद मेरी चूत को मज़े से चोदा और खूब पिया भी। चुदाई के बाद मैंने उससे कहा ¬– तुम यहीं कोई अच्छा काम क्यों नही कर लेते?? तो उसने कहा यहाँ पैसे अच्छे नही मिलते है। तुम्हारे बिना मै बहुत अकेली रही हूँ। तो उसने कहा – भैया मुझे काम पर रखेगे नही क्योकि उन्होंने मुझे एक बार पैसे चुराते हुए पकड़ लिया था। मुझे उस काम में अच्छे पैसे मिल जाते थे। मैंने सोचा अगर मै अपने जेठ से चुदवा लू तो अभिषेक को यहाँ काम के साथ साथ अच्छे पैसे भी मिल सकता है। लेकिन मैंने सोचा अभी नही वरना हो सकता है की अभिषेक को सक हो सकता है। थोड़े ही दिन बाद अभिषेक फिर से बाहर चला गया। मैंने पहले तो सोचा की अपने जेठ से चुदवा लूँ लेकिन फिर मेरे मन बदल गया।
मैंने अपने मन से जेठ जी से चुदने की बात को निकाल दिया। लेकिन मेरी और मेरे जेठ की चुदाई की कहानी तो भगवान खुद अपने हाथो से लिख रहा था।
दोस्तों, कुछ दिन पहले की बात है मेरी जेठानी अपने मइके गयी हुई थी और मेरे पति भी घर नही थे। रात का समय था , मै लेटी हुई थी दोपहर से ही मेरे बेटे की तबीअत कुछ ठीक नही थी, लेकिन जब रात हुई तो उसकी तबीअत खराब होती गई। मैंने सोचा अब इतनी रात को किसको बुलाऊ?? फिर मैंने अपने जेठ जी कमरे के बाहर गई और उनको आवाज़ देने लगी। कुछ देर बाद वो बाहर आये। उन्होंने मुझसे कहा – ‘’इतनी रात को आई हो क्या बात है, कहीं तुम अपना अकेलापन तो दुर करने नही आई हो’’। मैंने कहा नही वो मेरे बेटे की तबीअत खराब है आप साथ चल कर डॉक्टर को दिखवा देते तो ठीक रहता रात भी हो चुकी है। मेरे जेठ ने कहा – तुमने तो मेरी बात नही मानी थी तो मै क्यों तुम्हारी बात मानू?? मैंने उनसे कहा – भगवान के लिये पहले आप मेरे बेटे को डॉक्टर को दिखा दीजिए फिर आप को जो करना है कर लेना लेकिन पहले मेरे बेटे की दवाई करवा दो।
जेठ जी ने मेरे बेटे को डॉक्टर को दिखाया और दिखाने के बाद घर ले आये। उसके ठीक होने तक वो मेरे कमरे में ही बैठे थे। जब मेरा बेटा ठीक हो गया तो मैंने जेठ जी कहा –‘’ पहले आप मुझसे वादा कीजिये की ये बात किसी से कहेगे नही और मेरे पति को काम भी देंगे’’।
मेरे जेठ जी मुझसे कहा ठीक है। लेकिन आज तो तुम्हारी चूदाई तो करूँगा ही और जब मेरा मन फिर किसी को चोदने को कहे तो तुम चुपके से आ जाना। मैंने उनकी शर्तो को मन लिया। मैंने अपने बेटे को एक कमरे में लेटा के मै और जेठ जी दोनों दूसरे कमरे में चुदाई करने के लिये चले गाये। आप ये कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है
मैंने उस कमरे के दरवाजे को बाद कर लिया। और पड़े हुए बिस्तर पर बैठ गई। जेठ जी ने जल्दी से अपने कपडे को उतार दिय और केवल बड़े और ढीले वाले नेकर में मेरे सामने खड़े हो गाये। मैंने उस दिन काली रंग की साडी पहनी थी, जेठ जी ने कहा – ‘’मेरी जान आज तुम बहुत कमाल की लग रही हो’’। उन्होंने मेरे हाथो को पकड़ा और मुझे अपनी खीच लिया। मेरे मम्मे उनके सीने में जाके टकरा गाये और मुझको उन्होंने अपने बाहों में भर लिया। बाहों में भरते ही जेठ जी मेरे रसीले होठो को अपने मुह में भर कर चूसने लगे। वो लगातार मेरे होठो को काट काट कर मुझे कामोत्तेजित कर रहें थे। थोड़ी ही देर में मै कामोत्तेजना से पागल होके अपने जेठ जी को कस कर अपने बाहों में भर लिया और उनके होठो को अपने मुह में भर कर चूसने लगी। मेरा जीभ उनके मुह में और उनकी जीभ मेरे मुह में यही काम बहुत देर तक चलता रहा। बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे के चुम्बन में खोये रहें।
कुछ देर बाद जेठ जी का हाथ मेरी ब्लाउस पर आ कर रुक गया, उन्होंने मेरी साडी को निकाल दिया और मेरे मम्मो को आजाद करने के लिये मेरे ब्लाउस की एक एक बटन को खोल दिया और मेरे बड़े बड़े मम्मो को काले ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे। फिर जेठ जी ने मेरे ब्रा में फसे हुए चुचियों को मेरे ब्रा को निकाल कर उसे आज़ाद कर दिया और मेरी 36 चुचचे को बड़े मस्ती से दबाना शुरू किया। वो मेरे मम्मो को दबा दबा के बहुत अधिक चुदासा हो गया थे और मेरे खूबसूरत सफ़ेद चिकने मम्मो को वो अपने हाथ में लेकर किसी आटे की तरह वो जोर जोर से मसले जा रहा था। मै भी चुदासी होकर अपने मम्मो को बड़े मस्ती से लगातार मसल रही थी। मेरा बेटा रोज मेरी दूध पीता था इसलिए मेरे चुचियों से अभी भी दूध निकालता है। मेरे जेठ जी अपने हाथो से मेरे चूची को जोर से दबाते और उसमे से जब दूध निकलता तो उसको पीकर मज़े ले रहें थे। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
बहुत देर तक मेरे दूध को पीने के बाद जेठ जी ने मेरे बूब्स को मसलते हुए और मेरे पेट को पीते हुए मेरी नाभि से होते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगे।उन्होंने मेरे काले पेटीकोट के नारे को खोला और पेटीकोट को निकाल दिया। फिर उसने मेरी पैंटी भी निकाल दिया। अब मैं अपने जेठ जी के सामने पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। दोस्तों, मैं बहुत सुंदर और गोरी चिकनी थी किसी रानी की तरह। अब तो मै भी इतना कामातुर हो गई थी कि मै खुद ही अपने जेठ से चुदना चाहती थी। मेरे जेठ जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे पैरों कि उंगलियों को चूसने लगा। और धीरे धीरे मेरे पैर को चूसते हुए मेरे चिकनी और सॉफ्ट जांघ कि तरफ बढ़ने लगा। मै तो पागल हो रही थी और …..सी सी सी ,,अहह … उह उहअहह … अह्हह्ह करने लगी थी। कुछ ही देर में वो मेरी जांघों को चकहते हुए मेरी चूत के पास पहुचे। उन्होंने अपनी नाक को मेरी चूत में रगड़ना शुरू किया और मै बड़ी मस्ती से अपने बदन को ऐंठ रही थी। नाक को रगड़ते हुए, मेरी चूत को अपने जीभ से जिस तरफ कोई कुत्ता चाट रहा हो उसी तरह सी मेरी चूत को चाट कर मेरी चूत कि मैल को साफ कर रहें थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था,
मेरे जेठ जी ने मेरे बुर को बहुत देर तक पिया और अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को बार बार चाट रहें थे, जिससे मै मदहोश हो कर मै अपनी मुलायम सी चूची को अपने हाथो से दबा दबा के उसमे से दूध निकाल रही थी। कुछ देर तक मेरे चूत के दाने को चाटने से मेरे चूत का पानी नि़कने लगा और मेरे चूत के नमकीन पानी को मेरे जेठ ने जीभ से चाट कर साफ कर दिया। अब मै और मेरे जेठ दोनों चुदाई के वासना में जलने लगे और कुछ ही देर बाद जेठ जी अपने 7 के मोटे से लंड को बाहर निकाला और मेरी चूत की किनारों पर अपने लंड से घुमा रहे थे, मै तो इससे और भी कामुक हो उठी। थोड़ी देर मेरी चूत को अपने लंड से सहलाने के बाद जेठ जी ने मेरी चूत में अपने लंड डालने के लिये हल्का सा धक्का देने लगे, पहले तो उनका आधा लंड लगभग 4 मेरी चूत में घुस गया औए 3 इंच बाहर ही रह गया। जेठ जी ने एक बार फिर जोर लगाया और बाकि बचा हुआ लंड भी मेरी चूत को फाड़ते हुए मेरी चूत के गहरे में चला गया और मै अपने चीख को रोक नही पाई और मेरे मुह से …अहह ..औह्ह ….माँ … करने लगी। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में अपना पूरा जोर लगा के डालने लगे जिससे मै ..,.. ‘’उ उ उ उ ऊऊऊ……ऊँ..ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो…….उंह्…उंह..उं…हहूँ..हूँ…हूँहअहह्ह्ह्हह.अई…अई….अई….’’ करके चीखने लगी।
मेरे जेठ ने कहा – चुप मादरचोद, मै चुप हो गई लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था और साथ साथ मजा भी आ रहा था। उनकी स्पीड बहुत तेज हो रही थी। और मै भी अपने मम्मो को तेजी से दबा रही थी। मेरे जेठ ने 1 घंटे तक मेरी लगातार चुदाई की और जब और मेरी चूत को फाड़ डाला। जब जेठ जी का माल निकलने वाला था, तो उन्होंने मेरे चूत से अपने लंड को निकाल लिया और मेरी मुह की तरफ अपना लंड करके मुठ मारने लगे। जेठ जी की सांसे बढ़ने लगी थी उनकी स्पीड तेज होती जा रही थी। कुछ देर में में जेठ जी के लंड से माल निकाल कर मेरी मुह और होठो पर पड़ गया। उनके लंड के माल से मेरा मुह गीला हो गया। मैंने उनके माल को अपने जीभ से चाट लिया। और जेठी जी भी अपने लंड से निकले माल को मेरे मुह पर चाट रहें थे। उस दिन तो बहुत मजा आया।
उस दिन की चुदाई तो मस्त थी, मेरा मन फिर चुदने को कर रहा था। इसलिए मैंने उन से पूछा – ‘’जेठ जी आप मेरे पति को काम दे दीजिए और आप जब भी कहेगे मै आप से चुदने के लिये तैयार हो जाउंगी’’। उन्होंने कहा – ठीक है।
उस रात के बाद मै बहुत बार अपने जेठ जी से चुदी और मै उनसे पैसे भी ले लेटी थी। मैंने अपने पतियो को घर बुला लिया। अब तो मै दिन अपने जेठ जी से चुदती हूँ और रात को मरे पति मेरे खूब चुदाई करते है। इस तरह से मेरी कहानी पूरी होती है।
शादी के पहले मै बहुत हॉट और सेक्सी थी। मेरे बड़े बड़े और काले काले बाल, गोरे गोरे और लाल गाल, बड़ी बड़ी आंखे और मेरे सुडोल और सख्त जिस्म तो बहुत हो मस्त थी। चुचियाँ तो कमाल के थे ऐसा लगता था देखने पर की जैसे कोई मैदे के आटे को सान कर उसपे काले और हलके भूरे रंग की जामुन रख दिया हो। मेरी चूची बहुत ही गोरी और रुई की तरह मुलायम और साथ साथ सख्त और टाइट भी थी। मेरी चूत तो किसी जलते हुए कोयले से काम नही थी, मेरी कमसिन चूत बहुत रसीली बिल्कुल रसीले आम की तरह और बिल्कुल चिपकी हुई ऐसे लग रहा था की अभी इसका सील भी नही टूटा होगा, लेकिन मैंने बहुत बार अपनी चूत को अपने चाचा के लडको से मरवा चुकी थी।
मेरी शादी के बाद मेरे पति ने लगातार मेरी चुदाई करके मेरी चूत को फैला दिया और एक ही साल बाद मेरे एक लड़का भी हो गया। लड़का होने के बाद हमारा खर्चा बढनें लगा और मेरे पति कुछ काम नही करते थे, वो दिन भर घर पर रहते और जब भी मन करता मेरी चूत को बजाते।
मैंने एक दिन अपने पति से कहा – ”जानू तुम कुछ काम करो अब हमे पैसे की जरूरत है और कब तक हम किसी के सामने अपना हाथ फैलाएगें’’।
मेरे पति ने मुझसे कहा – ‘’हाँ मै जल्दी ही कुछ काम ढूंड लूँगा’’। थोडा दिन बीता अभिषेक ने एक काम करना शुरू किया लेकिन पैसे बहुत कम मिलता था। कुछ दिन उन्होंने वहां वो काम किया।
धीरे धीरे मेरे बेटा भी बड़ा हो रहा था, उसके पढ़ी का भी खर्चा बढ़ने वाला था। अभी तक तो मेरे ससुर जी हमारा खर्चा देते है लेकिन कब तक वो हमारा खर्चा उठाएंगे।
मेरे जेठ जी की नजर बहुत बुरी थी, वो औरतो को केवल चुदाई का सामान समझते थे, उन्होंने अपनी जिंदगी में इतनी औरतो को चोदा था की क्या बताऊँ। मेरे जेठ की नजर मेरे ऊपर भी थी लेकिन अभिषेक हमेसा घर पर ही रहता था इसलिए उनको मौका नही मिल पता था मुझ पे डोरे डालने को। अगर बात करे जेठ जी की तो दिखने में स्मार्ट और साथ ही साथ उनके पास पैसे की भी कमी नही थी। उनका काम बहुत तेजी से चल रहा था और खूब पैसे भी आ रहें थे।
कुछ दिन बाद मेरे ससुर की मौत हो गई, ससुर के मौत के बाद हमारा खर्चा किसी तरह से पूरा होता था। अभिषेक बहुत मेहनत भी करता तब भी हमारा खर्चा किसी तरह से चलता। कुछ दिन बाद बाद मेरे जेठ ने बटवारा कर दिया।
अब तो हमारा और भी बुरा हाल हो गया। अभिषेक और ज्यादा पैसे कमाने ले लिये अपने एक दोस्त के साथ दिल्ली चले आये। अब मै और मेरा बेटा हम दोनों ही घर रहते थे, मेरे पति दिल्ली से पैसे भेजते थे, और खुद भी कभी चले आते थे। जब वो आते थे तो हम दोनों मिलके खूब चुदाई करते जितने दिन रहते, हम एक एक दिन पांच छः बार काम कर लेते थे। लेकिन उनके जाने के बाद मेरी चूत में सुखा पड़ जाता था। कोई मुझे चोदने वाला नही रहता था।
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मेरे पति के परदेस जाने के बाद मेरे जेठ जी ने मुझ पर चांस मारना शुरू कर दिया था। लेकिन मुझे उन्हें देख कर नफरत होती थी क्योकि उन्होंने मेरे पति को नौकरी नही दी थी।
मै एक दिन अपने घर के सामने बैठी थी, मेरे जेठ जी आए और उन्होंने मुझसे कहा – ‘’मै तुम्हारे पति को अपने काम में नौकरी दे सकता हूँ लेकिन पहले तुम मेरे लिये कुछ करो फिर मै भी तुम्हारे लिये कुछ कर सकता हूँ’’। मै समझ गई की ये मुझे चोदने के बारे में बात कर रहे है। मैंने उनसे कहा -‘’आप जो चाहते है वो कभी नही हो सकता है चाहे दुनिया इधर से उधर क्यों ना हो जाए’’।
मेरे जेठ ने कहा – मै तो तुम्हारा अकेलापन दुर करना चाहता हूँ, तुम्हारे पति को तुम्हारे पास बुला के और तुम कहा रही हो जो मै चाहता हूँ वो कभी नही हो सकता???
कुछ देर बाद मेरे जेठ वहां से चले गाये। मैंने उनके बातों के बारे में बहुत सोचा पर मै लेकिन मेरे मन उनसे चुदवाने को नही कर रहा था। धीरे धीरे कुछ दिन और बीता, अभिषेक घर आ गया। घर आते ही उसने मुझे गोदी में उठा लिया और बिस्तर में ले गया। उसने बहुत दिन बाद मेरी चूत को मज़े से चोदा और खूब पिया भी। चुदाई के बाद मैंने उससे कहा ¬– तुम यहीं कोई अच्छा काम क्यों नही कर लेते?? तो उसने कहा यहाँ पैसे अच्छे नही मिलते है। तुम्हारे बिना मै बहुत अकेली रही हूँ। तो उसने कहा – भैया मुझे काम पर रखेगे नही क्योकि उन्होंने मुझे एक बार पैसे चुराते हुए पकड़ लिया था। मुझे उस काम में अच्छे पैसे मिल जाते थे। मैंने सोचा अगर मै अपने जेठ से चुदवा लू तो अभिषेक को यहाँ काम के साथ साथ अच्छे पैसे भी मिल सकता है। लेकिन मैंने सोचा अभी नही वरना हो सकता है की अभिषेक को सक हो सकता है। थोड़े ही दिन बाद अभिषेक फिर से बाहर चला गया। मैंने पहले तो सोचा की अपने जेठ से चुदवा लूँ लेकिन फिर मेरे मन बदल गया।
मैंने अपने मन से जेठ जी से चुदने की बात को निकाल दिया। लेकिन मेरी और मेरे जेठ की चुदाई की कहानी तो भगवान खुद अपने हाथो से लिख रहा था।
दोस्तों, कुछ दिन पहले की बात है मेरी जेठानी अपने मइके गयी हुई थी और मेरे पति भी घर नही थे। रात का समय था , मै लेटी हुई थी दोपहर से ही मेरे बेटे की तबीअत कुछ ठीक नही थी, लेकिन जब रात हुई तो उसकी तबीअत खराब होती गई। मैंने सोचा अब इतनी रात को किसको बुलाऊ?? फिर मैंने अपने जेठ जी कमरे के बाहर गई और उनको आवाज़ देने लगी। कुछ देर बाद वो बाहर आये। उन्होंने मुझसे कहा – ‘’इतनी रात को आई हो क्या बात है, कहीं तुम अपना अकेलापन तो दुर करने नही आई हो’’। मैंने कहा नही वो मेरे बेटे की तबीअत खराब है आप साथ चल कर डॉक्टर को दिखवा देते तो ठीक रहता रात भी हो चुकी है। मेरे जेठ ने कहा – तुमने तो मेरी बात नही मानी थी तो मै क्यों तुम्हारी बात मानू?? मैंने उनसे कहा – भगवान के लिये पहले आप मेरे बेटे को डॉक्टर को दिखा दीजिए फिर आप को जो करना है कर लेना लेकिन पहले मेरे बेटे की दवाई करवा दो।
जेठ जी ने मेरे बेटे को डॉक्टर को दिखाया और दिखाने के बाद घर ले आये। उसके ठीक होने तक वो मेरे कमरे में ही बैठे थे। जब मेरा बेटा ठीक हो गया तो मैंने जेठ जी कहा –‘’ पहले आप मुझसे वादा कीजिये की ये बात किसी से कहेगे नही और मेरे पति को काम भी देंगे’’।
मेरे जेठ जी मुझसे कहा ठीक है। लेकिन आज तो तुम्हारी चूदाई तो करूँगा ही और जब मेरा मन फिर किसी को चोदने को कहे तो तुम चुपके से आ जाना। मैंने उनकी शर्तो को मन लिया। मैंने अपने बेटे को एक कमरे में लेटा के मै और जेठ जी दोनों दूसरे कमरे में चुदाई करने के लिये चले गाये। आप ये कहानी नॉन वेज स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है
मैंने उस कमरे के दरवाजे को बाद कर लिया। और पड़े हुए बिस्तर पर बैठ गई। जेठ जी ने जल्दी से अपने कपडे को उतार दिय और केवल बड़े और ढीले वाले नेकर में मेरे सामने खड़े हो गाये। मैंने उस दिन काली रंग की साडी पहनी थी, जेठ जी ने कहा – ‘’मेरी जान आज तुम बहुत कमाल की लग रही हो’’। उन्होंने मेरे हाथो को पकड़ा और मुझे अपनी खीच लिया। मेरे मम्मे उनके सीने में जाके टकरा गाये और मुझको उन्होंने अपने बाहों में भर लिया। बाहों में भरते ही जेठ जी मेरे रसीले होठो को अपने मुह में भर कर चूसने लगे। वो लगातार मेरे होठो को काट काट कर मुझे कामोत्तेजित कर रहें थे। थोड़ी ही देर में मै कामोत्तेजना से पागल होके अपने जेठ जी को कस कर अपने बाहों में भर लिया और उनके होठो को अपने मुह में भर कर चूसने लगी। मेरा जीभ उनके मुह में और उनकी जीभ मेरे मुह में यही काम बहुत देर तक चलता रहा। बहुत देर तक हम दोनों एक दूसरे के चुम्बन में खोये रहें।
कुछ देर बाद जेठ जी का हाथ मेरी ब्लाउस पर आ कर रुक गया, उन्होंने मेरी साडी को निकाल दिया और मेरे मम्मो को आजाद करने के लिये मेरे ब्लाउस की एक एक बटन को खोल दिया और मेरे बड़े बड़े मम्मो को काले ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगे। फिर जेठ जी ने मेरे ब्रा में फसे हुए चुचियों को मेरे ब्रा को निकाल कर उसे आज़ाद कर दिया और मेरी 36 चुचचे को बड़े मस्ती से दबाना शुरू किया। वो मेरे मम्मो को दबा दबा के बहुत अधिक चुदासा हो गया थे और मेरे खूबसूरत सफ़ेद चिकने मम्मो को वो अपने हाथ में लेकर किसी आटे की तरह वो जोर जोर से मसले जा रहा था। मै भी चुदासी होकर अपने मम्मो को बड़े मस्ती से लगातार मसल रही थी। मेरा बेटा रोज मेरी दूध पीता था इसलिए मेरे चुचियों से अभी भी दूध निकालता है। मेरे जेठ जी अपने हाथो से मेरे चूची को जोर से दबाते और उसमे से जब दूध निकलता तो उसको पीकर मज़े ले रहें थे। मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।
बहुत देर तक मेरे दूध को पीने के बाद जेठ जी ने मेरे बूब्स को मसलते हुए और मेरे पेट को पीते हुए मेरी नाभि से होते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगे।उन्होंने मेरे काले पेटीकोट के नारे को खोला और पेटीकोट को निकाल दिया। फिर उसने मेरी पैंटी भी निकाल दिया। अब मैं अपने जेठ जी के सामने पूरी तरह से नंगी हो गयी थी। दोस्तों, मैं बहुत सुंदर और गोरी चिकनी थी किसी रानी की तरह। अब तो मै भी इतना कामातुर हो गई थी कि मै खुद ही अपने जेठ से चुदना चाहती थी। मेरे जेठ जी ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे पैरों कि उंगलियों को चूसने लगा। और धीरे धीरे मेरे पैर को चूसते हुए मेरे चिकनी और सॉफ्ट जांघ कि तरफ बढ़ने लगा। मै तो पागल हो रही थी और …..सी सी सी ,,अहह … उह उहअहह … अह्हह्ह करने लगी थी। कुछ ही देर में वो मेरी जांघों को चकहते हुए मेरी चूत के पास पहुचे। उन्होंने अपनी नाक को मेरी चूत में रगड़ना शुरू किया और मै बड़ी मस्ती से अपने बदन को ऐंठ रही थी। नाक को रगड़ते हुए, मेरी चूत को अपने जीभ से जिस तरफ कोई कुत्ता चाट रहा हो उसी तरह सी मेरी चूत को चाट कर मेरी चूत कि मैल को साफ कर रहें थे। मुझे बहुत मजा आ रहा था,
मेरे जेठ जी ने मेरे बुर को बहुत देर तक पिया और अपनी जीभ से मेरी चूत के दाने को बार बार चाट रहें थे, जिससे मै मदहोश हो कर मै अपनी मुलायम सी चूची को अपने हाथो से दबा दबा के उसमे से दूध निकाल रही थी। कुछ देर तक मेरे चूत के दाने को चाटने से मेरे चूत का पानी नि़कने लगा और मेरे चूत के नमकीन पानी को मेरे जेठ ने जीभ से चाट कर साफ कर दिया। अब मै और मेरे जेठ दोनों चुदाई के वासना में जलने लगे और कुछ ही देर बाद जेठ जी अपने 7 के मोटे से लंड को बाहर निकाला और मेरी चूत की किनारों पर अपने लंड से घुमा रहे थे, मै तो इससे और भी कामुक हो उठी। थोड़ी देर मेरी चूत को अपने लंड से सहलाने के बाद जेठ जी ने मेरी चूत में अपने लंड डालने के लिये हल्का सा धक्का देने लगे, पहले तो उनका आधा लंड लगभग 4 मेरी चूत में घुस गया औए 3 इंच बाहर ही रह गया। जेठ जी ने एक बार फिर जोर लगाया और बाकि बचा हुआ लंड भी मेरी चूत को फाड़ते हुए मेरी चूत के गहरे में चला गया और मै अपने चीख को रोक नही पाई और मेरे मुह से …अहह ..औह्ह ….माँ … करने लगी। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत में अपना पूरा जोर लगा के डालने लगे जिससे मै ..,.. ‘’उ उ उ उ ऊऊऊ……ऊँ..ऊँ…ऊँ अहह्ह्ह्हह सी सी सी सी.. हा हा हा.. ओ हो हो…….उंह्…उंह..उं…हहूँ..हूँ…हूँहअहह्ह्ह्हह.अई…अई….अई….’’ करके चीखने लगी।
मेरे जेठ ने कहा – चुप मादरचोद, मै चुप हो गई लेकिन मुझे बहुत दर्द हो रहा था और साथ साथ मजा भी आ रहा था। उनकी स्पीड बहुत तेज हो रही थी। और मै भी अपने मम्मो को तेजी से दबा रही थी। मेरे जेठ ने 1 घंटे तक मेरी लगातार चुदाई की और जब और मेरी चूत को फाड़ डाला। जब जेठ जी का माल निकलने वाला था, तो उन्होंने मेरे चूत से अपने लंड को निकाल लिया और मेरी मुह की तरफ अपना लंड करके मुठ मारने लगे। जेठ जी की सांसे बढ़ने लगी थी उनकी स्पीड तेज होती जा रही थी। कुछ देर में में जेठ जी के लंड से माल निकाल कर मेरी मुह और होठो पर पड़ गया। उनके लंड के माल से मेरा मुह गीला हो गया। मैंने उनके माल को अपने जीभ से चाट लिया। और जेठी जी भी अपने लंड से निकले माल को मेरे मुह पर चाट रहें थे। उस दिन तो बहुत मजा आया।
उस दिन की चुदाई तो मस्त थी, मेरा मन फिर चुदने को कर रहा था। इसलिए मैंने उन से पूछा – ‘’जेठ जी आप मेरे पति को काम दे दीजिए और आप जब भी कहेगे मै आप से चुदने के लिये तैयार हो जाउंगी’’। उन्होंने कहा – ठीक है।
उस रात के बाद मै बहुत बार अपने जेठ जी से चुदी और मै उनसे पैसे भी ले लेटी थी। मैंने अपने पतियो को घर बुला लिया। अब तो मै दिन अपने जेठ जी से चुदती हूँ और रात को मरे पति मेरे खूब चुदाई करते है। इस तरह से मेरी कहानी पूरी होती है।
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mera 9 inch ka land hai Hii,Any age Housewife,, Bhabi,,, Aunty Wapp me @ 7800643621 for real sex and call me rohit only lucknow and kanpur///
ReplyDeleteHotel Me Simran Ko Jam Ke Choda
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Friend Ne Mere Bibi Aur Sasuma Ko Choda
Ziddi Aunty Ko Blackmail Kar Chodaa
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दो भाभी और अकेले देवर में चुत चुदाई Do Bhabhi ek Devar
अंकल जी से पब्लिक टॉयलेट में चुद गयी Public Toilet
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ReplyDeleteMera gaand Koi marega
DeleteMe marufa
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ReplyDeletemera 8 inch lamba 3 inch mota land hai
I am 21 Y.O. Boy
I am looking for bhabhi Aunty and house wife
Mera gaand Koi marega
Deleteagar girl ho to mail kro
DeleteHi I'm Amit koi Gaziyabaad se aunty girl ya house wife h to msg kre
ReplyDeletecall 9079989604
DeleteMy male I'd amitpandit0619@gmail.com
ReplyDelete7082748621 ह कोई होट लेडी
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